Rajeev Namdeo Rana lidhorI

शुक्रवार, 30 दिसंबर 2022

प्राइवेट अनएडेड स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन टीकमगढ़ समग्र

दिनांक-26-2-2023 

‘‘प्राइवेट अनएडेड स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन की ब्लाक कार्यकारिणी गठित-

टीकमगढ़// दिनांक -28-12-2022 को राधाकृष्णन स्कूल में प्राइवेट अनएडेड स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन टीकमगढ़ ब्लाक की नई कार्यकारिणी गठित की गयी।
                 एक प्राइवेट स्कूल में हुए निर्वाचन कार्यक्रम एवं बैठक में सर्वसम्मति से टीकमगढ़ ब्लाक का अध्यक्ष श्री भालेन्दु शेखर जी को चुना गया,उपाध्यक्ष प्रमोद विश्वकर्मा,कोषाध्यक्ष आचार्य एस.सी.जडिया, खेल और प्रतियोगिता समन्वयक निर्मल नीर शर्मा को चुना गया, जबकि ब्लाक मीडिया प्रभारी राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ को बनाया गया।

            टीकमगढ़ ब्लाक का अध्यक्ष श्री भालेन्दु शेखर जी ने कहा कि हम संगठन को और मजबूत बनायेंगे और अधिक से अधिक स्कूलों को इससे जोड़ेगें तथा इसे सक्रिय बनाये रखेगें।
निर्वाचन प्रक्रिया को श्री रवि सक्सेना जी ने सम्पन्न कराया।     

              जिला अध्यक्ष इमैनुएल जान नेे सभी नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को बधाई दी और संगठन को मजबूत बनाने के लिए जोर दिया। उन्होंने बताया कि नई कार्यकारिणी अपना बेहतर कार्य करेगी ऐसा हम विश्वास दिलाते है। हम शीघ्र ही एक जिला स्तरीय ड्राइंग प्रतियोगिता आयोजित कराये साथ हम हम लोग प्राइवेट स्कूलों का एक जिला स्तरीय स्पोटर्स इवेन्ट भी आयोजित कराये बच्चों का पढ़ाई के अतिरिक्त अन्य क्षेत्र में अपनी कौशल दिखाने का अवसर प्रदान करवायेंगे ताकि वे अपना एवं जिले का नाम रोशन करे। स्कूल संचालन के होने वाली समस्याओं का समाधान किया जायेगा तथा उन्हें उचित मार्गदर्शन दिया जायेगा।
                  इस अवसर पर आरटीई, मैपिंग, यू डायस आदि में होने वाली परेशानियों के बारे में प्रोजेक्टर के माध्यम से सभी को दी गयी। शासन के नियमों को पालन करने,ट्रेफिक नियमों का पालन करने व हेलमेट लगाने की सलाह दी गई साथ की ‘करोना’ से सतर्क रहने और सावधानी बरतने की सभी को सलाह दी गयी।
इस अवसर पर रवि सक्सेना ,राजेश खरे,नंदराम यादव,धर्मेन्द कुमार गंगेले,रामकुमार यादव,हफीजुल्ला खान, राजा सिंह घोष, लक्ष्मीचन्द्र कुशवाहा,रोहित चौरसिया, आदि स्कूल संचालक एवं संस्था प्राचार्य उपस्थित रहे।
****
रपट-    राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
                     मीडिया प्रभारी
   प्राइवेट अनएडेड स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन टीकमगढ़ ब्लाक

दिनांक-13-1-2023 की बैठक रिपोर्ट

*प्रैस विज्ञप्ति*
*प्राइवेट अनएडेड स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन करायेगा चित्रकला प्रतियोगिता*

टीकमगढ़//  प्राइवेट अनएडेड स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन जिला टीकमगढ़ के जिला
अधिकारियांे,संरक्षक ब्लाक पदाधिकारियों की एक बैठक आयोजित की गयी जिसमें जिला टीकमगढ़ के प्राइवेट स्क्ूलों के छात्र-छात्राओं की चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित कराने को अंतिम रूप दिया गया इस प्रतियोगिता में जिला स्तर पर प्रथम आपने वाले को साइकिल, द्वितीय को क्रिकेट किट एवं तृतीय आपने वाले को स्टडी टेबिल स्मृति चिह्न एवं आकर्षक प्रमाण पत्र प्रदान किया जायेगा जबकि ब्लाक स्तर पर प्रथम आने वाले बच्चों को 1100रू. ,द्वितीय को 800रू. एवं तृतीय को 500रू. नगद एवं आकर्षक प्रमाण पत्र प्रदान किया जायेगा। प्रतियोगिता तीन वर्गो में होगी, सभी भाग लेने वाले प्रतियोगियों को  प्रमाण  पत्र जरूर दिया जायेगा।
कार्यक्रम का संचालन पूर्व जिलाध्यक्ष राजेश खरे ने किया एवं सरस्वती बंदना के पश्चात   ख्यातिप्राप्त कवि राजीव नामदेव‘राना लिधौरी’ ने अपनी कविताएँ सुनाकर सभी का खूब मनोरंजन किया। इस अवसर पर अध्यक्ष इमैन्युअल जॉन ने चित्रकला प्रतियोगिता के पोस्टर का विमोचन किया। शीघ्र ही सभी प्राइवेट स्कूलों में सम्पर्क कर इस प्रतियोगिता के बारे में बच्चों का अवगत कराया जायेगा। प्रतियोगिता में फार्म भरने कि अंतिम तिथि 28 जनवरी तक है।
इस अवसर पर कार्यक्रम में सर्वश्री इमैन्युअल जॉन जिलाअध्यक्ष, धमेंन्द्र कुमार गंगेले जिलाउपाध्यक्ष, हफीजुल्ल्ला खान जिलाउपाध्यक्ष, रामकुमार यादव जिला उपाध्यक्ष,राजा सिंह घोष जिला सचिव,लक्ष्मीचंद कुशवाहा जिलाकोषाध्यक्ष, राजेश खरे जिला खेल प्रभारी, रविच सक्सेना संरक्षक सदस्य,भलेन्द शेखर टीकमगढ़ ब्लाक अध्यक्ष,रामचन्द्र खरगापुर ब्लाक अध्यक्ष,अभिषेक जैन जतारा ब्लाक अध्यक्ष,प्रमोद विश्वकर्मा टीकमगढ़ ब्लाक उपाध्यक्ष,निर्मल शर्मा टीकमगढ़ ब्लाक खेल प्रभारी,प्रशांत साहू खरगापुर खेल प्रभारी,एहसान मंसूरी पलेरा खेल प्रभारी, सोहेल खान जतारा खेल प्रभारी, सोहेल वारसी जतारा खेल प्रभारी,,मो.राज खान तहसील ब्लाक उपाध्यक्ष,मनोज त्रिपाठी जतारा ब्लाक उपाध्यक्ष, रविन्द्र श्रीवास्तव खरगापुर ब्लाक सचिव रामजी गंगेले , आकाश खरे जतारा ब्लाकं संिचव,राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ब्लाक मीडिया प्रभारी प्रमुख रूप से उपथित रहे।

