Rajeev Namdeo Rana lidhorI

शनिवार, 17 दिसंबर 2022

मरगटा (बुंदेली दोहा संकलन) ई-बुक राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़

*-बुन्देली दोहा प्रतियोगिता-९२*
शनिवार#दिनांक १७.१२.२०२२#
#बिषय-- *मरगटा(मुक्ति धाम)*

*प्राप्त प्रविष्ठियां :-*

1*
जम दोरे में जम गये,रये गटन में झूल। 
कूका दै रव मरगटा,नटागटा गय भूल।।
***
-जयहिन्द सिंह 'जयहिन्द',पलेरा जिला टीकमगढ़

*2*

तन पै ना इतराव जू, तन माटी कौ ढेर।
सब खाँ घर से मरगटा, जानें देर सबेर।।
***
-विद्या चौहान, फरीदाबाद
*3*
कूका दै रय मरगटा, राम सुमिर नहि पाय,।
माया जोड़ी जतन सें, बैठे रहत रखाय।।
***
आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 
*4*

तन मन धन और बुद्धि कौ,नाहक करत गुमान।
जानै‌ पर है मरगटा, बिधि कौ सतत विधान।।
***
भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"
*5*
ठठरी   से कत   मरगटा ,  जीखौं  ल्याईं  लाद |
ऊकी  बस  औकात   है , डबला  भर की खाद ||
***
सुभाष सिंघई, जतारा
*6*

आदी अनादि काल सैं,जन्म मरण चलौ आव ।
राजा या चय  रंक  हो , सबइ मरगटा  जाव  ।।
***
शोभाराम दाँगी नदनवारा
*7*

कूका दै रव मरगटा, तौउ गम्म ना खाय।
गर्रा रव वौ साँड़  सौ, ठाँडौ  सरगै जाय।।
***
अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
*8*

पीकैं  दै  रय  दोंदरा , मानत  नइॅंयाॅं  बात ।
कूका दै र व मरगटा ,अबइॅं गंम्म ना खात।।
***
आशाराम वर्मा  "नादान " पृथ्वीपुर
 *9*

कित्ते नौंनै मरगटा,इत उत सबइ दिखात।
फुरसत में कइ उतइ जा, मुरदन सें बतयात।।
***
"राम सेवक 'हरिकिंकर", ललितपुर
*10*
अंत समय कौ होत है,साचौं जाकें भान।
तीरथ नौनौ मरगटा, जितै मिलत है ग्यान।।
***
-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
*11*
जिदना पोंचत मरगटा,संजा सबइ सिरात।
सूरत-सीरत-सान सब,आगी में जर जात।।
***
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी बुड़ेरा
*12*
मर कै मैं मरगट ग‌औ, देखत जलत शरीर
राख भ‌औ सब ले गये, डारन गंगा तीर 
***
सरस कुमार,दोह खरगापुर
*13*
रसरी सारी जर गई,मन में रई उमेंठ।
कूका दे रव मरगटा, फिर भी राखें ऐंठ।।
***
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु,बडागांव झांसी उप्र.
*14*
पानी जैसौ बुलबुला,देव कोउ ना अत्त।
उतै मरगटा  पै कनै , राम नाम है सत्त।।
***
        एस आर सरल,टीकमगढ़
*15*
मौत कहे करता खुदइँ, दोस लगाबै मोय।
पोंचा देंहें मरगटा,तोरे दुरगुन तोय।।
***
-डां देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा

###############
*बुंदेली दोहा बिषय - मरगटा*
*1*
जानै सबखौं  मरगटा , #राना   कातइ   बात |
घर दौरो   सब  छूटनैं  , सूदी   सच्ची    कात  ||
*2*
हौ  गरीब चायै   इतै  ,   या    कोई    शिरमौर |
जानै   सबखौं   मरगटा , #राना  कर लो गौर  ||
*3*
सबखौ  चलनै   मरगटा , छूट न #राना एक |
जौलौ तन में जी घुसौ ,  काम   पसारौ  नेक || 
*4*
#राना सबसे  कात है , तन माटी कौ यार |
बनौ  मरगटा   घाट  है , बनबै   माटी गार  ||
*5*
राम नाम   ही  सत्य है , भजन  मरगटा   गात |
आग नकइया में लगा , #राना सब भग आत ||
~~~~~~~
*6*  एक हास्य दोहा 
कूका  दै रब  मरगटा , #राना  गम्म न  खाँय |
शौंक- फौंक डुकरा करै  ,डुकरौ खौं डुरयाँय ||😂🙏
~~~~~~~
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
[17/12, 9:42 AM] Jai Hind Singh Palera: #अप्रतियोगी दोहे#

          #बिषय--मरगटा(मुक्ति धाम)#

        : : :::     #1#
गटा लगे ते मरगटा,कुमला गये गदूल।
टटा खुलो सो कड़ गयो,हंसा लैकें चूल।।

                    #२#
डटो र‌ओ जौ लौ टटा,कट ना पाई कील।
गटा लगाये मरगटा,हंस छोड द‌इ झील।।

                    #३#
गटगटात में लै गये,प्रान आन जमराज।
मुरदा पोंचो मरगटा,खुलो टटा जब आज।।

                    #४#
धन्न धन्न रे मरगटा,सबकी हेरत बाट।
तोरे बिन ना हो सकै,ई जीवन कौ काट।।

                    #५#
गटा निहारें मरगटा,रै गव कितने दूर।
परम हंस सें जा मिलो, हंसा उड़कें दूर।।

#जयहिन्द सिंह  जयहिन्द #
#पलेरा जिला टीकमगढ़# 
#मो०--६२६०८८६५९६#
[17/12, 11:44 AM] Ram Sevak Pathak Hari Kinker Lalitpur: दिन- शनिवार।बुन्देली दोहा अप्रतियोगिता 
कित्ते नौंने मरगटा,इत उत सबइ दिखात।
फुरसत में कछु उतइ जा, मुरदन सें  बतियात।।१।।
लख कें नौंने मरगटा,लगत उतइ सो जाय।
घर सें उम्दा  लगत बौ, अच्छौ सबइ दिखाय।।२।।
मरगटा में इक दिना,सबइ कोउ है जात।
रोउत जात परिजन सबइ, बौ मलकल इतरात।।३।।
जात मरगटा जो सबइ,कत जग सब बेकार।
घर आकें सब भूलतइ, फॅंस। तइ बइ संसार।।४।।
मोय गाॅंव कौ मरगटा, लगतइ अच्छौ भौत।
ऊखौं लख ऐसौ लगत, झट्टइ आबै मौत।।५।।
बन गय कैऊ मरगटा,फूल फूलरय खूब।
हरी भरी धरती लगत, मुलकन फैली दूब।।६।।
घर सें नौनों मरगटा, दिखतइ है हर ठौर।
मुरदा जलतइ तनक में, पकरत बिजली दौर।।७।।
मिलत मरगटा में उतइ, उपल लकइयाॅं आग।
उत मजूर रोबे मिलत,जौंनों लगतइ दाग।।८।।
फुटकर पइसा औ कफन, मरगट नौं मिलजात।
नईं बजार में ढूॅंढ़नै,मिनटन में आजात।।९।।
जो जातइ हैं दाग में, सपरत नइंयाॅं कोउ।
छींटा पानू बार कें,घर घुसतइ सब सोउ।।१०।।
मौलिक/स्वरचित
"हरिकिंकर"भारतश्री, छंदाचार्य
[17/12, 12:49 PM] Anjani Kumar Chaturvedi Niwari: अप्रतियोगी दोहे
 विषय- मरगटा
**************
 दिनांक- 17:12 2022 
 भाषा- बुंदेली

