Rajeev Namdeo Rana lidhorI

शनिवार, 25 मार्च 2023

कलइ (पोल खुलना) बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक संपादक-राजीव नामदेव'राना लिधौरी'


कलइ (पोल खुलना) (बुंदेली संकलन) ई-बुक 
संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की 132वी प्रस्तुति

  कलइ +पोल खुलना)
 (बुंदेली दोहा संकलन) ई-बुक

संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' टीकमगढ़ (मप्र)
                 
  💐😊 कलई💐
                
    संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 132वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 25-3-2023

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
              मोबाइल-9893520965
        



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎊       
              अनुक्रमणिका-

अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)

01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
03-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़
04-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र) 
05-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
06-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
07--गोविंद सिंह गिदवाहा, मड़ाबरा (उ.प्र.)
08-आशाराम वर्मा "नादान" पृथ्वीपुर
09-एस आर सरल,टीकमगढ़
10-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा
11-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
12- जयहिन्द सिंह 'जयहिन्द',पलेरा
13-बृजभूषण दुबे बृज, (बक्सवाहा)
14- गोकुल यादव (बुढ़ेरा)
15-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी (उ.प्र.)
16- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा (म.प्र.)
17-सुभाष बाळकृष्ण सप्रे ,भोपाल
18-डां देवदत्त द्विवेदी, बहामलेहरा
19-डां.आर.बी.पटेल, छतरपुर
20- अरविन्द श्रीवास्तव ,भोपाल
##############################
        
*संयोजक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'*


                     संपादकीय


               साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
            इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे। 
          हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
  हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के  एडमिन के रुप मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) एवं संरक्षक द्वय शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और श्री सुभाष सिंघई जी है।
           हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
     आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
      एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।     
                 हमारे इस छोटे से प्रयास से आज एक नया इतिहास रचा है यह ई-बुक 'कलइ' ( 132वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
     यह पटल  के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 132 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 84 देश के लगभग 106000 से अधिक पाठक अब  तक पढ़ चुके हैं।
  आज हम ई-बुक की श्रृंखला में  हमारे पटल  जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह 132वीं ई-बुक 'कलइ' लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। 
ये सभी दोहे पटल के साथियों  ने शनिवार दिनांक-25-3-2023 को बुंदेली दोहा  प्रतियोगिता-106 में दिये गये बिषय 'कलइ'   पर दिनांक- 25-3-2023 को पटल पोस्ट किये गये थे।
  अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
           धन्यवाद, आभार
            ***
ई बुक-प्रकाशन- दिनांक-25-3-2023 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)

                     -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
                   मोबाइल-91+ 09893520965 

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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़ (मप्र)



**बुंदेली दोहा बिषय -कलइ*


घूमत   उजरा  ढौर   से , चुगला अब   दिन रात |
#राना खुलतइ जब कलइ , कुररू  तुरत लगात ||

चरपट्टौ  चमचा  दयैं,  कलइ   ढाँक  कै  रात |
#राना कत इनसे बचौ , सबखौं सला  सुनात  ||

लरका  दय  तो    दौंदरा ,  करत हतौ  खरयाट |
कलइ खुली #राना जितै,  उल्टी हो  गइ  खाट ||

कलइ  ढाँक  नेता फिरै  , #राना माँगत   वोट | 
लगुयारै     संगे     लगै  ,   बाँट   रयै   है  नोट ||

जिनकी अब खुल गइ कलइ , मूँछैं  नैचें  रात |
अब काऊँ से वह नईं , #राना   गटा  मिलात ||

*एक हास्य दोहा* 
गोरी की खुल गइ कलइ , #राना भइ बरसात |
प़ुतौ पावडर  वह  गयौ , लाली चिपचिप कात  ||
      **** दिनांक-25-3-2023

*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
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2-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)


     
कलइ खुलि कुआँरें पिता , भय नारायन दत्त।
गड़ों पोतला फूट गव , आव उखरकें सत्त।।
                   ***
 
       -प्रमोद मिश्रा ,बल्देवगढ़
           स्वरचित मौलिक
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   3-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़



बुंदेली दोहा दिवस , विषय कलइ 


उनकी  खुलतइ  है  कलइ , दौइ  तरफ  दें  हात |
नौन  मिरच  भुरकै जितै   , भड़काबें  कयँ  बात ||

कलइ न अपनी खोलियौ , बाँदे रहियौ गाँठ |
जौन दिना पसरे जितै ,   हौजे     बारा  बाँट  ||

कलइ उतर गइ झूठ की , कालनेमि पछताय |
मुगदर  दव हनुमान ने,  भागौ   प्रान   बचाय ||

कलइ दार   लोटा हतौ , भारी    चमकत   राय |
किरकउवाँ से जब मजौं , उतरौ मुख दिखलाय ||

कलइ चढ़ौ  उनकौ  रहन    , पानी में  धुव जात |
बेर- बेर बै   पौत के , फूटौ    मड़       चमकात ||

कलइ राम   तुम   खौलियौ  ,चार जनन के बीच |
जो   जूठै   संसार   में ,  मचा    रयै   हौं   कीच ||
***

                 -सुभाष सिंघई , जतारा
***
       
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04-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर


कथनी करनी में अमर, जब अंतर हो जात।
उमर झूठ की नइँ बड़ी, पोल-कलइ खुल जात।।
       ***
मौलिक-                                                    
             -अमर सिंह राय,नौगांव, जिला-छतरपुर                         
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05-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा



कलइ खोल दइ राम नें,रावन भओ हतास ।
सूपनखा नकटी भई ,पोल खोल दइ खास ।।
                    ***
देश हितैसी काज हो ,खुल नइँ जावै पोल ।
"दाँगी" ऊपर से दिखैं ,भीतर से सब खोल ।।