रपट-  *राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी*
ब्लाक मीडिया प्रभारी
   प्राइवेट अनएडेड स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन टीकमगढ़
  पिनः472001 मोबाइल-9893520965


स्व.श्री रमेशप्रसाद श्रीवास्तव 'लाला' स्मृति कवि सम्मेलन समग्र सिंहावलोकन टीकमगढ़

date-1-12-2023


कवि सम्मेलन ने समां बाँधा -

टीकमगढ़// नाट्य संस्था पाहुना लोक जन समिति द्वारा कविवर कीर्तिशेष श्री रमेश प्रसाद श्रीवास्तव लाला’ की पुण्य तिथि पर आयोजित कवि सम्मेलन में कवियों ने समां बाँध दिया एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट कविताओं का दर्शकों ने भरपूर आनंद लिया। 

        कवि सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि गुणसागर सत्यार्थी (कुण्डेश्वर) ने की तथा एवं संचालन उमाशंकर मिश्र ने किया। इस अवसर पर कवि सम्मेलन के संयोजक संजय श्रीवास्तव एवं अतिथियों ने सभी कवियों का शाल श्रीफल एवं सम्मान पत्र द्वारा सम्मान किया।

कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में भोपाल से श्री शैलेंन्द्र बरूआ जी अध्यक्ष पाठ्य पुस्तक निगम केबिनेट मंत्री दर्जा, एवं श्री जितेन्द्र लिटोरिया जी अध्यक्ष खादी ग्रामोद्योग कैबिनेट मंत्री दर्जा (भोपाल) थे।
कवि गोष्ठी का शुभारंभ बाल कलाकार सात्विक श्रीवास्तव ने सरस्वती बंदना के हारमोनियम पर सुमधुर कंठ से तत्पश्चात टीकमगढ़़ के प्रदीप खरे मंजुल ने गीत सुनाया-जिदना हंसा जौ उड़ जानें, देह पड़ी रै जाने।।
टीकमगढ़ से म.प्र.लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने‘ अलंकारमय बुंदेली दोहे पढ़े-
कमरा में कमरा लये, कुकरे डरे किशोर। करया भई कमान सी, कय की सें कमजो़र।।
धैर्य धरो धीरज धरो, भली  करेंगे राम। कष्ट हरे सुखपात है, जो ध्यावै श्री राम।
कवयित्री गीतिका वेदिका ने गीत सुनाया- मेरी आँखों में बसने प्यार चलकर पाँव आया है।
गंगा देश से कोई बेतवा की नाव आया हैं।
सखी झूला चढ़ाओं नीम की अमुबा की डाली पर, बरसता झूमता सावन हमारे गाँव आया है।
प्रभुदयाल श्रीवास्तव ‘पीयूष’ने बुंदेली चौकड़िया पढ़ी-उनके दुर्लभ हो गय दरसन,अखियाँ लागीं तरसन।
जिनके संगे मबइ गाँ में,बने रये हम बरसन।।
संयोजक संजय श्रीवास्त्व‘ ‘वीर’ ने रचना सुनायी- माँ के भीतर घर रहता है घर के भीतर माँं।
बारिश,आंधी तूफां सारे, धरती माँ सी सहती माँ।।
लिधौरा के अशोक पटसारिया ने रचना  पढ़ी-रहे वो शिक्षक बडे़ महान, सादगी थी उनकी पहचान।
शिक्षक अध्यापक गुरु इनमें था ईमान,अनुशासन की छड़ी से देते थे वो ज्ञान।।
वीरेन्द्र चंसौरिया ने गीत सुनाया- यह जिन्दगी है अपनी सुनो दो दिन की कहानी।
नहीं व्यर्थ मिटा देना छोटी सी जिन्दगानी।।
उमाशंकर मिश्रा ने गीत सुनाया- हमारा प्यारा हिन्दोस्ताान, ये अपना भारत देश महान।
हमें ये जाँ से प्यारा हैं,सारे जहाँ से अच्छा भारत देश हमारा है।।
पृथ्वीपुर के डॉ.मैिथली शरण श्रीवास्तव ने बुंदेली गहनों पर कविता पढ़ी-
बिला गऔ बुंदेली सिंगार,हिरानौ कितै नौलख हार।
वैंदा विन सूनौ डरौ लिलार, कितै सिरा गव करधौना लर हतीं जौन में चार।
लखौरा के गुलाब सिंह‘भाऊ’ने चेतावनी सुनाई-आज के लरका बिगरत जा रय,
 वो तो नशा के नशाये रय।।
इनके अलावा गुणसागर सत्यार्थी (कुण्डेश्वर), डॉ. देवदत्त द्विवेदी (बड़ा मलेहरा),सत्यनारायण तिवारी (टीकमगढ़),. एन.के.पुरोहित (कुण्डेश्वर),एवं संजय तिवारी (बड़ा मलेहरा) ने कविताएँ सुनाई, आभार लेखक संघ के पाहुना के संदीप श्रीवास्तव ने माना।
**
रिपोर्टिंग -राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’*
संपादक ‘आकांक्षा’ पत्रिका
  अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
संपादक-‘अनुश्रुति’ बुन्देली त्रैमासिक ई पत्रिका
मोबाइल-9893520965

सोमवार, 26 दिसंबर 2022

ढबुआ (खेतों में बनी झोंपड़ी) बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)

