Rajeev Namdeo Rana lidhorI

बुधवार, 22 मार्च 2023

पलेर (पालतू) बुंदेली दोहा संकलन

20/03, 8:01 AM] Promod Mishra Just Baldevgarh: सोमवार बुंदेली दोहा दिवस
विषय ,,पलैर,,पालतू
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सात बैल मोरें हते , कहत "प्रमोद"पलैर ।
छै: ठउवा हर में जुते , एक नदत तो वैर ।।
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पाँच भैंसियन में हतो ,पड़ा पलैर हमाव।
जब प्रमोद मारन लगो , सोऊ पिण्ड छुड़ाव ।।
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तोता हतो पलैर जब , कततो सीताराम ।
बिन पिंजरा खोलेँ उड़ों  , गव "प्रमोद"सुर धाम ।।
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नेता के बीसक सुने ,चमचा चतुर पलैर ।
बेइ "प्रमोद" बताउतइ , सब गाँवन की खैर ।।
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करिया साँप पलैर बन , पाल मनुष परिवार ।
सुखद संदेशा दै रहा , करो "प्रमोद" विचार ।।
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कुत्ता केउ पलैर भय , साँसें पहरेदार ।
घर "प्रमोद"खरयान उर , करें रखोपत हार ।।
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       ,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
       ,, स्वरचित मौलिक,,
[20/03, 8:37 AM] Shobha Ram Dandi 2: शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ़ (मप्र)२०/०३/०२३
बिषय--"पलैर" (पालतू जानवर)
बुंदेली दोहा (१५७)
१=कुत्ता
सबकि कई करें ,है ये भौत पलैर ।
"दाँगी" गइया पालते ,इसमें सबकी खैर ।।

२=रोजउ छत पै आत है ,तीतुर हतौ पलैर ।
"दाँगी" पालै रातते ,करन जात है सैर ।।

३=सुआ परेवा तीतरा ,पंक्षी होत पलैर ।
"दाँगी"पिंजरा राखते ,राखत इनकी खैर ।।

४=प्यार कि नजरौं जो रहे ,कहते उसे पलैर ।
श्वान आज कल पालवै ,"दाँगी" करें न  सैर ।।

५=जानवरो में अश्व का ,रखते कइयक शौंक ।
"दाँगी" की गइया भली ,नहि पलैर में नौंक ।।
मौलिक रचना 
शोभारामदाँगी
[20/03, 10:17 AM] Jai Hind Singh Palera: #पलैर पर दोहे#

                    #१#
तोता मैंने हंस हैं,मुर्गीऔर बटेर।
पंछी हते पलैर जे,इनसें राखौ मेर।।

                    #२#
ऊंट गदा घुरवा हते,हांती हते पलैर।
जेइ सवारीं पैल कीं, सब‌इ करत ते शैर।।

                    #३#
गाय भैंस बकरी बनी,राखीं भेड़ पलैर।
सब‌इ जानवर दूध खों,पुजे गाय के पैर।।

                    #४#
राखी साहूकार नें,कुतिया एक पलैर।
चाउत ती घरवार खों,ना मानत ती गैर।।

                    #५#
हते कंस दरवार में ,जितने जोधा वीर।
कान्हा सबै पछार कें,बनें उतै रन धीर।।

#जयहिन्द सिंह  जयहिन्द# 
#पलेरा जिला  टीकमगढ़# 
#मो०-६२६०८८६५९६#
[20/03, 10:26 AM] Amar Singh Rai Nowgang: बुन्देली दोहे, विषय : पलैर (पालतू)

गुंडा  नेतन  के  इतै, कइयक  रहत  पलैर।
डरत इनइँ सें आदमी, नेतन की रय  खैर।।

कुत्ता  घरै  पलैर  यदि, अच्छो  चौकीदार।
घर की रखवारी करै,जब सोउत परवार।।

कहत  चित्रकोटी  हतो, पट्टू  हतो  पलैर।
आज  तलक  खाई नहीं, रोटी दूध बगैर।।

भैंस बुकरिया एक ठउ, गइया हती  पलैर।
दो पाउत ते तब उऐ, जब  बाँधत ते  पैर।।

कछुआ मछरी उर खरा,जहँ कउँ रैत पलैर।
सुख सम्पत घर में बढ़त,रहत हमेशा खैर।।

सुआ न काऊ का हुआ,कितनउँ होय पलैर।
सूजी  सरप  सुनार  भी, रहत  हमेशा  गैर।।

चालक बनियाँ उर पुलिस,इनसें करौ न बैर।
हेत न  विषधर  से  करौ, होवै  भले  पलैर।।

मौलिक/
                           अमर सिंह राय
                                नौगाँव
[20/03, 10:48 AM] Aasharam Nadan Prathvipur: बुंदेली दोहा विषय -पलैर (पालतू)
(१)
कुत्ता   होबै   हार  में ,  भैया  एक  पलैर।
उजरा ढोरन की उतै, बिल्कुल नइॅंयां खैर ।।
(२)
मुरगी,सुआ पलैर  हैं , घुरवा  घर की शान ।
छिरियाॅं गइॅंयाॅं बैलवा ,पालैं सबइ किसान।।
(३)
बासी  कूसी  खात  है  , कुत्ता  घरै  पलैर ।
मालिक की भगवान सैं, रोजउॅं  मांगै खैर।।
(४)
राखत  घरै  पलैर  खौं , गरें  गरथनी  डार ।
आंत जाय घाईं करैं , गउ  बछवा सैं प्यार।।
(५)
लरका हमउॅं किसान के,भलइॅं अबै नादान।
पै पलैर  जइ जीव  की , जानत  हैं पैंचान ।।

आशाराम वर्मा  "नादान " पृथ्वीपुर
( स्वरचित ) 20/03/2023
[20/03, 10:55 AM] Subhash Singhai Jatara: बुंदेली दोहा दिवस , विषय पलैर ( पालतू ) 

कुत्ते   चमचे चमचियाँ , दौरैं   खड़े   पलैर |
नेतन कौ घर जानियौ,जितै भरत सब मैर ||

जो पलैर चमचा हतौ , बदल गऔ है आज |
राजनीति में घुस गयौ , आज करत है राज ||

जो पलैर हौ आदमी,  बदमाशी   कर जात |
कौनउँ  मौका जब परै , दिखा देत औकात ||

ढौर श्वान पंछी सदा , हौ    पलैर   जब गेह |
साँसउँ भौत निभात है , करतइ सबसें  नेह ||

हम पलैर प्रभु राम के , रय हमखौं है पाल |
उनकी   हमै  निभाउनें , पूरौ रखनें ख्याल ||

सुभाष सिंघई
[20/03, 11:01 AM] Bhagwan Singh Lodhi Anuragi Rajpura Damoh: बुन्देली दोहे
विषय:-पलैर
रिछवा नाहर‌ उर ढड़ू,जब हो जात पलैर।
काम आदमी कौ करत,भूल जात हैं बैर।।

दयें चोंखरें दौंदरा, ल्याय बिलार पलैर।
चार पांच दिन में हनें,अब है नैयां खैर।।

हैं पलैर कुत्ता जहाॅं  ,बे काजू नै खांय।
लरका बिटियां भूक में,डरे परे मों बांय।।

हैं पलैर जिनके घरे,स्वांन सुआ औ सांप।
अपनी पै जब आंय जे,रोम जात हैं कांप।।

घाती किबरा खोलकें लबरयाइ खों कांड़।
धोके बाज पलैर सब,लगा भक्ति कौ झाड़।।

भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"
रजपुरा हटा दमोह (मप्र)
[20/03, 11:38 AM] Dr. Devdatt Diwedi Bramlehara: 🥀 बुंदेली दोहा 🥀
      (विषय- पलैर)

यैसे कछू पलैर जो,
     उगल देत हैं भेद।
जी पातर में खात रयँ,
     करें ओइ में छेद।।

नखी- जनाउर,दुस्ट, खल,
     जब- जब आबें  पास।
कैसउ होंयँ पलैर जे,
   करियौ नें बिस्वास।।

उजरा बैला खेत में,
     मनकौ चारौ खायँ।
जुतरा तकौ पलैर जो,
      खूँटा बँदे रमायँ।।

काम ,क्रोध' मद, लोब, जे,
      जीकें बनें पलैर।
ऊकी तौ संसार में,
     कैसउँ नइयाँ खैर।।

बिलुर न जइयौ दाउ जू,
      रँग रोगन में आज।
ठग के सुगर पलैर कइ,
      बनें फिरत महराज।।

डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस
बड़ामलहरा छतरपुर
[20/03, 11:50 AM] Prabhudayal Shrivastava, Tikamgarh: बुंदेली  दोहे    विषय  पलैर (पालतू)

प्यारी ने प्यारे पिया ,  लय हैं बना पलैर।
आंगें  पीछें   डोलबें, फिर  भी न‌इँयां  खैर।।

