Rajeev Namdeo Rana lidhorI

गुरुवार, 27 अक्तूबर 2022

साहित्य अकादमी कि श्री छत्रसाल पुरस्कार राना लिधौरी को

मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी भोपाल का प्रतिष्ठित श्री छत्रसाल पुरस्कार सन्-2021का राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' को
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*‘राना लिधौरी’ को साहित्य अकादमी का इक्यावन हजार का पुरष्कार मिलेगा:-*

*‘बुंदेली’ में ‘इक्यावन हजार का श्री छत्रसाल स्मृति पुरस्कार राना लिधौरी को-*

टीकमगढ़//साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद्,मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग,भोपाल द्वारा कैलेण्डर वर्ष 2021 के मध्यप्रदेश की ‘बुंदेली’ बोली में ‘श्री छत्रसाल स्मृति पुरस्कार के लिए टीकमगढ़ जिले की साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ के जिलाध्यक्ष एवं ‘आकांक्षा’ पत्रिका के संपादक ख्यातिप्राप्त साहित्यकार राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’’ की कृति ‘बंुदेलखण्ड की घुमक्कड़ी’ (यात्रा संस्मरण) को चुना गया है। श्री राना लिधौरी को 51000रूपए नगद, शाल श्रीफल, एवं ताम्रपत्र आदि भैट कर भोपाल में पुरष्कृत किया जायेगा।
  गौरतलब हो कि राना लिधौरी की अब तक 4 बुन्देली एवं 4 हिन्दी में पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है एवं 11 पुस्तकों का संपादन करते हुए 129 ‘ई बुकों’ का संपादन एवं प्रकाशन कर चुके हैं। टीकमगढ़ जिले से प्रकाशित होने वाली एकमात्र साहित्यक पत्रिका ‘‘आकांक्षा’’ का प्रकाशन विगत 17 सालों से नियमित करते आ रहे है। पिछले साल से ‘अनुश्रुति’ नाम से एक बुन्देली की त्रैमासिक ई पत्रिका का भी नियमित प्रकाशन कर रहे है। हाल की में ‘राना लिधौरी द्वारा ‘बुन्देलखण्ड के आधुनिक कवि गं्रथ का प्रकाशन किया गया है, जो कि बहुत चर्चा में है। राना लिधौरी के हिन्दी एव बुन्देली ब्लाग को अब तक 82 देशों के  87000 पाठक पढ़ चुके है। इसके पूर्व राना लिधारी को उनकी कृति ‘लुक-लुक की बीमारी’ बुंदेली (़गद्य व्यंग्य संग्रह) तत्कालीन राज्यपाल मध्यप्रदेश मान.आनंदी बेन पटेल द्वारा सन् 2018 में भोपाल में 5000रूपए शांति देवी पुरस्कार से सम्मानित किया था।तीन राज्यपाल सहित देशभर से लगभग 170. सम्मान प्राप्त ‘राना लिधौरी’ हिन्दी एवं बुन्देली में साहित्य के लिए समर्पित राना लिधौरी आजकल खूब सुर्खियों में है उनकी उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें यह महत्वपूर्ण कार्य सौंपा गया है।
राना लिधौरी ने चुने जाने पर साहित्य अकादमी के निदेशक ने डॉ. विकास दुवे जी,श्री राकेश सिंह एवं चयन समिति का अभार प्रकट किया है। इस उपलब्धि पर राना लिधौरी को जिले में साहित्यकारों ने बधाइयाँ एवं शुभकामनाएँ दी है जिसमें प्रमुख रूप से पं. हरिविष्णु अवस्थी, श्री रामगोपाल रैकवार, एन.डी.सोनी विजय मेहरा,मुन्ना मिश्रा,उमाश्ंाकर मिश्रा, शील चन्द्र जैन, चाँद मोहम्मद,सुभाष सिंघई, सियाराम अहिरवार,डॉ. प्रीति ंिसंह परमार,स्वामी पस्तोर,राम तिवारी,प्रदीप खरे, जगदीश गुप्त,कैलाश श्रीवास्तव आदमी, अनिल अयान,डॉ. राज गोस्वामी,डॉ. अनीता अभिताभ गोस्वामी,जाबिर गुल,अशोक पटसारिया,गणतंत्र ओजस्व,एस.आर.सरल,डॉ. आर.के.प्रजापति,  सुरमणिजी, वीरेन्द्र चंसौरिया सहित हजारों साहित्यकार है।साहित्य अकादमी के निदेशक ने डॉ. विकास दुवे जी  ने यह जानकारी प्रेस विज्ञप्ति में दी है।
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सोमवार, 24 अक्तूबर 2022