कब तक झूटी बात रै,जांदा नइँ चल पात ।
"दाँगी" सच बोलौ सदाँ ,इक दिन पोल दिखात ।।

सतीअनुइया सैं खुली , इन देवों की पोल ।
तीन देवियों के पती ,बोलैं बालक बोल ।।

बानी ऐसी बोलिऐ ,"दाँगी" खुले न पोल ।
कौनउ दिनउतराव गे,कलइ तुमाई
खोल ।।

बब्बा की सब खुल गई ,कलइ आज की रात ।
"दाँगी" के ई ब्याव में ,बउ कितनी उकतात ।।

शान तुमाई ऐइ में ,"दाँगी" देखत रात ।
पोल खुलेगी जी दिनां ,घर भर सब घबड़ात ।।
     ***
मौलिक रचना 

                 -शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा

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6-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़


औरन की जिन खोलियौ, कलइ कभउँ सरकार।
कौनउँ तुमरी खोल दै,हो जैहै तकरार।।

          ***
             --प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़

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  07- गोविंद सिंह गिदवाहा, मड़ाबरा (उ.प्र.)


कारी रात  करो तका,नइतर भड़या आत‌।
भौंकें कुत्ता जब कभी, कलइ चोर  खुल जात।।
            ***

गोविंद सिंह गिदवाहा, मड़ाबरा (उ.प्र.)

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 08-आशाराम वर्मा "नादान" पृथ्वीपुर



ब्रह्मा बिष्णु  महेश  पै , दय जब  छींटा डार ।
खुल गइ तींनउॅं की कलइ,गये सती सैं हार ।।
                 ***

आशाराम वर्मा  "नादान " पृथ्वीपुर
( स्वरचित ) 17/01/2023
                   ***
                    
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09-एस आर सरल,टीकमगढ़



जब लौ सत्ता हात में, तब लौ हैं सब शेर।
कलइ खुली हो जात हैं, अच्छे अच्छे ढेर।।
***
    एस आर 'सरल', टीकमगढ़
                                

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*10*-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा

कालनेम की खुल गई,छिन में कल‌इ तमाम।
हनूमान नै हन द‌ओ,पौंच ग‌ओ सुर धाम।।
***
बगला चंदन पोतकें,बैठो हंसों बीच।
खुली ससुर की जब कल‌इ,रै गओ आंखें मींच।।
***
आज लाडली बहिन में,बिदैं -बिदैं भ‌इ रात।
दोहे लिख न‌इॅं पाय सो,सांसी -सासी कात।।
***
भगवान सिंह लोधी "अनुरागी", रजपुरा हटा दमोह
                  ***"
             
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*11*आशा रिछारिया जिला निवाड़ी



चड़ो मुलम्मा झूंट को,खूब रहे इतराय।
कलइ खुली ओंधे गिरे,आदर मान गॅंवाय।।
**

-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी


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12-जयहिन्द सिंह जय हिन्द,पलेरा


कूटनीत गुन चातुरी, इनखों राखौ कैद।
कल‌इ खुलें जे ना रहें,राजा पंडित  बैद।।
                 ***
#अप्रतियोगी दोहे#बिषय---कल‌इ#

                    #१#
कल‌इ खुलै परिवार  की,संयम होय न पास।
बिगरे बातावरन सें,हुइयै सत्यानाश।।

                    #२#
तिरिया  हो परिवार  की,राखै चरित मलीन।
खुलजै कल‌इ समाज  में,होय आवरू हीन।।

                    #३#
इतनी कभ‌उं न हाकियौ,ऊपर उतरा जाय।
कल‌इ खुलै औकात की,नैची सदा बतांय।।

                     #४#
डींगें देत समाज में,उनकी खुलवै पोल।
कल‌इ खुले पै होत हैं,उनके बिस्तर गोल।।

                     #५#
कल‌इ खुले पै जे मिलें,पंडित लंपट चोर।
राखौ मान समाज  में,लगा नेह की डोर।
***
-जयहिन्द सिंह 'जयहिन्द',पलेरा जिला टीकमगढ़

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13-बृजभूषण दुबे बृज, बक्सवाहा



1-करी कला खुल गइ कलइ,कर नइ पाव कमाल।
कौआ कब तक हंस की ,चल पावे बृज चाल।।

2-रव सिगाड़ आटा बुरव,कइयक भय बीमार।
कलइ खुले अब जांच में,कारण का भव आर।।

3-राहू इमरत पी गओ,लुक छिपकें हुशयार।
पतो परो खुल गइ कलइ,मच गव हाहाकार।।

4-कलइ नई जब लो खुली,तब लो चलत फदाल।
बृजभूषण खुलतन कलइ,बुरो होत फिर हाल।।

5-खुली वीरता की कलइ,सब राजा गये हार।
धनुष उठा नइ पाय जब,बैठे बृज झकमार।।

- बृजभूषण दुबे बृज, बक्सवाहा

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14- गोकुल यादव (बुढ़ेरा)

अप्रतियोगी दोहे, विषय-कलइ🌹
*************************
चपिया सौ मौं काड़ कें,
               दयें  रात  तीं  दाँय।
कलइ खुलें भौजी फिरत,
              मुइँयाँ पनी लुकाँय।।
*************************
भारत  कौ  कानून  तौ,
               सबपै कसत नकेल।
जिन-जिन की खुल रइ कलइ,
               पोंचत जा रय जेल।।
*************************
कलइ खुले पै नइँ चलत, 
                तंत  मंत  कै  जंत।
पिड़े दिखा रय जेल में,
              कैउ बनउअल संत।।
*************************
कलइ खोलबें आजकल,
                करें जौन की तौन।
बन्न-बन्न  के   कैमरा,
              जेबन  में के  फौन।।
*************************

✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी,बुडेरा

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*15*-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.