दद्दा जा रय मरगटै,बाइ गरौ रइँ फार।
बरिया की चूडैल बउ, कैसें परहै पार।।

कभउँ ना लौटौ आज तक,जो ठटरी पै आव।
लकड़ी कंडा जोर कें,  झट्ट  पट्ट सिलगाव।।

जो  भी पौंचौ  मरगटै, लौट घरै नइँ आत।
जिंदा भय तौ हार में,जियत जिंदगी रात।।

फिकें मखाने दोइ पै, जब विदाइ हो जात।
एक  जात  है  सासरें, एक  मरगटै  जात।।

नठया, ठटरी कौ बँदौ,कंडौरा कड जायँ।
कबै जात जौ  मरगटै,  गारीं  सबै सुनायँ।।

अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
[17/12, 1:29 PM] Bhagwan Singh Lodhi Anuragi Rajpura Damoh: बुन्देली दोहा

विषय:-मरगटा
जात मरगटा एक दिन, राजा रंक फकीर
भरन कौन की में तने,भजौ सिया रघुवीर।।

कभ‌उॅं न ऊजर होय जौ, जियै मरगटा कात।
डांड़ देत जिदना मरत, दिया नी धरबै जात।।

जौन मरगटा पौंच गय, कभ‌उॅं लौट नै आंय।
गुनियां उनकें नाम पै,बुकरा मुरगा  खांय।।

श्री माधव सरकार सें, हती करन की आश।
जहां मरगटा हो नहीं, उतै जलाना लाश।।

जोत लये सब मरगटा,क्यांउॅं नजर नै आंय।
चलत है बुल्लोजर उतै, सो भारी किकयांय।।


भगवान सिंह लोधी अनुरागी हटा दमोह
[17/12, 1:58 PM] Subhash Singhai Jatara: अप्रतियोगी दोहे , विषय मरगटा 

नईं   अकेलौ    मरगटा , और  नईं    सुनसान |
रात दिना ऊकी   चलै , चमकत रयै दुकान ||

सबकै घर खौ मरगटा , देखत  रत है  घूर |
चार दिना की जिंदगी , चार दिना  हौ दूर ||

बुझत चिता जब मरगटा , जलत दूसरी आन |
ठठरी पै लद   आत हैं , श्वेत   पिछौरा   तान ||

मेला तक लौ मरगटा , नईं   झमेला  राय‌  |
जलकै बननै राख है  , हवा चलै उड़ जाय ||

जुरै नकइयाँ जब चिता , धूँ धूँ कर जल जाय |
राख  बनातइ  मरगटा , डबला   एक  समाय ||

ठठरी   के   संगै   हते ,  मुलकन   थी तादाद |
हँसत मरगटा कै उठौ , खतम एक फिर म्याद ||

सुभाष सिंघई
[17/12, 1:59 PM] Amar Singh Rai Nowgang: अप्रतियोगी दोहे, विषय-मरगटा
     दिनांक 17/12/2022

कूका दे रव  मरगटा, फिरौ करम  नइँ  नेक।
करैं कुलच्छी काम कइ, इक से बढ़के एक।

जाने इक दिन मरगटा, मौत अटल है  सत्य।
चार दिना की जिन्दगी, करौ न कौनउँ अत्त।

बैठ  मरगटा में  सबइ, करैं  मुक्ति की बात।
करो धरो  सब रै डरो, धरी राय  जरजात।।

जाकें  देखो  मरगटा, उतइँ  अमीर  गरीब।
एक बराबर से जरे, दिखी  एक  तक़दीर।।

जनबा जाकें मरगटा, करत  टोटका  खूब।
मन को धन कर लेत हैं, पूर न हों  मंसूब।।

मौलिक/
                 अमर सिंह राय
               नौगांव मध्यप्रदेश
[17/12, 3:18 PM] Anjani Kumar Chaturvedi Niwari: अप्रतियोगी दोहे
 विषय- मरगटा
**************
 दिनांक- 17:12 2022 
 भाषा- बुंदेली

