[19/12, 8:27 AM] Jai Hind Singh Palera: #गजरा पर दोहे#
#१#
गो गो गजरा गांसती,गुल गुलाब गुन गाय।
मोद मनाबै मालिनी,मधुर मधुर मुस्काय।।
#२#
गजरा गूंथ गुलाब गल ,गजब गुलाबी गाल।
नथनी नाचै नाक नौ,नैना निरख निहाल।।
#३#
बर गजरा लंय हात में,लगी राम सें डोर।
मन मुस्कानी जानकी,खुश भय अवध किशोर।।
#४#
सुध बुध भूले जान की,देख जानकी रूप।
गजरा पैरा पाव ना,दुखी भये बे भूप।।
#५#
कजरा नैनन में दिपै,गजरा केशन गांस।
सबइ मनचले लेत हैं,देख देख हरसांस।।
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#पलेरा जिला टीकमगढ़#
#मो०-६२६०८८६५९६#
[19/12, 10:15 AM] Subhash Singhai Jatara: विषय - गजरा
गजरा बारन में बदौ , कजरा आँखन डार |
निग रइ गोरी मैड़ पै , हरिआ रयी पुकार ||
हरि+आ सुन कै आ गयै , हरि भी अब ऊ ठौर |
गजरा खिलकै गिर गऔ , हरि चरनन की ओर ||
बारन में गजरा जरा , हिलगौ सौ बस रात |
निगबै में गजरा+ज-सी, अपनी चाल दिखात ||
गजरा भी गजरा+ज नैं , प्रभु खौ दियौ पिनाँय|
मगरा कै मौं से जितै , आकैं प्रान बचाँय ||
सुभाष सिंघई
[19/12, 10:19 AM] Rajeev Namdeo Rana lidhor: *बुंदेली दोहा- गजरा*
*1*
राना गजरा पैर कै , नेता खुश हौ जात |
दौर- दौर कै जात है, मिलतइ जितै बिलात ||
*2*
फूला ही गजरा बनै , गुथवैं एकइ डोर |
जैसे #राना सब इतै , मिलजुर करतइ भोर ||
*3*
#राना गजरा एक है , जिंदा खौ पैनात |
मुरदा पै जब डारतइ , ऊखौं कहत चढ़ात ||
*4*
#राना गजरा प्रभु गरैं , मुस्की दै खिल जात |
भाग बड़ौ बौ मानतइ ,डरौ -डरौ इठलात ||
*5*
जब-जब गजरा टौर कै , दै शहीद खौं फूल |
#राना मानै भाग वह , पाकैं सैनिक धूल ||
*6
चटक मटक गोरी निगी , गजरा कजरा डार |
देखत रै गय गाँव के , अपनी निगा पसार ||
****
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
[19/12, 10:20 AM] Pradeep Khare Patrkar Tikamgarh: बिषय.. गजरा
दोहा..19.12.22
*प्रदीप खरे, मंजुल*
%%%%%%%%%%%%
1-
गजरा नीकौ पैर कैं,
धारैं सिर पै ताज।
लै कृपाण निज हाथ में,
आये आज जुबराज।।
2-
कजरा, गजरा बिन नहीं,
पूरौ नारि सिंगार।
धारैं जो गोरी चलै,
देखैं बारम्बार।।
3-
बालन में नहिं बाँधियौ,
गजरा गोरी मोर।
जो निकसे थम जात है,
आकैं अपने दोर।
4-
जब शहीद हो जात है,
कौनउँ अपनौं वीर।
गजरा ऊपर डार बैं,
आँखन भरकें नीर।
5-
कभउँ कितउँ ऊपर चढ़ै,
कभउँ कितउँ गल हार।
गजरा बिन होबै नहीं,
डोली कौनउँ पार।।
*प्रदीप खरे, मंजुल*
टीकमगढ़
[19/12, 10:30 AM] Bhagwan Singh Lodhi Anuragi Rajpura Damoh: बुन्देली दोहा
विषय:-गजरा
फूलन के गजरा बना, ठाड़ीं लैकें दोर।
भोर भई जग जाव अब,राधे नंद किशोर।।
शेरावाली माइ खों, गजरा दोई जोर।
भोले बाबा भुन्सरां,खड़े मलनियां दोर।।
दारू पीकें फटफटू, बेजइॅं जौन भगाय।
फोटू पै जल्दी सुनो,गजरा चढ़ो दिखाय।।
मिरगा सी अखियांन में,दैकें काजर कोर।
बालन गजरा गो चली,लगै सुहानी खोर।।
अर्जुन गजरा गो दये,बिन सूजी बिन डोर।
चोथी बेरे नै उड़े, अनुरागी कउॅं मोर।।
भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा दमोह
[19/12, 10:56 AM] Aasharam Nadan Prathvipur: बुंदेली दोहा --विषय --गजरा (माला)
(१)
गजरा लयॅं मालिन खड़ी, जगदंबा के द्वार ।
कैसे अब सेवा करों , लागे बजर किबार ।।