अप्रतियोगी दोहा.

उनने देखो नइं इतै, कबऊं अपनौ टैंट।
कलइ खुली उनकी जरा, बे गय भारी चैंट।।

कलइ उतर गइ आजकल, कर चतुरा व्यवहार।
उतरौ- उतरौ मौं लयें,फिर रय बीच बजार।।

***

-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.

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*16*- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.


कलइ रोज खाँ खुल रई,
सब बाबन की आज।
करियो जिन बिसवास तुम, 
बिगरैं सबरे काज।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.

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*17*सुभाष बाळकृष्ण सप्रे ,भोपाल


कलइ ज़ब कभऊ खुलजे, है का हुइये हाल।
हमें सभर के,बोलने, भासा की हो ढाल।।
***
सुभाष बाळकृष्ण सप्रे ,भोपाल
***

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*18-*डां देवदत्त द्विवेदी, बहामलेहरा



मकरी नें खोली कलइ,समज गये हनुमान।
कालनेम के फिर उतै,बचे न कैसउँ प्रान।।

कलइ खुली दरवार में, बे चूके जब दाव।      
सोंने सें माँगे हते,गय फिर माटी भाव।।
     
ढकी- मुदी नें रात है,छल की लाग लपेट।    
कलइ खुले पै रामधइ,बिदत बड़ी अरसेट।।
      
एक दूसरे खों सबइ,नेता दै रय खोर।    
कलइ खुलत जी की सरस,ओइ कडत है चोर।।
      
ग्याँनीं बनकें साँन सें,ऐंठत रय जो मूँछ।     
खुली कलइ जब ग्याँन की,परे हला रय पूँछ।।       

कैंकइ की मति फेरकें,बन खों भेजे राम।    
कलइ खुले पै देवता, लौ हो गय बदनाम।।
***

डॉ देवदत्त द्विवेदी 'सरस'
बड़ामलहरा (छतरपुर)

         
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*19-डॉक्टर आर. बी. पटेल "अनजान",छतरपुर


 नेता नगरी नाग सम, 
सकल जगत को खांय । 
कलइ खुले जब आपकी , 
नंगे नाग दिखांय।।
          ***
 डॉक्टर आर. बी. पटेल "अनजान",छतरपुर

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*20-अरविन्द श्रीवास्तव, भोपाल

अपने  मौं  मिट्ठू  बनौ, चाय  पीट  लो  ढोल,
धुल जानै सबरी कलइ, जिदना खुल जै पोल ।
              ***
-अरविन्द श्रीवास्तव, भोपाल


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                          संपादन-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)

               

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 💐😊 कलइ'  💐
                
    संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                    की 132वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

   ई बुक प्रकाशन दिनांक 25-3-2023

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
              मोबाइल-9893520965

बुधवार, 22 मार्च 2023

महुआ (हिंदी दोहा संकलन)

[21/03, 10:29 AM] Rajeev Namdeo Rana lidhor: *हिंदी दोहा बिषय- महुआ*

#राना  महुआ बृक्ष में , भरा  नशा   मकरंद |
जो छू   लेता प्रेम से , गा   उठता   है    छंद ||

टपक-टपक महुआ कहे , पाओ सभी पराग |
नशा प्रेम का पाइये , #राना    जाओ   जाग ||

महुआ की तासीर से , तन मन हुआ गुलाब |
नैन   नशीले   हो   रहे , #राना   लगे शराब ||

फूल कहो या कुछ कहो , महुआ मस्त सुंगध |
कवि की लिखती लेखनी , #राना  है मकरंद ||

प्रातकाल की शुभ घड़ी , चलती जहाँ वयार |
#राना महुआ गंध से  , उठती  सदा   बहार ||
     ***21-3-2023
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
🥗🥙🌿☘️🍁💐🥗🥙🌿☘️🍁💐
[21/03, 10:31 AM] Promod Mishra Just Baldevgarh: मंगलवार हिंदी दोहा दिवस
विषय ,,महुआ,,
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महुआ भारतवर्ष का , आयुर्वेदिक वृक्ष ।
गुण "प्रमोद" औषधि लिए , हासिल करता लक्ष ।।
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जीव जंतु मानव पशू , पंछी खाते फूल ।
फल "प्रमोद" प्रमुदित लगे , महुआ धन अनुकूल ।।
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महुआ देता सोमरस , करें फूल उत्पन्न । 
हिय "प्रमोद"रखता सगुण , खाद्य तेल संपन्न ।।
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जीवन दाता यह विटप , धरा वनों की शान ।
पल्लव भरें "प्रमोद" मन , मानव मान प्रमान ।।
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स्वाद पौष्टिक तत्व से , व्यंजन लेते मोह । 
डुबरी लटा "प्रमोद" रस , मुरका महुआ सोह।।
*********************************
महुआ महाँ "प्रमोद" गुण , ऋतुयों के अनुसार ।
सौंप संप्रदा प्रकट कर , छाया सुखद निहार ।।
************************************
पूज्यनीय महुआ हुआ , निर्धारित है पर्व ।
संस्कृति बुंदेल में  , हल छठ होती सर्व ।।
***********************************
         ,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
         ,, स्वरचित मौलिक,,
[21/03, 2 PM] Dr. Devdatt Diwedi Bramlehara: 🥀 हिंदी दोहे 🥀
     ( विषय- महुआ)

बिन पानी बिन खाद के,
     महुआ करता काम।
जिसके फल औ फूल भी,
       देते अच्छे दाम।।

