Rajeev Namdeo Rana lidhorI

रविवार, 18 जनवरी 2015

MPLS Gosthi 192-Date-18-1-2015

म.प्र.लेखक संघ की ‘वीर रस व देशप्रेम’ पर केन्द्रित 192वीं गोष्ठी हुई-
(‘सार्वजनिक पुस्तकालय और उनकी समस्याएँ’ पुस्तक का विमोचन हुआ)
म.प्र. लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी ने ग़ज़ल सुनायी-
                      देश रक्षा के लिए खून बहाने की जगह,
                      हम लहू दंगे फसादों में बहा देते।
                       हम तो सहते है ज़माने के सितम हँस-हँस के,
                       हम नहीं वो जिन्हें हालात रूला देते है।। 

                                                           -राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी





 टीकमगढ़//‘पुस्तके मन को पोषित करती है’ यह विचार विशिष्ट अतिथि सांख्यिकी योजना अधिकारी श्री ओमप्रकाश त्रिपाठी जी ने म.प्र.लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 192वीं गोष्ठी ‘वीर रस व देश प्रेम’ पर केन्द्रित जिला पुस्तकालय में आयोजित की गयी गोष्ठी में रखे। जिसके मुख्य अतिथि श्री शीलचन्द्र जैन प्राचार्य मबई व अध्यक्षता साहित्यकार दीनदयाल तिवारी ‘बेताल’ ने की। इस अवसर पर अतिथियों द्वारा ‘सार्वजनिक पुस्तकालय और उनकी समस्याएँ’ विषय पर जिला पुस्तकालय में हुए सेमीनार पर आधारित विजय कुमार मेहरा द्वारा संपादित पुस्तक का विमोचन किया गया। नवोदित कवियत्री नेहा पाण्डे ने  सरस्वती पढ़ी-अर्चना तुम बन्दना तुम,शब्द तुम स्वर साधना तुम।
ततपश्चात परमेश्वरीदास तिवारी ने पढ़ा-पुस्तकालय सभ्यता की जान है,
                                                    पुस्तकालय देश का ईमान।।
हाजी ज़फ़रउल्ला खां ‘ज़फ़र ने ग़ज़ल पढ़ी- हो जाएं सब इकठ्ठे ही आवाज़ दो ‘ज़फ़र’।
                                            मिलके वन्दे मातरम एक साथ गायेंगे।।
म.प्र. लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने ग़ज़ल सुनायी-
                   देश रक्षा के लिए खून बहाने की जगह,
                      हम लहू दंगे फसादों में बहा देते।
                           हम तो सहते है ज़माने के सितम हँस-हँस के,
                              हम नहीं वो जिन्हें हालात रूला देते है।।

वीरेन्द्र चंसौरिया ने गीत पढ़ा-देश खातिर जान मेरी हाजि़र,प्राणों से प्यारा देश मेरा है।
सीताराम राय ने रचना पढ़ी-     भर देंगे हम मांग खून से काट-काट दुश्मन को,
सरहद ऊपर झांक न पाये,देख पा पाये वतन को।
बी.एल.जैन ने रचना  पढ़ी-आज तुम्हे सौगंध है भारत की जनता की। देने भारत की जनता के अपनी सच्ची ममता की
डाॅ. जगदीश रावत ने पढ़ा-जाति धर्म हर व्यक्ति वर्ग से राष्ट्र बड़ा होता है। शहीदों की अर्थी पर राष्ट्र खड़ा होता है।
कवियत्री डाॅ. आशा देवी तिवारी ने पढ़ा-विश्वास घातों की आंधी में,दीपक सत्य जलायें बैठे है।
पूरन चन्द्र गुप्ता ने सुनाया-बुंदेली वीरों तुम जागो करना अब उत्थान है,बुन्देले बुन्देलखण्ड भी जागे हिन्दुस्तान है।
ग्राम लखौरा के कवि गुलाब सिंह ‘भाऊ’ ने कविता पढ़ी-मन में ऐसी ठाने ठान जब तक है तन में जे प्रान।
ररखै अपनी माँ की शान। नहीं डरेगे हम शत्रु से नहीं है प्यारी जान।
शिवचरण उटमालिया- हमने देखे हैबहुत तीर चलानेवाले।
                             चूक जाते है कभी अच्छे निशानेवाले।।
हरेन्द्र पाल ंिसह ने पढ़़ा-जव विकास की हवा हमारे गाँव में लहरायेगी,
भाग्य छोड़ जब कर्म की रेखा धरती पर खिंच जायेगी।ं
अमित सिंह बुन्देला ने कविता पढ़ी-अगर छुआ कश्मीर तो उन्हे बता देंगे।
                                हम उनको उनकी औकात दिखा देंगे।।
शांति कुमार जैन ने कविता पढ़ी-     क्या बनने आये थे क्या बना बैठे,।
 इनके अलावा विजय मेहरा,दीनदयाल तिवारी, रघुवीर आनंद,अजीत श्रीवास्तव,अभिनंदन गोइल, वीरेन्द्र बहादुर खरे, मनमोहन पाण्डे, आदि ने भी अपनी रचनाएँ सुनायीे।
 गोष्ठी का संचालन अभिनंदन गोइल ने किया एवं
सभी का आभार प्रदर्शन लेखक संघ के अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने किया।                                                         रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
     अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ,टीकमगढ़, मोबाइल-9893520965,

बुधवार, 7 जनवरी 2015

Orchha bundei sammelan 3+4-1-2015 tiakamgarh








tikamgarh3 व 4 जनवरी सन्.2015 को ‘बुन्देली’ का अ.भा.साहित्य सम्मेलन ओरछा में 
         कुछ यादगार क्षण- कुछ अनमोल उपलब्धियाँ’

1- ‘राष्ट्रीय बुन्देली कवि सम्मेलन’ में टीकमगढ़ रियासत के पूर्व महाराज मधुकर शाह जू देव ने मेरे       बुन्देली हायकू कविता सुनकर वहीं मंच पर मेरी प्रशंसा करते हुए 1000रू का नगद ईनाम दिया।
2-टीकमगढ़ रियासत के पूर्व महाराज मधुकर शाह जू देव के साथ एक ही टेविल पर लंच करने का  सौभाग्य प्राप्त हुआ।   
3-फिल्म स्टार राजा बुन्देला जी के साथ फोटो सेसशन का सौभाग्य प्राप्त हुआ।   
                   
-- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ,टीकमगढ़,
मोबाइल-9893520965

सोमवार, 5 जनवरी 2015

ओरछा में हुआ राष्ट्रीय आँचलिक बुन्देली कवि सम्मेलन हुआ-date-3-1-2015










ओरछा में हुआ राष्ट्रीय आँचलिक बुन्देली कवि सम्मेलन हुआ-



  टीकमगढ़//बुन्देलखण्ड साहित्य एवं संस्कृति परिषद भोपाल के संयोजन में तथा ओरछेश महाराज मघुकर शाह जू देव के संरक्षक में होटल बुन्देलखण्ड रिवर साइड ओरछा में  बुन्देली का राष्ट्रीय कवि सम्मेलन आयोजित किया गया  जिसमें  मुख्य अतिथि महाराज मधुकर शाह जू देव रहे व अध्यक्षता प्रसिद्व साहित्यकार रामस्वरूप ‘स्वरूप’ जी सेवढ़ा ने की तथा विशिष्ट अतिथि कैलाश मडबैया जी भोपाल रहे।
 संचालन डाॅ आशा पाण्डे ग्वालियर ने किया।
 हेमा बुखारिया पृथ्वीपुर ने  सरस्वती वंदना ततपश्चात परमलाल तिवारी खजुराहो ने पढ़ा-कैसे करो जो वसूल मन कलेश है भारी।
।डाॅ. देवदत्त द्विवेदी बडामलहरा ने रचना पढी-ई मन खौ अजमा कै देखो,
                                                   निर्मल भाव बना कै देखो।
                     राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने बुन्देली हायकू सुनाये-
                            बुन्देली बानी, सुनत लगत,है एनई नोनी।
                            गुटका खाकै बिगरी मुइया,बनी टुइया।
                               दुद नीखरा मिलत है नइया भूखीं गइयाँ।।

डाॅ. आशा पाण्डे ग्वालियर ने पढ़ा-कितै दुकै हो बनवारी, जिनै राधा जू है प्यारी।
कैलाश मडवैया भोपाल ने पढ़ा-जिन     फागुन के दिना हर आँगन में खिली जुदईयाँ,
नये नये जोरा में फागुल बनी दुलइैया।।
शिवेन्द्र ंिसंह शिवेन्द्र भिण्ड ने पढ़़ा- मै मानव हूँ तो मानव को शिष्टाचार करता हँू।
भूपेन्द्र सिंह सेवढ़ा ने कविता पढ़ी- निकरत मोरी बात हिय में जौन कौऊ नै जानी,
  जा धरती बुन्देलखण्ड की नारी वीर कहानी।।
अरविन्द्र त्रिपाठी मऊरानीपुर ने रचना पढ़ी-माँ के आँचर की छाँव जीवन का हर दुःख भूल गये,                                          कौमल स्पश्र पाकै सब भूल गये।
रामगोपाल रैकवार  टीकमगढ़ ने पढ़ा- भुनसारे उठकै सब ढँूढ रय उरैया,
                                                  मान्स का जनावर का और चिरैया।।
दीनदयाल तिवारी टीकमगढ ने पढ़ा-    सोस विचार कें चलने भैया।
उमाशंकर उमेश पुथ्वीपुर ने पढ़ा-गुइया अबै लो न आये सइयां,लगन लगी लौलइयाँ।
राजनीश दुवे ओरछा ने पढ़ा-    तोरे नैना करेजे भरै रै गये,दके छाती पै गत्कौ खडे रै गयै।
संतोष पटेरिया खजुराहो’ ने पढ़ा-     बदरिया वरसो पिया के देश,
                                              अँगना वरसो अँगनिया बरसो।
श्यामचरण सनम’ डबरा ने पढ़ा-कर दई नाक में दम रे जौ मौबलिया ने।
                                            कर दओ चैपट रूपया भौया ने।
डाॅ.लखन लाल जी खरे करैरा ने कहा-भओ चैपट राजा कौ राज,कौऊ सुनने वारो नईया।।
सुरेश सोनी ललितपुर,ने पढ़ा-मताई मोखो नई मारौ पटई में
ओम प्रकाश तिवारी जौरा ने सुनाया-बिना दीन के हम रय गये,न इतई कै रय न उतई केैे रय।।
कु.इन्द्रप्रभा खरे पुथ्वीपुर ने पढ़ा-नदिया किनारे है प्यारौ सौ गाँव।
                                          सौधी सी माटी और पीपर की छाँव।।

इनके अलावा डाॅ. शिरोमणि सेवढ़ा,डाॅ.जे.पी.रावत टीकमगढ़,संतोष कुमार,पुरूषोत्तम नारायण ललितपुर, पूरन चन्द्र गुप्ता टीकमगढ़ आशा तिवारी, प्यारेलाल बेधडक मऊरानीपुर,रामानंदन पाठक नैगुवा,अभिनंदन गोइल टीकमगढ़,देवी दयाल कुशवाहा आरछा आदि ने भी अपनी रचनाएँ सुनायींे। यह जानकारी मीडिया प्रभारी राजीव नामदेव राना लिधोरी ने जारी एक प्रैस विज्ञप्ति में दी है।                           
                            रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
            ,                अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ,टीकमगढ़,
                                                      मोबाइल-9893520965,