(२)
पट महरानी खोल दो , मैया मोइ अबार ।
गजरा फूलन सैं करों , मैं तुमरौ सिंगार ।।
(३)
चुन-चुन कलियां बाग सैं , गजरा लए बनाय ।
पैराबै चितचोर खों , मन में रइ हरसाय ।।
(४)
बालन में गजरा न हो, अखियन कजरा धार ।
इन बिन पूरे होत नइॅं , हैं सोलह श्रंगार ।।
(५)
लयॅं गजरा ठाॅंड़ी रई , भई भोर सैं शाम ।
बाट तकत नैंना थके , आए नइॅं घनश्याम ।।
आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुर
( स्वरचित ) 19/12/2022
[19/12, 11:09 AM] Dr. Devdatt Diwedi Bramlehara: 🥀 बुंदेली दोहा 🥀
।।विषय गजरा।।
मैहर बारी माइ के,
चरनन सीस नबावँ।
गजरा भक्ती भाव के,
प्रेम सैत पैरावँ।।
मानुस तन अनमोल है,
मिलै न बारम्बार।
सत्त धरम के गूँथियौ,
गजरा खूब बिचार।।
सालन भोगी ताड़ना,
जब आजादी ल्याय।
सत्ता के गजरा सरस,
बेइ पैर नें पाय।।
राजनीत के गाँव में,
मिल बैठे सब घाग।
लबरा गजरा पैरकें,
बाँदें फिर रय पाग।।
डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस
बड़ामलहरा छतरपुर
[19/12, 12:22 PM] Ram Sevak Pathak Hari Kinker Lalitpur: दिन-सोमवार।बुन्देली- दोहा।
ऐरावत पै चढ़ चलौ, इन्द्र मस्त इकवार।
दुरवासहिं लख फेर मौन, कियौ न सक्र जुहार।।१।।
मुनि जबई गजरा दयौ,वह भू पै दउ डार।
साप दऔ मुनि नें तबइ,सय तू दुक्ख हजार।।२।।
गजरा मुनि लै हात में, दो इन्द्र कौन जाय।
धरती पै जब बौ गिरौ,गए पाॅंवन कुचलाय।।३।।
साप मुनी ऊखौ दऔ,लक्ष्मी लय न पास।
गिरौ इन्द्र चरनन तबइ,मन में भऔ उदास।।४।।
क्षिमा करौ मुनि राज मो,मैं नइं पाऔ चीन।
देख रऔ तौ कितउॅं मैं,मो मन भौत मलीन।।५।।
गऔ सक्र कौ राज तब,भरें देव कमजोर।
भऔ असुरन कौ राज तब,मचौ जगत में शोर।।६।।
भऔ समुद्र मंथन तबइ, बासुकि भयौ सहाय।
कइ ब्रह्मा ने सुरन सें, मथौ समुद्रहिं जाय।।७।।
"हरिकिंकर"
[19/12, 12:42 PM] Promod Mishra Just Baldevgarh: सोमवार बुंदेली दोहा दिवस
विषय ,,गजरा,,
******************************
गिरजा गजरा डारवै,बढ़ी सिया की ओर
माल छूट पिरमोद गइ, देखें अवध किशोर
******************************
गजरा गो कें राम ने ,सीता खों पहराय
कउआ लैगव लौंचिया, आँख प्रमोद फुराय
*******************************
बालन में गजरा बंधे , आँखन कजरा कोर
लाली ओंठ प्रमोद भर ,जात कुआ की ओर
*******************************
गजरा गुंज हमेल सें ,गोरी गरों सजाय
मेला चली प्रमोद सँग , मौ भर पान चबाय
********************************
गजरा गुररें गरें में ,बाबा नंग धड़ंग
मूंढें गोकेँ पैर तइ,भोला खाकेँ भंग
*********************************
फूलन को गजरा गुबों, ऊमें घूसो बम्म
नेता भारत को मरो,काम प्रमोद अछम्म
********************************
,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
,, स्वरचित मौलिक,,
[19/12, 1:49 PM] Ram Sevak Pathak Hari Kinker Lalitpur: दिन-सोमवार।बुन्देली- दोहा।
ऐरावत पै चढ़ चलौ, इन्द्र मस्त इकवार।
गजरा दुरवासा लखौ , कियौ न सक्र जुहार।।१।।
मुनि जबई गजरा दयौ,वह भू पै दउ डार।
साप दऔ मुनि नें तबइ,सय तू दुक्ख हजार।।२।।
गजरा मुनि लै हात में, दव इन्द्र कौं जाय।
धरती पै जब बौ गिरौ,वह पाॅंवन कुचलाय।।३।।
साप मुनी ऊखौ दऔ,लक्ष्मी रय न पास।
गजरा कारन बन गऔ,मन भी भऔ उदास।।४।।
