Rajeev Namdeo Rana lidhorI

शनिवार, 10 दिसंबर 2022

बैरा (बहरा) बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक संयोजक राजीव नामदेव 'राना लिधौरी, टीकमगढ़ (मप्र)'

91 बुंदेली दोहाप्रतियोगी -91दोहा विषय -बैरा🌹🌹
*संयोजक राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'*
*आयोजक- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़*
********************************
प्राप्त प्रविष्ठियां :-
*1*
नेता  बोट  बटोरबे, गरौ  फार  चिचयात।
जब गरीब चिचयात सो,बे बैरा बन जात।।
*****
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी बुड़ेरा
*2*
बूढ़न की सेवा करौ,सबसै अरज हमाइ।
हस बै अस्सी साल के, बैरा बाप मताइ।।
***
         एस आर सरल,टीकमगढ़
*3*
खैंचत   लाओ  द्रौपदी,  दुस्सासन  सैतान।
अँदरे    गूँगे    राज   में,  बैरा  भए  सुजान।।
***
~विद्या चौहान, फरीदाबाद
*4*
पल्लौं बैरा सैं परौ ,अपनी हाँकैं बात ।
तनक काउ कि सुनैं नही, बातन नई अघात ।।
***
शोभारामदाँगी, नदनवारा
*5*

बैरा भी सुन लेत है, मन से मन की बात।
जैसे ईसुर है सुनत, भोर, सांझ औ रात ।।
***
सरस कुमार,दोह खरगापुर
*6*
दिना-सनीचर ।बुन्देली दोहा।प्रतियोगिता-९१
दयैं दौंदरा फिर रऔ, जौ बैरा चउॅं ओर।
नैक न सुनतइ काउ की, कुतिया रऔ खचोर ।।
***
-रामसेवक "हरिकिंकर"ललितपुर
*7*
काम   इसारे  में  करै ,  बैरा  समझै   बात ।
सुनबैरा सुन बात खौं,अनसुनती कर जात।।
***
आशाराम वर्मा  "नादान " पृथ्वीपुर
 *8*
बैरा  की  सत  भाँवरी, जब  उमंग  में आय।
अपनें मन की बात खों,आँखन सें समझाय।।
***
अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
*9*

जीवन में पाने कछू, तौ‌ बैरा बन जाव।
मीरा ध्रुव प्रह्लाद सी,नीचट लगन लगाव।।
***
भगवान सिंह लोधी "अनुरागी" हटा दमोह
*10*
मूसर मौरे भाग में,बदो सखी जौ डूँढ़।
बैरौ पा पछता रयी,खा रव मोरौ मूँढ़।
***
*प्रदीप खरे, मंजुल, टीकमगढ़
*11*
नेता सब बैरा भये, बैरी भइ सरकार।
मैंगाई पे मच रओ, घर-घर हाहाकार।।
***
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.
*12*

जन राहत की रासि सब, नेता जी भर खायँ।
बैरा बौरा गाँव के,कौरा डार रमायँ।।
***
डां देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा
-13*
बैरा  सें  बैरा  मिलो,  दूरइ  सें  मुसकात। 
राम-कथा सुनबै चलो, सुख सें दिन कट जात ।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
*14*
बेरा सगरो जग बनो,बड़वै अत्याचार।
बोलो मों खोलो तनक,तवइ होय परिहार।।
***
आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
*15*
करै अनसुनी जान कैं, नेंचे  अँखियाँ  डार।
दफ्तर  को  बाबू  करै, बैरा  सो  ब्योहार।।
***
        अमर सिंह राय, नौगांव
*16*
बैरा बैठो लेंगरें , फिर भी है चिललात।
नईं सुनत है काउ की , अपनी अपनी कात।।
***
वीरेंद्र चंसौरिया, टीकमगढ़
*17*
गूँगन के दरबार में,बैरा हूँका देत।      
रखबैया है आँदरो,ढोर उजारें खेत।।
    ***    
*संजय श्रीवास्तव* मवई ,(दिल्ली)
*18*
जितै धिगानौं हौ मचौ  , हौवें  बत बड़़याव |
बैरा बनकै  तब उतै  , तनक  चिमाने  राव ||
***
-सुभाष सिंघई, जतारा

