पर्यावरण’ पर हुई ‘कवि गोष्ठी’
टीकमगढ़//‘ गीतकार वीरेन्द्र चंसौरिया के निवास, साई मंदिर के पास, नगर की सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ की 211 वीं गोष्ठी ‘पर्यावरण’ पर केन्द्रित आयोजित की गयी
जिसके मुख्य अतिथि ईको क्लब के जिला प्रमुख महेन्द्र उपाध्याय रहे व अध्यक्षता पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी वरिष्ट कवि बह.एल. जैन ने की,जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में लेखक आर.एस.शर्मा रहे।
महेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि- हमें आज पर्यावरण को सुधारने के उपाय करने होगें तथा अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए। वृक्षारोपण करना पुण्य का कार्य है।
वही अभिनंदन गोइल कहा कि-‘वर्षा का जल रोकने और जल संरक्षण के अभाव में कहीं बुंदेलखण्ड धीरे-धीरे रेगिस्तान में परिवर्तित न हो जाये।
सर्वप्रथम सीताराम राय ने सरस्वती बंदना के पश्चात् कवि डी.पी.शुक्ला ने पढ़ा-लगता है अच्छे दिन आने वाले है।
ग्राम बल्देवगढ़ से पधारे कवि कोमल चन्द्र ‘बजाज’ ने पढ़ा-
पर्यावरण की उधेर रओ मानव बखिया आज।
जल,जंगल,जन्तु, जमीं जिनकी लुट गयी लाज।।
ग्राम बल्देवगढ़ से पधारे कवि यदुकल नंदन खरे ने पढ़ा-
पेड़ पोधां की जगह कोई बस्ती न जायेगी।।
सचिव रामगोपाल रैकवार ने दोहे पढ़े-
आगर आदमी ने नहीं बदले अपने ढंग। बदरंगे हो जाएँँगे प्रकृति के रंग।।
म.प्र.लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने हास्य कविता सुनायी-
जल ही जीवन हैं इसे बचाइएँ प्यास लगे तो पडौसी के घर जाइएँ।
जल के साथ आपको नाश्ता भी मिलेगा,
फिर बही पडौसी दूसरे दिन आपके घर मिलेगा।।
वीरेन्द्र चंसौरिया ने कविता पढ़ी-
हमारी तुम्हारी धरा एक सी है।
धरा एक ही है हवा एक सी है।।
परमेश्वरीदास तिवारी ने पढ़ा-
भ्रष्टाचार दहाड़ रहा है खुलकर के दरवाजे,
नाच रही पशुता घर-घर में बजा बजाकर बाजे।
ग्राम लखौरा से आये कवि गुलाब सिंह ‘भाऊ’ ने बुन्देली रचना पढ़ी-
विश्वास करो तो विश्व में उपर भये तूपर,
अपने हाथन मानव ने उत्पात मचा दये भू पर।।
डॉ.अनीता गोस्वामी ने पढ़ा-
पृथ्वी हे गोल सी कक्षा,हर मानव जिसमें है बच्चा,
सबक सिखाता देखो क्षण-क्षण सीख सके तो सीख ले प्रतिक्षण।
हाजी ज़फ़रउल्ला खा ‘ज़फ़र’ ने ग़ज़ल सुनायी-
सुबहो शाम जाया करें,घूमने भी लोग,
वो ताजगी भी अब नहीं सहरा ओ चमन में।
दीनदयाल तिवारी ने रचना पढ़ी-
सुंदरता आकर्षित करती सबको, कोई नहीं जा सकता बच।
सुंदरता के सभी दिवाने बात है सोलह आने सच।
व्ही. के. मेहरा ने कविता सुनायी-
देखों र्प्यावरण पै सब का सुनारय। असफेर में सूका पढ़ो औ बें नारें लगा रय।
आर एस.शर्मा ने कविता सुनायी-
हम विष कन्या की तरह विष मानव हो रहे है,
आणविक युद्ध से घुट-घुटकर जीने का अभ्यास कर रहे।
सियाराम अहिरवार ने कविता पढ़ी-
प्रकृति से खिलवाड़ करने लगे हैं लोग, तभी तो बेमौत मरने लगे है लोग।।
उमा शंकर मिश्रा ‘तन्हा- ने पढ़ा- बात जो तुम्हें बतानी है लंबी इक कहानी है।
इक-इक बूँद सहेजो अब,बेशकीमती है पानी।
भारत विजय बगेरिया ने कविता पढ़ी-
बंधु पेड़ लगाना रे,आज आवश्यकता है पेड़ों की इनको न कटवाना रे।।
पूरन चन्द्र गुप्ता ने पढ़ा-
पेड़ लगाओं नीर बचाओ,पर्यावरण बचाना है।
पूरन रहना स्वस्थ्य अगर तो प्रदूषण को भगाना है।
जंगल काटकर इंसा अपना-अपना आशियाना बना बैठा,
परिंदे जाकर अब कहाँ ठहरें उनका कोई ठिकाना नहीं।
सीताराम राय ने कविता पढ़ी-पर्यावरण खौं लेव बचाई, पावन पवन भई जहरीली,प्रानन पे बन आई।।
रघुवीर आनंद’ ने कविता पढ़ी-
यह भारत की धरा बडी है उर्वरा, काला धन काले कर्मो से बह रहा।।
रवीन्द्र यादव ने कविता पढ़ी-
पर्यावरण हमारा सुंदर प्राणों से भी प्यारा है
हम है इसके एक पुष्प यह पूरा बाग हमारा है।
इनके अलावा विज बी.एल. जैन, अमिताभ गोस्वामी,राम तिवारी, सत्यनारायण तिवारी, व विवेक अग्रवाल,ने भी अपनी रचनाएँ सुनायी।
गोष्ठी संचालन दीदयाल तिवारी ने किया तथा
सभी का आभार प्रदर्शन मेहवान वीरेन्द्र चंसोरिया ने किया।
रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’,
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ,टीकमगढ़,