Rajeev Namdeo Rana lidhorI

शनिवार, 3 दिसंबर 2022

बजरी (दोहा संकलन ई-बुक) संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

बजरी (दोहा संकलन ई-बुक) संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
बजरी (दोहा संकलन ई-बुक) संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

90-बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -९०
प्रदत्त शब्द -बजरी (रेत)
संयोजक राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़ 
आयोजक- जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़
प्राप्त प्रविष्ठियां :-
*1*
भवन गगनचुम्बी बने, नदियाॅं बनगइं खाइ।
बजरी खुदरइ रात में, बढ़गइ पुलिस कमाइ।।
***
"राम सेवक "हरिकिंकर " ललितपुर
*2*
बजरी-सी  है  जिंदगी, मुट्ठी  में  नइँ  आय।
रोके सें रुकबे नहीं, खिसक हराँ से जाय।।
****
                         अमर सिंह राय, नौगांव
*3*
सब कुतका पै बे धरें,सरकारी कानून।
सबरी बजरी बेंच कें,नेता पी गय खून।।
***
#जयहिन्द सिंह  जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़# 
*4*
छान छान बजरी भरी, खूब करौ श्रमदान ।
राम लला कौ बन गऔ, मंदिर आलीशान।।
***
     एस आर सरल,टीकमगढ़
*5*
पंच तत्व की ईंट में, गारा भजन लगाय।
बजरी पै बाखर बना,बिधि नै द‌ई गहाय।।
***
भगवान सिंह लोधी "अनुरागी" हटा दमोह
*6*
बजरी, पथरा बैंचकें,डाँग करी वीरान।     
देख लालची आदमी,  कुदरत भी हैरान।।
  ***     
-संजय श्रीवास्तव, मवई (दिल्ली)
*7*
 ढोवे तसला  माइ जब, बनें इमारत तुंग।
बजरी पै खेलै लला,घरघूलन के संग।।
***
-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
*8*

बजरी  गंगा घाट की , मलमल  आंग  लगांय।
दाद खाज छाजन मिटै ,कोटि पाप कट जांय ।।
***
आशाराम वर्मा  "नादान" पृथ्वीपुर
*9*
बजरी भौतउ कीमती,सबके बनैं मकान ।
देखत में साजे लगैं ,नइ नइ बनैं डिजान  ।।
***
-शोभारामदाँगी नदनवारा
*10*
बजरी  ईंटा  जोर  कैं,  बन  रव  नओ  मकान।
नईं   ठिकानों  आज   को, जोरत  हैं  सामान।।
***
~विद्या चौहान, फरीदाबाद
*11*
नाम लिखौ ना रेत पै,हाथ कछू ना आय ।
आएगी जब इक लहर, नाम सकल मिट जाय।।
***
डा, एम, एस, श्रीवास्तव, पृथ्वीपुर
*12*
 ढूँडें  बजरी  ना मिलै, भई चील कौ मूत।
महँगाई यैसी बड़ी, सबखों पर गव कूत।।
***
अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
*13*
 कला लखी खजराव की, है बैकुंठ समान।
बिन बजरी गारे बिना, पुतरिन पारे प्रान।।
****
डॉ. देवदत्त द्विवेदी ,बडा मलेहरा
*14*
करत दलाली ठग रहे,बजरी बैंचें ठोक।
कोऊ रोकत है नहीं,भलै लगी है रोक।।
***
प्रदीप खरे मंजुल टीकमगढ़
*15*
बजरी कैसो टेम जो,थुबतइ नइ दिखाय। 
उम्रर हमाई देख लो, सबरी सरकत जाय ।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
*16*                 
 हीरा सी बजरी सुनो, नेता रहे चुराए ।
 रात दिन धंधो करें ,कोठी रहे बनाए 
                 ***
डा आर बी पटेल "अनजान', छतरपुर
*17*
आँग  भिड़ाकर गिलहरी , रइ बजरी   है डार |
कर रय  जित है नील नल , राम  सेतु  तैयार  ||
***
-सुभाष सिंघई, जतारा

