Rajeev Namdeo Rana lidhorI

गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

कोरोनावायरस खौफ

हंसगुल्ला कोरोनावायरस खौफ

बुंदेली लघुकथा- चैं-चै (राजीव नामदेव राना लिधौरी)

 
आंचलिक बुंदेली - " चै-चैं
           (लघुकथाकार- राजीव नामदेव"राना लिधौरी")

            मोहना उर रामसखी में कौनऊं बात पै छोर छुट्टी होवे की नौवत आन परी। बात जब इकलौते मोडा खौ पे एंगरें राखवे की आयी तो दोउ जने पने पने   राखवे के लाने लरन लगे चैं-चै करन लगे। दोई जनन खौ लरत भय जब बिलात झेर हो गयी तो वो मोडा कन लगौ कै तुम दोई जने तनक सौ घर नईं संभाल सकत तो मोय का समारो। मै न मताई के निंगा रै हौ न बाप कै। ईसैं नौनो तो कोनऊ अनाथ आश्रम में रै लैहो। 
            जा सुनतई दोऊ जनन शांत हो गये और उने पनी गलती समज में आ गयी। दोई जने गदबद देत मौडा से चिपट गये।
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  लघुकथाकार - राजीव नामदेव "राना लिधौरी"
संपादक आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
 टीकमगढ़ (मप्र)472001
 मोबाइल- 9893520965
Email- ranalidhori@gmail.com

          

मराठी लघुकथा "दूसरा विवाह" (राजीव नामदेव "राना लिधौरी")

                    मराठी- "दूसरा विवाह"
मूल लेखक- राजीव नामदेव "राना लिधौरी"
मराठी अनुवाद- उज्ज्वला केलकर

        दिल्लीमध्ये एका पंचावन्न वर्षाच्या पुरुषाने आपल्या पत्नीचा मृत्यू झाल्यानंतर तीन महिन्यातच दुसरे लग्न केले। आम्ही त्याला म्हणालो, अजून पत्नीला जाऊन तीन महिनेसुद्धा झाले नाहीत। आणि तू दुसरो विवाह केलासही।
          दुसरा म्हणाला, आपल्या मुलांचा तरी विचार करायचास नं! ती काय म्हणतील? म्हातान्याला तारुण्याची झिलई चढलीय।
            त्यांनी अगदी शांतपणे उत्तर दिलं, मी माइया दोन्ही मुलांना विचारुनच हा विवाह केला। माझी दोन्ही मुलं परदेशी राहतात। मी तिथ जाऊ शकत नाही आणि त्यांना भारतात यायचं नाही। आता एवढं मोठं घर, मला एकटयाला खायला उठतं। नोकरांच्या भरवशावर तरी किती राहणार? 
          आजकल नोकरांवर इतका विश्वास टाकता ये तो? म्हणून मग मी दुसन्या विवाहाचा निर्णय घेतला। ती घराची देखभाल नोकरांपेक्षा नक्कीच चांगली करेल। माझीही म्हातारपणी नीट कालजी घेईल। त्यामुले माझं एकटेपण तर दूर होईलच, पण आसपास, या गल्लीत, विभागात, समाजात माझा मान सन्मानही वाढेल, की मी एका विधवेला आधार दिला।
             मला त्यांचा निर्णय अगदी योग्य वाटला।
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          मूल कथाकार- राजीव नामदेव "राना लिधौरी"
                        संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
                    अध्यक्ष- म.प्र लेखक संघ टीकमगढ़
           नई चर्च के पीछे शिवनगर कालोनी,
            टीकमगढ़ (मप्र)पिन 472001 भारत
          मोबाइल -9893520965
        Email - ranalidhori@gmail.com
             *मराठी अनुवाद- उज्ज्वला केलकर

बुधवार, 22 अप्रैल 2020

विश्व पृथ्वी दिवस पर कविता

विश्व पृथ्वी दिवस पर कविता

मराठी लघुकथा

मराठी लघुकथा - "इंग्रजी पेपर आणि रद्दी"
मूल कथाकार- राजीव नामदेव "राना लिधौरी"
मराठी अनुवाद- उज्ज्वला केलकर

              एके दिवशी मी वर्तमानपत्र विकणानतन्या विक्रेत्याच्या स्टालपाशी उभा राहून, मला हवी असलेली वर्तमानपत्र निवडत होतो।
             इतक्यात एक दहा वर्षाचा, फाटक्या अंगाचा, मलके कपड़े घातलेला मुलगा इंग्रजी वर्तमानपत्र मागू लागला। स्वाभाविकच माझं लक्ष त्याच्याकडे गेलं। मी त्याला विचारलं, तुला इंग्रजी वाचता येतं?
            तो म्हणाला, 'काय साहेब, सकाली सकाली आमची चेष्टा करताय? आम्ही तर गरीब अशिक्षित आहोत'।
              मग हा इंग्रजी पेपर कशासाठी हवाय तुला?
            तो म्हणाला,दोन रुपयात यातून खूप काही कागद येतात। बाजारात रद्दी खरेदी करायला गेलं, तर ती दहा रुपये किलोने मिलते।
             आम्ही सामोसे बनवतो आणि यात ठेवून विकतो। एकढया पेपमध्ये आमचं दि्सभराचं काम आरामात हैत।
      मी ऐकून हैराण झालो।
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  मूल हिन्दी लघुकथाकार -राजीव नामदेव "राना लिधौरी"
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
अध्यक्ष- मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी, टीकमगढ़ (मप्र.)
मोबाइल -9893520965
Email- ranalidhori@gmail.com
*मराठी अनुवाद- उज्ज्वला केलकर
          

बुधवार, 1 अप्रैल 2020