दद्दा जा रय मरगटै,बाइ गरौ रइँ फार।
बरिया की चूडैल बउ, कैसें परहै पार।।

कभउँ ना लौटौ आज तक,जो ठटरी पै आव।
लकड़ी कंडा जोर कें, मरघट में सिलगाव।।

जो  भी पौंचौ  मरगटै, लौट घरै नइँ आत।
जिंदा भय तौ हार में,जियत जिंदगी रात।।

फिकें मखाने दोइ पै, जब विदाइ हो जात।
एक  जात  है  सासरें, एक  मरगटै  जात।।

नठया, ठटरी कौ बँदौ,कंडौरा कड जायँ।
कबै जात जौ  मरगटै,  गारीं  सबै सुनायँ।।

अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
[17/12, 3:28 PM] Gokul Prasad Yadav Budera: नमन मंच🙏अप्रतियोगी दोहे 
🌹🌹विषय-मरगटा🌹🌹
*************************
माया-ममता-लालसा,
              आँख-कान-मौं-फौन।
जिदना जानें मरगटा, 
              सब  हो  जानें  मौन।।
*************************
जगह अनोखी मरगटा,
               जितै  सबइ  इन्सान।
लुअर लगा कें भी करत,
              ऊ जन कौ गुणगान।।
*************************
शिक्छा  देतइ  मरगटा,
               सोचत  है  हर  कोय।
एक दिना बरबे इतइ, 
                आनें   परहै   मोय।।
*************************
जलबें   दद्दा-बाइ  ताँ,
                पेड़े   कछू   लगात।
सो कउँ-कउँ के मरगटा, 
                बगिया से हरयात।।
*************************
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
[17/12, 3:38 PM] Rameshver Prasad Gupta Jhanshi: अप्रतियोगी दोहे.

नाते जर जोरू जमीं, आने नइयां काम/
जाने पर है मरगटा, भज लो सीताराम//

चमक दमक पे रय मरत, लयें फिरे अभिमान/
जब जब गय हम मरगटा, जागो सत को ग्यान//

ज्यों नर कों जीवन मिलो, तैसोई है अवसान/
मानस की अंतिम डगर, सोइ मरगटा जान//

मरै मरगटा में गये,जो जीवन को सार/
पावक से मुक्ति मिले, बहे गंग की धार//

आन बान औ दम्ब को, होत न कबहूँ विहान/
भुंसारो तो जन्म है, सांझ मरगटा जान//

आयु सकल समाज की,पल- पल बढती जाय/
मानस की अंतिम डगर,अंत मरगटा पाय//

रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.
बडागांव झांसी उप्र.
[17/12, 3:38 PM] Shobha Ram Dandi 2: अप्रतियोगी दोहा १७/१२/०२२ 
शोभारामदाँगी नंदनवारा 
बिषय-मरगटा /मुक्तिधाम 
१=जौ तन माटी खेल है,बना भदूना खेल  ।
ढका लगैं मिट जाँय जे,जात मरगटा रेल  ।।
२=पानु कैसौ बलूबुला ,जानैं कब मिट जाँय  ।
राजा रंक फकीर हो ,सबइ मरगटा पाँय ।।
मौलिक रचना 
शोभारामदाँगी
[17/12, 3:51 PM] Vidhaya Chohan Faridabad: बुंदेली दोहे
~~~~~~~
विषय- मरगटा
~~~~~~~~~

माया   कौ  संसार  जौ,  मेला   लगे  हजार।
असली  घर  तौ  मरगटा, ले जैं  लुगवा चार।।


जर जोरू की कौल नै, लय अपनन के प्रान।
मेला   पौंचो   मरगटा,  महल   परे   बीरान।।


चिंता  दुसमन  देह  की,  रइयो दूर  सुजान।
जल्दी  पोंचत  मरगटा, रक्खो  ईको  ध्यान।।


अत्याचारी  नीच  जन,  हते   गुमानी  जौन।
जा  कै   देखौ  मरगटा,  देह  परी   है  मौन।।