टहनी, पत्ते, फूल भी,
     जिसके पूजे जायं।
हलछठ को सब नारियां,
      महुआ व्यंजन खायं।।

डुभरी,मुरका,औ लटा,
      का अनुपम है स्वाद।
महुआ के पकवान जे,
       रहते हरदम याद।।

सुभग लजीले मद भरे,
     चितवत चैन चुरायं।
नयन पलक की ओट में,
      महुआ से मुस्कायं।।

डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस
बड़ामलहरा छतरपुर
[21/03, 2:07 PM] Shobha Ram Dandi 2: शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ़ (म प्र)२१/०३/०२३
बिषय-"महुआ"हिन्दीदोहा(129)
1=पेड़ों में महुआ गुणी , आता है कइ काम ।
वृक्ष
राष्ट्रीय है अभी ,"दाँगी" करें सलाम ।।

2=आयुर्वेदिक औषधी, है महुआ का वृक्ष
शासन की पाबंदिया ,"दाँगी" हैं निष्पृक्ष
।।
 
3=महुआ मँहगा काष्ठ है , "दाँगी" रखें सभाल ।
सरकारी ये जुर्म है , बिन पर्मीशन माल ।। 

4=महुआ के फल फूल की, पृथक पृथक है रेट ।
"दाँगी" इसे सभाल के ,विक्री करें अनेक ।। 

5=महुआ वृक्षों से सभी ,करें आर्थिक लाभ ।
"दाँगी"के भण्डार हैं , करते सदा  सुलाभ ।।
मौलिक रचना
शोभारामदाँगी
[21/03, 2:15 PM] Jai Hind Singh Palera: #महुआ पर दोहे#

                    #१#
महुआ मेवा हो जहां,बेर कलेवा होय।
व्यंजन बुन्देली बड़े,खाय दीन सुख सोय।।

                    #२#
मतवालों को प्यार है,महुआ उनकी शान।
मदिरा पीकर मानते,बे खुद को भगवान।।

                    #३#
महुआ के व्यंजन बने,डुबरी लटा महान।
मुरका मुरका लेत है,सब दीनों की शान।।

                    #४#
बड़ा पेड़ जिसका खड़ा,दीनों का सुख चैंन।
महुआ बड़ा महान है,जो कुदरत की देंन।।

                    #५#
खाते हैं जो चाव से,महुआ मेवा भून।
उनकी रग रग में रहे,हिन्दुस्तानी  खून।।

#जयहिन्द सिंह  जयहिन्द# 
#पलेरा जिला  टीकमगढ़# 
#मो०-६२६०८८६५९६#
[21/03, 3:36 PM] Subhash Singhai Jatara: विषय महुआ , हिंदी दोहे

महुआ की मधुरम  महक , मादकता चहुँ  ओर |
यौवन   लाया  बाढ़   है , बरस   प्रीति  घनघोर ||

महुआ   टपके  रस भरें  , करें   नशीली   रात |
साजन  करते  प्रेम   से , बिन   बोले  ही बात ||

बौराया  है  अब पवन ,   छू    महुआ  मकरंद |
कहता  है  हर   कान में , इस  रस   में आनंद ||

महुआ फूला पेड़ पर , रस   में   गया   समाय |
टपक अवनि  की अंक में , लगता   है  बौराय ||

महुआ का अब पेड़ ही , बोतल   बना  शराब |
जितनी चाहे पीजिए , रखता   कौन   हिसाब ||

सुभाष सिंघई 
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
[21/03, 4:19 PM] Param Lal Tiwari Khajuraho: विषय-महुआ
1-बडे़ सबेरे रोज जो,महुआ चौखें बीन।
उनके मिटते रोग सब,होवे स्वास्थ्य नवीन।।
2-महुआ में मद बहुत है,तब तो बनत शराब।
पीवे वाले देखते, तरह तरह के ख्वाब।।
3-महुआ कौ मुरका बने,जाको खांय रहीस।
ताकत तन में देत जो,हर लैवे सब टीस।।
4-महुआ की डुबरी बना, सतुआ देय मिलाय।
ई के आगे भोज सब,फीके हमें दिखाय।।
5-महुआ की उत्तम फसल,करे गरीबी दूर।
जिनके खेतन में लगे,वे भारी मशहूर।।
परम लाल तिवारी
खजुराहो
[21/03, 5:24 PM] Kalyan Das Sahu Prithvipur: पोषक मन महुआ हुआ , पढ़-लिख दोहा छंद ।
टपके महुआ फूल सम , अतिशय रस आनंद ।।

मादकता से युक्त हैं , पोषक  महुआ  फूल ।
बनते हैं व्यंजन बहुत , सरस मधुर अनुकूल ।।

अर्द्ध निशा के बाद ही , होता  खिल  मदमस्त ।
झड़ता महुआ भोर तक , करता खुशी प्रशस्त ।।

महुआ दीनानाथ सम , सचमुच पालनहार ।
बहु उपयोगी है विटप , महिमा अपरम्पार ।।

छाया ईंधन काष्ठ युत , महुआ  उम्रदराज ।
देता मनके फूल-फल , बनते बिगडे़ काज ।।

महुआ का फल है गुली , तेल बहुत मशहूर ।
साबुन  औषधियाँ  बनें , मददगार  भरपूर ।।

   ---- कल्याण दास साहू "पोषक"
      पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र)

         ( मौलिक एवं स्वरचित )
[21/03, 5:50 PM] Vidhaya Chohan Faridabad: संशोधित हिंदी दोहे
~~~~~~
विषय - महुआ
~~~~~~~~~
१)
फागुन की दहलीज़ पर, ख़ुशियाँ लिये बहार।
महुआ  पर  चढ़ने लगा, यौवन  भरा  खुमार।।

२)
महुआ से  लिपटी हवा, गई  शाख़  से झूल।
कुंचों का मुख चूमती, खिले मिलन के फूल।।

३)
महुआ  के  सिर  चाँद ने, टाँके  रत्न  हज़ार।
भिनसारे  की  ओट  में,  उतर  गया  शृंगार।।

४)
भोर ओस  में भीग  कर, पसरी  महुआ  गंध।
भँवरों  का  होने  लगा,  फूलों   से   अनुबंध।।

५)
कठिन  समय में  धैर्य  के, होना नहीं  हताश।
पतझड़ के पश्चात ही, महुआ खिले पलाश।।

६)
आने से  ऋतुराज के, गमके  हिय  के  बाग।
महुआ   टेसू   भर  रहे,  जीवन  में   अनुराग।।

~विद्या चौहान
[21/03, 7:29 PM] Ramlal Duvedi Karbi, Chitrakut: 🌷विषय -महुआ🌷        संशोधित

         🌷छंद-  दोहा🌷

    🌷  शीर्षक -" महुआ दाख़ गरीब की"  🌷

महुआ दाख गरीब की, बने स्वस्थता ढाल।

 सतुआ महुआ खा नियम, मुख मंडल हो लाल ।1

गर्मी में महुआ लसे, झर झर बरसें फूल ।

कर्णफूल स्वर्णिम गिरें, कुछ डाली में झूल ।2

महुआ से लाटा बने,  स्वाद भरा बेजोड़ ।

भुने चने तिल से बने, खाने की हो होड़।3

साधें हित ग्रामीण का,रोपें वृक्ष करोड़ ।

कल्पवृक्ष महुआ यहां, बने भूख की तोड़।4

 महुआ में यदि शोध हो, डीजल भी एथनॉल ।

शोधक होगा हाथ का, आगे करे धमाल ।5

बीज फूल फल छाल सब ,महुआ का उपयोग ।

बनवासी को अन्न - सा ,देता जीवन योग ।6

स्वरचित एवं मौलिक

 रामलाल द्विवेदी प्राणेश
वरिष्ठ साहित्यकार एवं वृक्षारोपण कर्ता 
कर्वी चित्रकूट
[21/03, 7:32 PM] Brijbhushan Duby2 Baksewaha: विषय-महुआ
1-महुआ चरवा आँवला,
उपयोगी भरपूर।
कहलाती वन संपदा,
दुनिया में मशहूर।
2-महुआ भारी कीमती,
रहते लाभ अनेक।
ईधन औषधि के लिए,
बृज संरक्षण नेक।
3-महुआ आता जिस समय,
मौसम चाहिए साफ।
गर्मी पाकर टपकता,
बरनल नही मिलाप।
4-महुआ का मुरका बना,
जो भी व्यक्ति खात।
स्वस्थ रहे हर भांति से,
दर्द सभी मिट जात।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
[21/03, 9:29 PM] Anjani Kumar Chaturvedi Niwari: विश्व कविता दिवस पर मेरी ओर से आप सभी को प्यार भरी भेंट
 दिनांक-21 मार्च 2023
 अभिव्यक्ति को मधुर बनाती है

 अभिव्यक्ति को मधुर बनाती,
 है प्यारी-सी कविता।
 कर देता है भोर सुहानी,
 जैसे रक्तिम सविता।

 कविता है गरीब की पीड़ा,
 दुखियारी का दुख है।
 जो बिलासिता में जीते हैं,
 उनको कविता सुख है।

 कविता माँ की ममता जैसी,
 सब पर नेह लुटाती।
 मजबूरों की लाचारी भी,
 कविता हमें बताती।

 बूढ़ी माँ की पीड़ा कविता,
 कविता जीवन गाथा।
 कहती दर्द दिलों का कविता,
 कोई समझ न पाता।

 प्रेम,समर्पण,त्याग,भावना,
 कविता कह जाती है।
 विरह वेदना मन की पीड़ा,
 सब कुछ सह जाती है।

 स्वरचित एवं मौलिक रचना

 अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
[22/03, 5:29 AM] Rameshver Prasad Gupta Jhanshi: सुप्रभात.

मंगलमय हो आपका, भारतीय नववर्ष/
जीवन में उत्साह दे, औ उमंग उत्कर्ष//

रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.
बडागांव झांसी उप्र.

पलेर (पालतू) बुंदेली दोहा संकलन

20/03, 8:01 AM] Promod Mishra Just Baldevgarh: सोमवार बुंदेली दोहा दिवस
विषय ,,पलैर,,पालतू
*******************************
सात बैल मोरें हते , कहत "प्रमोद"पलैर ।
छै: ठउवा हर में जुते , एक नदत तो वैर ।।
*******************************
पाँच भैंसियन में हतो ,पड़ा पलैर हमाव।
जब प्रमोद मारन लगो , सोऊ पिण्ड छुड़ाव ।।
********************************
तोता हतो पलैर जब , कततो सीताराम ।
बिन पिंजरा खोलेँ उड़ों  , गव "प्रमोद"सुर धाम ।।
**********************************
नेता के बीसक सुने ,चमचा चतुर पलैर ।
बेइ "प्रमोद" बताउतइ , सब गाँवन की खैर ।।
**********************************
करिया साँप पलैर बन , पाल मनुष परिवार ।
सुखद संदेशा दै रहा , करो "प्रमोद" विचार ।।
 **********************************
कुत्ता केउ पलैर भय , साँसें पहरेदार ।
घर "प्रमोद"खरयान उर , करें रखोपत हार ।।
***********************************
       ,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
       ,, स्वरचित मौलिक,,
[20/03, 8:37 AM] Shobha Ram Dandi 2: शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ़ (मप्र)२०/०३/०२३
बिषय--"पलैर" (पालतू जानवर)
बुंदेली दोहा (१५७)
१=कुत्ता
सबकि कई करें ,है ये भौत पलैर ।
"दाँगी" गइया पालते ,इसमें सबकी खैर ।।

२=रोजउ छत पै आत है ,तीतुर हतौ पलैर ।
"दाँगी" पालै रातते ,करन जात है सैर ।।

३=सुआ परेवा तीतरा ,पंक्षी होत पलैर ।
"दाँगी"पिंजरा राखते ,राखत इनकी खैर ।।

४=प्यार कि नजरौं जो रहे ,कहते उसे पलैर ।
श्वान आज कल पालवै ,"दाँगी" करें न  सैर ।।

५=जानवरो में अश्व का ,रखते कइयक शौंक ।
"दाँगी" की गइया भली ,नहि पलैर में नौंक ।।
मौलिक रचना 
शोभारामदाँगी
[20/03, 10:17 AM] Jai Hind Singh Palera: #पलैर पर दोहे#

                    #१#
तोता मैंने हंस हैं,मुर्गीऔर बटेर।
पंछी हते पलैर जे,इनसें राखौ मेर।।

                    #२#
ऊंट गदा घुरवा हते,हांती हते पलैर।
जेइ सवारीं पैल कीं, सब‌इ करत ते शैर।।

                    #३#
गाय भैंस बकरी बनी,राखीं भेड़ पलैर।
सब‌इ जानवर दूध खों,पुजे गाय के पैर।।

                    #४#
राखी साहूकार नें,कुतिया एक पलैर।
चाउत ती घरवार खों,ना मानत ती गैर।।

                    #५#
हते कंस दरवार में ,जितने जोधा वीर।
कान्हा सबै पछार कें,बनें उतै रन धीर।।

#जयहिन्द सिंह  जयहिन्द# 
#पलेरा जिला  टीकमगढ़# 
#मो०-६२६०८८६५९६#
[20/03, 10:26 AM] Amar Singh Rai Nowgang: बुन्देली दोहे, विषय : पलैर (पालतू)

गुंडा  नेतन  के  इतै, कइयक  रहत  पलैर।
डरत इनइँ सें आदमी, नेतन की रय  खैर।।

कुत्ता  घरै  पलैर  यदि, अच्छो  चौकीदार।
घर की रखवारी करै,जब सोउत परवार।।

कहत  चित्रकोटी  हतो, पट्टू  हतो  पलैर।
आज  तलक  खाई नहीं, रोटी दूध बगैर।।

भैंस बुकरिया एक ठउ, गइया हती  पलैर।
दो पाउत ते तब उऐ, जब  बाँधत ते  पैर।।

कछुआ मछरी उर खरा,जहँ कउँ रैत पलैर।
सुख सम्पत घर में बढ़त,रहत हमेशा खैर।।

सुआ न काऊ का हुआ,कितनउँ होय पलैर।
सूजी  सरप  सुनार  भी, रहत  हमेशा  गैर।।

चालक बनियाँ उर पुलिस,इनसें करौ न बैर।
हेत न  विषधर  से  करौ, होवै  भले  पलैर।।

मौलिक/
                           अमर सिंह राय
                                नौगाँव
[20/03, 10:48 AM] Aasharam Nadan Prathvipur: बुंदेली दोहा विषय -पलैर (पालतू)
(१)
कुत्ता   होबै   हार  में ,  भैया  एक  पलैर।
उजरा ढोरन की उतै, बिल्कुल नइॅंयां खैर ।।
(२)
मुरगी,सुआ पलैर  हैं , घुरवा  घर की शान ।
छिरियाॅं गइॅंयाॅं बैलवा ,पालैं सबइ किसान।।
(३)
बासी  कूसी  खात  है  , कुत्ता  घरै  पलैर ।
मालिक की भगवान सैं, रोजउॅं  मांगै खैर।।
(४)
राखत  घरै  पलैर  खौं , गरें  गरथनी  डार ।
आंत जाय घाईं करैं , गउ  बछवा सैं प्यार।।
(५)
लरका हमउॅं किसान के,भलइॅं अबै नादान।
पै पलैर  जइ जीव  की , जानत  हैं पैंचान ।।

आशाराम वर्मा  "नादान " पृथ्वीपुर
( स्वरचित ) 20/03/2023
[20/03, 10:55 AM] Subhash Singhai Jatara: बुंदेली दोहा दिवस , विषय पलैर ( पालतू ) 

कुत्ते   चमचे चमचियाँ , दौरैं   खड़े   पलैर |
नेतन कौ घर जानियौ,जितै भरत सब मैर ||

जो पलैर चमचा हतौ , बदल गऔ है आज |
राजनीति में घुस गयौ , आज करत है राज ||

जो पलैर हौ आदमी,  बदमाशी   कर जात |
कौनउँ  मौका जब परै , दिखा देत औकात ||

ढौर श्वान पंछी सदा , हौ    पलैर   जब गेह |
साँसउँ भौत निभात है , करतइ सबसें  नेह ||

हम पलैर प्रभु राम के , रय हमखौं है पाल |
उनकी   हमै  निभाउनें , पूरौ रखनें ख्याल ||

सुभाष सिंघई
[20/03, 11:01 AM] Bhagwan Singh Lodhi Anuragi Rajpura Damoh: बुन्देली दोहे
विषय:-पलैर
रिछवा नाहर‌ उर ढड़ू,जब हो जात पलैर।
काम आदमी कौ करत,भूल जात हैं बैर।।