सुराती (सुरातिया़)- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

बुंदेलखंड में सुराती (सुरातिया़)- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

*बुंदेलखंड में सुराती/सुरातिया :-*

       *-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'*


            बुंदेलखंड क्षेत्र में सुराती कहीं कहीं पर सुरातिया भी कहा जाता है। सभी धर्मों में सुराती बनाये जाते है। ये सुराती जहां शुभ का संकेत देते है वहीं नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करके सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाते है मन को शांति प्रदान करते है,क्रोध और बुरे विचारों को नष्ट करते हैं तथा मंगल की कामना करते हैं।

वैष्णवों, तांत्रिकों, शैवों, जैनियों आदि की लक्ष्मी अलग-अलग हैं, पर लोकदेवी सुराती लोक की लक्ष्मी हैं और वे हर जाति, संप्रदाय में लिखी और पूजी जाती हैं। वस्तुतः सुराती बुंदेलखंड  की लोकदेवी लक्ष्मी है यह  अंचल शक्तिपूजक रहा है।

*बुंदेलखंड में शक्तिपूजा की तीन धाराएँ रही हैं-*

1. सबसे पुरानी मातृका-पूजन की, जो फरका या हाथ से बुने पट पर हल्दी या सिंदूर से लिखी सप्त मातृकाओं के रूप में आज भी द्रष्टव्य हैं।

2. भूदेवी या श्री देवी की परम्परा है, जो यहाँ भूइयाँ या भियाँ रानी की पूजा के रूप में लोकप्रचलित है और उसमें चकिया (प्रस्तर की गोल चकिया पर श्री या भूदेवी का उत्कीर्ण

होना अथवा श्री यन्त्र का अंकन) और चौंतरिया (मिट्टी का चतुर्भुज रूप) पूजी जाती है।

तथा 3. गौरा -पार्वती, दुर्गा, लक्ष्मी आदि देवियों के विग्रहों की परम्परा है।


             प्रामाणिक साक्ष्य और शोधों के आधार पर सिद्ध है कि लक्ष्मी जी की सर्वाधिक लोकप्रतिष्ठा दशवीं शती में थी और उन्हें देवी के रूप में पूजा जाता था। खजुराहो के लक्ष्मण मंदिर के उपासनागृह के द्वार में ऊपर सरदल पर ब्राहृा और शिव के बीच में लक्ष्मी की मूर्ति उत्कीर्ण है, जिससे स्पष्ट है कि त्रिदेव में विष्णु के स्थान पर लक्ष्मी को स्थान दिया गया है और लक्ष्मण मंदिर लक्ष्मी मंदिर रहा है। इससे इस अंचल में लक्ष्मी के विग्रह की मान्यता का पता तो चलता है, पर सुराती के लोकप्रचलन के प्रारंभ की खोज अभी अधूरी ही है बस विभिन्न अनुमान लगाये जा रहे है।

            यह तो तय है कि *श्रीसूक्त* में श्रीलक्ष्मी के लिए 'करीषिणी' का प्रयोग उसके लोकत्व का संकेत करता है। *'करीषिणी*' का आशय यह है कि लक्ष्मी गोबर या गायों में वास करती है। यह भी हो सकता है  कि प्राचीनकाल में गोबर गणेश की तरह गोबर लक्ष्मी को भी पूजा जाता रहा हो। शोधों से ज्ञात हुआ है कि सुराती का आलेखन लगभगदशवीं शताब्दी से बहुत पहले का है।


               रात के मांगलिक काल में चूने या खड़िया से पुती पूजाघर की दीवाल पर गेरू से सुराती लिखी जाती है। कहीं कहीं घरों में अंदर पूजा स्थल में महावर (माहुर)से भी बनाये जाते है।