दोरे   पै  मेला   लगो,  बिदा  भई   है  गात।
छोड़ सबइ कछु मरगटा, जै हो ख़ाली हात।।


महल बिछौना लाख को, महल अटारी ठाठ।
मिल है सब खाँ मरगटा, एक बिस्तरा काठ।।


उजरी  काया  रूप  पै, कित्तउ  करो  गुरूर।
पोंचे  गो  जब  मरगटा, तन  बन  जैहै  धूर।।

~विद्या चौहान
फ़रीदाबाद, हरियाणा
[17/12, 5:25 PM] Prabhudayal Shrivastava, Tikamgarh: अप्रतियोगी दोहे   विषय   मरगटा

जाने परहै  मरगटा ,न‌इँयां   बौ  दिन  दूर।
कसर न रै जाबै कछू,  सुख  लै  लो भरपूर।।

उलटे  बाजे  बज रये , संगै   सजी   बरात।
फिकत मखाने  ऊपरै,  चले मरगटा  जात।।

जीवन भर तुम ने करे, जी भर  कें खरयाट।
जाती  बेरां  चेत लो ,  तकें  मरगटा  बाट।।

आंखें  पर ग‌इँ धूंधरीं ,  ढिलया गव  है  खोल।
जाबे  खों  बे  मरगटा,  करबें  टाल मटोल।।

जिन सें जौ जीवन मिलो,  उन सें करो न हेत।
बुला र‌औ  है मरगटा  ,  अब‌इ  जाव तुम चेत।।

                  प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
[17/12, 6:28 PM] Sr Saral Sir: बुंदेली दोहा प्रतियोगिता
विषय मरगटा.

जात कछू ना मरगटा,जोर जोर धर जात।
चार दिना की चाँदनी, फिर अँदयाई रात।।

कूका  दै रव  मरगटा, नजरें  रये लड़ाय।
इच्छा पूरी ना भई, जिया रऔ ललचाय।।

चढ़ी जुवानी अत्त दव, पेली  गुन्डइ  पैल।
आज मखानें फिक रये, धरै मरगटा गैल।।

जय बुंदेली कौ पटल,कवि परीकछा लेत।
बुंदेली  प्रतियोगिता, विषय  मरगटा  देत।।

कूका  दै रव  मरगटा, नदै  तोउ   उत्पात।
नय नुआय  नौनें  चलें, बूढ़े  हैं  कतरात।।

        एस आर सरल
           टीकमगढ़
[17/12, 7:37 PM] Brijbhushan Duby Baxswahs: मरागटा
1-कूका दै रय मरगटा,
तउ बगरारव शान।
बृजभूषण मानत नही,
विकट नष्ट इन्सान।
2-जनमत नर बृज मरत भी,
छोड़त नइ अभिमान।
जाने सब खों मगगटा,
इतनों नइया भान।
3-चौकीदार बन मरगटा,
करको टका मगाये।
हरिश्चंद्र राजा बिके,
होती कठिन बलाय।
4-शंकरजी की खासियत,
भूत प्रेम संग वास।
भोलेभाले सदाशिव,
नित मरगटा निवास।
5-पाँच तत्व मिल पीजरा,
बना देत करतार।
मन पंछी उड़ जात बृज,
देत मरगटा जार।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा

गय ते इक दिन मरगटा ,मुरदा के हम साथ।
मुरदा धन्नासेठ था , पर था खाली हाथ।।
**
वीरेंद्र चंसौरिया टीकमगढ़
***

प्रतियोगी दोहा, विषय - मरघटा 
      दिनांक 17/12/2022

बैठ रखाओ मरघटा, 'कर' रखवारी काम।
हरिश्चंद्र  ने लौ  बचा, सत्यवादिता  नाम।।

                    अमर सिंह राय
                          नौगांव
****
कूका दैरऔ  मरगटा,
माया ममता छोड;
भजलो अब तौ रामखो,
उनइसे नातौ जोड।
       (अप्रतियोगी दोहा)
गुणसागर सत्यार्थी, कुंडेश्वर

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