दयें चोंखरें दौंदरा, ल्याय बिलार पलैर।
चार पांच दिन में हनें,अब है नैयां खैर।।

हैं पलैर कुत्ता जहाॅं  ,बे काजू नै खांय।
लरका बिटियां भूक में,डरे परे मों बांय।।

हैं पलैर जिनके घरे,स्वांन सुआ औ सांप।
अपनी पै जब आंय जे,रोम जात हैं कांप।।

घाती किबरा खोलकें लबरयाइ खों कांड़।
धोके बाज पलैर सब,लगा भक्ति कौ झाड़।।

भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"
रजपुरा हटा दमोह (मप्र)
[20/03, 11:38 AM] Dr. Devdatt Diwedi Bramlehara: 🥀 बुंदेली दोहा 🥀
      (विषय- पलैर)

यैसे कछू पलैर जो,
     उगल देत हैं भेद।
जी पातर में खात रयँ,
     करें ओइ में छेद।।

नखी- जनाउर,दुस्ट, खल,
     जब- जब आबें  पास।
कैसउ होंयँ पलैर जे,
   करियौ नें बिस्वास।।

उजरा बैला खेत में,
     मनकौ चारौ खायँ।
जुतरा तकौ पलैर जो,
      खूँटा बँदे रमायँ।।

काम ,क्रोध' मद, लोब, जे,
      जीकें बनें पलैर।
ऊकी तौ संसार में,
     कैसउँ नइयाँ खैर।।

बिलुर न जइयौ दाउ जू,
      रँग रोगन में आज।
ठग के सुगर पलैर कइ,
      बनें फिरत महराज।।

डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस
बड़ामलहरा छतरपुर
[20/03, 11:50 AM] Prabhudayal Shrivastava, Tikamgarh: बुंदेली  दोहे    विषय  पलैर (पालतू)

प्यारी ने प्यारे पिया ,  लय हैं बना पलैर।
आंगें  पीछें   डोलबें, फिर  भी न‌इँयां  खैर।।

कैउ  जनीं  बंगालनें,  कर अखियन के फैर।
सीदे ‌ सादे  आदमी , लेतीं   बना  पलैर।।

इंदल जब करबे गये,  गंगा  जू  की सैर।
सुआ पंखनी ने उनें, लव  तौ बना पलैर।।

हीरामन  तोता  हतो ,उनकौ  एक   पलैर ।
नागमती के पत्र खों,  उड़ो  गरे में  पैर।।

दाने  डरे  अनाज के , चुनन चिर‌इँया  आयँ।
द्वारें   रोज  पलैर सीं ,फुदकत  उड़त  दिखायँ।।

           प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
[20/03, 12:56 PM] Rajeev Namdeo Rana lidhor: *बुंदेली बिषय- "पलैर"*
***
ढौर बछेरू जानियौ , #राना  सबइ पलैर |
दिन भर घूमत बायरैं , शाम आत घर हैर ||

कुत्ता  हौत  पलैर  है  , बिल्ली  रत  नखरैल |
चाट पौंछ सब जात है , #राना थरा  ढ़कैल ||

गुंडा   हौत  पलैर है , #राना    कात  लठैत |
इनके  करमन की कहै  ,  पूरै  हौत  डकैत ||

तोता   होय  पलैर  तो , पिजरइ जाने  धाम |
खात पियत  बौलत रयै , #राना   सीताराम ||

प्यारो  एक पलैर है , नटखटिया   खरगोश |
#राना  उचकत  गोद में , भरैं रात है  जोश ||
***
*एक हास्य दोहा-*
सजनी बोली सुन सखी  , बलमा बनौ पलैर |
#राना काम निकारबै , भरत हमइँ  नों  मैर ||🙏😇
**20-3-2023
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
[20/03, 1:10 PM] Dr. Renu Shrivastava Bhopal: दोहे विषय पलैर
✍️✍️✍️✍️✍️✍️
1 नेता के चमचा बने, 
  कुत्ता घांइ पलैर। 
  घौंस बतारै सबइ खों, 
  कारन  कर रै सैर।। 

2 कुत्ता होत पलैर जो, 
    नोनो पहरे दार।
    बाहर भीतर फिरत है, 
    घिचिअन पट्टो डार।। 

3 गैया खों माता कहें, 
   कुत्ता बना पलैर। 
    ऐसे पापी बन रहे, 
   नहीं धरम की खैर।। 

4  भज्जा बिना पलैर के, 
    नेतन की नइं ठौर। 
    बोट डरत जब गाँव में, 
    सब खों टेरै दौर।। 

5 कैं पलैर धोखो करैं, 
   मालिक को खा नोन। 
   दुल्हा जू  के कारने, 
   झलकारी भइ मोन।।
  ✍️✍️✍️✍️✍️✍️

                        डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल
                        सादर समीक्षार्थ🙏
                        स्वरचित मौलिक 👆
[20/03, 3:24 PM] Vidhaya Chohan Faridabad: बुंदेली दोहे
~~~~~~~
विषय - पलैर (पालतू)
~~~~~~~~~~~~~
१)
पंख  बिना उड़  लेत है,  मन दौड़त  बिन पैर।
कस कैं  रक्खौ चित्त खौं, बन जै झट्ट पलैर ।।

२)
बैरी  मन  तौ  जंगली, जैसे   चतुर   सियार।
गुण  नइ  एक पलैर  के, का  जाने बो प्यार।।

३)
टेरत  है  भिनसार  सें, सब  खाँ  सुआ पलैर।
कै  रव पिजरा  खोल दो, कर आउन दो सैर।।