[03/12, 8:14 AM] Ram Sevak Pathak Hari Kinker Lalitpur: प्रतियोगिता -९०
प्रदत्त शब्द -बजरी
भवन गगनचुम्बी बने, नदियाॅं बनगइं खाइ।
बजरी खुदरइ रात में, बढ़गइ पुलिस कमाइ।।१
दिन में बजरी नइं दिखत, लगत रात में ढेर।
रातइ रातै ढोऊत हैं, हो नइं पाय सबेर।।२
बजरी कौ ठेका मिलत,जो हो पउआदार।
पुलिस पकरतइ बस उनैं, जो हैं लट्ठ गवांर।।३
जो नइं बजरी लेत हैं,कैसें घर बन जात।
जा गलती सरकार की, पतौ न काय लगात।।४
अब क्रैसर की आरई, बजरी सबरी आज।
दोरें डरी दिखाउत बस, की बेरां इजात।।५
मौलिक/स्वरचित
"हरिकिंकर " भारतश्री, छंदाचार्य
[03/12, 12:56 PM] Amar Singh Rai Nowgang: अप्रतियोगी बुंदेली दोहे - बजरी
      दिनांक 03/12/2022

बजरी  से  बन  गय  कई, कर ई  को ब्यापार।
कटत खूब उनकी मजा, है जिनकी सरकार।।

कीमत  जांगा  की  रहे, वरना  रय  बे-मोल।
बजरी नदिया में डरी, मिलत शहर में तोल।।

बजरी में  घर नै बनै, कितनउँ  करौ  प्रयास।
मेनत मिट्टी में मिलत, मुफत मिलै अकरास।।

तस्कर  बजरी  ढो  रहे, दिन भर  सारी रात।
थाने  पैलउँ  से  बँधे, नेतन  हिस्सा  जात।।

मौलिक 
                            अमर सिंह राय 
                                 नौगांव
[03/12, 1:01 PM] Bhagwan Singh Lodhi Anuragi Rajpura Damoh: बुंदेली प्रतियोगी दोहा
विषय:- बजरी
सब नेतन नै कर ल‌ओ, बजरी पै अधिकार।
"अनुरागी" झूॅंकत फिरत,सब‌इ जबर के यार।।

नदियां कर रय खोखलीं,बजरी हींचत रात।
नेता माला माल भय, करें न सूदें बात।।

भब्य भवन पुल बांध अरु, गैल सड़क वा घाट।
बिन बजरी के न‌इॅं बनत,होदी पुंगा पाट।।

नाम चलत गुलगंज कौ, बजरी ग‌ई बिलाय।
महानदी‌ की रेत में,बजरा रहें मिलाय।।



भगवान सिंह लोधी "अनुरागी" हटा दमोह
[03/12, 1:11 PM] Rajeev Namdeo Rana lidhor: *बुंदेली दोहा:- बजरी (रेत)*

जितै  मिलत सीमेंट कौ , #राना  थौरौ   प्यार  |
बजरी गुम्मा  एक  हौं   , चुनत   रात   दीवार ||

बजरी कत #राना सुनो  , रूखड़  है  तकदीर |
सबने   कै  दइ तू   लगै   ,चूना के   सँग  हीर ||

बजरी हौ  नदिया   तरै , डली   रयै   बेकार |
#राना  ऊकौ  मौल उत, भवन  जितै  तैयार ||

नदिया में ना मोल है , ढड़तक  -लुड़कत जात |
निकरत  है  जब बायरै , #राना  कीमत   पात ||

#राना  बजरी  ना बने  , ना  नदिया  में  राँय | 
राम   नाम  सीमेंट   से , मिलबैं  बाहर  आँय ||
                  ***
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
[03/12, 2:14 PM] Anjani Kumar Chaturvedi Niwari: अप्रतियोगी दोहे
*************
03 12 22
 विषय बजरी
*************

बजरी ईंट सिमिंट सें, घर मकान बन जात।
बनवै मानव देह जब,पंच तत्व मिल जात।।

ढूढें  बजरी  ना मिलै, भई चील कौ मूत।
महँगाई यैसी बड़ी, सबखों पर गव कूत।।

मूँगफली  बजरी  भुंजै, बडै  स्वाद  भरपूर।
 गुरु के संगै खाव तुम,खुश हो जैव हजूर।।

चोरी  सें  बजरी  बिकै,  लगवें दूनें दाम।
माँगौ सब सामान भव,परै राम सें काम।।

बालू  बजरी  रेवता,  सबइ  रेत के नाव।
अपनी अपनी हुनर सें, दोहा खूब बनाव।।

अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
[03/12, 2:33 PM] Subhash Singhai Jatara: भइया  बजरी को  महल , ई जीवन खौं  जान  |
आतइ  आँदी  मोत की , गिरतइ  धूर‌   समान ||

बजरी जैसै पल यहाँ , देखौ   खिसकत जात |
परो  चिमानो  आदमी ,  देखत  है    ऊँगयात ||