कैउ  जनीं  बंगालनें,  कर अखियन के फैर।
सीदे ‌ सादे  आदमी , लेतीं   बना  पलैर।।

इंदल जब करबे गये,  गंगा  जू  की सैर।
सुआ पंखनी ने उनें, लव  तौ बना पलैर।।

हीरामन  तोता  हतो ,उनकौ  एक   पलैर ।
नागमती के पत्र खों,  उड़ो  गरे में  पैर।।

दाने  डरे  अनाज के , चुनन चिर‌इँया  आयँ।
द्वारें   रोज  पलैर सीं ,फुदकत  उड़त  दिखायँ।।

           प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
[20/03, 12:56 PM] Rajeev Namdeo Rana lidhor: *बुंदेली बिषय- "पलैर"*
***
ढौर बछेरू जानियौ , #राना  सबइ पलैर |
दिन भर घूमत बायरैं , शाम आत घर हैर ||

कुत्ता  हौत  पलैर  है  , बिल्ली  रत  नखरैल |
चाट पौंछ सब जात है , #राना थरा  ढ़कैल ||

गुंडा   हौत  पलैर है , #राना    कात  लठैत |
इनके  करमन की कहै  ,  पूरै  हौत  डकैत ||

तोता   होय  पलैर  तो , पिजरइ जाने  धाम |
खात पियत  बौलत रयै , #राना   सीताराम ||

प्यारो  एक पलैर है , नटखटिया   खरगोश |
#राना  उचकत  गोद में , भरैं रात है  जोश ||
***
*एक हास्य दोहा-*
सजनी बोली सुन सखी  , बलमा बनौ पलैर |
#राना काम निकारबै , भरत हमइँ  नों  मैर ||🙏😇
**20-3-2023
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
[20/03, 1:10 PM] Dr. Renu Shrivastava Bhopal: दोहे विषय पलैर
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1 नेता के चमचा बने, 
  कुत्ता घांइ पलैर। 
  घौंस बतारै सबइ खों, 
  कारन  कर रै सैर।। 

2 कुत्ता होत पलैर जो, 
    नोनो पहरे दार।
    बाहर भीतर फिरत है, 
    घिचिअन पट्टो डार।। 

3 गैया खों माता कहें, 
   कुत्ता बना पलैर। 
    ऐसे पापी बन रहे, 
   नहीं धरम की खैर।। 

4  भज्जा बिना पलैर के, 
    नेतन की नइं ठौर। 
    बोट डरत जब गाँव में, 
    सब खों टेरै दौर।। 

5 कैं पलैर धोखो करैं, 
   मालिक को खा नोन। 
   दुल्हा जू  के कारने, 
   झलकारी भइ मोन।।
  ✍️✍️✍️✍️✍️✍️

                        डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल
                        सादर समीक्षार्थ🙏
                        स्वरचित मौलिक 👆
[20/03, 3:24 PM] Vidhaya Chohan Faridabad: बुंदेली दोहे
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विषय - पलैर (पालतू)
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१)
पंख  बिना उड़  लेत है,  मन दौड़त  बिन पैर।
कस कैं  रक्खौ चित्त खौं, बन जै झट्ट पलैर ।।

२)
बैरी  मन  तौ  जंगली, जैसे   चतुर   सियार।
गुण  नइ  एक पलैर  के, का  जाने बो प्यार।।

३)
टेरत  है  भिनसार  सें, सब  खाँ  सुआ पलैर।
कै  रव पिजरा  खोल दो, कर आउन दो सैर।।

४)
समय बदल गव आज कौ, औरत नहीं पलैर।
जुलम  करै जो नार पै, उनकी  नइ अब ख़ैर।।

५)
जो जन  मूक पलैर  सें, करत  नेक ब्यौहार।
हिरदय में  उनके  बसो, परहित  कौ  संसार।।

~विद्या चौहान
[20/03, 3:56 PM] Anjani Kumar Chaturvedi Niwari: बुंदेली दोहा
 विषय-पलैर
20 03 23

 जो पलैर है काउ कौ, ऊखों मिलवै मान।
 बेमतलब में काउ खों,कितै मिलत सम्मान।

जो पलैर पिंजरा पिड़ौ, जीवन है परतंत्र।
 ईसें तौ भूँकन मरै, लेकिन होय स्वतंत्र।।

 जो  पलैर  हैं  राम  के,  हलुआ  पूड़ी खायँ।
 उनकी चिंता राम खों, भूँके नहिं मर जायँ।। 