*19*
बहुतक बैरा हम सुने ,देखें सुने अनेक।
 गौरा पति सम जगत में, बैरा मिलो न एक ।
***
डॉक्टर आर बी पटेल "अनजान" छतरपुर
*****
*बुंदेली दोहा बिषय- बैरा*

*1*
#राना बैरा हम तकैं ,  मुसकी   पूरी   देत |
धीमीं  कैतइ  बात खौं  , पूरी बें गुन  लेत ||

*2*
#राना बैरा   जानकैं ,  करैं  जौर   से  बात |
मुड़ी हिला कै  बें  गुने , हौठन से  मुसकात ||

*3*
#राना बैरा जानकै , राज न  दइयौ  खोल |
अपनै हौठन खौ पढ़ै , और  करै   बें तोल  ||

*4*
गूंगा - बैरा  दौउ‌   हौ , तब   ईसुर  दै  ज्ञान |
नजर परखवों जानतइ , #राना कैसी तान ||

*5*
#राना ई   संसार   में ,   सब   बैरा   बन   जात |
जितै  बुलउवाँ  दै  धरम  , तनक लिगाँ ना आत ||
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
*यह निम्न तीन दोहे 👇 , सिर्फ हास्य मनोरंजनार्थ है  🙏*
*6*
बौरू से   बैरा  कहै , करैं  कजन  हम  प्यार |
#राना   बौरू  ल्याइ है   ,तब उरदन की दार ||

( कजन खौ उरदन समझा गया है ) 🥰🙏

*7*
बौरू   से  बैरा  कहै  , मौखौ   तौसे  काम |
#राना    बौरू दे   गई , उयै  चूसवै  आम ||

( काम खौ आम समझा गया है )🥰🙏
*8*
कछू  सुनत ये कछु गुनत  ,  #राना हँसतइ  रात |
बौरा  कत  क्या बात   है  ,  बौरू    परसै   भात ||

(बात  को  भात समझा गया है ) 🥰🙏
****10-12-2022
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com

बैरालौ बैरू गई, 
हंसकै बोली बैन;
कछु की कछु सुन बौ हंसो,
रिसा गई  बा ऐन।
        (बिन प्रतियोगी दोहा)
-गुण सागर सत्यार्थी कुण्डेश्वर

[10/12, 11:42 AM] Ram Sevak Pathak Hari Kinker Lalitpur: दिन-शनिवार। बुन्देली दोहा प्रतियोगिता- ९१
बैरा तौ हो जात कइ,सुन डीजे कौ शोर।
बजवाउत तौ हमइं हैं, देबैं कीखौं खोर।।१।।
हल्ला हो भौतइ जितै , बैठौ उतै न भूल।
बैरे झट हो जात हैं, शोर बनत हैं सूल।।२।।
जो बैरे हैं जनम में, बेई गूॅंगे होत।
पर बे भूखन नइं मरत, जो धीरज नइं खोत।।३।।
बैरे गूॅंगे ऑंधरे,कैउ होत विद्वान।
रामभद्राचार्य कौ,कित्तौ है सम्मान।।४।।
कइ बैरे पढ़ लिख बनत, अफसर औ आचार्य।
दिव्यांग हम कत तिनै, करत खास बे कार्य।।५।।
कछु सुन बैरा होत हैं, सुनन न चाउत बात।
पनी पनी से बकत हैं, सुन मन में मुस्कात।।६।।
सुन बैरा लेतइ मजा, होत भौत चालाक।
सुन कें बेई बाद में,गजब उड़ात मजाक।।७।।
उमर ढले पै कैउ जन,बैरा भी हो जात।
चिल्लाउत हम जोर सें,तबइ बात सुन पात।।८।।
अब तौ बैरा सुनत हैं, कानन लगा मसीन।
बलिहारी जा बकत की,लिखत नइं गमगीन।।९।।
बैरै गूॅंगे कर रये, अब तौ कैउ कमाल।
सासन सें पेंसन मिलत, अब नइयाॅं बेहाल।।१०।
स्वरचित/मौलिक
"हरिकिंकर"भारतश्री, छंदाचार्य
[10/12, 1:45 PM] Pradeep Khare Patrkar Tikamgarh: बैरौ पबरत ससुर कौ,
सुनत न कौनउ बात।
कैबैं जय गोपाल की,
कय भोपालै जात।।
2-
बतियानें है जोर सैं,
बढ़े अजब हैं ढंग।
बैरै सैं तो जिन करौ,
भैया कबहूँ संग।
3-
साँसी कत तोसैं सखी,
का का तुमें सुनायैं।
बैरौ घर सैं मिल गयौ,
सला करइ न पायैं।
4-
कंडा माँगे तै सुनौ,
 डंडा वौ लै आव।
बैरौ बरतइ का कबैं,
कानौ मैं चिचयाँव।।
5-
बैरे बन गय आज के,
सबरे लंबरदार।
काम सटैं जै भूल जैं,
बढ़े बनैं हुशयार।।