[26/12, 8:04 AM] Jai Hind Singh Palera: #ढबुआ पै दोहे#

                    #१#
पंचवटी ढबुआ डरो,सिया राम कौ बास।
लछमन बैठै रात में,पैरौ दैबें खास।।

                    #२#
बांसन की कमटीं कड़ीं,बदीं जोइयां तान।
पत्तन ढबुुआ छाय कें,वन मैं खुश भगवान।।

                    #३#
खेतन ढबुआ डार कें,परबें रोज किसान।
बनों बिजूकौ देख कें,उजरन उजरे प्रान।।

                    #४#
खेतन ढबुआ में बसे,रव किसान कौ ठौर।
होटल में कय चल परो,अब ढबुआ कौ दौर।।

                    #५#
ढबुआ में बबुआ परो,होटल के मेंदान।
चश्मा बारीं औरतें,परीं पिछौरा तान।।

                    #६#
ढबुआ बैठीं राधिका,रय बृज रसिया संग।
किशन बजायें बांसुरी,राधा उठत उमंग।।

                    #७#
ढबुआ डारें शहर में,देखें खुश हों लोग।
बैठैं ऊके छांयरें,भोगें छप्पन भोग।।

#जयहिन्द सिंह  जयहिन्द# 
#पलेरा जिला टीकमगढ़ #
#मो०-६२६०८८६५९६#
[26/12, 9:07 AM] Pradeep Khare Patrkar Tikamgarh: *बिषय.. ढबुआ*
26-12-2022
*प्रदीप खरे,मंजुल*
*****************
जग में जो जन आय हैं, 
बिरथा रहे गबाय।
ढबुआ सी जा जिंदगी, 
हवा आय ढय जाय। 
2-
मैंढ़न पै ढबुआ बनें,
 करैं खेत पै छाय।
ता चढ़ बैठे सब जनैं,
 हरिया रहे भगाय।
3-
चारौ, लकरी जोर कैं,
ढबुआ लऔ बनाय।
तामें उन्ना हैं बिछे,
हरिया रये रखाय।।
4-
ढबुआ मेढ़न पै बनौ,
खड़ी फसल लहराय।
होय किसानी जब सही,
परो परो मुसकाय।।
5-
रोटी लै खेतन गई,
 सज धजकें गुलनार।
ढबुआ बिच नित बैठकें,
खुआ रही पुचकार।।
*प्रदीप खरे, मंजुल*
टीकमगढ़
[26/12, 9:19 AM] Subhash Singhai Jatara: बुंदेली दोहा ,, विषय ढबुआ 

ढबुआ  ताने   मैंड  पै , पिसिया  रयी  रखाय |
मुनिया  खौं चिपका धना, गाकैं  रयी‌‌  सुलाय ||

हरिआ-हरिआ   टैरकैं  , गोरी‌   रयी   भगाय  |
हरि आ+कैं ढबुआ घुसै , मुनिया रयै खिलाय‌  ||

ढबुआ  हौतइ खेत पै  , चारौ   तरफ  रखात |
यैसइ ढबुआ  ईश भी  , अपनौ खुदइँ बनात ||

ढबुआ जौ संसार है , पकी फसल तक राँय |
फिर सब ऊकै बाद में , अपने घर खौ जाँय ||

ढबुआ ढाबा हौ गयै , चलनै   लगी   दुकान |
खटिया पै परसन लगौ  , खाबै  कौ सामान ||

सुभाष ‌सिंघई
[26/12, 9:32 AM] Promod Mishra Just Baldevgarh: सोमवार बुंदेली दोहा दिवस
         विषय ,, ढबुआ,,
*****************************
ढबुआ डारें खेत पै ,बैठे मैंड़ किसान
बसकारो रिमझिम करें , अदकच्ची भइ धान
*******************************
ढबुआ पत्तन को बना , धरें वरेदी मूंढ़
छिरियाँ चले चरावने, बुंदछैरे में ढूंढ़
*******************************
ढबुआ थुमियन पै कसो , बंधी तरें में खाट
रखवारें पिरमोद भय , बैठे फसलें डाट
*******************************
ढबुआ के तर साँतरीं, कथरी दूनर डार
गुड़मुड़याके ठंड में, परें प्रमोद समार
******************************
धना धना खोंटन चलीं,चटनी बने प्रमोद
बेरी पै रोटी टंगी , तकियो ढबुआ कोद
*******************************
दूद महेरो ठंड में , कोंड़ो तापत खात 
ढबुआ डारें खेत पै , काटें ठंडी रात
*****************************
       ,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
       ,, स्वरचित मौलिक,,
[26/12, 10:40 AM] Bhagwan Singh Lodhi Anuragi Rajpura Damoh: *बुन्देली दोहे*
विषय -ढबुआ
ढबुआ खों चानै परत,पत्ता जूना बांस।।
पैलां सें धर लेत हैं,काट कूट कें कांस।।

प्यांर बिछा कें रात भर, ढबुआ में पय रांय।
दर्रे कौ ऐरौ‌ मिलौ, गुथना झट्ट उठांय।।

ढबुआ में कौंड़ौ लगौ, लगर‌इ धीमी ऑंच।
उत‌इ तमूरा सें गबैं,भजन कबीरी पाॅंच।।

जौ ढबुआ में रात हैं, उन्हें महल नै भांय।
सूखी -सूखी प्रेम सें,भाजी रोटी खांय।।

जौ किसान ‌खेती करत, मड़वा गाड़त खेत।
लफे नब‌इयॅंन पै उत‌इ, ढबुआ खों धर लेत।।

भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"
[26/12, 11:55 AM] Aasharam Nadan Prathvipur: बुंदेली दोहा विषय - ढबुआ
(१)
ढबुआ में हम भी परे, खूबइॅं मजा  उड़ाय।
पड़ौ सबइ जन गौर सैं,दोहा आज बनाय।।
(२)
ठाट  बड़ैरौ  बांस कौ , थुमियाॅं  गाड़ीं चार ।
घांस पूस अरु कांस कौ, ढबुआ लेबैं डार।।
(३)
नेंचैं   डारी  साॅंतरी  , अतफर  टाॅंगी  खाट ।
रमसइॅंयाॅं के देख लो , नय ढबुआ में ठाट।।
(४)
सित्ती लच्छी गौइया ,ढबुआ में घुस जांय।
सकलन कौ ओंदा बना ,चटनीं सॅंगै खांय ।।
(५)
ढबुआ में बसकाय की ,बूंद न भीतर जाय।
देखत में  नोंनों  लगै , ठंड  लगै नइॅं  बाय ।।

आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुर
( स्वरचित ) 26/12/2022
[26/12, 12:10 PM] Rajeev Namdeo Rana lidhor: *बुंदेली दोहा बिषय- ढबुआ*

*1*
सबकै  ढबुआ  आज   तौ , हुइयै  आलीशान |
सबखौं  पढकै सब जनै , #राना कर लौ गान ||💐
*2*
#राना   ढबुआ   तान  कै  , दूजै   देखौ आन |
नईं  पिछौरा   औढ़  कै , सोंनैं   है    श्रीमान ||🙃🙏
*3*
ढबुआ  ढीलौ हौय तौ , गिरवै   कौ  डर रात |
यैसइ दोहा हौ अगर , #राना मजा न आत ||😚
*4*
कसौ अगर ढबुआ लगै , हवा हिला ना पात |
दोहा  हौय विधान  सै ,#राना खिलौ दिखात ||💐
*5*
बुरब न कौनउँ मानियौ , लैंय  बनाकै ठौक |
#राना दोहा  चाय‌ हौ , या ढबुआ की  रौक ||🙏
*6*
बुंदेली   ढबुआ  तरै ,  हम सब  लिखै  बिलात |✍️
#राना  लिखकै जाँच लौ , करियौ  नईं उलात |🙏
*7*
#राना  मानैं  हम  इतै ,   चूकत   दोहा    भार |
पर तेरह यति  भूलबौं  , ढबुआ -सौ  है   द्वार || 🤔🙏
*8*
दोहा  या ढबुआ   बनै ,    गौड़े  लगतइ  चार |
ऊँचै    से   नीचै   रखत , #राना  ऊकौ  ढार ||🙆‍♂️
           ***दिनांक-26-12-2022
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
[26/12, 1:16 PM] Brijbhushan Duby Baxswahs: दोहा
विषय- डबुआ
1-लग लगाम सब जोर लयी,
ढबुआ कर तइयार।
बृजभूषण लय मूड़पे,
घर से चलदव हार।
2-हार खेत में पहुंचकर,
लई मड़इया गाड़।
ढबुआ छालव ऊपरे,
परवें पिंयार खुवार।
3-ढबुआ में बृज परेरत,
आंगू कोंड़ौ बार।
रात रात भर जगत रत,
हो ना सकत उजार।
4-रखवारी रोजऊ करत,
खेतन डेरा डार।
का मजाल खा जाय बृज,
फसलें सुअर सियार।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
[26/12, 4:14 PM] Prabhudayal Shrivastava, Tikamgarh: बुंदेली  दोहे  ‌  विषय  ढबुआ

ढबुआ डारें मेंड़  पै , फसल  रखात  किसान।
उजरा फिरत उजार खों,करत  भौत हैरान।।

    जुनरी कीं रोटीं बनीं  , उर  सेंमें  कड़याइ।
ढबुआ में  भ‌इया  डटे,  परस र‌ईं  भौजाइ।।

सनन सनन सर्रात है,  सुर्रक  सो   दिन रैन।
ढबुआ में कैसें  परै  , जड़कारे  में  चैन।।

ठिठुरे जा रय ठंड सें, बजन  लगे  हैं  दांत।
ढबुआ  सें  कैसें  कड़ें,  जेबे   जाने   पांत।।

हम तौ पल्ली  में परे ,  तौउ  न  आत तताइ।
ढबुआ में कैसें  उनें , ‌आर‌इ   हु‌इयै   राइ।।

             प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
[26/12, 4:52 PM] Kalyan Das Sahu Prithvipur: काठ बकोंडे़ बल्लियाँ , झकडा़ पत्ता काँस ।
ढबुआ कृषक बनात हैं , लेत चैंन की साँस ।।

कछू जनें ढबुआ कहत,कइयक कहें मचान ।
खाट जोइया की बुनी,फिट कर लेत किसान ।।

खूब परौ बैठौ - उठौ , कछू परत नइँ कूत ।
भौत सुरक्षित ठौर है , ढबुआ रत मजबूत ।।

वसकारौ  आँसै  नईं , आँसत नइंयाँ घाम ।
ढबुआ में कथरी बिछा , करौ खूब आराम ।।

ढबुआ की मैमा अजब , होय पूस की रात ।
कुकरे परत पिआँर में , मजा खूब ही आत ।।

ढबुआ कमइँ दिखात अब,बनन लगे आवास ।
आम  आदमी  बन  रये , धीरें - धीरें खास ।।

   ---- कल्याण दास साहू "पोषक"
      पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र)

         ( मौलिक एवं स्वरचित )
[26/12, 4:56 PM] Amar Singh Rai Nowgang: बुन्देली दोहे - ढबुआ (संशोधित)

ढबुआ अगर बनाउने, ढूंँढ़ो  पत्ता  काँस।
ढबुआ नोनो तब बनै, होंय  हरीरे  बाँस।।

ढबुआ से तजबीज रय, खेतै चारउँ ओर।
हो उजार तौ नइँ रहो, हैं तो  नइँया  ढोर।।

ढबुआ में अधपर बँधी, रखवारे  की खाट।
सुर्रक  चलवै  रात में, लेटत बिना कपाट।।

अच्छो ढबुआ होय तौ, पानी नहीं चुचात।
चाहै जैसी झिर लगै, बूंद न अंदर आत।।

खाना ढबुआ बैठ कैं, इत उत हेरत खाय।
रूखी सूखी भी उतै, मनखां भौत हिताय।

निसफिकर मन होय तौ,का कमरा का खेत।
ढबुआ ढेलन जाँय सो, बिछा सेज कँकरेत।।

काम किसानी को कठिन,जा सोचैं की बात।
ढबुआ में  कैंसें  कटत,  जड़कारे  की  रात।।

मौलिक/
                   अमर सिंह राय
                 नौगांव, मध्य प्रदेश
[26/12, 6:30 PM] Anjani Kumar Chaturvedi Niwari: बुन्देली दोहे
विषय ढबुआ
26 12 22

