संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' टीकमगढ़ (मप्र)
💐😊 पूने) 💐
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
की 125वीं प्रस्तुति
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 11-10-2022
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
मोबाइल-9893520965
🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
अनुक्रमणिका-
अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
03-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़
04-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र)
05-गोकुल प्रसाद यादव (नन्हींटेहरी,बुढेरा)
06-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
07-प्रभुदयाल श्रीवास्तव,टीकमगढ़
08-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
09-अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत ,निवाड़ी
10-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़
11-अभिनंदन गोइल, इंदौर
12-डां.आर.बी.पटेल, छतरपुर
13-बजभूषण दुवे (बक्सवाहा)
14-डां रेणु श्रीवास्तव (भोपाल)
15- रामसेवक पाठक 'हरिकिंकर' (ललितपुर)
16-डां. देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा
17-आशा रिछारिया, निबाडी
##############################
संपादकीय
साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे।
हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के एडमिन के रुप मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) एवं संरक्षक द्वय शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और श्री सुभाष सिंघई जी है।
हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।
हमारे इस छोटे से प्रयास से आज एक नया इतिहास रचा है यह ई-बुक 'पूने' ( 125वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
यह पटल के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 125 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 82 देश के लगभग 84000 से अधिक पाठक अब तक पढ़ चुके हैं।
आज हम ई-बुक की श्रृंखला में हमारे पटल जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह 125वीं ई-बुक पूने' लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है।
ये सभी दोहे पटल के साथियों ने सोमवार दिनांक-10 -10-2022 को बुंदेली दोहा दिये गये बिषय 'पूने पर दिनांक- 10-10-2022 को पटल पोस्ट किये गये थे।
अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
धन्यवाद, आभार।
***
ई बुक-प्रकाशन- दिनांक-11-10-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
मोबाइल-91+ 09893520965
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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़ (मप्र)
**बुंदेली दोहा -बिषय- पूने*
*1*
#राना पूने हो गयी , अब जड़कारौ आय |
बरसा रानी गइ चिमा , उमस न तनकउ छाय ||
***
*2*
#राना पूने खौ सुनौ , बृज में हौतइ खास |
कानातें सबने सुनी , किशन करत है रास ||
***
*3*
अमरत झरबौं भी सुनो , टपका तइ आकाश |
#राना पूने खीर भी , हौतइ चियवन प्राश ||
***
*4*
ऊनै पूने ना लिखौ , #राना लिख्खौ रोज |
पूने सी रख ऊजरी , भरौ कलम से ओज ||
*** दिनांक-10-10-2022
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
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2-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)
सोमवार बुंदेली दोहा दिवस
विषय , पूने,
******************************
पुज गइ पूने कुआँर कि, नवा चांद खों माथ