 कुछ लोग सुराता भी लिखते हैं। सुरत्राता (सं. सुरत्रातृ) से सुराता और सुरा त्रात्री से सुराती हो जाना सहज है। इसलिए सुराता का अर्थ विष्णु और सुराती का लक्ष्मी स्पष्ट है। कहीं-कहीं सुरेता और सुरातू भी प्रचलित हैं, जिन्हें लक्ष्मी और विष्णु का अथवा विष्णु और लक्ष्मी का पर्याय समझा जाता है। नारियाँ उनके नामकरण का सही रूप नहीं बता पातीं। इस लोकचित्र में ज्यामितिक प्रतीकों द्वारा सार्थक और जीवंत रेखांकन मिलता है। ऊपर के दोनों सिरों में सूरज-चंदा प्रकाश और जीवन की शातता के, दोनों ओर के स्वस्तिक कल्याण के, बीच में सुराती -सुराता के चित्रों में मुख का चतुर्भुज  या वर्ग शुभ फलदायक देवमंडल का अथवा त्रिभुज शक्ति का तथा देहयष्टि के घरा या खाने समृद्धि के भंडा र के प्रतीक हैं। एक विद्वान् व्याख्याकार ने इन खानों को बंदीगृह माना है, जिसमें बलि द्वारा लक्ष्मी को बंदी बनाया गया था। यह मत सही नहीं है, क्योंकि बंदीगृह में बंद लक्ष्मी लोक द्वारा नहीं पूजी जाती। फिर, बंदीगृह में विष्णु (सुराता) का अंकन कती उचित नहीं है।


                 सुराती के इस चित्र में एक ओर डबुलियाँ और दूसरी ओर दिये अंकित होते हैं, जो धनधान्य और ज्ञान के प्रतीक हैं। नीचे पारम्परिक चौकों के साथ गोवद्र्धन (गोधन), चौपड़ (खेल), तुलसी (लक्ष्मी की अवतार) और कमल (लक्ष्मी का आसन) कई संदर्भों का संकेत करते हुए चित्र को पूर्णता प्रदान करते हैं। नाग -नागिन (मणिधारी) रत्नादि के, श्रवणकुमार सेवा के और सप्तकोण सप्तर्षि के प्रतीक कभी-कभी अंकित किये जाते हैं। कहीं-कहीं चित्र के चारों तरफ चौखटा खींच दिया जाता है, जिसके बीच-बीच में लहरिया (तरंगायित रेखाएँ) जीवन-प्रवाह को व्यंजित करती हैं तथा स्वस्तिक या गोला कल्याण और सृष्टि के बीज-ब्राहृ के प्रतीक हैं। 

***

*-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी*’

संपादक ‘आकांक्षा’ पत्रिका

संपादक- 'अनुश्रुति' बुंदेली त्रैमासिक

जिलाध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़

अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़

शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.)

पिनः472001 मोबाइल-9893520965

E-mail- ranalidhori@gmail.com 

Blog- rajeevranalidhori.blogspot.com

शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2022

विश्वरंग के अंतर्गत वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़ का कवि सम्मेलन -

#विश्वरंग के अंतर्गत वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़ का कवि सम्मेलन -*

*(वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़ द्वारा कवि सम्मेलन हुआ)*

टीकमगढ़// नगर की प्रसिद्ध साहित्यिक संस्था वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़ द्वारा विश्वरंग कार्यक्रम-2022 के अंतर्गत आन लाइन कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। अध्यक्षता वरिष्ठ कवि सुभाष सिंघई (जतारा) ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में विद्या चौहान (फरीदावाद) जी रहे व विषिष्ट अतिथि रंगकर्मी व कवि संजय श्रीवास्तव (दिल्ली़) रहे।
कवि गोष्ठी का शुभारंभ वीरेंद्र चंसौरिया ने सरस्वती वंदना कर रचना पढ़ी-
जय हो तुम्हारी जय हो तुम्हारी, संगीत विद्या ज्ञान की देवी।
स्वीकारिये बंदना ये हमारी।जय हो तुम्हारी जय हो तुम्हारी ।।

फरीदाबाद़ से विद्या चौहान ने ग़ज़ल सुनायी-
न ही आफताब न चाँद का ये जो नूर मुझमें है आपका।
जो झलकता आँख में प्यार बन, वो हुजूर मुझमें हैं आपका।।