बीस  साल  पैलें  घरै,  नौरा  हतौ  पलैर। 
करिया बाबा नें करौ,कभउँ ना हमसें वैर।।

 बन  पलैर  करवै  दगा, तैं  कैसौ  इंसान।
 तो सें तौ कुत्ता भलौ, देय वक्त पै जान।।

 अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
[20/03, 4:54 PM] Kalyan Das Sahu Prithvipur: पोषक मन की कामना , माँगत एकइ खैर ।
बनें  रबें  भगवान  के , सेवक भक्त पलैर ।।

ऊपर वारन सें विनय , रखियौ मनकी खैर ।
मात-पिता गुरुदेव के , राबें  दास  पलैर ।।

पोषक मन में प्रेम रय , दूर  बुराई  बैर ।
आजीवन  नैकें  रबें , जैसें  रउत  पलैर ।।

हिले-मिले  सबसें  रबें , लगें न कौंनउँ गैर ।
भले मान्स के रयँ सदाँ , दिली कृतज्ञ पलैर ।।

सबरे  जीव  पलैर  हैं , पाल  रये  भगवान ।
मालिक तींनउँ लोक के,रखरय सबकौ ध्यान ।।

   ---- कल्याण दास साहू "पोषक"
      पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र)

          ( मौलिक एवं स्वरचित )
[20/03, 6:28 PM] Sr Saral Sir: 🌷बुंदेली  दोहा  विषय  पलैर🌷

सब नेतन के  चार  छै, चमचा होत पलैर।
दोइ टेम  चमचा  परै, उन  नेतन के  पैर।।

हैं पलैर चमचा जितें, करें खूब यश गान।
नेता चमचा खौ कभउँ,बन जाते बरदान।।

है अफसरशाही  जितें, कुत्ता  उते  पलैर।
दोइ टेम  अफसर  करें , कुत्तन संगे सैर।।

हैं  पलैर  जीके  जितें, बैठे  पूँछ  हिलायँ।
मालक उनखौ देखके,झूठों कछू खिलायँ।।

कुत्ता *सरल* न पालबै, कुतिया रखें पलैर।
अनगइयाँ घर आय तौ, रत ना ऊकी खैर।।

     एस आर सरल
       टीकमगढ़
[20/03, 7:04 PM] Rama Nand Ji Pathak Negua: दोहा पलैर
                       1
नेतन के चमचा बनें,स्वारथ रबें पलैर।
काम करा कमाइ करें,रहत पलोटत पैर।
                        2
धरती के कई जीव खों पिंजरा रखत पलैर।
पीरा उनकी ना दिखे, आजादी में खैर।
                         3
पैर पलोटत अटक में, मालिक मानें दास।
वौ पलैर है मोव नित,अटक हटें तक खास।
                          4
राखत रखत पलैर करि,अटर करत दिन रात।
पलत जगत में रखत सें,अपनों वे का खात।
                            5
नखी जानवर ना रखौ,घर में कभऊं पलैर।
धौकौ कर दें कभऊं भी, काहू की ना खैर।
रामानन्द पाठक नन्द
[20/03, 7:14 PM] Subhash Bal Krishna Sapre Bhopal: पलैर(पालतू) पर बुंदेली दोहे

1.

"तोता बिल्ली जे सभी,आदमी के पलैर,
इनसे कोनउ,को नई,    रेत है कबउ  बैर."

2.

"घर में बंधो रेत है,ज़ब जानवर पलैर,
चोर उचक्को की नई,उते कोउ भी खैर."

3.

"खेतन में ज़ब,दौडते, कुत्ते तीन पलैर,
जो भडया बे आत हैं,उनकी नइयां खैर."

4.
 
"जो दोंदरा मचाय कें, नई करत हैं,काम,
ज़ब पलैर खो देखते, चुचानो लगत घाम."

5.

"तोता पिंजरा,में फिरे, बिही चाव से खात,
पलैर,मीठो बोल कें,  सबखो खुस कर जात."

सुभाष बाळकृष्ण सप्रे 
भोपाल
20.03.2023
[20/03, 7:35 PM] Brijbhushan Duby2 Baksewaha: दोहा
विषय-पलैर
1-करत करत उकता गए,
ऐसी बनी थकान।
चिंता नइ पलैर की,
निकरी जा रइ जान।
2-जब पलैर उबरा परत,
बचत फिरत इंसान।
जौ कऊं आबड़ में बिदत,
मुतकौ रत नुकसान।
3-आबार बन जात जब,
घर पर बंधौ पलैर।
निगरानी करने परत,
नइतर नैया खैर।
4-रखबारी घर की करत,
कुत्ता सदा पलैर।
चोर उच्चकौं से बचत,
राखत सांँचऊं खैर।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा

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