कुमड़खीर खाई अफर , घरवारी के साथ
*******************************
आँगन में हुन आरती , पती चांद की भई
लडुवा धमके दूद कें, शरद की पूने गइ
*****************************
पूने को चंदा ढको ,बदरी रही उगेर
हवा चली घूंघट उड़ो, घरवारी रइ हेर
*****************************
पूने मइना चैत की , जिदना भय हनुमान
सबइ जगततर जान रव ,प्रेम प्रमोद बखान
******************************
पूने भइ बैशाख की ,बुद्ध जनम शुभ जान
धरमराज व्रत धार कें ,कर प्रमोद इसनान
*******************************
वट पूने शिव शिवा की , होत जेठ के मास
भर प्रमोद नारी करत , सावितिरी उपवास
******************************
-प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
स्वरचित मौलिक
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3-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़
बुंदेली दोहा दिवस , विषय- पूनें
पूने की जब रात हौ , छत पै धरतइ खीर |
सबइ जनन से जा सुनी , टपकें अमरत नीर ||
ऊनै राखत है लछौ , बढत रहत कलदार |
शारद पूने टीकते , छंदो के मनुहार ||
पूने चंदा नाचता , झरै आँग से स्वेद |
अमरत जीखौ कात है , मिटा देत सब खेद ||
ऊनै पूनें आय जब , अपने घर मैमान |
कात सुभाषा तब सुनौ , समझौ है भगवान ||
***
-सुभाष सिंघई,जतारा
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04-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर
बुन्देली दोहे - पूने (पूर्णिमा)
कातिक गुरु पूने शरद, इन्हें मानते खास।
पूने के दूसर दिना, लगत दूसरो मास।
हनूमान ने चैत में, लियो रुद्र अवतार।
पूने तिथि को बुद्ध भी,आए थे संसार।
गुरु पूने खों होत है, गुरुअन को सम्मान।
पूने मइना जेठ की, पुन्य होत कर दान।।
सावन पूने के दिना, हो राखी त्यौहार।
राखी पूने को परब, भाइ बहन को प्यार।
भादौँ पूने से लगै, पितर पक्ष हो श्राद्ध।
पुरखन खों पानी दिवत,जो सबके आराद्ध।
त्रिपुरारी पूने कहें, हो कातिक के मास।
देव दिवाली पूजते, विष्णू पूजा खास।
मगही पूने को करौ, तीरथ में असनान।
मिलता है बत्तिस गुना, करौ कुम्भ में दान।
बेचैनी मन में रहै, ई पूने की रात।
नींद भी कम आउतइ, सुनतइ ऐसी बात।।
मौलिक/
***
-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला-छतरपुर
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05-गोकुल प्रसाद यादव (नन्हींटेहरी)
🌹🌹बुन्देली दोहे,विषय-पूनें🌹
************************
शारदीय आकाश-सौ,
जो राखत मन साफ।
बौ पूनें सम शारदी,
चमकत बन असराफ।।
************************
गोरी राधा सोहतीं,
साँवलिया के अंक।
ज्यों बदरी में हो छुपा,
पूनें शरद मयंक।।
************************
सावन की पूनें कड़ी,
जेठसास की नाँइ।
अब लग रइ पूनें शरद,
सावन पूनें घाँइ।।
************************
परमा सें चंदा बड़त,
पूनें खाँ हरसात।
एइ तरा बड़ कें सतत,
मनुज सफल हो जात।।
************************
सूनें-सूनें हम हते,
पिया हते परदेश।
पूनें खाँ आ गय पिया,
गुब गय छूटे केश।।
************************
************************
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
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06-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
बिषय-- "पूने " ( पूर्णिमा ) बुंदेली दोहा
(०१)
मुख गोरी कौ चांद सौ , है ईश्वर की दैन ।
चमकत पूने चांद सी, हिय खटकत दिन -रैन ।।
( ०२)
शरद पूणमा को सभी , रखती नारि उपास ।
मगल कामना मांगती , शरद पूणमा खास ।।
( 03)
अमास पूनें होत रत , हर मइना में आय ।
कुआँर मास कि पुने को , बृत का मान बढाय ।।
(०४)