ढ़बुआ डार पियाँर कौ,सोव ओड कें खोर।
यैरौ मिलतन दो भगा, पिडें खेत में ढोर।।

ढबुआ  में  कुत्ता परौ,कमरा उयै उड़ाव।
बचै रात भर ठंड सें, तुमसें रखै जुड़ाव।।

ढ़बुआ  डारौ  हार  में,  राते  परवे  जाव।
फसल  उजारें ढोर सब,फिर पाछें पछताव।।

कंड़न  में भूँजौ भटा, लेव  गकइयाँ सेंक।
ढबुआ भीतर खाव तुम,जइयौ ना तुम चेंक।।

ढबुआ ऊपर डारियौ, घास फूस तिरपाल।
चलै हवा जब तान कें, उड़ जै सब तत्काल।।

अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
[26/12, 8:15 PM] Vidhaya Chohan Faridabad: बुंदेली दोहे
~~~~~~~
विषय- ढबुआ 
~~~~~~~~
राहर खेतन में लगो, चट कर जातइं ढोर।
ढबुआ  में  दद्दा  परे,  देख  मचाउत  सोर।।

पत्तन   से  सागौन   के,  ढबुआ   है   तैयार।
बिछो काँस को बिस्तरा, कोदौं डलो पियाँर।।

दुपरैं चलियो तुम सजन, अपने ढबुआ हार।
उतइं  नीम  के   छाँयरे,  खैहैं   रोटी   दार।।

गर्मी   कित्तउ  ठंड   हो,  चौमासे   बरसात।
राहत तुरतइं मुंस खाँ, ढबुआ में मिल जात।।

आँदी  बदरा  धूप  में , झूलत  एक मकान।
सुख  दुख ईके  फेर में, ढबुआ  सो इंसान।।

~विद्या चौहान, फरीदाबाद

नरदा (नाली) बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

*बुन्देली दोहा प्रतियोगिता93* *-विषय - नरदा*
 दिनांक-24-12-2022
*प्राप्त प्रविष्ठियां :-*
*1*
सपरन नरदा लौ लगे ,अब रय हल हल काँप।
मूत याव जब देख लव,फूंसत करिया साँप।।
***
प्रमोद मिश्रा, बल्देवगढ़
*2*
नरदा कौ कीरा खुशी,डुपकी रऔ लगाय।
डंड  दऔ  है  राम  नें, डूबै  कउँ उतराय।।
***
          एस  आर सरल, टीकमगढ़
*3*
आँगन  बिच  नरदा   रयै   , रहबै    साला  आन |
दौनउँ  बुरय  बसात हैं  ,   मोखौ    इतनौ   ज्ञान  ||
***
सुभाष सिंघई , जतारा
*4*
अच्छी संगत को असर, देत दोष सब खोय।
नरदा  पानी  गंग  में, मिल  गंगाजल  होय।।
****
-अमर सिंह राय, नौगांव
*5*
पढ़ो-लिखौ आँगें बढ़ो,ज्ञान बनै परछाँइँ।     
बिन पइसा अरु ज्ञान के,जीवन नरदा घाँइँ।।
     ***     
-संजय श्रीवास्तव* मवई (दिल्ली)
*6*
पंचन में विनती करी,खेती द‌ई उजार।
नरदा की विनती करी,पर बखरी गय हार।।
***
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़
*7*
तनकी बखरी देहिया,जामें भरे विकार ।
काम क्रोद्ध मद लोभ ये ,नरदा देय निकार ।।
***
शोभाराम दाँगी, नदनवारा
*8*
फटफटिया लैबे चले,गाने धर ग‌इ कार।
नरदा की‌ बिनती करी,बखरी खों गय हार।।
***
भगवान सिंह लोधी, हटा ,दमोह
*9*
नरदा की विनती करन,गये कचहरी द्वार।
पांसे कछु ऐसे परे,बखरी खों गय हार।।
***
-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
*10*
नरदा होय गरीब कौ , सबखों खूब वसात ।
पइसा वारे मान्स सें , कोउ कछू नइँ कात ।।
***
   --- कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़
*11*
नरदा की विनती करी,बखरी गय हम हार ।
होरी में गय पंच वे,मौ देखौ व्यौहार।।
***
डा, एम, एस, श्रीवास्तव, पृथ्वीपुर
*12*
देख दवंगइ यार की, भूले सब अधिकार।
नरदा खौं विनती करी, बखरी गय वे हार।।
***
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.
*13*
कत  नरदा  नेता  इतै, कैसे  कै जूँ  आव।
चमक गई मोरी सकल, नेरे खड़ो चुनाव।।
***
~विद्या चौहान, फरीदाबाद
*14*
नरदा  की  विनती  करन, जोरी  ती  पंच्यात।
आ गय बखरी हार कें,अब फिर रय पछतात।।
**
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी (बुड़ेरा)
*15*
जा  दिवाइ की मान्यता, बूड़े बड़े बतात।
नरदा में हो लच्छमी,सबके घर में आत।।
***
अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
*16*
पानू मगरे को  बउत, नरदा में हो जाय ।
रोम-कूप तन गंदगी,  बनकें पसी बहाय ।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
*17*
नरदा में सें नेवरौ, रोजउॅं अब घुस आत।
बौ इत्तौ नैचौ भऔ, फिर निकरइ नइं पात।।
***
"हरिकिंकर"भारतश्री, ललितपुर
*18*
घर के नरदा डार रय ,अब नदियॅंन में लोग।
निर्मल जल दूषित भयौ ,रहौ न पीबे जोग।
***
आशाराम वर्मा  "नादान " पृथ्वीपुर
*19*
मन मे बिलछ न मानिये.जो गवार कै जाय।
बाखर मै नरदा कडो. भलऔ बुरौ बै जाय।।
***
बाबूलाल द्विवेदी,छिल्ला,वानपुर
*20*
कैसें यैसे राज में,हुइयै बेड़ा पार।
नरदा की बिनती करें, बखरी जाबें हार।।
***
-डॉ देवदत्तं द्विवेदी, बडा मलेहरा
*21*
नरदा पै हो ,हो रई, रोजउं खूब लडाइ ।
सबसें जादां लरत है , भैया की भौजाइ ।।
****
सियाराम अहिरवार ,टीकमगढ़

############@@@@######
*संयोजक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़*
आयोजक-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़