सिवनी से कविता नेमा ने पढ़ा-
फूलों की खुश्बू है बढ़ाती हर पल तेरा निखार है।
बुधवारी के चौक में देखों सजा ये जथानी दरवार है।।

बड़ा मलेहरा के डॉ. देवदत्त द्विवेदी  ने ग़ज़ल
सुनायी- हम ग़मों की गोद में पलते रहे।
लोग फिर भी हमसे जलते रहे।।

टीकमगढ़ से म.प्र.लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने‘ श्री कृष्णा पर दोहे पढ़े-
कतकारी ढूँढे़ फिर कउँ न मिले भगावान,
कान्हा तो भीतर बसे, ज्यों मुरली में तान।।

जतारा से सुभाष सिंघई ने कुत्ते पर व्यंग्य पढ़ा-
दोनों में फर्क ही क्या है दोनों नेक है,
एक दिनभर चीखता है एक रात भर भौंकता है।

बल्देवगढ़ के प्रमोद मिश्रा ने सुनाया-
जनकपुरी की जुरी लगाई चलो अवधपुर जाँवने,
जू घर बनवा रय पाँवने।।

एस. आर सरल ने पढ़ा-
मैं नफरतों की लपटों पर, पानी उडेलता हूँ।
मानवता कमे फूल लिए, पथ में बिखेता चलता हँू।।

दिल्ली से संजय श्रीवास्तव ने पढ़ा-
माँ के भीतर घर रहता है। घर के भीतर माँ रहती है।
बारिश,आँधी,तूफां सारे, धरती माँ सी सहती माँ।।

जिला निवाड़ी आशा रिछारिया ने रचना पढ़ी-
न होतीं तो ये जग न होता,न होती वो ममता
जो गा कर सुला दे।मीठी सी थपकी,
परियों से मिला दे।चंदा भी थाली में,दस्तक न देता।

नंदनवारा से शोभा राम दांगी ने कविता पढ़ी-
है इंदियारौ जितै उतै अब, होा जावै उजयारौ।
आ गइ आज दिवाइ कैचू घर कौ कूरा झारौ।।

इनके आलावा मीनू गुप्ता,भगवान सिंह लोधी अनुरागी (हटा),अंजनी कुमार चतुर्वेदी (निवाड़ी),ब्रज भूषण दुवे (बक्सवाहा), मोहिनी दुवे (बक्सवाहा),रामानंद पाठक नैगुवाँ, मीरा खरे आदि ने भी काव्य पाठ किया।
कविसम्मेलन का संचालन व अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने किया।
***
#राजीव_नामदेव #राना_लिधौरी #टीकमगढ़
#rajeev_namdeo_rana_lidhori
 *राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’*
  शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.) मोबाइल-9893520965

बुधवार, 19 अक्तूबर 2022

महापाप से बचे - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

*💥#विशेष_सूचन:- #महापाप_से_बचिए:-
*_=============_*


#धर्मार्थ_सादर:-

*सभी धर्म प्रेमी लोग ध्यान दें अंजाने में महापाप करने से ऐसे बचे :-

"#सूर्य_ग्रहण" है और उस दिन भोजन पानी के समस्त पदार्थो में "#तुलसी" जी के पत्ते डालने हैंडालना चाहिए

 #अमावस्या के  दिन कोई भी पत्ता तोड़ने से #ब्रह्महत्या का पाप लगता है।*

*#रविवार है और रविवार को तुलसी को स्पर्श करना और पत्ते तोड़ना बिल्कुल वर्जित है, और तोड़ने वाले को महापाप लगता है।*

#एकादशी एवं #द्वादशी है को तुलसी पत्र तोड़ना घोर पाप माना जाता है।



-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

संपादक ‘आकांक्षा’ पत्रिका

संपादक- 'अनुश्रुति' बुंदेली त्रैमासिक
जिलाध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.)
पिनः472001 मोबाइल-9893520965
E-mail- ranalidhori@gmail.com 

मंगलवार, 18 अक्तूबर 2022

हओ (हां) बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक संपादक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)

     हओ (बुंदेली दोहा संकलन) ई-बुक

संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' टीकमगढ़ (मप्र)
                 
  
                💐😊 हओ (हां) 💐
                
    संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 127वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 15-10-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
              मोबाइल-9893520965
        



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊


🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎊       
              अनुक्रमणिका-

अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)

01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
03-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़
04-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र) 
05-गोकुल प्रसाद यादव (नन्हींटेहरी,बुढेरा)
06-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
07-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
08-अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत ,निवाड़ी
09-नीरज खरे, छतरपुर
10-डॉ देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा
11-श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
12-वीरेन्द चंसौरिया (टीकमगढ़)
13-डां प्रीति सिंह परमार (टीकमगढ़)
14--गीता देवी (औरैया) (उप्र)
15-आशाराम वर्मा "नादान" पृथ्वीपुर
16-एस आर सरल,टीकमगढ़
17-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा
18-रामसेवक पाठक हरिकिंकर, ललितपुर
19-आर. के.प्रजापति "साथी", जतारा,टीकमगढ़
20-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी उप्र.
21-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
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                     संपादकीय


               साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
            इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे। 
          हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
  हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के  एडमिन के रुप मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) एवं संरक्षक द्वय शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और श्री सुभाष सिंघई जी है।
           हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
     आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
      एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।     
                 हमारे इस छोटे से प्रयास से आज एक नया इतिहास रचा है यह ई-बुक 'हओ (हां) ' ( 127वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
     यह पटल  के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 127 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 82 देश के लगभग 85000 से अधिक पाठक अब  तक पढ़ चुके हैं।
  आज हम ई-बुक की श्रृंखला में  हमारे पटल  जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह 127वीं ई-बुक 'हओ (हां) '  लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। 
ये सभी दोहे पटल के साथियों  ने शनिवार दिनांक-15-10-2022 को बुंदेली दोहा  दिये गये बिषय 'हओ (हां)   पर दिनांक- 15-10-2022 को पटल पोस्ट किये गये थे।
  अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
           धन्यवाद, आभार
            ***
ई बुक-प्रकाशन- दिनांक-18-10-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)

                     -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
                   मोबाइल-91+ 09893520965 

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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़ (मप्र)



*बिषय- हओ (हां)

*1*

जब बै दिखै उलायते , तुमै  लगै उकतात |
हओ न #राना कै धरौ ,हुइयै काम नसात ||
***
*2*

जीकी  चाने  हओ तुमे,  हम बतलातइ बात |
नस पकरो #राना उतै , ऊकी  कितै पिरात ||
***

*3*
#राना से वें कत   हओ,  पाछै  मुड़ी हिलात |
फूटी कौड़ी   जानतइ , सब उनकी  औकात ||
***

*4*

#राना हम तुम अब कहैं , हओ कहें दिल खोल |
 बुंदेली  में  लिख  चलै    , उम्दा -उम्दा    बोल ||

*एक ठौल हास्य दोहा*
*5*
हओ-हओ बें कर रयै  , धरै न  डब्बल   नेंग |
#राना समदन चिढ़‌ कहै, रय कछुआ से रेंग ||
***दिनांक-15-10-2022
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com


🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉                 
2-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)


      शनिवार बुंदेली दोहा दिवस
             विषय ,,हओ,,
             ******************************
भर गइति  हओ काल की, आज तलक नी आइ
रैगइ मयके में पसर,बड़ी विचित्र लुगाइ 
********************************
बिल्ली भर गइ ब्याव की, हओ हो गइति पैल
परों बिलोरा मांइ सें,आ गव मन में मैल
*********************************
सास ससुर राजी हते , होने हति विदाई
हओ नि भरी लुगाइ ने, बेइ संग नि आई
**********************************
 हओ कइ मामा ने तभि , रावन हुआ प्रसन्न
  मृग बन राघव से मरूं , करलूं जीवन धन्न 
********************************
सारी हओ भरकें चलि ,मेला देखन आज
जीजा बरफ चुखाइयो , नइतर हम नाराज
*******************************
हओ भरकें न मेंटियो , फटफट तुमइ चलाव
जब प्रमोद ससरार में, टीका हुऐ हमाव
*********************************            
वन की हओ बोलें नहि , सुनिये अवध भुआल।
राम बचन हित चल पड़े ,जान माइ सौं हाल।।
                         ***
       -प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
           स्वरचित मौलिक
🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

   3-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़

कै गइ है  राधा हओ , काल  किशन  हम  लाँय |
चुपकइँ  चपिया   चाँप   कै , सौकारे   से आँय ||
***

हओ पैलउँ बुलबा लई , फिर मौं दव खौल |
वन जाबै श्रीराम कौ‌, करत  कैकयी डौल ||

भैया  हओ न बोलियों   , पैलाँ सुनियौ  बात |
लै जौरा की  फौज  से , कैसै  सजी‌   वरात ||

गुनियौ चुनियौ काम खौ , तबइँ हओ कौ मान |
नाँतर ले लै यह हओ ,  लुखरगड़े   में     प्रान ||

उनकी हओ न लीजिए , कुसगुनया जाँ रोग  |
जरत भुरत आहें भरत , तकत  दूसरे लोग ||

पबरन दो उनकी हओ , कहौ हओ तुुम आज |
नौनी   कथा   पसारने  , नौनें    करने  काज ||
***
                         *-**
        -सुभाष सिंघई,जतारा

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04-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर



बिना गुने हर बात पै, कहौ न हौ हर बार।
कहबे के पैलउँ करौ, कइयक देर बिचार।।
***
                     
मौलिक/                                                    
             -अमर सिंह राय,नौगांव, जिला-छतरपुर                         
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05-गोकुल प्रसाद यादव (नन्हींटेहरी)


जो राखत है दीन खाँ,हओ भरे की लाज।
जियत देवता मानकें, पूजत उयै समाज।।
***

🌹🌹अप्रतियोगी दोहे🌹🌹
❤️💜 विषय💚हओ💜❤️
*************************
हओ कही ती ब्याव खाँ,
                लख हिरनी से नैन।
तब सें नाँईं  भूल गय, 
             हओ कहत दिन-रैन।।
*************************
हओ भरे के  बाद भी, 
              बदल  गऔ है  साव।
बिटिया बारौ सोस रव, 
               कैसें निपटत ब्याव।। 
*************************
आंसू  नहीं  बहाइऔ, 
               आज  छूट रव  संग।
हओ कही जब राधिका,
              सुन कान्हा भय दंग।।
*************************
पग धोबे की ह्ओ भरौ,
              नइँतर  तक लो  घाट।
राम हँसे सुन भक्त की,
              गैरी    बात    सपाट।।
*************************

✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी बुड़ेरा

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06-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा


  सूज  बूज सैं  हओ  कनैं ,होय  देस  कल्यान  ।
अपनों  ही  नइ सोचनें , जगत भरे  की  जान  ।।
                  ***         
१=
कभऊ झूट ना बोलिये ,झूट संग नइ देत।
सच्ची  पै जो हओ कवै ,भगवन ऊके  हेत ।।
२= 
हओ हओ तौ सब कवै ,नाइ करें न कोय ।
समजौ  विपता  देस की ,भलौ  ओइकौ  होय।।
३=
सूज बूझ सैं  हओ  कव ,जीसें  हो   कल्यान।
सबके  हित  की सोचिये , कैंकैं बनौ  महान।।
४=
जब  तुम काऊ सैं कभउ , चीज  मांगवे  जाव ।
हओ  नाइ खों  परखलो ,तौ  फिरकै  नै काव।।
५=
सांजा  करवै   दो  जनें , हिय में  जो गड जाय।
तबई  बात  पक्की  करें , मन सैं हओ  हो पाय।।
मौलिक रचना 

                 -शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा

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7-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़

हऔ सदाँ हर सैं करौ,हरि करत हैं पार।
हुकुम हुजूरहिं जो करैं,हिय में लइयौ धार।।
***
             --प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़

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  8-अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत ,निवाड़ी


बिटिया देखत हओ करी,डरी गरे में फाँस। 
अंठावन के हो गये, बा अब लौ रइ आँस।।
***
   -अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकान्त निवाड़ी

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9-नीरज खरे, छतरपुर


हओ तो कै रय सब जनें,मान रखे ना कोय।
जो हओ मर्यादा रखें, दीन काय खों रोय।।
***
-नीरज खरे, छतरपुर
-

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10-डॉ देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा


लाबर,लोला, लालची,इनकौ का ईमान।
जे भरकें पक्की हओ,बदलें पट्ट जुबान।।
***
-डॉ देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा

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11-श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
*
हओ हओ नेता कहत,करत कबउँ नइ  काम ।
बोट लए गायब भए, लोकतंत्र  बदनाम  ।।
                   ***
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.