सती नारि जो होत हैं , करती पूजा पाठ ।
पूने के उपवास खों , लडुआ बनावैं आठ ।।
(०५ )
रखती हैं बित सुलछमी , पूनें ये हर साल ।
लडुआ खोवा के बनैं ,खायें नद गोपाल ।।
(०६ )
पूनें की परमा परे , गमन करे जो कोय ।
और अमावस दोज को , अवश्य काज न होय ।।
मौलिक रचना
-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
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07 -प्रभु दयाल श्रीवास्तव 'पीयूष', टीकमगढ़
बुंदेली दोहे विषय पूनें
पूनें आगइ सरद की , झिरी न इमरत धार।
चंदा बदरन में दुके , रै गय मन खों मार।।
पूनें आई क्वांर की , ससि सोहत आकास।
गोपीं सँग गोपाल के, लगीं रचाने रास।।
भौतइ अपने रूप कौ ,उनें हतो अभमान।
पूनें कौ चंदा तको , लागीं लली लजान।।
गोरी के मुख चंद्र की, फैली रहत झकास।
रोजउँ पूनें सी लगै , झक नइँ पात अमास।।
राधा पूनें सीं लगें, घोर अमावस श्याम।
घटती बड़तीं गोपियां, सजो बजो बृज धाम।।
***
प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
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8-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
पूने कैसौ चाँद है,गोरी मुइयाँ तोर।
देखत में नौनौ लगै,करै रात खौं भोर।।
*
झिटक चाँदनी खिल रई,लखैं चाँद चौपाल।
पूने खौं येसौ लगै, दमकै बिंदी भाल।।
*
पूने तिथि हर मास की,होत बहुत है खास।
पूनें जातन आत है,खास इत नऔ मास।।
*
गोरी सँग अपने पिया,बागन बीचन जाय।
पूने की हो चाँदनी,बैठ दोइ बतियाय।।
*
अमृत की है लालसा,मिलत हरत सब पीर।
पूने आई शरद की,खपरन धर दइ खीर।
***
-प्रदीप खरे, मंजुल*टीकमगढ़
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9-अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत ,निवाड़ी
बुंदेली दोहे
10 10 22
सोमवार
विषय पूनें
*********
पूनें पावन आज है, चाँद ढकौ रव येंन।
जिनके चाँद विदेश में, उनके मन बेचैन।
शरद चाँद प्यारौ लगै,मनुआँ धरै न धीर।
जिनके सजन विदेश में, कैसें खाबें खीर।
परमा पूनें अमावस,रहौ नियम सें खास।
ब्रम्हचर्य ब्रत धारियौ,शुभ जीवन की आस।
कार्तिक की पूनें बड़ी,पूजवै भियाँ बिलार।
राधा दामोदर पुजें, पूजै सब संसार।।
चावल दूद घरै नहीं,कैसें बनवै खीर।
पूनें आई शरद की,मन गरीब के पीर।।
***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी "श्रीकान्त" निवाड़ी
***
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10-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,,पलेरा जिला टीकमगढ़
##पूने पर दोहे#
#१#
राधा की छवि छा गई,भा गई मन घनश्याम।
पूने जैसी चांदनी,देख लजावत काम।।
#२#
राधा जू की बांय खों,झटकत नंद किशोर।
पूने जैसी छवि छलक,छुटकत है चहुं ओर।।
#३#
कान्हा की बंशी बजी,मधुवन रहस रचांय।
पूने जैसे चांद सी,जोड़ी छवि चमकांय।
#४#
पूनें शरद क्वांर की,अमरत बर्षा होय।
खीर बना घर पै धरें,बूंद मिलै इक मोय।।
#५#
महारास पूने रचो,शिव नारी धर रूप।
घूंघट में मों छिपाकें,दर्शन करे अनूप।।
***
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,,पलेरा जिला टीकमगढ़
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11-अभिनंदन गोइल, इंदौर
बुंदेली दोहा - शरद की पूनें
पूनें सरद सुहावनी,चहुँ दिस है उजयार।
गोपिन सँग राधा चलीं,पौंची हरि के द्वार।।
रास-रचैया तुमइँ हौ, हे प्रिय ! नंदकिशोर।
हाँथ पकर कें लै चलीं,नन्दन-वन की ओर।।
पूनें की जा जुँदैया, उतरी हिय की कोर ।
रास चलो है रात भर,उठ रइ प्रेम-हिलोर।।
मौलिक, स्वरचित
- अभिनन्दन गोइल, इंदौर
***
-
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*12-डां.आर.बी.पटेल, छतरपुर
दोहा पूने
01
अमावश पूने दरसें,पंडित ज्ञानी दोय।
नित नूतन संत खोजते,पूरी नींद न सोय।।
02
नित पूने सी लगत हैं, राधारानी रोज ।
अली कली सी सज रही,रही कृष्ण को खोज ।।
डा आर बी पटेल "अनजान "
छतरपुर
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13-ब्रजभूषण दुवे (बक्सवाहा)
विषय -पूनें
दोहा-
1-
निकरत पूरी जुंदइया,बृज उजयारी रात।
अधिक सुहानो लगत रत,पूनें बेइ कइ जात।।
2-
घटत बढ़त रत चन्द्रमा,जान परत जा बात।
बृजभूषण पूने बिना,पूरन नहीं दिखात।।
3-
हर मइना पूनें परत,पूनें बारा मास।
बृजभूषण जब कब गहन,चन्द्र गहन खग राशि।
***
-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
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14-डां रेणु श्रीवास्तव (भोपाल)
दोहे विषय पूनो
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
1 पूनो जैसो चाँद है,
धनियां को मो आज।
उमर बढ़त ढल जात है,
कबउं करौ ना नाज।।
2 शरदी पूनौ पूज लो,
बेटा सुख से रात।
बुद्धि बढ़ै बल भी बढ़ै,
सबरे जेठे कात।।
3 गुरु पूनो को गुरु मिलैं,
कछू भेंट दो लाय।
पुन्य काज जो होत है,
गुरु कृपा मिल जाय।।
4 पत्रा में देखौ तिथी,
जा घर सुन्दर नार।
उतई पूनौ रै सदा,
चंदा सो मो सार।।
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
✍️ डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल
सादर समीक्षार्थ 🙏
स्वरचित मौलिक 👆
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15- रामसेवक पाठक 'हरिकिंकर' (ललितपुर)
पूने खौं ही परत है,सदा चाॅंद पै गान।
सीधे पेड़े कटत हैं, टेड़े करें गुमान।।१
जब सें वौ प्रधान भउ, पूने कौ है चाॅंद।
जानें कितै हिरा गऔ, छिपौ कौन सी माॅंद।।२
हती काल पूने शरद, खूबइ भइ बरसात।
बिजली भी थी गोल तब, हती अंधेरी रात।।३
पूने तौ बारा परत, होत शरद ही एक।
खीर चाॅंदनी में धरत, मिटतइ रोग अनेक।।४
वौ पूनें कौ चाॅंद है, कभउॅं दिखाई देत।
हारै जाकें जा परत,रोज रखाउत खेत।।५
***
हरिकिंकर, भारतश्री छंदाचार्य, ललितपुर (उप्र)
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16-डा़ देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा
🥀 बुंदेली दोहे 🥀
( विषय- पूनें)
कोउ आज पूनें कहै,परमा कोउ बताय।
जनबा जित्ते गाँव में,न्यारी न्यारी राय।।
नेंकें पूनें जब मिलै,भर- भर खोबा खात।
घर कौ परसइया सरस,हो अँधयारी रात।।
मैया मोरे बोध के,औगुन करदो छार।
पूनें कैसौ हिये में,भरौ ग्यान उजयार।।
जिनके मन तृस्ना भरी,उनें न कछू दिखात।
चाय अमाउस होय कै,पूनें की हो रात।।
पूनें पाँचें की दसा,के असगुन बतयायँ।
होबें जो जो आलसी,तिथ खों दोस लगायँ।।
***
डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस
बड़ामलहरा छतरपुर
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17-आशा रिछारिया, निबाडी
दोहा दिवस*****पूने
🌹
आई पूने शरद की, हिय में भरी उमंग।
राधा गोपीं रास हो, कान्हा बंसी संग।।
🌹
दौड़ी आईं गोपियां, सुन मुरली की तान।
पूने को है चंद्रमा, महारास फरमान।।
🌹
गोरी को मुख लगत है, पूने जैसो चंद।
समर समर कें डग धरें, मुस्कातीं अति मंद।।
🌹
कहो सखी जा कोन तिथि, समझ नहीं कछु पाइ।
लगत आज पूने भयी,राधा की अगुआइ।।
🌹
आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 🙏🏻
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संपादन-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
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💐😊 पूने 💐😊
(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
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