संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' टीकमगढ़ (मप्र)
💐😊 देर 💐
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
की 126वीं प्रस्तुति
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 12-10-2022
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
मोबाइल-9893520965
🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
अनुक्रमणिका-
अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
03-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़
04-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र)
05-गोकुल प्रसाद यादव (नन्हींटेहरी,बुढेरा)
06-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
07-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
08-अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत ,निवाड़ी
09-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़
10-बाबू लाल द्विवेदी, छिल्ला (ललितपुर
11-डां.आर.बी.पटेल, छतरपुर
12-वीरेन्द चंसौरिया (टीकमगढ़)
13-डां प्रीति सिंह परमार (टीकमगढ़)
14--गीता देवी (औरैया) (उप्र)
15-आशा रिछारिया, निबाडी
16--एस आर सरल,टीकमगढ़
17*-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा
18*-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवां
##############################
संपादकीय
साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे।
हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के एडमिन के रुप मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) एवं संरक्षक द्वय शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और श्री सुभाष सिंघई जी है।
हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।
हमारे इस छोटे से प्रयास से आज एक नया इतिहास रचा है यह ई-बुक 'अबेर' ( 126वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
यह पटल के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 126 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 82 देश के लगभग 84000 से अधिक पाठक अब तक पढ़ चुके हैं।
आज हम ई-बुक की श्रृंखला में हमारे पटल जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह 126वीं ई-बुक 'अबेर' लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है।
ये सभी दोहे पटल के साथियों ने शनिवार दिनांक-8-10-2022 को बुंदेली दोहा दिये गये बिषय 'अबेर पर दिनांक- 8-10-2022 को पटल पोस्ट किये गये थे।
अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
धन्यवाद, आभार।
***
ई बुक-प्रकाशन- दिनांक-12-10-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
मोबाइल-91+ 09893520965
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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़ (मप्र)
****बुंदेली दोहा बिषय- अबेर (देर)*
*1*
#राना नौनें काम पै , निगा लेइयौ फेर |
हौवें भलौ गरीब कौ , करियौ नहीं अबेर ||
*2*
हान धरम की हौ जितै , ऊपर बारौ हेर |
#राना टंटौ टौर दै , थौरी लगत अबेर ||
*3*
#राना साँसी काइयौ , चाय हौय वें शेर |
चार जनै जुड़ जात है ,करतइ नहीं अबेर ||
*4*
साजौ लिखौ अबेर से , पर सब अच्छौ होय |
तनक दूसरन की पढ़ौ , #राना कैनें मोय ||🙏
*एक हास्य दोहा*
जब अबेर हौ जाय तौ , घरै न कइयौ झूँठ |
#राना पकरै जैव तौ , खावें मिलवें ठूँठ ||
🥰🙏
*** दिनांक-8-10-2022
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
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2-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)
राम रोय बोले वचन, आय नही हनुमान।
सटकत रात अबेर भइ ,उग नइ आवै भान।।
***
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काटी मूंढ़ उलात कर , करदई चक्र अबेर
राहू केतू जी उठे ,चांद सूर गय हेर
******************************
हो रइ भरत अबेर कत , अबध अंजनी लाल
फिर मिलबूं उड़ लंक गए, उतै राम बेहाल
******************************
सिया पिया सें कै उठी , मचौ नाथ अंधेर
काली बन मारू इसे , होगइ भौत अबेर
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गइया चरकें हार सें, दौरत चली रंभाय
संजा की बिरियां लगीँ, नइ अबेर हो जाय
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जीजा सारी लर परें ,मेला में अंदेर
निगतन भौतइ ठिनकतीं , होगइ ऐन अबेर
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उनना पैर उलायती , लगे न तनकइ देर
वेला मेला मटकतीं ,हो गइ भौत अबेर
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सुनो थिगरया पैन्ट पै , ओछीं बंडी पैर
बिन अबेर मोबाल लें , गइ प्रमोद की सैर
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-प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
स्वरचित मौलिक
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3-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़
राधा नें कान्हा तकौ , फिर दय गटा तरेर |
दिन डूबै तुम आय हौ , करकै भौत अबेर ||
***
शूपनखा नकुआ फुला , रइ है गटा तरेर |
नाक बुचकवें तब लखन , करतइ नहीं अबेर ||
कै दइयौ तुम राम से , लौ कपीश अब हेर ||
सिया प्रान खौं त्याग दै , हौजे अगर अबेर ||
शिशुपाल की गारियाँ , श्याम गिनत सब हेर |
चका चलौ जब सौ भईं , कुछ ना करीं अबेर ||
चींखत जा रइ बेर खौ , भक्ति भरी उत हेर |
शबरी कत है राम जू , कर दइ बड़ी अबेर ||
सभा पुकारे द्रौपदी , श्याम तमइ से मेर |
लाज हमारी लुट रयी , काहै करत अबेर ||
चिठियाँ भेजत रुक मनी , श्याम तुमइँ से मेर |
मौखौं लैनें आइयौ , करियौ नहीं अबेर ||
*-**
-सुभाष सिंघई,जतारा
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04-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर
*1*
बदन व्यसन में जाय गल,सँभलत होय अबेर।
झटपट लेव सुधार लत, नइ तर हुइहै ढेर।।
***
अप्रतियोगी दोहे - अबेर (विलंब)
छोड़ बुरइ आदत सबइ, अबै न भई अबेर।
फिर पछताए लाभ का, हो जैहै जब देर।।
जानत भय गुटखा खवैं, है ना जा अंधेर।
फिर सिर धुन पछतात हैं,जब हो जात अबेर।
कान खोल तुम लेव सुन, गोरी देख गुडेर।
कल ई बेरा फिर मिलैं, कारियो नहीं अबेर।।
घुपवानो सो मो बना, आँखें रई तरेर।
मिलबे को चूको टिया, आतन भई अबेर।
मो फूलो- फूलो लगै, जैसे फूल कनेर।
भइ अबेर तौ का भई, मिलबी देर-सबेर।।
***
मौलिक/
-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला-छतरपुर
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05-गोकुल प्रसाद यादव (नन्हींटेहरी)
🌹🌹बुन्देली दोहे,विषय-अबेर🌹
************************
ऐंन बुड़ापौ आ गयौ, तौ भी नहीं अबेर।
जब जागे तब भुन्सरा,कर लो हरि सें मेर।।
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जीवन के हर मोड़ पै, जीनें करी अबेर।
दिखै अबेरा ही सदाँ, ऊके गेरउँ गेर।।
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ना बौ लखै अबेर खाँ, ना ही तकै सकेर।
है दिन-रात किसान कौ,मेंनत सें ही मेर।।
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दधि बेंचन राधा चलीं, लव कान्हा नें घेर।
हा-हा कर रइँ राधिका,छोड़ौ होत अबेर।।
******************************
वन सें लौटत राम जी, करते अगर अबेर।
जियत भरत नइँ पाउते, हो जातो अंधेर।।
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✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी बुड़ेरा
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06-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
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7-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
1-
हनुमत जा कहियौ सुनौ, करुणा कर सैं आप।
बिन अबेर कर आइयौ,मिटै तबइ संताप।।
2-
अबेर नहिं करियौ सुनौ,जाव सजीवन लाव।
जान बचै तब लखन की,जियत राम खौं पाव।।
3-
जनक देख व्याकुल भयै,गीदड़ निकरे शेर।
धनुष भंग रघुवर कियौ,कीनीं नहीं अबेर।
4-
रावन बध कर राम नें,कीनी नहीं अबेर।
राज विभीषन सौंप कैं,मिटा दियौ अंधेर।।
5-
लाज बहिन की लुट रहीं,बीच सभा रइ टेर।
कान्हा चीर बढ़ात हैं,करी न तनक अबेर।।
*6*
कर अबैर हर आदमी,लैबै काज बिगार।
बरया कै जौ तन मिलौ,बिरथा रहौ निकार।।
***
--प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
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8-अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत ,निवाड़ी
शबरी सुमरै राम खों, कैसी करत अबेर।
राज पाट सब छोड़ कें, खाय राम नें बेर।।
***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकान्त निवाड़ी
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9-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,,पलेरा जिला टीकमगढ़
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10-बाबू लाल द्विवेदी, छिल्ला (ललितपुर)
लुखा लुखै उठ जात ते,
हो गयि आज अबेर।
देख जुनै केे खेत मै,
भरे चरेऊ ढेर।।
***
पं.बाबू लाल द्विवेदी,छिल्ला, ललितपुर
***
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*11-डां.आर.बी.पटेल, छतरपुर
जा बुंदेली संदशों,देखो हतो अबेर।
कापी कलम उठाय कै,दोहा लिखो निबेर।
***
-डां. आर बी पटेल "अनजान "छतरपुर
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12-वीरेन्द चंसौरिया (टीकमगढ़)
जो अबेर सें पौंचतइ ,
इसकूलन में रोज।
शासन कर रव रोजऊँ ,
ऐसन की अब खोज।।
***
- वीरेंद्र चंसौरिया टीकमगढ़
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पिया लौट आये नहीं,
सावन बीतौ जाय।
होत अबैर जिया जरै,
लगत काल नित खाय।।
***
✍️ डां प्रीति सिंह परमार, टीकमगढ़
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14- गीता देवी (औरैया)
पूत गयौ इसकूल मा,
भौतइ भई अबेर।
बेर-बेर रस्ता लखै,
ठाडी़ मात मुडेर।।
***
-गीता देवी,औरैया (उत्तर प्रदेश)
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15-आशा रिछारिया, निबाडी
माला मनका छोड़ कें,
मन मनका लो फेर।
हरि भज लो मनुआ मधुर,
नातर होत अबेर।।
***
-आशा रिछारिया, जिला निवाड़ी
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16--एस आर सरल,टीकमगढ़
भइ अबेर हनुमान खौ,
दौना गिर लै आय।
पिला मूर संजीवनी,
लछमन प्रान बचाय।।
***
-एस आर सरल,टीकमगढ़
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*17*-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा
लाज बचा लो बैन की,
रइ कान्हा खों टेर।
सुनकें हस हैं लोग सब,
जो हो जैय अबेर।।
***
-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा
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*18*-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवां
लक्ष्मण खों सक्ती लगी,
वूटी खों हनुमान।
अवेर आवे ना करी,
बची लखन की जान।
***
-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवां
🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
संपादन-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
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💐😊 अबेर 💐😊
(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
की 126वीं प्रस्तुति
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 12-10-2022
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
मोबाइल-9893520965
4 टिप्पणियां:
उत्कृष्ट दोहा संकलन👏👏👏
धन्यवाद आदरणीया विद्या जी
बहुत बढ़िया
धन्यवाद आदरणीय श्री सिंघई जी
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