Rajeev Namdeo Rana lidhorI

गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

बुंदेली लघुकथा- चैं-चै (राजीव नामदेव राना लिधौरी)

 
आंचलिक बुंदेली - " चै-चैं
           (लघुकथाकार- राजीव नामदेव"राना लिधौरी")

            मोहना उर रामसखी में कौनऊं बात पै छोर छुट्टी होवे की नौवत आन परी। बात जब इकलौते मोडा खौ पे एंगरें राखवे की आयी तो दोउ जने पने पने   राखवे के लाने लरन लगे चैं-चै करन लगे। दोई जनन खौ लरत भय जब बिलात झेर हो गयी तो वो मोडा कन लगौ कै तुम दोई जने तनक सौ घर नईं संभाल सकत तो मोय का समारो। मै न मताई के निंगा रै हौ न बाप कै। ईसैं नौनो तो कोनऊ अनाथ आश्रम में रै लैहो। 
            जा सुनतई दोऊ जनन शांत हो गये और उने पनी गलती समज में आ गयी। दोई जने गदबद देत मौडा से चिपट गये।
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  लघुकथाकार - राजीव नामदेव "राना लिधौरी"
संपादक आकांक्षा पत्रिका
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