आंचलिक बुंदेली - " चै-चैं
(लघुकथाकार- राजीव नामदेव"राना लिधौरी")
मोहना उर रामसखी में कौनऊं बात पै छोर छुट्टी होवे की नौवत आन परी। बात जब इकलौते मोडा खौ पे एंगरें राखवे की आयी तो दोउ जने पने पने राखवे के लाने लरन लगे चैं-चै करन लगे। दोई जनन खौ लरत भय जब बिलात झेर हो गयी तो वो मोडा कन लगौ कै तुम दोई जने तनक सौ घर नईं संभाल सकत तो मोय का समारो। मै न मताई के निंगा रै हौ न बाप कै। ईसैं नौनो तो कोनऊ अनाथ आश्रम में रै लैहो।
जा सुनतई दोऊ जनन शांत हो गये और उने पनी गलती समज में आ गयी। दोई जने गदबद देत मौडा से चिपट गये।
######@
लघुकथाकार - राजीव नामदेव "राना लिधौरी"
संपादक आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)472001
मोबाइल- 9893520965
Email- ranalidhori@gmail.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें