Rajeev Namdeo Rana lidhorI

शुक्रवार, 31 जुलाई 2020

बुंदेलखंड के पावन हिंदू तीर्थ स्थल

बुंदेलखंड के पावन तीर्थ स्थल
संपादक राजीव नामदेव राना लिधौरी
प्रकाशन-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
प्रकाशन दिनांक 31-7-2020
©कापीराइट- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' टीकमगढ़
मोबाइल- 9893520965
*बुन्देलखण्ड कौ पावन प्राकृतिक तीर्थ-*

1-‘‘अछरूमाता’’:-

1-‘‘अछरूमाता’’ पावन तीर्थ
                   -राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’’

हमाओं बुन्देलखण्ड प्राकृतिक संपदाओं उर तीर्थ क्षेत्रन से भौत संपन्न है। इतै पै एनई पावन तीर्थ स्थान उर प्राकृतिक स्थान है।  बुन्देलखण्ड में एक खास बात जा है कै इतै जितैक भी प्राकृतिक स्थान है उन सभइ स्थानन में कोउ न कोउ तीर्थ जरूर हुइये, जैसे- चित्रकूट में भगवान राम कों मंदिर, छतरपुर जिले में जटाशंकर में भगवान भोलनाथ कौ मंदिर, दतिया के रतनगढ़ में प्रसिद्ध रतनगढ़ माता कों मंदिर, टीकमगढ़ में बेतवा नदी के करके बसो ओरछा में श्री राम राजा कौ मंदिर, अछरूमाता जी कौ मंदिर एवं बल्देवगढ़ में विंध्यवासिनी माता जी कों मंदिर, सोनागिरी में पहाड़ पै  तनक-तनक से बन्न-बन्न के एक साथ लगभग 100जैन मंदिर बने है, उन्नाव बालाजी में नदी के करके सूर्य मंदिर है,जबलपुर में भेड़ाघाट में नर्मदा नदी पै संगमरमर की चट्टान के बीचा भौत नोनो जलप्रपात है। भीमकुंड, आदि ऐसइ बिलात प्राकृतिक स्थान है।  

ऐसई बुन्देलखण्ड के टीकमकढ़ जिले में एक भौत नोनो तीर्थ इस्तान है  ‘अछरूमाता’। इतै पै एक प्राकृतिक कुण्ड में से अपने आप पानी निकलता है उर इ कुंण्ड को पानी कभउ नई सूखत है। जो तीर्थ बुन्देलखण्ड के टीकमगढ़ जिला मुख्यालय सें  टीकमगढ़-पृथ्वीपुर गैल पै 40 किमी. की दूरी पै स्थित है  सन् 1907 में प्रकाशित गजेटियर में सोउ इ इस्थान कौ उल्लेख करो गओ है। अब से लगभग 72 वरस पैला झाँसी संे 3-4 जनन की एक मित्र मण्डली अछरूमाता के दर्शन करवे के लाने आयी हती। इ जात्रा कौ वर्णन करत भए श्री वीर ने लिखौ है कै-‘‘सर्वप्रथम हम लोग एक पहाड़ी पर चढ़े। ऊपर पहुँचकर एक युवक ने एक पत्थर को हिलाया तो उसमें से जोर की आवाज निकली। फिर उसकी धूल को मस्तक पर लगाते हुए उसने बताया कि मंदिरों में जैसे घण्टा होता है वैसे ही यहाँ पत्थर है। यात्री लोग इसे बजाकर अपने आने की सूचना देते है। हम लोगों ने भी उसे हिलाया और पहले जैसी आवाज हुई।

इसके पश्चात् हम लोग चोटी पर पहुँचे। वहाँ मिट्टी के दो घर बने हुए है और  क मंदिर के पास एक जगह पत्थरों से घिरा हुआ एक छोटा सा घेरा था। अनेकों नये-पुराने झंडे वहाँ फहरा रहे थे। यहाँ आकर मेरे मन में उत्सुकता उत्पन्न हुई उस कुण्ड को देखने की, जिसके बारे में, एक विस्मय जनक बात सुनता रहता था। पूछने पर मालूम हुआ कि यह घेरा ही कुण्ड है। कुण्ड की परिधि लगभग एक फुट के लगभग होगी। मैला सा पानी उसमें भरा था। हम लोगों ने भेंट चढ़ाकर प्रसाद माँगा और पण्डा जी ने हमारी ओर से विनती की। पहले पहल तो पानी में कुछ बुलबुले आये, तदानन्तर अपने आप ऊपर आकर प्रसाद तैरने लगा। किसी को गिरी मिली, किसी को जवा, गेहूँ, देवल और किसी को मलीदा। हमारे आश्चर्य का ठिकाना न रहा।’’

इतने ऊँचे स्थल पर कहीं भी पानी नहीं है पर इस कुण्ड में पानी कैसे आ गया। इस पानी के ऊपर तरह-तरह का प्रसाद अपने आप कैसे तैरने लगता है ? पास खडे़ लोगों से मैंने इसका भेद पूछा तो एक ने कहा- ‘भैया जी, जगदम्बा महामाई को प्रभाव आय’।

ई कुण्ड की गैराई के विषय में बिलात किंवदंतियाँ प्रसिद्ध है। कओ जात है कै एक दार एक राज्य कर्मचारी ने इमें अपनौ भालौ डारो हतो तो वो भालो तीन मील दूर पै वीर सागर के तला में निकरौ हतो। अछरूमाता के सम्बन्ध में भौतइ तरां की कथाएँ प्रचलित है। कछू जनन कौ कैवो  है कै अनेक महिलाओं कों माता बनवे कौ सौभाग्य इनई माता जू की कृपा से प्राप्त भओ है।

इ इस्थान कौ अछरू माता नाँव पड़वे की एक जनश्रुति है कै दक्ष प्रजापति के यज्ञ में जब कुपित होकै सती जू ने अग्नि कुण्ड में अपनी स्वयं की आहुति दयी तो भगवान शंकर सती जी के अधजरे शरीर कों अपने कदां पै धरकै निकरे। हते तो कई जात  है कै सतीजी के अँसुवाँ इतई गिरे हते।  उ अँसुउन सेइ कुण्ड कौ जनम भऔ उर अँसुवाँ शब्द सेइ मुख सुख की प्रवृत्ति शिकार होकै असरू उर फिर असरू से बिगडकै अछरू हो गऔ। पन जा बात गले नइं उतरत कि अधजरी देह से अश्रुपात होना तो कोनउ भी दशा में संभव नइयाँ कजन की दारं शंकर जू की इ दुख की घड़ी में अश्रुपात होवो बताओ गओ है तो कछू अंशों में विचार करो जा सकत तो।

अछरूमाता कौ नाँव पड़ने के कारण कौ उल्लेख करत भए टीकमगढ़ के जनवा डाॅ. काशी प्रसाद त्रिपाठी जू ने लिखौ है कै ‘अछरूमाता कौ नाँव अछरू यादव नाँव के एक चरवाहे की खोज के कारण भओ हैं ऐसी लोक किंवदंती है कै अछरू नाँव कौ एक बरेदी (चरवाहा) प्राचीन काल में इतै के घन जंगल में टौरियाऊ चट्टानी जगां पै बैठकै ढोर चराओं करततो। जितै वो बैठौ हतो, उतई पै एक कुण्ड हतो जीमें उनै जल भरौ देखौ। अछरू ने उ कुण्डी में और जादां जल डारौ, पै कुण्ड कौ पानी जितैक हतो,उतेकइ रओ, बल्कि जो कछू वो डारतो उ के विपरीत उये कछू भोग प्रसाद मिल जाततो। अछरू ने इये देवी माता कौ चमात्कार उर सिद्धि मानौ। उके बाद में उतै के भक्त जनन ने इय अछरू की माता अथवा अछरूमाता नाँव दऔ। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में जो सिद्ध क्षेत्र अछरूमाता के नाँव से प्रसिद्ध है।

इतै एक खास बात जा है कै इतै कुण्ड कों पानी परसाद के रूप में दओ जात है जिसे भौतई बुरई बसांद सोउ आत है पै फिर भी भक्तजन माता कौ परसाद मान कै  पियत है उर अबै तक कोउ उ पानी को नह कै बीमार नई परौ है, बल्कि कुण्ड कौ पानी माता की कृपा सें दवा कौ काम करत है। जेई कारण है कै इतै की प्रसिद्धी एनई है। सब माता की कृपा मानत है। तबई तौ जो एक बुन्देलखण्ड कौ एक पावन तीर्थ बन गओ है।
प्राचीनकाल में केवल इतै जलकुण्ड के कारण ही अछरूमाता नाँव मान्यता प्राप्त रओ। परंतु अबै अछरूमाता एक सिद्ध क्षेत्र के रूप में विकसित हो गऔ है। कुण्ड पै एक सुंदर आधुनिक मंदिरमय सभा मण्डप,गर्भगृह एवं खुली प्रदक्षिणा कौ निर्माण हो गऔ है। गर्भ में संगमरमर की देवी की दर्शनीय प्रतिमा प्रतिष्ठित है। विशाल परिक्षेत्र में शिव मंदिर, हनुमान मंदिर, नौ देवियों की मूतियाँ, बनी है। 

श्रद्धालुअन कौं ठहरावे के लाने कैउ धर्मशालाएँ, विशाल पक्के प्रांगणों कौ फर्शीकरण,करके टीन शेड लगा दय गये हैं क्षेत्र के विशाल अंलकृत प्रवेश द्वार, जलापूर्ति के लिए कुआँ उर नल की व्यवस्था है। एक बड़ौ सौ प्रवेश द्वार सोउ बन गओ उतई पै नारियल फोरवे के लाने उर अगरबत्ती लगावे के लाने बाहरे गेट के एंगरें पै एक इस्थान बना दओं गओ है उतई पै सबई जने नारियल फोर के भीतर मंदिर में ले जाके परसाद चड़ाउत है। गेट के बायरे के समाज के लोगन ने पनी-पनी धर्मशालाएँ बना लयी है। जीमें निःशुल्क रैवे की व्यवस्था है। उतई पे उ समाज के लोग टीका-पटा करत है।

इतै पै नौ देवियन के समय मेला लगत है लाखों लोग अछरूमाता के दरसन करवें आत है उन मन्नत माँगत हैं। अपनी मनोकामना पूरी होवे में नाच गाने के साथ फिर के आकै अपनी हाजिरी लगाउत हैं। इतै पै कजन की दार सच्चे मन से जनानी मन्नत माँगे तो उकी सुनी गोद भर जात है सैकड़ों की गोद माता जी की कृपा सें भरी है। इतै पे आके माता के दरबार में ऐंगरें के केउ गाँव के लोग व्याव रचाउत हैं शादी ब्याब के लाने इतै बुलाके माता के सामू मोड़ा-मोडी दिखाउत उर पसंद करत है। रिश्ता पक्कौ कर है उर गरीब जने इतई पै पने बच्चन कौं व्याब करत है। दिवारी के समय पै कैउ मोनिया माता के दरवाज में आके इतई पै अपनो मौन तोरत है। 

ई तरां सें आज अछरूमाता एक पावन उर परसिद्ध तीर्थ इस्तान हैं। इतै पै सैंकड़ो जने रोजउ दरसन करने आत है।
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 -*राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’*
संपादक ‘आकांक्षा’ पत्रिका
अध्यक्ष मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.)
   पिनः472001 मोबाइल-9893520965
    E-mail- ranalidhori@gmail.com 
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 Facebook- rajeev namdeo rana lidhori
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2- बुन्देलखण्ड के दर्शनीय स्थल 

बुन्देलखण्ड के दर्शनीय स्थल 
                      -सियाराम अहिरवार, टीकमगढ़
बुन्देलखण्ड की कुदरती बनक भोतई नोंनी हैं ।इतै के पहाड़ ,नदियां ,झन्ना ,कुदरती कुण्ड ,भौतई अनौखे हैं ,तबई तौ इतै कैऊ तीरथ स्थान हैं ।औ पूरे बुन्देलखण्ड में पुरा सम्पदा बिखरी परी है ।
कैऊ स्थान दर्शनीय हैं ।इतै सबई धरमन के तीरथ हैं ।सांची के बौध्द स्तूप तौ पूरी दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं । ऐसई पपौरा जी ,अहार जी ,नैनागिर के जैन मन्दिर सोऊ प्रसिद्ध हैं ।जां पै हर साल भाई मनई दरशनन के लानें आउत औ धरम लाभ उठाउत ।
इतै के ऊँचे पहारन पै भी कैऊ देखवे लाक स्थान हैं ।जिनमें भीमकुण्ड ,जटाशंकर के झन्ना ,अछरू मातन कौ कुण्ड ,केदारेश्वर के मंदिर हैं ।ओंड़छे की तौ कनई का है ,जितै सजुअर राम राजा बिराजे हैं ।बेतवा नदी के करकै ई जगा कौ भौतई महत्तम है ।इतै कौ कनक भवन ,जहाँगीर महल ,कंचना घाट ,केशव कुटीर ,पुरा संग्रहालय ,भौत ही नोंनें औ दर्शनीय स्थान हैं ।जितै पै देश विदेशन से भौत पर्यटक घूमवे के लानें आउत ।
माताटीला औ कुरेंचा कौ बाँद पूरे देश में जानों जात ।
पपौरा जी में सैकरन मंदिर एकई जगा पै हैं ।जितै जैन धरम के दर्शनार्थी सैकरन की संख्या में रोजऊ दर्शन करवे के लानें आउत ।टीकमगढ नगर के ऐंगर कुण्डेश्वर धाम है ।जितै भोलेनाथ बिराजे है ,जिनकी मैमा कौ कछु बखान नई करो जा सकत ।इतै हर साल भौत बडौ़ मेला लगत ।जितै पूरे देश के कौनें -कौनें सें मांस आउत औ मेला कौ मजा लेत ।
चंन्देलकालीन खजुराहो के मंदिर तौ पूरी दुनियां में प्रसिद्ध हैं ।जिनकी कलाकारी देखवे के लानें दुनियां भर सें लोग आउत ।चित्रकूटधाम सोऊ दुनियां भर में प्रसिद्ध है।इतै कैऊ दर्शनीय स्थल हैं ।
-सियाराम अहिरवार, टीकमगढ़
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3---- बुन्देलखण्ड के दर्शनीय स्थल ---
बुन्देलखण्ड के दर्शनीय स्थल ---
                  कल्याणदास साहू " पोषक "

 बुंदेलखंड में दर्शनीय स्थलन की कोंनउँ कमी नइंयाँ । संसार भर के आदमी इतै के सुन्दर-सुन्दर स्थलन खों देखबे आउत और भौत सराहना करत । एक सें बढ़कें एक दर्शनीय स्थल पूरे बुन्देलखण्ड में देखबे खों मिल जात । सुन्दर-सुन्दर पहाडि़याँ , झरना , नदी , तालाब ,प्राचीन इमारतें ,कुण्ड इत्यादि । प्राकृतिक स्थल तौ भरपूर हैंइ , येइ के संगे मानव निर्मित स्थल सोइ भौत से हैं , जो हमें अपनी तरफ आकर्षित करत । ऐसोइ एक मनोहारी स्थल है -- माताटीला - बाँध ।
ई- दर्शनीय स्थल पै साँसउँ भौत नोंनो लगत । सबरे हाँर हरियाली फैली , सुन्दर पहाडि़यन के बीच सुन्दर बाँध है । जौ बाँध बेतवा नदी पै बनाव गओ । बाँध के चौतरफन भौतइ मनमोहक दृश्य देखबे मिलत । एक तौ बाँधइ भौत सुन्दर है ,फिर सुन्दर बगीचा ,सुन्दर- सुन्दर पेड़- पौधे ।
काॅ कनें इतै की । जा लगत के इतइं बैठौ रबै , इतइं घूमत रबै ।
माताटीला बाँध तक पौंचबे के लानें सबसें सुविधाजनक मार्ग है 'तालबेहट' सें । तालबेहट ललितपुर जिला में आउत । ललितपुर जिला बुन्देलखण्ड कौ प्रसिद्ध जिला है । ई जिला मे बाँधइ बाँध बनें । जैसें राजघाट बाँध , माताटीला बाँध आदि ।
हाँ तौ माताटीला बाँध तक पौंचबे के लानें अपुन खों सबसें पैल तालबेहट पौंचनें परत । फिर उतइं सें पक्की डामर की सड़क माताटीला बाँध तक गई । मिलिटरी एरिया सोउ बाँध तक फैलौ है ।
माताटीला बाँध भौत विशाल है । जब बाँध पै पौंचत और पानी के भराव खों देखत तौ आँखें फिर जातइ । जाँ तक निंगा पसरत पानीअइ पानी दिखात , सुन्दरता देखतनइं बनत । भौतइं उमदा बाँध बनों है । येइ बाँध सें बिजली सोउ पैदाँ होत । ऊ कौ संयंत्र भी बाँध के ऊ छोर पै है । ई बाँध सें सिंचाई के लानें नहरें निकरीं । येइ बाँध सें पीबे कौ पानी झाँसीं शहर तक सप्लाई होत ।
बाँध की ऊँचाई भौत है , नेचें देखो तौ डर लगत । दूर-दूर तक मगरन के झुण्ड के झुण्ड दिखात । बाँध के नेचें बगल साइड में भौत सुन्दर बगीचा है । भौत नोंनो  लगत । इतै घूमबे के लानें पूरौ दिन चानें ।
 ई बाँद कौ नाव माता के टीला (टेकरी) के कारन माता टीला बाँद परो है। बाँद के ऐगर एक टीले पै माँ जगदंबा कौ भौत पुरानौ और भव्य मंदिर है । जाँदातर लोग बाँद, बगीचा व लाइटिंग देख कें आ जात ।

  --- कल्याणदास साहू " पोषक ",
     पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र)
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4-कुंडेसर धाम -बुंदेलखंड के दर्शनीय स्थल
       कुंडेसर धाम
          -रामेश्वर राय परदेशी ,टीकमगढ़
 
अपनें टीकमगढ़ के एगर कुंडेसर बब्बा को जमडार
नदिया के करकें भौतई नामी धाम है असपेर के मानस औऱ जनीं दरशन  करवे आउत एक बात कयें कुंडेसर बब्बा अब
ढाय या उखरे ते उनें कोउ नेथापो नोंई हते ओरछे में भगवान राम राजा सरकार को बास है उनें राजा मधुकर शाह जू की रानी कुंवरि गनेश पुक्खन पुक्खन अजुद्धया सें लुवा लियाई ती
 अपने गाँवन गांवन में विराजे लाला हरदौल जू राजा जुझार सींग  के हलके भईया  हते अकेलें  चुगलखोरन की
बातन में आ कें जैर के भोजन रानी चम्पावती सें  करवा दये ते  ई से लाला हरदौल सरग राजा हो गय ते  उनकी मूरत फूलबाग में लगे चित्रकूट धाम में भगवान राम  बारा साल रय लछमन टेकरी हनुमान धारा राम घाट  भौतई नामी हैं अत्रि  मुनि की पत्नी सति अनुसूइया जू ने तपिस्या करके मन्दाकिनी नदी खों
चित्रकूट भूमि पे ल्याई ती अनुसुईया जु की पतिव्रत धरम
की परिच्छा लेवे के लाने भोले बब्बा विरमा जू विष्नु जू तीन ई जने आय ते  और ऊटपटांग बात कई सो सति अनुसूइया जू ने  हलको  हलको सो मोड़ा बना दव  तीनई रोउन लगे
उने तीनई देवतन ने मताई मानो बोलो कामता नाथ की  जय।
                         -रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़
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5- बुंदेलखंड का तीर्थ स्थल -औरछा
बुंदेलखंड का तीर्थ स्थल -औरछा

                       - वीरेंद्र चंसौरिया, टीकमगढ़
-बुंदेलखंड में तौ कैउ दरसन करबे लाक स्थान हैं और उतै रोजउँ दरसन करबे बारन की भीड़ लगी रत । सबसें जादा भीड़ त्योहारन पै रत । लोग तरकेउपर चढ़त । ओरछा,कुण्डेश्वर और अछरू माता के मंदरन की भीड़ तौ देखबे लाक रत । खूब धूरा उड़त ।खूब हल्ला होत । घूमतन में लोग  एक दूसरे में घलत आगें बढ़त जात । जो चाय हो जाय पर मेला पूरौ घूमने और सामान खरिदने । केउ भड़याई करत , पकरे जात और पुलिस की मार खात ।
                          - वीरेंद्र चंसौरिया, टीकमगढ़
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6- बुन्देलखण्ड के दर्शनीय स्थल 
बुन्देलखण्ड के दर्शनीय स्थल 
                -सीताराम राय ,टीकमगढ

अपनो जो बुन्देलखण्ड को सबसे नोनो दर्शनीय स्थल है इते तो ऐसे-ऐसे क्षेत्र है कई नई जात अब देखो टेरी सें ११-१२ मील पै बगाजन को शक्ति पीठ है जिते सांसंऊ भुवानी बैठी है जो टेरी सें सागरे जौन गैल गई ओई पै गुदनवाय से तीन-चार मील जाने परत एक गैल बुड़ेरा जाव सो छिन्दरपुर (सुन्दरपुर) सें दोई किलोमीटर परत है भौतई नौनो स्थल है इते कई जात है कै 
कैसऊ कुत्ता ने काटो होय माता झार देत सांप बिच्छू को जहर सोऊ झार देत माता । इते कुवांर की नो देवन में बडो भारी मेला लगन लगो इते नवें दसें खों इतने जवारे आउत कै उते बनत नैया भौतई नौनो देव स्थान है देखवे जोग भौतई नौनो मनिहारी प्रकृति सें भरो स्थल है ।
जै बगाजन मताई की जै होय 
-   -सीताराम राय ,टीकमगढ
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7-भीमकुँड(बाजना) एतिहासिक दर्शनीय  स्थल 
भीमकुँड(बाजना) एतिहासिक दर्शनीय  स्थल 
                          -रघुवीर आँनद टीकमगढ

छतरपुर  जिले  में बडामलहरा/दरगुवाँ से 10/12 किलोमीटर पूरव दिशा  में एक ऐतिहासिक  पर्यटन  स्थल  (भीमकुँड) के नाम  से  जानो  जात  हैंकिवदँती  है महाभारत  के  समय  पाँडवो  खोँ  अग्यात  वनवास  दव  तो सो  पाचोँ  भैया इतै  कै  घनै  जँगल  मे कछु  समय  रय   ते   ऊतै  दूर  दूर  तक पानु  नही  दिखो  भैयन  भोत  कसकी  पियास  लगी  विचार  करो  का करी  जाय  तब  सबसे  बलशाली  भीम  ने  अपनो  गदा/अस्त्र जोर  से मारो  जी  खूब  जलधारा  निखरी और  कुँड जैसो  बन  गवो  एई  से  ऊको  नाव  भीम  कुँड  परो  बिलकुल  साफ   पानु  जी मे  कजन  की  दार पथरा  डारो  तो  गैराई  तक जात जात  साफ  दिखत  हैं  पानु ईत्तो  जूडो बरभ  घाँई  लगत गैराई  अबै  लो  ना  जान  पाऔ  कोऊ  किवदँती  है  एक  बाबा  ने  गैराई  जानवै  अपनी  गुटान  कुँड  मे  डारी   तो  फिर लौट  के  नहीं  आई  पतो  परो  वा गुटान   प्रयाग  गँगा  जू  मे  उतरात  मिली  अबै  भी पहेली  अनबूझ  बनी  है।  
अब तो  कुँड  तक  सीढियाँ  रेलिंग चढबै/ उतरबै  खौँ  बन  गई  कुँड  मे  सुरक्षात्मक   उपाय  किये  गये  । मकर  संक्रांति  में  बडो  मेला  लगता है  । स्नान  को  पुण्य  गँगा  स्नान    जैसो  हैं  पक्की  सडक /आबै /जाबै  के  साधन  हो  गए  भीम  कुँड   एक  पहेली/अचम्भोँ  बनो  है  भूगोलवेत्ता /वैग्यानिक   जाँच  में  लगे  है  ।
                      आलेख  -रघुवीर आँनद टीकमगढ
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8-बुंदेलखंड के दर्शनीय स्थल- कालिंजर दुर्ग 
बुंदेलखंड के दर्शनीय स्थल- कालिंजर दुर्ग 
                       -सीमा श्रीवास्तव'उर्मिल', टीकमगढ़

बुंदेलखंड मध्य भारत कौ इक प्राचीन हिस्सा आय जौ मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कछू भागन में  फैलो है। इये पैलैं 
"जेजाकभुक्ति" के नाम सें जानौ जात तौ।
बुंदेलखंड कौ अपनों सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व है। बुंदेलखंड के २० दर्शनीय स्थल जग में बजत हैं।  जै हैं-
राजापुर ,चित्रकूट, कालपी ,झांसी, महोबा,उरई ,कालिंजर, ओरछा अजयगढ़, गवालियर, खजुराहो, दतिया ,गुना, गढ़कुण्डार, मैहर उन्नाव बालाजी, सोनागिरी, मऊ सानिया कुंडेश्वर और पन्ना ।
        आज अपन सब जनन खां कालिंजर दुर्ग लयं चलत। जो भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में विंध्य पर्वत पै बसौ है और खजुराहो सें ९७.६ किलोमीटर पड़त है। कालिंजर के दुर्ग की गिनती भारत के सबसे बड़े और अपराजित दुर्गन में होत है जो ग्रेनाइट पत्थर सें बनौ है।इ किला पै चंदेल राजपूत और रीवा के सोलंकी राजन कौ अधिकार रयौ।ईपै महमूद गजनबी, कुतुबुद्दीन ऐबक शेरशाह सूरी और हुमायूं ने चढ़ाई करी अकेलें जीत ना पाय। इ किला में  बड़ौ पुरानो नीलकंठ मंदिर है जौ तीसरी सें पांचवी सदी में गुप्त काल में बनवाओ गयौ।
ऐसौ कयौ जात है कै सागर मंथन सें निकले कालकूट विष पीवे के बाद भगवान शंकर जी ने इते तप करकैं दाह खां शांत करो तो। 
 शेरशाह सूरी की मृत्यु कालिंजर किले पर आक्रमण के समय बारूद के ढेर में हुए विस्फोट से हो गई थी पर किले पर उसका अधिकार हो गया था। उस समय कालिंजर पर चंदेल राजा कीरत सिंह ( रानी दुर्गावती के पिता) का राज था।
     इते कातिक की पूनैं खौं मेला लगता है जी कौ सांस्कृतिक महत्व है।

             -सीमा श्रीवास्तव'उर्मिल', टीकमगढ़
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आज की समीक्षा
जय बुन्देली साहित्य समूह, टीकमगढ़
विधा - बुन्देली गद्य लेखन ।
विषय-बुन्देलखण्ड के दर्शनीय स्थल 
दिनांक 31 /07 /2020 

बुन्देलखण्ड की अलग ही अपनी संस्कृति,भाषा ,बोली ,साहित्य ,परंम्परा ,और इतिहास रहा है ।ई कौ  मूल कारन है इतै की कुदरती बनावट इतै के दर्शनीय स्थान ।इनई सब बातन खों उजागर करवे पटल के सबई लेखकन खों बुन्देल खण्ड के दर्शनीय स्थानन पै लेख लिखवे के लानें दव गऔ तौ ।जीपै भौतई कम जनन नें अपनी कलम चलाई ।सबसें पैलां मैईं ने ई विषय पै लिख डारो । फिर आये हमाए पटल के संचालक श्री राजीव नामदेव जी 'राना लिधौरी' जिननें बुन्देलखण्ड कौ पावन प्राकृतिक तीर्थ अछरूमाता ।पर भौतई नोंनों और सारगर्भित लेख लिखो ।बाट हेरत -हेरत श्री कल्यान दास  पोषक जू नें अपनों लेख भेजो ।जीमें बुन्देलखण्ड के प्राकृतिक सोंदर्य के संगै-संगै उतै के तीरथन उर दर्शनीय इस्थान कौ भौतई नोंनों वरनन करो ।
श्री रामेश्वर राय परदेशी जू नें भी अपनों रोचक उर सारगर्भित लेख लिखो ।जीमें चित्रकूटधाम के अनुसुइया आश्रम का इतिहास परक वरनन करो ।
श्री वीरेंद्र चंसौरिया जी नें लिखो कै इतै के सबई तीरथन पै मेला लगत जितै भाई भीड़ परत ।
बगाजमाता मंदिर कौ वरनन करत भये श्री सीताराम राय नें अपनें लेख में लिखो कै जियै कुत्ता ,साँप ,बिच्छू काट खाय वौ बगाजमाता माता पौच तनईं ठीक हो जात ।ऐसी माता की किरपा है।
श्री रघुवीर जी आनन्द ने महाभारत के सन्दर्भ खों लैकै भीमकुण्ड बाजना की भौतई नोंनी जानकारी दई ।
सुश्री सीमा श्रीवास्तव जी नें अपने लेख में कालिंजर दुर्ग के ऐतिहासिक महत्व खों बताउत भये ,खास बात बताई कै ई किले खों कोऊ पराजित नई कर पाओ ।श्री गुलाब सिंह जू भाऊ नें बुन्देलखण्ड में कौन तीरथ स्थान कितै है ,ईकी भौतई नोंनी जानकारी दई ।
ई तरां सें आज पटल पै भौतई कम जनन नें अपनें लेख भेजे ।जितने भी आलेख आये वे भौतई नोंनें,ऐतिहासिक, और शोधपरक हैं ।सबई ने बढिया लिखो ।
आज पटल पर श्री रामगोपाल रैकवार जी ,श्री अभिनन्दन जी गोइल ,श्रीराज गोस्वामी जी उपस्थित रये ।जिनने सबई जनन के लेख पढे औ उनकौ उत्साहवर्धन करो ।

समीक्षक - सियाराम अहिरवार ,टीकमगढ 
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बुंदेलखंड के पावन तीर्थ स्थल

संपादक राजीव नामदेव राना लिधौरी
प्रकाशन-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
प्रकाशन दिनांक 31-7-2020
©कापीराइट- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' टीकमगढ़
मोबाइल- 9893520965

बुन्देलखण्ड कौ पावन प्राकृतिक तीर्थ-‘‘अछरूमाता’’:- -राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’’ टीकमगढ़

बुन्देलखण्ड कौ पावन प्राकृतिक तीर्थ-
‘‘अछरूमाता’’:-   
  -राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’’   

   हमाओं बुन्देलखण्ड प्राकृतिक संपदाओं उर तीर्थ क्षेत्रन से भौत संपन्न है। इतै पै एनई पावन तीर्थ स्थान उर प्राकृतिक स्थान है।  बुन्देलखण्ड में एक खास बात जा है कै इतै जितैक भी प्राकृतिक स्थान है उन सभइ स्थानन में कोउ न कोउ तीर्थ जरूर हुइये, जैसे- चित्रकूट में भगवान राम कों मंदिर, छतरपुर जिले में जटाशंकर में भगवान भोलनाथ कौ मंदिर, दतिया के रतनगढ़ में प्रसिद्ध रतनगढ़ माता कों मंदिर, टीकमगढ़ में बेतवा नदी के करके बसो ओरछा में श्री राम राजा कौ मंदिर, अछरूमाता जी कौ मंदिर एवं बल्देवगढ़ में विंध्यवासिनी माता जी कांे मंदिर, सोनागिरी में पहाड़ पै  तनक-तनक से बन्न-बन्न के एक साथ लगभग 100जैन मंदिर बने है, उन्नाव बालाजी में नदी के करके सूर्य मंदिर है,जबलपुर में भेड़ाघाट में नर्मदा नदी पै संगमरमर की चट्टान के बीचा भौत नोनो जलप्रपात है। भीमकुंड, आदि ऐसइ बिलात प्राकृतिक स्थान है।   
   ऐसई बुन्देलखण्ड के टीकमकढ़ जिले में एक भौत नोनो तीर्थ इस्तान है  ‘अछरूमाता’। इतै पै एक प्राकृतिक कुण्ड में से अपने आप पानी निकलता है उर इ कुंण्ड को पानी कभउ नई सूखत है। जो तीर्थ बुन्देलखण्ड के टीकमगढ़ जिला मुख्यालय सें  टीकमगढ़-पृथ्वीपुर गैल पै 40 किमी. की दूरी पै स्थित है  सन् 1907 में प्रकाशित गजेटियर में सोउ इ इस्थान कौ उल्लेख करो गओ है। अब से लगभग 72 वरस पैला झाँसी संे 3-4 जनन की एक मित्र मण्डली अछरूमाता के दर्शन करवे के लाने आयी हती। इ जात्रा कौ वर्णन करत भए श्री वीर ने लिखौ है कै-‘‘सर्वप्रथम हम लोग एक पहाड़ी पर चढ़े। ऊपर पहुँचकर एक युवक ने एक पत्थर को हिलाया तो उसमें से जोर की आवाज निकली। फिर उसकी धूल को मस्तक पर लगाते हुए उसने बताया कि मंदिरों में जैसे घण्टा होता है वैसे ही यहाँ पत्थर है। यात्री लोग इसे बजाकर अपने आने की सूचना देते है। हम लोगों ने भी उसे हिलाया और पहले जैसी आवाज हुई।  
  इसके पश्चात् हम लोग चोटी पर पहुँचे। वहाँ मिट्टी के दो घर बने हुए है और  क मंदिर के पास एक जगह पत्थरों से घिरा हुआ एक छोटा सा घेरा था। अनेकों नये-पुराने झंडे वहाँ फहरा रहे थे। यहाँ आकर मेरे मन में उत्सुकता उत्पन्न हुई उस कुण्ड को देखने की, जिसके बारे में, एक विस्मय जनक बात सुनता रहता था। पूछने पर मालूम हुआ कि यह घेरा ही कुण्ड है। कुण्ड की परिधि लगभग एक फुट के लगभग होगी। मैला सा पानी उसमें भरा था। हम लोगों ने भेंट चढ़ाकर प्रसाद माँगा और पण्डा जी ने हमारी ओर से विनती की। पहले पहल तो पानी में कुछ बुलबुले आये, तदानन्तर अपने आप ऊपर आकर प्रसाद तैरने लगा। किसी को गिरी मिली, किसी को जवा, गेहूँ, देवल और किसी को मलीदा। हमारे आश्चर्य का ठिकाना न रहा।’’  इतने ऊँचे स्थल पर कहीं भी पानी नहीं है पर इस कुण्ड में पानी कैसे आ गया। इस पानी के ऊपर तरह-तरह का प्रसाद अपने आप कैसे तैरने लगता है ? पास खडे़ लोगों से मैंने इसका भेद पूछा तो एक ने कहा- ‘भैया जी, जगदम्बा महामाई को प्रभाव आय’।    ई कुण्ड की गैराई के विषय में बिलात किंवदंतियाँ प्रसिद्ध है। कओ जात है कै एक दार एक राज्य कर्मचारी ने इमें अपनौ भालौ डारो हतो तो वो भालो तीन मील दूर पै वीर सागर के तला में निकरौ हतो। अछरूमाता के सम्बन्ध में भौतइ तरां की कथाएँ प्रचलित है। कछू जनन कौ कैवो  है कै अनेक महिलाओं कों माता बनवे कौ सौभाग्य इनई माता जू की कृपा से प्राप्त भओ है।    इ इस्थान कौ अछरू माता नाँव पड़वे की एक जनश्रुति है कै दक्ष प्रजापति के यज्ञ में जब कुपित होकै सती जू ने अग्नि कुण्ड में अपनी स्वयं की आहुति दयी तो भगवान शंकर सती जी के अधजरे शरीर कांे अपने कंदां पै धरकै निकरे। हते तो कई जात  है कै सतीजी के अँसुवाँ इतई गिरे हते।  उ अँसुउन सेइ कुण्ड कौ जनम भऔ उर अँसुवाँ शब्द सेइ मुख सुख की प्रवृत्ति शिकार होकै असरू उर फिर असरू से बिगडकै अछरू हो गऔ। पन जा बात गले नइं उतरत कि अधजरी देह से अश्रुपात होना तो कोनउ भी दशा में संभव नइयाँ कजन की दारं शंकर जू की इ दुख की घड़ी में अश्रुपात होवो बताओ गओ है तो कछू अंशों में विचार करो जा सकत तो।    अछरूमाता कौ नाँव पड़ने के कारण कौ उल्लेख करत भए टीकमगढ़ के जनवा डाॅ. काशी प्रसाद त्रिपाठी ने लिखौ है कै ‘अछरूमाता कौ नाँव अछरू यादव नाँव के एक चरवाहे की खोज के कारण भओ हैं 
ऐसी लोक किंवदंती है कै अछरू नाँव कौ एक बरेदी (चरवाहा) प्राचीन काल में इतै के घन जंगल में टौरियाऊ चट्टानी जगां पै बैठकै ढोर चराओं करततो। जितै वो बैठौ हतो, उतई पै एक कुण्ड हतो जीमें उनै जल भरौ देखौ। अछरू ने उ कुण्डी में और जादां जल डारौ, पै कुण्ड कौ पानी जितैक हतो,उतेकइ रओ, बल्कि जो कछू वो डारतो उ के विपरीत उये कछू भोग प्रसाद मिल जाततो। अछरू ने इये देवी माता कौ चमात्कार उर सिद्धि मानौ। उके बाद में उतै के भक्त जनन ने इय अछरू की माता अथवा अछरूमाता नाँव दऔ। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में जो सिद्ध क्षेत्र अछरूमाता के नाँव से प्रसिद्ध है।    
इतै एक खास बात जा है कै इतै कुण्ड कों पानी परसाद के रूप में दओ जात है जिसे भौतई बुरई बसांद सोउ आत है पै फिर भी भक्तजन माता कौ परसाद मान कै  पियत है उर अबै तक कोउ उ पानी को नह कै बीमार नई परौ है, बल्कि कुण्ड कौ पानी माता की कृपा सें दवा कौ काम करत है। जेई कारण है कै इतै की प्रसिद्धी एनई है। सब माता की कृपा मानत है। तबई तौ जो एक बुन्देलखण्ड कौ एक पावन तीर्थ बन गओ है।             प्राचीनकाल में केवल इतै जलकुण्ड के कारण ही अछरूमाता नाँव मान्यता प्राप्त रओ। परंतु अबै अछरूमाता एक सिद्ध क्षेत्र के रूप में विकसित हो गऔ है। कुण्ड पै एक सुंदर आधुनिक मंदिरमय सभा मण्डप,गर्भगृह एवं खुली प्रदक्षिणा कौ निर्माण हो गऔ है। गर्भ में संगमरमर की देवी की दर्शनीय प्रतिमा प्रतिष्ठित है। विशाल परिक्षेत्र में शिव मंदिर, हनुमान मंदिर, नौ देवियों की मूतियाँ, बनी है। श्रद्धालुअन कौं ठहरावे के लाने कैउ धर्मशालाएँ, विशाल पक्के प्रांगणों कौ फर्शीकरण,करके टीन शेड लगा दय गये हैं क्षेत्र के विशाल अंलकृत प्रवेश द्वार, जलापूर्ति के लिए कुआँ उर नल की व्यवस्था है। एक बड़ौ सौ प्रवेश द्वार सोउ बन गओ उतई पै नारियल फोरवे के लाने उर अगरबत्ती लगावे के लाने बाहरे गेट के एंगरें पै एक इस्थान बना दओं गओ है उतई पै सबई जने नारियल फोर के भीतर मंदिर में ले जाके परसाद चड़ाउत है। गेट के बायरे के समाज के लोगन ने पनी-पनी धर्मशालाएँ बना लयी है। जीमें निःशुल्क रैवे की व्यवस्था है। उतई पे उ समाज के लोग टीका-पटा करत है।    
              इतै पै नौ देवियन के समय मेला लगत है लाखों लोग अछरूमाता के दरसन करवें आत है उन मन्नत माँगत हैं। अपनी मनोकामना पूरी होवे में नाच गाने के साथ फिर के आकै अपनी हाजिरी लगाउत हैं। इतै पै कजन की दार सच्चे मन से जनानी मन्नत माँगे तो उकी सुनी गोद भर जात है सैकड़ों की गोद माता जी की कृपा सें भरी है। इतै पे आके माता के दरबार में ऐंगरें के केउ गाँव के लोग व्याव रचाउत हैं शादी ब्याब के लाने इतै बुलाके माता के सामू मोड़ा-मोडी दिखाउत उर पसंद करत है। रिश्ता पक्कौ कर है उर गरीब जने इतई पै पने बच्चन कौं व्याब करत है। दिवारी के समय पै कैउ मोनिया माता के दरवाज में आके इतई पै अपनो मौन तोरत है।  
   ई तरां सें आज अछरूमाता एक पावन उर परसिद्ध तीर्थ इस्तान हैं। इतै पै सैंकड़ो जने रोजउ दरसन करने आत है।
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  राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’  
संपादक ‘आकांक्षा’ पत्रिका   
 शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.)    
 पिनः472001 मोबाइल-9893520965   
   E-mail- ranalidhori@gmail.com 
 Blog- 
rajeevranalidhori.blogspot.com   
 Facebook- rajeev namdeo rana lidhori