*प्रदीप खरे, मंजुल*
[10/12, 2:04 PM] Brijbhushan Duby Baxswahs: अप्रतियोगी दोहे
1-चिचया चिचया हार गय,
सुनत नहीं सबयार।
गुरगुरात अब सबई घर,
बोलत बृज ललकार।
2-बृज बुराई बड़बाइ अब,
लग रइ एक समान।
कानन नहीं सुनात  जब,
बैरा लव अनुमान।
3सुनत गुनत नैया कभउ,
झनक परत नइ कान।
बृजकिशोर किलकिल बड़ी,
मची रहत घमशान।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
[10/12, 2:23 PM] Subhash Singhai Jatara: अप्रतियोगी दोहे 

बैरा भी बन जाव जू , जितै गलत हौ  दाव  |
लबरा दौदा हौं जुरै , करै  कपट  बतकाव  ||

बैरा बनकै   ना  सुनौ , जितै  धरम  पै चोट |
सामूँ छाती दो अड़ा , जितै दिखत हौ खोट ||

जान   बूझ बैरा  बनौ , ऊखौं   का समझाँय |
ऐं-ऐं   हैं -हैं   वौ करैं , हम  चिल्ला मर जाँय ||

सूदै बैरा भी तकै , रखत काम से काम |
दंद फंद में ना परै , मन में भजतइ राम ||

बैरा कछु    टैड़े  मिलै , करैं  उबाड़ै  काम |
जौन काम खौ रौकतइ , बौइ लैत वें थाम ||

सुभाष सिंघई
[10/12, 2:41 PM] Rameshver Prasad Gupta Jhanshi: अप्रतियोगी दोहे.

बैरे गूंगे आंदरे,फिर सें हो गय यार/
नेता जिनकी बन गई, मौका पा सरकार//

बैरा बन कें कुछ रहत, सुनकें सबकी बात/
सार -सार कों गै रओ, अच्छौ - अच्छौ खात//

बैरा बन कें बे रये, करत रये सब काज/
कुर्सी से चिपके रये, करो न कौनउ काज//

बैरा सकल समाज है, सबकों खुद पे नाज/
उल्लू सीदो कर रये, उनें न आवै लाज//

मूक तीव्र स्वर गात है, बैरा थामें साज/
अंधा लाठी ले करे, जा कलजुग में राज//

रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.
बडागांव झांसी उप्र.
[10/12, 2:43 PM] Promod Mishra Just Baldevgarh: शनिवार बुन्देली दोहा दिवस
                विषय ,, बैरा,,
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सुन बैरा भओ मंत्री , सुन बौरू सरकार 
अब प्रमोद भटकत फिरो ,इनके भड़क किवार
*******************************
नगर निगम भोपाल में ,बैरा गढ़ कहलात 
जितै वैर वैरन लगत , पइसा खूब सुहात
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बैरा बौरू सौ कहें , मोय बतादे गैल
बोल कछू पनवेश्वरी , तोय दिखानो बैल
*****************************
चिमा जात टेरत रहो , सुन बैरा कहलात
थूतर सें ऊतर नहीं , गुन प्रमोद रय बात
*****************************
बैरा सें बैरा लरें ,गारी बकै बिलात
पुरा भरो भारी हंसे, गय प्रमोद शरमात
******************************
तनक इशारो दै करो ,बैरा समझत ऐंन
यह प्रमोद भाषा सरल , हाव भाव भर नैन
******************************
       ,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
       ,, स्वरचित मौलिक,,
[10/12, 2:56 PM] Bhagwan Singh Lodhi Anuragi Rajpura Damoh: बुंदेली दोहे
विषय:-बैरा
गूॅंगा बैरा हो गये, भीष्म करन अरु दोन।
नगन द्रौपदी खों करत,धरम राज हैं मोन।।