सुभाष सिंघई
[03/12, 2:48 PM] Promod Mishra Just Baldevgarh: शनिवार बुंदेली दोहा दिवस
            विषय ,,बजरी,,
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बजरी बिकी बजार में ,मिल गय पिया सुमन्ट
पानी पीकें भींट में ,चिपके कौशल जन्ट
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सेतबंध पुल बांधवै,बंदरा लगे तमाम
बजरी गिल्लू डारवै , कत प्रमोद हे राम
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नदिया सें बजरी कड़ी ,माटी सें भइ ईंट
मिलगय सबइ सुमन्ट सें , कौशल बनगइ भींट
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माटी पथरा की सुनत , भइ बजरी सन्तान
लोहा मिलो सिमन्ट सँग ,बने प्रमोद मकान
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बजरी बजी बजार में , माँगी बिक रइ भौत
पक्के घर के भय चला , कच्चन की भइ मौत
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बजरी बज गइ जगत में ,जम गइ जमकें धाक
बजरी के बिन घरन की ,इज्जत होरइ खाक
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              ,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
              ,, स्वरचित मौलिक,,
[03/12, 3:58 PM] Vidhaya Chohan Faridabad: बुंदेली दोहे
विषय- बजरी (रेत)

१)
कित्तो   नौनों  बचपनों, बजरी  महल  बनाय।
लहर बिगारत खेल कौ, बालक तउँ मुस्काय।।

२)
बजरी  बैठ  किनार  पै, देखत  जमना  धार।
कब  आ  हैं  घनश्याम जू, कब हूँ  है  उद्धार।।

३)
केवट  जू   की  नाव  में, सीता  राम  सवार।
बजरी  ने  भगवान  के, ले  लै  चरन  पखार।।

४)
जीना छत  दालान  घर, सब  चाहैं  आधार।
बिन बजरी कौनउ भवन, लेतइं नइं आकार।।

५)
मुठिया भर की जिंदगी, का ई की औक़ात।
सुखी  बजरी  हात से, तन तन छूटत जात।।

~विद्या चौहान
[03/12, 5:55 PM] Shobha Ram Dandi 2: अप्रतियोगी दोहा दि०-०३/१२/०२२ 
शोभारामदाँगी नंदनवारा 
बिषय--"बजरी"(रेत ) 
१=बजरी सिमंट से बना, महल अटारी  मोइ ।
गुम्मा जमा जमाय कैं, दस खंडा है  सोइ  ।।

२="दाँगी"बजरी काँ गई ,नरवा नाले साफ  ।
नदियन तकलौ  ना बची, नेता करैं न  माफ ।।
३-मन्दिरआलीशान है ,अवधनगर में  आज ।
बजरी पथरा की कला,  लख  "दाँगी" मुहताज  ।। 

४=दस दस खंडा के अटा, बजरी सैं बन जात  ।
कारीगर कि कला सभी,"दाँगी" लख भै खात  ।।

५=ढूँड़ै रेत मिलै नही ,कर वै चोरी भौत  ।
 "दाँगी" पकरे जाय तौ,समजो हो गइ मौंत  ।।
मौलिक रचना 
शोभारामदाँगी
[03/12, 6:22 PM] Brijbhushan Duby Baxswahs: बुंदेली दोहे
विषय -बजरी
1-बजरी की अटका परी,
मगा मगा   गय हार।
सस्ती मांगी मिलत रय,
चिंता नई सबयार।
2-बजरी भारी कीमती ,
लगा रव बृज संसार।
अगर समय पर नइ मिलत,
काम सबई बेकार।
3-नदियन सें बजरी मिलत,
बजरी धरी अपार।
बृजभूषण भारी बिकत,
भरो धरौ भण्डार।
बन गई अब रोजगार।
4-घर मकान जब जब बनत,
बजरी लेव मगवाय।
बृजभूषण बजरी बिना,
सबरी काम नशाय।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
[03/12, 6:34 PM] Prabhudayal Shrivastava, Tikamgarh: बजरी  अप्रतियोगी दोहे

बांदें   हैं  कसकें  मुठी  , बजरी  रिरक न जाय।
जीवन रिरकत जात है, कोऊ पकर न पाय।।

नफा और नुकसान सें, हतो न कोंन‌उँ  काम।
बेर  बेर  लिख देत  ते,  बजरी   पै  बौ नाम।।

बजरी  की भरमार ती,  भरे  नदी  के घाट।
ढूंढ़  ढूंढ़  छिपनी  धरी , करे  कैउ  गर्राट।।

बजरी की बखरी बनी,  भौत‌इ  आलीसान।
तनक‌इ सौ धक्का लगो,मिटगव  नाम  निसान।।

जोर जोर बजरी धरी  ,उर  सिमंट  मँगवाव।
कारीगर की  का  कबें ,  कै कें  फिर न‌इँ आव।।

             प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़

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