*बुंदेली दोहा बिषय- नरदा*
*1*
#राना  नरदा खौं सदा , जौ बुचका कै रात |
उनकै घर मछरा  बड़े , कानन  में  भिन्नात ||
*2*
#राना नरदा  हौ जितै , नौनों  रखियौ   ढार |
कभउँ जुरै ना गंदगी , ना बीमारी  की  मार ||
*3*
#राना  खाओ गम्म अब , चैन कटन दौ रात |
नरदा - सी भिनकाँव ना , इतनी छोटी  बात ||
*4*
घर कौ नरदा गाँव की , जब गलियन में आत  |
खचा मचत #राना उतै , नहीं निकर तब पात ||
*5*
अब तौ बन गय गाँव में , मुलकन सीसी रोड |
नरदा खौ भी  नालियाँ , #राना  दै  गइँ  मोड़‌ ||
*6*
नदिया तक  दौरत  गऔ , नरदा रख  कै येैड़ |
#राना छूतन गव बिला , भरन लगौ  तब पैड़ ||
*7*
नरदा कत  सबरै   सुनौ ,   हम   गाड़ै  है    रात |
#राना कत जौ मद भरौ , सड़तइ  इतै  दिखात ||
*8*
सड़ गव काय दिमाक है , करतइ लोग सबाल |
जितनौ  #राना सड़ गऔ   , दौ  नरदा में डाल ||
***
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com

[24/12, 6:38 AM] Jai Hind Singh Palera: #अप्रतियोगी दोहे#बिषय-नरदा#

                    #१#
मानों पंचन फैसला,दोई हातन जोर।
पै नरदा की निकासी,रैय गैल की ओर।।

                    #२#
नरदा परदा डारिये,राखौ साफ निकास।
पानी मैलौ ना रुकै,अपने घर के पास।।

                    #३#
नरदा की नाली बना,पाटौ पथरा डार।
अगर कभ‌उं बुच जाय तौ,पथरा लेव निकाल।।

                    #४#
गैरौ गड्ढा खोदिये,बांदौ जालीदार।
नरदा पानी डारिये,सोखत रै हरबार।।

                    #५#
कुत्ता सुगरा सुगरियां,नरदा में मौ बोर।
नरदा पानी लोटंबें,भैंसें मरियल मोर।।

#जयहिन्द सिंह जयहिन्द# 
#पलेरा जिला टीकमगढ़# 
#मो०-६२६०८८६५९६#
[24/12, 1:50 PM] Rameshver Prasad Gupta Jhanshi: अप्रतियोगी दोहे-

भर राखें बहु गंदगी, फिर भी है अभिमान/
थोडे़ से ही जल भरे, नरदा लेत उफान//

आजादी के बाद भी, कसी न नैक नकैल/
नरदा कूड़ा गंदगी, बने लडाई गैल//

जीवन नरदा हो गओ, डरो- डरो पछताय/
नरदा को कीरा बनो, कीचा कोले खाय//

साफ सफाई हो नहीं, मछरा उडत दिखांय/
गांव - गांव नरदा कडे़, पटे गंदगी आंय//

रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.
बडागांव झांसी उप्र.
[24/12, 2:49 PM] Anjani Kumar Chaturvedi Niwari: अप्रतियोगी दोहे
24-12-22

नरदा की विनती करी,घर बखरी गय हार।
पंच कड़े बेइमान सब,हो गव बंटाढार।।

नरदा  बै  रय गैल में,मची हूँक कें कीच।
इक दूजे सें कात हैं, तुम हौ पक्के नीच।।

अब सफाइ अभियान कौ, जौ है साँसौ हाल।
सबरे  नरदा  हैं  बुथे, नालीं मालामाल।।

नरदा परदा गय बिला,घूँघट नजर न आत।
कुआ फुआ नौरा सुआ,कउँ कउँ परत दिखात।

अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
[24/12, 2:52 PM] Subhash Singhai Jatara: अप्रतियोगी दोहे , विषय - नरदा 

नरदा निकरै  बायरै , पौचे  गलियन   बीच |
दौरौ तब भिनकत रयै , मचै हिला कै कीच ||

नरदा जानौ  गाँव  कै ,  खौटे नर जौ हौंय |
जिनकै मारे सब जनै , बदनामी खौ ढौंय‌ ||

बिनतुआइ नरदा करी , पर गय बखरी हार |
बेदखली भइ जौत से  , मिलौ न पट्टौ यार ||

नरदा खौ नर दा+ब कै , दै   छत्ती  सै    भेद  |
फिर भी बदबू जै निकर , पाकै छुटकुल छेद  ||

नरदा हौरी  के दिना , फूला सौ खिल जात |
पटकत गुइयाँ चार है , पूरौ  आँग   भिड़ात ||

सुभाष सिंघई

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
[24/12, 3:54 PM] Amar Singh Rai Nowgang: अप्रतियोगी बुंदेली दोहे - नरदा