४)
समय बदल गव आज कौ, औरत नहीं पलैर।
जुलम  करै जो नार पै, उनकी  नइ अब ख़ैर।।

५)
जो जन  मूक पलैर  सें, करत  नेक ब्यौहार।
हिरदय में  उनके  बसो, परहित  कौ  संसार।।

~विद्या चौहान
[20/03, 3:56 PM] Anjani Kumar Chaturvedi Niwari: बुंदेली दोहा
 विषय-पलैर
20 03 23

 जो पलैर है काउ कौ, ऊखों मिलवै मान।
 बेमतलब में काउ खों,कितै मिलत सम्मान।

जो पलैर पिंजरा पिड़ौ, जीवन है परतंत्र।
 ईसें तौ भूँकन मरै, लेकिन होय स्वतंत्र।।

 जो  पलैर  हैं  राम  के,  हलुआ  पूड़ी खायँ।
 उनकी चिंता राम खों, भूँके नहिं मर जायँ।। 

बीस  साल  पैलें  घरै,  नौरा  हतौ  पलैर। 
करिया बाबा नें करौ,कभउँ ना हमसें वैर।।

 बन  पलैर  करवै  दगा, तैं  कैसौ  इंसान।
 तो सें तौ कुत्ता भलौ, देय वक्त पै जान।।

 अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
[20/03, 4:54 PM] Kalyan Das Sahu Prithvipur: पोषक मन की कामना , माँगत एकइ खैर ।
बनें  रबें  भगवान  के , सेवक भक्त पलैर ।।

ऊपर वारन सें विनय , रखियौ मनकी खैर ।
मात-पिता गुरुदेव के , राबें  दास  पलैर ।।

पोषक मन में प्रेम रय , दूर  बुराई  बैर ।
आजीवन  नैकें  रबें , जैसें  रउत  पलैर ।।

हिले-मिले  सबसें  रबें , लगें न कौंनउँ गैर ।
भले मान्स के रयँ सदाँ , दिली कृतज्ञ पलैर ।।

सबरे  जीव  पलैर  हैं , पाल  रये  भगवान ।
मालिक तींनउँ लोक के,रखरय सबकौ ध्यान ।।

   ---- कल्याण दास साहू "पोषक"
      पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र)

          ( मौलिक एवं स्वरचित )
[20/03, 6:28 PM] Sr Saral Sir: 🌷बुंदेली  दोहा  विषय  पलैर🌷

सब नेतन के  चार  छै, चमचा होत पलैर।
दोइ टेम  चमचा  परै, उन  नेतन के  पैर।।

हैं पलैर चमचा जितें, करें खूब यश गान।
नेता चमचा खौ कभउँ,बन जाते बरदान।।

है अफसरशाही  जितें, कुत्ता  उते  पलैर।
दोइ टेम  अफसर  करें , कुत्तन संगे सैर।।

हैं  पलैर  जीके  जितें, बैठे  पूँछ  हिलायँ।
मालक उनखौ देखके,झूठों कछू खिलायँ।।

कुत्ता *सरल* न पालबै, कुतिया रखें पलैर।
अनगइयाँ घर आय तौ, रत ना ऊकी खैर।।

     एस आर सरल
       टीकमगढ़
[20/03, 7:04 PM] Rama Nand Ji Pathak Negua: दोहा पलैर
                       1
नेतन के चमचा बनें,स्वारथ रबें पलैर।
काम करा कमाइ करें,रहत पलोटत पैर।
                        2
धरती के कई जीव खों पिंजरा रखत पलैर।
पीरा उनकी ना दिखे, आजादी में खैर।
                         3
पैर पलोटत अटक में, मालिक मानें दास।
वौ पलैर है मोव नित,अटक हटें तक खास।
                          4
राखत रखत पलैर करि,अटर करत दिन रात।
पलत जगत में रखत सें,अपनों वे का खात।
                            5
नखी जानवर ना रखौ,घर में कभऊं पलैर।
धौकौ कर दें कभऊं भी, काहू की ना खैर।
रामानन्द पाठक नन्द
[20/03, 7:14 PM] Subhash Bal Krishna Sapre Bhopal: पलैर(पालतू) पर बुंदेली दोहे

1.

"तोता बिल्ली जे सभी,आदमी के पलैर,
इनसे कोनउ,को नई,    रेत है कबउ  बैर."

2.

"घर में बंधो रेत है,ज़ब जानवर पलैर,
चोर उचक्को की नई,उते कोउ भी खैर."

3.

"खेतन में ज़ब,दौडते, कुत्ते तीन पलैर,
जो भडया बे आत हैं,उनकी नइयां खैर."

4.
 
"जो दोंदरा मचाय कें, नई करत हैं,काम,
ज़ब पलैर खो देखते, चुचानो लगत घाम."

5.

"तोता पिंजरा,में फिरे, बिही चाव से खात,
पलैर,मीठो बोल कें,  सबखो खुस कर जात."

सुभाष बाळकृष्ण सप्रे 
भोपाल
20.03.2023
[20/03, 7:35 PM] Brijbhushan Duby2 Baksewaha: दोहा
विषय-पलैर
1-करत करत उकता गए,
ऐसी बनी थकान।
चिंता नइ पलैर की,
निकरी जा रइ जान।
2-जब पलैर उबरा परत,
बचत फिरत इंसान।
जौ कऊं आबड़ में बिदत,
मुतकौ रत नुकसान।
3-आबार बन जात जब,
घर पर बंधौ पलैर।
निगरानी करने परत,
नइतर नैया खैर।
4-रखबारी घर की करत,
कुत्ता सदा पलैर।
चोर उच्चकौं से बचत,
राखत सांँचऊं खैर।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा