Rajeev Namdeo Rana lidhorI

गुरुवार, 23 अप्रैल 2015

‘विश्व पुस्तक दिवस पर जिला पुस्तकालय में हुई गोष्ठी-23-4-2015



‘विश्व पुस्तक दिवस पर जिला पुस्तकालय में हुई गोष्ठी-
‘बाइबिल’ पर राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी ने  आलेख का वाचन किया
टीकमगढ़/शासकीय जिला पुस्तकालय में आज ‘विश्व पुस्तक दिवस’ पर विभिन्न धर्मो की पुस्तक
 पर का केन्द्रित एक गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें ‘गीता’ पर रामगोपाल रैकवार,‘वेद पुराणों पर अभिनंदन गोइल,‘बाइबिल’ पर राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी ने अपने आलेखों का वाचन किया। इस अवसर पर शासकीय जिला पुस्तकालय टीकमगढ़ द्वारा ‘बेस्ट पाठक अवार्ड’ विकास जैन को प्रदान किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता सी.एल.अहिरवार ने की मुख्य अतिथ आर के जैन रहे। जबकि विशिष्ट अतिथि रामस्वरूप दीक्षित ने की जिसमें प्रमुख साहित्यकार उपस्थित रहे वीरेन्द्र चंसौरिया,परमेश्वरीदास तिवारी,आर.एस शर्मा, डाॅ.जे.पी.रावत, पूरनचन्द्र गुप्ता,लालजी सहाय श्रीवास्वत,राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’,उमाशंकर मिश्रा, मुन्ना मिश्रा, वीरेन्द्र चंसौरिया, ्रुलाब सिंह भाउ,वीरन्द्र बहादुर खरे,लालजी सहाय श्रीवास्वत, आदि उपस्थित रहे कार्यक्रम का संचालन एच.पी.सिंह ने किया तथा आभार प्रदर्शन लाइवे्ररियन विजय मेहरा ने किया।
                       
रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
         अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ,टीकमगढ़,
मोबाइल-9893520965


सोमवार, 13 अप्रैल 2015

बज़्में अदब की 159 वीं नशिस्त



छेड़ दो ऐसी मधुर इक तान ‘राना’ तुम यहाँ -राना लिधौरी
(बज़्में अदब की 159 वीं नशिस्त हुई)
  Date-12-4-2015
टीकमगढ़//‘ इंदिरा कालोनी में केप्टन सत्तार आजाद के निवास पर तंजीम ‘बज़्में अदब’ की तरह मिस्रा ‘‘लब तरसते हैै हमारे मुस्कुराने के लिए’ ’ पर 159वीं माहाना तरही नशिस्त हुई जिसमें मेहमाने खुसूसी जनाब बिजावर से तशरीफ़ लाए शायर फरीद बेग रहे। जिसमें जबाव कारी अख्लाक, राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’, हाफि़ज आरिफ, हाजी अनवर’, चाँद मोहम्मद आखिर,बशीर फराज, शकील खान, अनवर खान, केप्टन सत्तार आजाद’, पूरनचन्द्र गुप्ता आदि शायरों ने अपने कलाम पेश किये।                                        ।                  
म.प्र.लेखक संघ के जिलाध्यक्ष शायर राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने ग़ज़ल पेश की-
                                                 छेड़ दो ऐसी मधुर इक तान ‘राना’ तुम यहाँ।
                                                 सब मचल जाएँगें उसको गुनगुनाने के लिए।।

नशिस्त का संचालन शकील खान, ने किया एवं सभी का शुक्रिया अदा मेजवान केप्टन सत्तार आजाद ने किया। आगामी तरह मिस्रा ‘कहीं भी उनकी सुनवाई नहीं है’ दी गयी है।                                                    खबरनबीस- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
                      अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ,टीकमगढ़,
मोबाइल-9893520965,       

गुरुवार, 9 अप्रैल 2015

राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ के ‘हाइकु’ ‘अभिनव प्रयास’ पत्रिका के अंक-जनवरी मार्च 2015 में प्रकाशित

राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ के ‘हाइकु’
अलीगढ़ (उ.प्र.)से प्रकाशित ‘अभिनव प्रयास’ पत्रिका के
अंक-जनवरी मार्च 2015 में प्रकाशित
राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’टीकमगढ़ के ‘हाइकु’ कविता