चौगिरदा नरदा बहत, किचकंदौ फैलाय।
आबे बारो गाँव में, नाकत  कूदत आय।। 

करन थराई हम गए, पर निकरो नइँ सार।
नरदा की बिनती करी, आए बखरी हार।।

नरदा  के  नैचें  गये,  मोरे  सबइ  बिचार।
देखो जाकें जब उतै, मो  देखी  ब्योहार।।

गलियन में फैलो फिरै, नरदा  में  को  मूत।
नाक-नाक निकरत सबै,गाँव भरे के पूत।।

नरदा  दोरन  में  बहैं, मची  धरी  हर  खोर।
स्वच्छ मिशन को हो रहो,केवल कोरो शोर।

कीरा  नरदा  को  सदा,  नरदा  में सुख  पाय।
साफ-सफाई की जगा,अगर मिलै मर जाय।।

मौलिक
                  अमर सिंह राय
                       नौगांव
[24/12, 4:05 PM] Promod Mishra Just Baldevgarh: शनिवार बुंदेली दोहा दिवस
       विषय ,, नरदा,,
****************************
नरदा बुचो पछाइ सें ,पानी देत चमेल
लगी ठेल आँगन भरो , ठेंटा रहे उसेल
****************************
नरदा रोक प्रमोद रय,कड़वे नइयाँ गैल
पानी सें घर सींण रव, गिरो परत खपरैल
********************************
गोरी गोरें आँग खों , रइ नरदा पै धोय
हँसें मिदरवा देख कें ,बरसा कबलो होय
*******************************
बसकारे को दौदरा , नरदा डारें बाढ़
घर आँगन को मैल धो , दतो बायरेँ काढ़ 
******************************
नरदा जल इसनान कर , मच्छर फुल गररात
ऊंगरकटा झींगुर मुलक, गाकेँ करतइ बात
*******************************
नरदा में फस गइ बिलू ,चूहा मारें आँख 
भूलें अत्त प्रमोद सब , दती निनुरवे काँख
*******************************
      ,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
      ,, स्वरचित मौलिक,,
[24/12, 4:26 PM] Gokul Prasad Yadav Budera: 🌹अप्रतियोगी दोहे-नरदा🌹
************************
नरदा  खांँ  नैं  निन्दिऔ,
              नरदा  होत  महान।
पी  कें   सबरी   गन्दगी,
          राखत स्वच्छ मकान।।
************************
नरदा में हो सब कड़त,
            भलौ-बुरव-मल-मूत।
जौन दिना नरदा बुचत,
           परत ओइ दिन कूत।।
************************
नरदा   होबै   भूमिगत,
            तौ जल सोखत भूम।
मछरन की भी नइँ मचत,
          घर-आँगन   में   धूम।।
************************
गड्ढा   खोदौ   सोकता,
          बाँदौ   छिदनन   दार।
पाइप सें फिर जोर दो,
           नरदा  की  जलधार।।
************************
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
[24/12, 5:11 PM] Brijbhushan Duby Baxswahs: दोहा 
विषय-
1-नरदा की विनती करी,
बखरी हारे जात।
कय बृज‌ महा  उबाउड़े ,
मानत नइया बात।
2-बखरी कितनउ कीमती,
अटा अटारी दार।
नरदा की नई निकासी,
बृजभूषण बेकार।
3-नरदा सामूं बना दव,
पानी की नईं ढार।
द्वारे पुखरा भरो रत,
मच्छर रुपत अपार।
4-गलन गलन नरदा बहत,
करतइ नहीं विचार।
किते धरी बृज स्वच्छता ,
मानत नइ सबयार।।
4-घर घर नरदा नहानी,
चलत रहत निस्तार,
बृजभूषण झंझट मिटी,
दिक्कत  नइ सबयार।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
[24/12, 5:26 PM] Bhagwan Singh Lodhi Anuragi Rajpura Damoh: बुन्देली अप्रतियोगी दोहे
विषय:-नरदा
नरदा घूरौ एक से, कभ‌उॅं थकें ना जौन।
कछु तौ डारत जाव तुम, सदा रहत हैं मौन।।

खोंरन में ‌नरदा बहत ,दयॅं मूॅंछन पै ताव।
"अनुरागी" सें कात कै, नरदा नहीं बहाव।।

नरदा पैहो हो परी,घर‌इ-घर‌इ में न्याव।
सबरौ घर न्यौतो मगर, कुत्ता लौ न‌ईं‌ आव।।

बड़भागी नरदा बनौ,गंगा ग‌ओ समाय।
सड़ो गलौ पानी सुनौ,गंगोदक कहलाय।।

नरदा कौ पानी अगर,बाहर बहत दिखाय।
ऊ घर के नकटा सब‌इ, जिन्हें शरम है आय।।

भगवान सिंह लोधी "अनुरागी" हटा दमोह सुधार उपरांत 🙏
[24/12, 5:30 PM] Sr Saral Sir: बुंदेली दोहा प्रतियोगिता
विषय- नरदा

नरदा कौ कीरा कभउँ,साजे में नइँ आय।
साजे में  ऊखौ  करै, बौ नरदइ खौ जाय ।।

घर- घर हैं  नरदा बनें, बह रय बदबू दार।
बनी  कहावत है सई, नरदा  नरक दुवार।।

घर के संगे  सब  जनै , नरदा  पैल बनात।
भलौ बुरव मलमूत सब,नरदा में बै जात।।

नरदा पै  हो होत रत, कइयक  दार लराइ।
बुचे बसा रय और खौ,कर नइँ रये सफाइ।।

जिनके घर नरदा बुचे, लगै न उनके चित्त।
*सरल* परोसी जानकै, रौयँ  दुखोंना  नित्त।।

   एस आर सरल
       टीकमगढ़
[24/12, 8:24 PM] Shobha Ram Dandi 2: अप्रतियोगी दोहा -२४/१२/०२२ 
 शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ(म प्र)बिषय,=नरदा/नाली ,    (बुंदेली  दोहा )
 १=नरदा में हो कड़त है ,बखरी कौ सब नीर ।
साजौ बुरओ जौन हो ,"दाँगी"फैंक अबीर  ।।

२=नरदा सैं पिड़ आव तौ,असली        करिया साँप ।
बचगय दद्दा ऊदिना , "दाँगी" चल गइ हाँप  ।।

३=बसकारौ बरसे बहुत ,नरदा फुल भर जात ।
पानू सैं बुथ जात है, "दाँगी" साँसउ  बात ।।

४=बखरी कौ पानू कड़ै ,नरदा हो बै जाय ।
"दाँगी"के निसतार कौ,गंदौ सबइ बहाय ।।

५=बखरी सैं नरदा कड़ौ ,नाली दोरैं  होय ।
"दाँगी"झगड़ा कायकौ ,समजौ जा सब कोय ।।

६=नरदा पैं हो लरत हैं ,"दाँगी" मूसर लोग  ।
लगी भँजाए नरदा सैं,"दाँगी" फैलौ रोग ।।
मौलिक रचना
शोभारामदाँगी, नदनवारा

पुस्तक समीक्षा- बुंदेलखंड की घुमक्कड़ी (लेखक-राजीव नामदेव "राना लिधौरी")