आज काल सरकार में,गूॅंगा बैरा ऐंन।
वोटे लैकें हैंरखत ,दो बन्नी कौ पेंन।।

ईसुर की संतान सब, बैरा लगड़ा सूर।
भेद भाव मत कीजिए,इक दिन मिलना धूर।।

बैरा ओंठ चलाय सें,समझ लेत सब बात।
टूट परत ऐंगर गसें, अब कव कैंसी कात।।

ध्वनि प्रदूषण सें सुनो,क‌इ बैरा हो‌ जात।
शोर गोल में आज कल,बात समझ न‌इॅं पात।।

भगवान सिंह लोधी "अनुरागी" हटा दमोह
[10/12, 3:34 PM] Asha Richhariya Niwari: 🌹
बैरा कौ जीवन कठिन,बात नहीं कह पाय।
हे विधना ऐसो समय,काहू खों न दिखाय।।
🌹
बैरा पन दिव्यांगता,नहि कोनउ अपराध।
उनखों ईसुर देत है,समझ विशेष एकाध।।
,,🌹
सैनन से बातें करें,नैनन सें हमझाय।
हाव भाव प्रगटित करें,बैरा बात बताय।।
आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 🙏🏻
[10/12, 4:29 PM] Shobha Ram Dandi 2: अप्रतियोगी दोहा 
शोभारामदाँगी  नंदनवारा जिला टीकमगढ (म प्र)१०/१२/०२२ 
बिषय--बैरा (बहरा) बुंदेली दोहा 
१=सुनवै ऊचौं कानसैं ,चित्त न बैरा देत ।
जब तक निंगा परै नही,ध्यान कछू नइ लेत ।।
२=जो को बैरा होत सो,निंगा पसारैं तेज ।
हाव भाव सैं लेत हैं ,झटपट डारें सेज ।।
३=बीन बजालो भैंस नौं,कछू सुनत नइ बोल ।
सुना न परवै कानसैं, "दाँगी"कावै खोल ।।
मौलिक रचना
शोभारामदाँगी
[10/12, 4:47 PM] Gokul Prasad Yadav Budera: मंच को सादर नमन 🙏🙏
🌹अप्रतियोगी दोहे, विषय-बैरा🌹
***************************
जनम-जात  बैरा  मनुस, 
                  गूँगौ  भी  रत  यार।
कहन लगे दिव्याँग अब,
                मदद करत सरकार।।
***************************
बैरा  पै  करिऔ  दया,
              बिधि कौ मान बिधान।
सुनबैरा  जो  भी  बनें,  
                ऊके   खेंचौ   कान।।
***************************
बैरा  सीकत  देख  कें,
                सबइ  काम  व्योहार।
जो ना सीकै देख सुन,
                 ऊखों  है  धिक्कार।।
***************************
नेता-नेता  खेंच  रय,
                 इक  दूजे  की  टाँग।
बैरे  कानन  पै  परत,
                जनता की सब मांँग।।
***************************
सबकी सुनबै ध्यान सें,
                मन कौ भोज खबात।
अटपट दुनिया ओइ खाँ,
                बैरा--बैरा       कात।।
***************************
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
[10/12, 7:55 PM] Sr Saral Sir: बुन्देली    दोहा 
     विषय    बैरा
******************************
बैरा सुनें न काउ की,बात सुनें चकवात।
सुन बैरा सबकी सुनें, बनों सुट्ट  सौ रात।।

बैरा डंडे खौ समझ ,अपनें कान  चढ़ाय।
पनी समझ बैठार कै,मन ही मन गुस्साय।।

बन गव बैरा बाप कौ, लरका  थानेदार।
शान बढ़ाई गाँव की,तरगव सब परिवार।।

बैरा  लरका  हुन्नरी, खूब कमा रव नाम।
मात पिता बब्बा बऊ,मानत चारइ धाम।।

बैरा  सूदों  जान  कै, घरवारी  चिल्लाय।
किस्मत में बैरा बदौ,सबरों काम नशाय।।
********************************
    एस आर सरल
       टीकमगढ़

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