रविवार, 5 अप्रैल 2015

म.प्र.लेखक संघ की ‘हास्य व्यंग्य’ पर केन्द्रित 196वीं गोष्ठी हुई-5-4-2015

म.प्र.लेखक संघ की ‘हास्य व्यंग्य’ पर केन्द्रित 196वीं गोष्ठी हुई-
(गायत्री शक्तिपीठ पर हुई रसवर्षा)
  टीकमगढ़//‘ म.प्र.लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 196वीं गोष्ठी ‘ हासय व्यंग्य’  पर केन्द्रित गायत्री शक्ति पीठ बानपुर दरवाजा में आयोजित की गयी, जिसके मुख्य अतिथि बल्देवगढ से पधारे साहित्यकाऱ श्री कोमल चन्द्र बजाज  रहे व अध्यक्षता उमाशंकर मिश्र ‘तन्हा’ ने की जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप युवा व्यंग्यकार विजय मेहरा रहे।
पूरन चन्द्र गुप्ता’ ने सरस्वती वंदना पढ़ी और ये ग़ज़ल सुनायी- देखा एक तमाशा हमने,सत्ता के बाज़ार में।
                                    ठलुवा तो है हलुआ खा रय जनता है लाचार में।।
कुण्डेश्वर से पधारे पी.एल. कड़ा ने चैकडिया पढ़ी-चुगला चुगली बिना नी मानत,मसकऊँ कै कें लम्बी तानत।
हाजी ज़फ़र उल्ला खां ‘ज़फ़र’ ने बुन्देली ग़ज़ल पढी-बूढ़न खां ई सुख पहुचाई,पइसा लठिया और लुगाई।।
म.प्र.लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने हास्य कविता सुनायी-
                मैंने जैसे ही डायरी उठायी, ये देख पत्नी गुर्राई,
कहा जा रहे हो फिर कवि सम्मेलन,विरोध कर रहा था उनका बेलन।।
उमाशंकर मिश्र तन्हा’ ने पेरोडी सुनायी- एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा...
जैसे कोयला की खान जैसे कौआ की तान जैसे आफत में जान........
 कृष्ण कुमार रावत ‘किस्सू’ ने पढा-जि़न्दगी जैसी तमन्ना थी कुछ कम है,हर घड़ी होता एहसास कहीं कुछ कम नहीं।।
बल्देवगढ़ से पधारे कवि कोमलचन्द्र बजाज ने पढा- गाल बजाकर जजमानों को नाच नचा गए पंडित जी।
रचकर माया जाल चकाचक माल उड़ाते पंिड़त जी।।
परमेश्वरीदास तिवारी ने कविता पढ़ी-    धन्य धरा बुन्देलखण्ड की की डग-डग में है पानी।
                        शीतल मंद सुगंध पवन है फसल होत मनमानी।।
वीरेन्द्र चंसौरिया ने गीत पढा-हम प्रैम से रहे तो हंसेगी ये जि़न्दगी,हम फूल से खिले तो खिलगी ये जि़न्दगी।।
अनवर खान साहिल ने ग़ज़ल पढ़ी-दुका दुका के धर लई घर के रेक में,सेल्समेन ने बैंची खाद ब्लैक में।।
बल्देवगढ़ से पधारे कवि यदुकुलनंदन खरे ने पढा-    मँहगाई भ्रष्टा क्या बेरोजगारी से जुडे हुए,
सवाल इसी तरह से उभरते ाहेगे।
भान सिंह श्रीवास्तव ने कविता पढी-एक डाली पर दो बन्दा बैठे,बिस्कुट और विस्की के लिए आपस में लड     रय थे।
दीनदयाल तिवारी ने पढा-हमतौ कई ती कै जौ का कर रये,कुत्तन के बगर में कनक के दिया धर रय।।
सीताराम राय ने पढा-बांके बिहारी प्यारे रहना तू आसपास,दर्शन बिना तेरे बुझती नहीं प्यास।।
अभिनन्दन गोइल ने मेरे घर में चिडि़या का घौंसला’ कविता पढी। अजीत श्रीवास्वत व्यंग्य ‘तत्वज्ञान’ एवं विजय मेहरा ने व्यंग्य ‘लोकतंत्र के कब्बे’ सुनाया। अवध विहारी श्रीवास्तव ने पढा-डर लागे और हासी आवे,अजब जामाना आया है।
रघुवीर आनंद ने पढा-हम तुमसे डरते है ऐसे चोर पुलिस से डरता जैसे। ऐसा हैआंतक तुम्हारा बिच्चु जैसा डंक तुम्हारा।
शांति कुमार जैन ने पढा-मेरे दिल कहता है कि मैं उसके साथ ठहर जाऊँ।
मनमोहन पांडे ने पढा-तारे बहुत है आसमां में एक तारा ना सही। हैं नजारे सैकड़ों बस इक नजारा न सही।।
बी.एल. जैन ने पढा-केवल आदमी ही हँसकर प्रसन्न चित्त होता है। जानवरों के पास न हँसने हँसाने का चेहरा होता है।
लेकगीत गायक सत्यनारायण तिवारी ने पढा-हर हर गंगे हर गोपाल आजादी के सडसठ साल।
जनता कौ कौ बूझे हाल,भ्रष्आचारी मालामाल।
इनके अलावा लक्ष्मी नारायण शर्मा ने भी अपने विचार रखे। गोष्ठी संचालन वीरेन्द्र चंसौरिया ने किया एवं सभी का आभार प्रदर्शन जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधोैरी’ ने किया।    
                रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
            अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ,टीकमगढ़,मोबाइल-9893520965,                rajeev namdeo

शुक्रवार, 3 अप्रैल 2015

बरीघाट में हुई नगर के साहित्यकारों की पिकनिक व कवि गोष्ठी-3-4-2015





rajeeav namdeo rana lidhoriबरीघाट में हुई नगर के साहित्यकारों की पिकनिक व कवि गोष्ठी-

ग़मो को मैं छिपाना चाहता हँू,जि़न्दगी भर मुस्कुराना चाहता हँू-राना लिधौरी
 
टीकमगढ़//‘बरीघाट में म.प्र.लेखक संघ टीकमगढ़, बुन्देलखण्ड साहित्य व संस्कृति परिषद, अखिल भारतीय साहित्य परिषद, तुलसी साहित्य अकादमी,बज्मे अदब, श्री वीरन्द्र केशव साहित्य परिषद,हिन्दी सेवा समिति, म.प्र.राष्ट्रभाषा प्रचार समिति सहित नगर की सभी साहित्यिक संस्थाओं ने मिलकर पिकनिक मनायी व दाल वाटी केे साथ-साथ सरस कवि गोष्ठी का आनंद उठाया। कविगोष्ठी की अध्यक्षता अवधविहारी श्रीवास्तव ‘दाऊ व लालजी सहाय श्रीवास्तव ने की जबकि मुख्य अतिथि अभिनंदन गोइल व राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ रहे व विशिष्ट अतिथि के रूप में रामगोपाल रैकवार,महेन्द्र पोतदार, अनवर खान साहिल,एच.पी.सिंह सहित सभी संस्था प्रमुख रहे।
भान सिह श्रीवास्तव नेे सरस्वती वंदना पढी व यह रचना सुनायी-
त्रेता युग अवध में जन्में ब्रम्हा रूप श्री राम है।
परमेश्वरीदास तिवारी ने कविता पढ़ी-    पन्नी बनी अंग का जीवन पानी बिकता पन्नी में,।
                        पन्नी में बिकता है बचपन याकवन बिकता पन्नी में।।
म.प्र.लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने ग़ज़ल सुनायी-
                ग़मो को मैं छिपाना चाहता हँू,जि़न्दगी भर मुस्कुराना चाहता हँू।
            सभी के काम आना चाहता हँू, मैं गिरतो को उठाना चाहता हँू।।
सियाराम अहिरवार’ ने रचना पढ़ी- बंसती बेरा है जा आई,छा गई पेडन पै हरयाई।।
गुलाब सिंह यादव भाऊ ने कविता पढ़ी-ईश्वर की गत अब काऊ ने न जानी,
माटी में मिला दई किसान की किसानी।
चाँद मोहम्मद आखिर ने पढा-यह फरमान तो कल का है,जो रब का है वो सबका है।
कवि गनेश पन्नालाल शुक्ला ने रचना पढी-एक नया कानून बना दो,संविधान में मोदी जी,ऊ
  जो बेचे अपनी गऊ माता उसे जेल हो मोदी जी।।
रामगोपाल रैकवार ने व्यंग्य ‘दूधो नहाओ पूतो फलो’ सुनाया वही अभिनंदन गोइल ने बुन्देली लोककथा ‘नकल में अक्ल व गधा तो गधा होत है सुनाया।
दीनदयाल तिवारी ने पढा-सभी विषयों में प्रमुख गणित चैरफा बिगुल बजा रहा,
जीवन के हर पहलू को अंको से तुरत बता रहा।
सीताराम राय ने-कलि पे किलोर करत है कलिन कलिन किलकत है,मंद सुगंध पवन वह आली आगयो आज बंसत है।
अवधबिहारी श्रीवास्तव ने पढ़ा-सच को तू सच कहना सीख,सच को तू सच लिखना सीख।
पूरन चन्द्र गुप्ता’ ने पढा-भर पिचकारी घालत जब बा जाती बदल नजरिया रे।
शांति कुमार जैन ने कविता पढ़ी- अनिल जिसे जला न पाये,सूर्य का तेज जिसे न तपा पाये,ेसी पवित्र आत्मा मेरी।
मनमोहन पाण्डे ने-ऋतु वसंत में तरू पलाश ने ऐसा किया श्रृंगार,जैसी छवि वंसत की देखी दिखी न एकइ बार।
अनवर खान साहिल ने ग़जल पढ़ी-छोटा बड़ा किसी जाति धर्म का हो,हर किसी की भौजाई बीवियाँ गरीबों की।।
लालजी सहाय श्रीवास्तव ने-जब से रहजन की हिफाजत राहबर करने लगे,
तब से दुनिया में बेचारे बेगुनाह उसे लगे।
हरेन्द्रपाल सिंह ने कविता पढ़ी-मिली जुली कुश्ती लड़ी जा रही है सदनों में,अंत में तो घाटा आम आदमी उठा रहा है।
इनके अलावा उमाशंकर मिश्र तन्हा’,अजीत श्रीवास्वत एवं विजय मेहरा, भारत विजय बगेरिया,रघुवीर आनंद,एम.महेन्द्र पोतदार,अक्षांश मेहरा ने भी अपनी रचना पढ़ीे। गोष्ठी संचालन उमाशंकर मिश्र ने किया एवं सभी का आभार प्रदर्शन परमेश्वरीदास तिवारी ने किया।                                                          
  रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
        अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ,टीकमगढ़,
              मोबाइल-9893520965,