Rajeev Namdeo Rana lidhorI

सोमवार, 20 जुलाई 2020

लघुकथा -आया सावन झूम के-राजीव नामदेव 'राना लिलौरी'

लघुकथा - " आया सावन झूम के"

     भैया गुजरात में काम करते थे लेकिन हर साल सावन और दिपावली पर घर जरूर आते थे। लेकिन इस बार कोरोनावायरस के कारण लगे लंबे लाकडाउन और बस-रेल सभी साधन बंद है। भैया बोले काम जो फिर से शुरू हो गया है  सुरक्षा की दृष्टि से अब सावधानी रखते हुए एक दिन छोड़कर बुलाया जा रहा है।
    इसीलिए उन्होंने मोबाइल पर बताया कि वे इस बार सावन पर रक्षाबंधन पर घर नहीं आ पायेंगे। सुन बहुत बुरा लगा, फिर सोचा उनकी भी मजबूरी है। कोई पास तो है नहीं जो सुबह चले और शाम को आय गये। 
   राखी के चार दिन ही बचे थे कि कोरोनावायरस ने इस बार वहीं पर धावा बोल दिया जहां काम करते थे चार लोग पाज़िटिव पाये गये मालिक को मजबूरन कुछ दिनो के लिए सभी की छुट्टी करनी पड़ी। पहले सभी की जांच का सेंपल लिया गया और कहा कि रिपोर्ट आने पर आपको सूचना मोबाइल पर दे दी जायेगी। जांच दो दिन बाद आयेगी।
तब भैया ने सोचा कि यहां कुछ काम तो है नहीं क्यों न अपने घर ही चला जाऊं। कुछ जुगाड करना पडेगा बस तो चल नहीं रही किसी मालवाहक वाहन से ही पहुंचा जा सकता है। वे किसी तरह अपने घर पहुंचने में सफल हुए बिना पूर्व सूचना के घर आने पर सभी खुश हुए बहिन ने कहा एक मोबाइल नहीं कर सकते थे।
भैया बोले ये सरप्राइज है। राखी के दिन बहिन ने बड़े ही प्यार से राखी बांधी और भैया ने उपहार में एक सुंदर सी साड़ी भैट की दोनों भाई बहन बहुत खुश थे इतने में एख बादल ने खूब पानी बरसाया और सावन आया झूमकर तो ढेर सारी खुशिया साथ लाया।
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-राजीव नामदेव "राना लिधौरी"
संपादक आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे ,शिवनगर कालोनी, टीकमगढ़ (मप्र)
मोबाइल -9893520965



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