#पुस्तक_समीक्षा :-

पुस्तक का नाम- #बुंदेलखंड_की_घुमक्कड़ी (आलेख व यात्रा संस्मरण)*
लेखक का नाम- श्री #राजीव_नामदेव "#राना_लिधौरी"
प्रकाशक- सरस्वती साहित्य संस्थान, प्रयागराज
मूल्य- सजिल्द 300/ 
------------------------------------------
                #साहित्य_अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद, मध्यप्रदेश शासन द्वारा सन् 2021 का  #51000रुपए का * #श्री_छत्रसाल_स्मृति_पुरस्कार* से #पुरस्कृत, यह कृति/बुंदेली ग्रंथ (#यात्रा_संस्मरण), बुंदेली को भाषा के रूप में स्थापित कराने के लिए तथा बुंदेलखंड के उपेक्षित, दुर्गम, लुप्तप्राय पर्यटक स्थलों को प्रकाश में लाने के लिए, श्री राजीव नामदेव द्वारा विरचित अद्वितीय हस्तक्षेप के रूप में प्रस्तुत है।
               बुंदेली को भाषा के रूप में स्थापित करने के लिए वर्षों से साहित्यकारों द्वारा विभिन्न कार्यशालाओं का आयोजन, बुंदेली आलेख लेखन, बुन्देली मे अनुवाद तथा बुंदेली शब्दों का संग्रह किया जा रहा हैं। इन्हीं क्रिया कलापों में श्री राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' की "बुंदेलखंड मे घुम्मकड़ी" पुस्तक के रूप में मील का पत्थर साबित होगी।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी लेखक श्री राजीव नामदेव अनेक विधाओं में पुस्तकों की रचना कर तीन राज्यपालों सहित कई सम्मान प्राप्त कर चुके हैं।
           पुस्तक का मुख्य पृष्ठ बुंदेली तालाब, मंदिर, महल, किलों के चित्रों से सुसज्जित है। परिनिष्ठ बुंदेली में लिखे गए आलेख विशुद्ध ग्रामीण बुंदेली की अनुभूति देते हैं। यद्यपि लेखक स्वास्थ्य समस्याओं के चलते घुमक्कड़ का शौकीन होने के बावजूद भी लम्बी यात्रा करने में असमर्थ हैं, फिर भी उन्होंने बुंदेलखंड की कई जगहों की यात्रा कर इस पुस्तक को प्रकाशित कराने का चुनौतीपूर्ण कार्य किया है। जिसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। 
             पुस्तक में यात्राओं का वर्णन रोचक तरीके से किया गया है,  विभिन्न पर्यटक स्थलों की पृष्ठभूमि, वहां प्रचलित लोक कथाएं, उस स्मारक का इतिहास व पर्यटक स्थल क्यों देखें संबंधी जानकारी भी लेखक प्रस्तुत कर रहे हैं। 
           पृष्ठ 49 पर लेखक कुंडेश्वर धाम के विषय में लिखते हैं- "लोगों की आस्था का केंद्र बना भओ इ मंदिर के बारे में बुढ़े-बुर्जुगन से ऐसो सुनो जात है कै रोजउ संजा बेरा की आरती के टेम केउ अदृश्य शक्तियां और देवगण उपस्थित होके आरती करत हैं."
          पुस्तक के आलेख, यदाकदा बोलचाल में उपयोग किए जाने वाले बुंदेली शब्द (परिनिष्ठित बुंदेली) में होने के कारण एकाग्रता से पढ़े जाने चाहिए, यद्यपि बुंदेली में अल्पज्ञ पाठकगण भी सभी आलेखों का आनंद ले सकते है। कुछ बुंदेली शब्दों का सही अर्थ जानने के लिए बुंदेली शब्दकोश की मदद ली जा सकती है।
           पुस्तक में बुंदेलखंड के प्रमुख धार्मिक पर्यटक स्थल ओरछा, दतिया, रतनगढ़, अछरू माता, कुंडेश्वर, जटाशंकर, भीमकुंड आदि के बारे में जानकारी तो दी ही गई है. इसके अतिरिक्त बुंदेलखंड का अघोषित-वैष्णो देवी धाम हिंगलाज माता, विस्मृत-मोहनगढ़ किला, नदनवारा का सबसे बड़ा चंदेल कालीन तालाब, उपेक्षित-मोनासैया बिजावर के आदिम कालीन शैलचित्र, अनजान-वाकाटक और नाग राजाओं की नगरी शक्ति भैरव, लापता-पातालगंगा अनोखी हैरतअंगेज गुफा आदि के बारे में भी रचनात्मक और सारगर्भित आलेख दिए गए हैं जो रोचक व पठनीय तो है ही, मन मे दिदृक्षा भी जगाते है।
              कुल 112 पृष्ठों में बुंदेलखंड के 20 पर्यटक/ऐतिहासिक स्थलों के बारे में जानकारी दी गई है। जिनका पूर्ण आंनद पुस्तक को पढ़कर ही उठाया जा सकता हैं। कुछ ऐसे स्थान भी हैं जहां लेखक नहीं पहुंच पाए, पर उन्होंने अपने साथियों से भ्रमण जानकारी जुटाकर आलेखों का प्रतिपादन किया है. (पुस्तक में कई जगह अपना नाम पढ़कर सुखद अनुभूति हुई)
            प्रस्तुत ग्रंथ बुंदेली का प्रचार-प्रसार करने, उन्नयन करने के साथ-साथ बुंदेलखंड के विशिष्ट व लुप्तप्राय, अघोषित, उपेक्षित पर्यटक स्थलों की जानकारी देने में उपयोगी सिद्ध है। यह पुस्तक पठनीय होने के साथ-साथ संग्रहणीय भी है।
(सामान्य ज्ञान- वर्ष 2021, साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद का *श्री छत्रसाल स्मृति पुरस्कार* प्राप्त कृति- बुंदेलखंड की घुमक्कड़ी)
***
#लाइब्रेरी_लोकेशन- G1609
@mehra
#समीक्षक- #विजय_मेहरा*
#लाइब्रेरियन
#शासकीय_जिला_पुस्तकालय_टीकमगढ़ (मप्र)

बुधवार, 21 दिसंबर 2022

अनुश्रुति-5(बुंदेली त्रैमासिक ई-पत्रिका) अक्टूवर-दिसंबर-2022 संपादक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

             अनुश्रुति (बुंदेली त्रैमासिक ई-पत्रिका) 
              अंक-5(अक्टूवर-दिसंबर 2022)
         संपादक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'


जय बुंदेली जय बुन्देलखण्ड

अनुश्रुति (बुंदेली त्रैमासिक ई-पत्रिका) 
              अंक-5(अक्टूवर-दिसंबर 2022)
         संपादक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'