किसानी 'बुंदेली दोहे'-
सबखों खाबे देत है,
खुद भूकौ रै जात ।
करजा में डूबो सदा,
माल दूसरे खात ।।
हाड तोड मेनत करै,
तबइ उपज मिल पाय ।
करजा कर कारज करे,
बोज तरे दब जाय ।।
कारोना की मार है,
सूका सें हैरान ।
बैठे हांतन-हांत धर,
का करिए भगवान ।।
बीज बोय ते मेन्त सें,
कर बरखा की आस ।
पानी तौ बरसौ नईं,
होत किसान निराश ।।
टप-टप अंसुवा गिरत है,
कैसो है जो साल ।
साउन सूकौ कड़ गऔ,
है किसान बेहाल ।।
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© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
अध्यक्ष मप्र लेखक संघ टीकमगढ
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,टीकमगढ़(मप्र)472001
मोबाइल -9893520965
1 टिप्पणी:
Jai jawan jai kisan
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