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12-वीरेन्द चंसौरिया (टीकमगढ़)

हओ कही नौनौ लगो , नौनें लममरदार ।
हो जैहै अब काम तौ , निशिचित ही ई बार।।
                     ****

                   - वीरेंद्र चंसौरिया टीकमगढ़


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13-डां प्रीति सिंह परमार (टीकमगढ़)

सजना अपन  कछू कहो,हम तो केहे हओ।।
हस खेल  के खुशी रहो,जीवन ज सफल भओ
          ****
               
          ✍️  डां प्रीति सिंह परमार, टीकमगढ़                        
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14- गीता देवी (औरैया)

सुनै सबइ पति लोग जू, खुश रहबो कौ तंत्र।
पत्नी सों कहिओ सदा, हओ-हओ कौ मंत्र।।
              ***
हम बच्चन सौं कह रयै,का समझे हो पाठ।
हओ- हओ सब कह रयै,कोरी पट्टी काठ।।

सबरे काम बनात हय, हओ कहो हर बात।
जीव नाव बढ़ती रयै,चलै न घूँसा लात।।

हओ कही  वरपक्ष ने,मिली साँस में आस।
मुस्कावत रय लोग सब,बटत मिठाई खास।।
      ***
        -गीता देवी,औरैया (उत्तर प्रदेश)

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 15-आशाराम वर्मा "नादान" पृथ्वीपुर

हओ,दिलासा ना दियौ, परखौ सौ-सौ बेर।
नइॅंतर  भइया  बाद  में,  परत  मेर में  फेर।।
                   ***
  -आशाराम वर्मा "नादान" पृथ्वीपुर

                    

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16--एस आर सरल,टीकमगढ़


असुर जुरे ऊदम करें, आगी पूँछ लगायँ।
हओ कही हनुमान नें, लंका हमइँ जलायँ।।
                        ***   
                 -एस आर सरल,टीकमगढ़

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*17*-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा

ह‌ओ भरकें सुद ना ल‌इ,छलिया जुगल किशोर।
परसों के बरसों कड़े, कब आहौ चित चोर।।

ह‌ओ कैबौ‌  कर्रो परो, बिद ग‌ई गरें ब्याद।
सोंज उनारी में फसे, मिल न‌इॅं रव है खाद।।

ना‌इॅं कभ‌उॅं करबैं नहीं,करत न ‌एक‌इ काम।
नकली नेता आज के,जिनकी मोटी चाम।।

ह‌ओ कै कें आये नहिं,छलिया जुगल किशोर।
जान पाइ ना पैल सें, "अनुरागी" चित चोर।।

जहां सांप करिया मिलत, काॅंटन बारी गैल।
आइ ना ह‌ओ कै ग‌ई,राह तकैं रय छैल।।

ह‌ओ न क‌इयो कोउ सें, आशा में बॅंद जात।
खटको लागो रात है, नहीं अफर कें खात।।


-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी" हटा दमोह
                         ***           
             
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*18*-रामसेवक पाठक हरिकिंकर, ललितपुर

हम तौ वोइ करें  हओ, जो कछु तुम कै दैव।
बात तुमाइ  मानतई, देंय वोइ जो लैव।।
***
-रामसेवक पाठक हरिकिंकर, ललितपुर
                   ***
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*19*आर. के.प्रजापति "साथी", जतारा,टीकमगढ़
हओ हओ सरकाव ना,जो कयँ कामी क्रूर।
कै हो  डंडा  हात  में, कै रव कोसों दूर।।
                         ***
              -आर. के.प्रजापति "साथी", जतारा,टीकमगढ़

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*20*--रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी उप्र.
नइं न उनें पुसात है, हओ कयें हर काम।
उनमें हिम्मत हौसला, खूब बनायें राम।।
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रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी उप्र.

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*21*आशा रिछारिया जिला निवाड़ी

हओ मंत्र की सीख ले,चली पिया के देश।
सास ससुर आशीष दें,पिय का प्यार विशेष।।
***
-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी

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                          संपादन-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)

               

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               💐😊 हओ (हां) 💐
                
    संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 127वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 15-10-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
              मोबाइल-9893520965