क्षिमा करौ मुनि राज मो,मैं नइं पाओ चीन।,
गजरा गिर गउ हात में,मो मन भौत मलीन।।५।।
गऔ सक्र कौ राज तब,भये देव कमजोर। असुरन कौ भउ राज तब,गजरा दै गउ शोर।।६।।
समुद्र मंथन भउ तबइ, गजरा भयौ सहाय।
कइ ब्रह्मा ने सुरन सें, मथौ समुद्रहिं जाय।।७।।
"हरिकिंकर"
[19/12, 2:27 PM] Amar Singh Rai Nowgang: बुन्देली दोहे, विषय - गजरा (संशोधित)
दिनाँक - 19/12/2022
फूल चमेली के चुनौ, गजरा लेव बनाय।
प्यारी नारी के सिरे, दिल से देव लगाय।।
चाहत को धागा रहै, प्रेम पिरोतइ फूल।
प्यार भरा गजरा बना, प्यारी करे कबूल।।
गजरा करवाचौथ पै, लगन लगो अब खूब।
सजी नार खों देख कैं, मोहे पति- महबूब।।
ज्यादातर गजरा लगै, दक्षिण भारत ओर।
यह सौभाग्य प्रतीक है, छाए प्यार अछोर।।
गजरा जूड़े में बँधत, शोभा देत बढ़ाय।
नयनन में कजरा लगत,चार चाँद लग जाय।।
बिना बाल गजरा नहीं, बिन गजरा श्रृंगार।
सुहागिनी ज्यों पति बिना,लगै अधूरी नार।।
विधवा परित्यक्ता नहीं, गजरा केश लगाय।
रंगहीन जीवन दुखी, फीको सो कड़ जाय।।
मौलिक/
अमर सिंह राय
नौगांव, मध्यप्रदेश
[19/12, 3:15 PM] Gokul Prasad Yadav Budera: 🌹बुन्देली दोहे विषय-गजरा🌹
**************************
हो गजरा में संगठित,
अपने क्रम अनुकूल।
कीरत पाबें सौ गुनी,
तन छिदवा कें फूल।।
**************************
चुटिया में गजरा गुबो,
कजरारे दुइ नैन।
तउ पै कजरा आँज कें,
हरै जिया कौ चैन।।
**************************
गौर गात गज गामिनी,
तन पै पीत दुकूल।
गमलन-गमलन टोरबै,
गजरा गोबे फूल।।
**************************
खिलो कमल के फूल सौ,
बाँकौ वदन अनूप।
गजरा बिक रय सैकरन,
लख मालिनियाँ रूप।।
**************************
पियतम परदेशै बसे,
दांँदर दयें मनोज।
बिरहन पिय सत्कार खाँ,
गजरा गो रइ रोज।।
**************************
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
[19/12, 3:32 PM] Dr. Renu Shrivastava Bhopal: दोहे विषय गजरा
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
1 सीता मज्जा जात हैं,
गोरा जू के दोर।
गजरा गिर मूरत हसी,
विनती है कर जोर।।
2 गजरा नेता पैर कें,
काम करैं ना काज।
अपनो हिल्लो साध के,
बन बैठत गज राज।।
3 गजरा नोने पैर लो,
जनक नारि समझात।
सीता जू हल्की अबे,
काय न मुड़ी झुकात।।
4 कजरा आंँखन में लगो
गजरा गूँथे बार।
गौरी निकरी गाँव में,
शाल दुशाला डार।।
5 कोरोना के काल में,
जो बाहर कड़ जात।
प्रान बचै कैसउ नहीं,
गजरा तो डर जात।।
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल
सादर समीक्षार्थ 🙏
स्वरचित मौलिक 👆
[19/12, 5:11 PM] Shobha Ram Dandi 2: शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ (म प्र)19/12/022
बिषय-गजरा/माला बुंदेली दोहा
(144)मो०=7610264326
1=जनक राज नैं ठान ली ,जो ये धनुष उठाय ।
गजरा "दाँगी"डार दैं,सिया बिआ ले जाय ।।
2=जब गजरा पैना दऔ,शिव जू भये प्रसन्न । हर्षित भई पारवती,"दाँगी"भय सानंद ।।
3=भरी सभा में जानकी ,पैनावैं जय माल ।
"दाँगी" गजरा देखकैं ,बजा रहे ते ताल ।।
4=कजरारी अखिया लगैं,"दाँगी" गजरा डार ।
सभा बीच में बैठकैं ,सबखौं रहे निहार ।।
5=बन्न-बन्न फूला लिये, डोरा में पो देत ।
बनगव गजरा नारदै ,"दाँगी" भये सचेत ।।
6=फूल चमेली के लिये, सुंदर बनगव हार ।
लये चम्पा कचनार भी,गजरा "दाँगी" डार ।।
मौलिक रचना
शोभारामदाँगी
[19/12, 5:32 PM] Prabhudayal Shrivastava, Tikamgarh: बुंदेली दोहे विषय गजरा
गजरा गो रइँ गोपियां, लै गुलाब के फूल।
गरें डार गोपाल के, सब सुध बुध रइँ भूल।।
गोरी गजरा गो रईं, मन मन में मुसकायँ।
परदेसी पिय पैरबे, खुसी खुसी आ जायँ।।
गजरा गिरिजा के गरें, सिया लगीं पैरान।
मैया के मुख पै खिली, मधुर मंद मुस्कान।।
गोरी गुइँयां गांव कीं ,गजब गुलाबी गात।
गजरा गोयँ गुलाब के, गुजिया सी गुरयात।।
ग
बारन में गजरा गुबो , अखियन अंजन आंज।
लली लाड़ली कां चलीं, घिरन लगी है सांज।।
प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
[19/12, 5:44 PM] Sr Saral Sir: बुन्देली दोहा विषय -गजरा
*******************************
मालन फूला देख कै ,फूली नईं समाय।
फूल गूँथ कै सूत में, गजरा रईं बनाय।।
माली खुश है देखकें,फूलन की फुलवार।
फूले -फूले छाँट कै, गजरा रय सिंगार।।
आइ दुलइया मंच पै, दूला नजर गढ़ाँय।
दुल्लो गजरा डारवै ,ताली *सरल* बजाँय।।
नेतन खौ गजरा चढ़ें , माली तोड़ें फूल।
चमचा सेवा में लगे, जनता खा रइ धूल।।
डारै गजरा घूम रय , बड्डे संत महंत।
मौका पै चौका जड़ें, करें टोटका तंत।।
*******************************
एस आर सरल
टीकमगढ़
[19/12, 5:59 PM] Brijbhushan Duby Baxswahs: बुंदेली दोहा विषय गजरा
1-नारद पर गए मोह में,
मन भारी उकताय।
विश्व मोहिनी अब हमें,
गजरा कब पहनाय।
2-गिरिजा पूजत जानकी ,
गजरा रहे पहनाए।
मनचाहा वर मांग रही,
मन ही मन मुस्काए।
3-सज धज बन गई सुंदरी ,
गरे में गजरा डार।
सूर्पनखा यह जानती,
बने राम भरतार ।
4-लरत- लरत सुग्रीम जब,
बालि से गव हार ।
गजरा पहना रामजी,
भेजो दूजी बार।
5-लड़त लड़ाई जलंधर,
डरत नहीं सबयार।
बिंदा नारी पतिव्रता ,
गजरा दव तो डार।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
[19/12, 6:02 PM] Kalyan Das Sahu Prithvipur: ताजे पत्ता फूल के , गजरा गुवे सुहाँय ।
कागज पन्नी के बने,कउँ-कउँ सोइ दिखाँय ।।
मंदिर में जब जाइओ , रखिओ मन में याद ।
फूलन के गजरा लिओ , संगै भोग-प्रसाद ।।
शौंक - फौंक सें आत हैं , चड़ते नातेदार ।
गजरा फूल मिठाइ सें , करौ खूब सत्कार ।।
रौनक गजरा सें बढै , चेंरा पै मुस्कान ।
वरना!रूखौ-सौ लगत,आवभगत सम्मान ।।
कछू जनें होतइ चतुर , अपनों काम बनाँय ।
नोटन के गजरा बना , नेतन खों पैराँय ।।
---- कल्याण दास साहू "पोषक"
पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र)
( मौलिक एवं स्वरचित )
[19/12, 6:13 PM] Brijbhushan Duby Baxswahs: बुंदेली दोहा विषय गजरा
1-नारद पर गए मोह में,
मन भारी उकताय।
विश्व मोहिनी अब हमें,
गजरा कब पहनाय।
2-गिरिजा पूजत जानकी ,
गजरा रही पहनाए।
मनचाहा वर मांग रही,
मन ही मन मुस्काए।
3-सज धज बन गई सुंदरी ,
गरे में गजरा डार।
सूर्पनखा यह जानती,
बने राम भरतार ।
4-लरत- लरत सुग्रीम जब,
बालि से गव हार ।
गजरा पहना रामजी,
भेजो दूजी बार।
5-लरत लराई जलंधर,
डरत नहीं सबयार।
बिंदा नारी पतिव्रता ,
गजरा दव तो डार।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
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