गुरुवार, 30 जुलाई 2020

Awards- Rajeev Namdeo Rana lidhorI

#स्वदेशी_मेला में #कवि_सम्मेलन की धूम :-

दिनांक-12-3-2024 की #स्वदेशी_जागरण_मंच के तत्वावधान में ज़िला #टीकमगढ़, नज़रबाग प्रांगण  #स्वदेशी_मेला में शानदार #कविसम्मेलन
मैं अपनी प्रस्तुति देते हुए एवं सम्मानित होते हुए
#Rajeev_Namdeo #Rana_Lidhori
मुख्य अतिथि थे ज़िला के संघचालक महोदय श्री #शिरीष_बिहारी_मिश्रा जी। शानदार संचालन #गीतिका_वेदिका जी का था।
स्वदेशी मेला में हमें स्थान और सम्मान देने हेतु मेला प्रबंधक समिति एवं श्री #प्रजातंत्र_गंगेले जी का हृदय तल से #आभार
#राजीव_नामदेव #राना_लिधौरी


दिनांक-12-3-2024 स्वदेशी मेला टीकमगढ़ में आयोजित कवि सम्मेलन में सम्मानित होते हुए
date.25.2.2024 bhander 
akhilbhartiya bundeli smaroh
by Ravindra satyarthi
date 1.12.2023
pahuna lok jan samiti



date-17-9-2023
mp rashtyabhasha prachar samiti tikamgarh

Date-30-7-2023
Baramlehra kavi sammelan

Date.25.7.3023 bhopal

date 20-6-2023

negua date28-5-2023

दिनांक-19-3-2023 अखिल भारतीय साहित्य परिषद् टीकमगढ़ का वार्षिकोत्सव कवि सम्मेलन
दिनांक-26-2-2023 टैगौर हाल, टीकमगढ़
दिनांक 14-2-2023 राज शाही शहनाई गार्डन टीकमगढ़
कवि सम्मेलन एवं मुशायरा एवं हाजी ज़फ़रउल्ला खां ज़फ़र साहब के आठवें ग़ज़ल संग्रह अश्क़ का विमोचन समारोह
दिनांक 27-1-2023 को गोंगाबेर मंदिर टीकमगढ़ में आनंद क्लब टीकमगढ़ द्वारा मुझे शाल, श्रीफल व उपहार देकर सम्मानित किया गया
दिनांक 1-1-2023 टीकमगढ़ कलेक्टर महोदय श्री सुभाष द्विवेदी जी द्वारा सम्मानित

दिनांक 28-12-2022 

13-11-2022पृथ्वीपुर
काव्य श्री सम्मान-2022

दिनांक 9-11-2022 जबलपुर
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Awards- Rajeev Namdeo Rana lidhorI
दिनांक -15-1-2021 बुंदेली साहित्य, संस्कृति एवं कलापीठ,पृथ्वीपुर (म.प्र.)में सम्मानित किया है-
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दिनांक-15-1-2021 गंजबासोदा
काव्य महारथी सम्मान
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दिनांक-7-2-2021 झांसी (उत्तर प्रदेश)
"साहित्य भूषण" सम्मान से विभूषित किया गया है
दिनांक-2-5-2021  *काव्य गौरव सम्मान*
गंजबासौदा (मप्र)
दिनांक-8-5-2021 जैमिनी अकादमी, पानीपत
डां सतीश दुवे स्मृति लघुकथा सम्मान 2021

विश्व हिंदी सचिवालय मारीशस द्वारा 2020

गोकुलदास हिंदू गर्ल्स कालेज, मुरादाबाद
दिनांक-17-9-2021


दिनांक-17-10-2021 फिरोजाबाद उप्र
दिनांक-8-12-2021टीकमगढ़
दिनांक-15-12-2021 बुंदेली कवि मंच बुंदेलखंड द्ववारा आयोजित चौकडिया प्रतियोगिता में तृतीय स्थान

दिनांक-23-1-2022 को बुंदेली कवि मंच बुंदेलखंड द्वारा सम्मानित किया गया। मैंने कवि सम्मेलन की अध्यक्षता की थी।

्दिनांक--8-4-2022 रायपुर
राम चिरैया सम्मान-2022


दिनांक-17-4-2022 संत रामदास कालेज टीकमगढ़ में तुलसी रत्नावली वार्षिक सम्मान समारोह में
साहित्य संवाहक सम्मान से अलंकृत हुआ हूं
दिनांक-4-8-2022
गहोइ वैश्य समाज टीकमगढ़ द्वारा डॉ मैथिली शरण गुप्त जयंती पर आयोजित कवि सम्मेलन में सम्मानित होते हुए  झलकियां
दिनांक-15-8-2022 शासकीय जिला पुस्तकालय टीकमगढ़ में आजादी के अमृत महोत्सव पर आयोजित कवि सम्मेलन में सम्मानित होते हुए-


आज दिनांक 2-10-2022 बमनोरा कलां जिला छतरपुर कवि सम्मेलन में
काव्यपाठ करते हुए सम्मानित होते हुए
* #राजीव नामदेव राना लिधौरी' (टीकमगढ़)


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