Rajeev Namdeo Rana lidhorI

मंगलवार, 14 जुलाई 2020

नीम(बुंदेली दोहे संकलन)- संपादन राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़



नीम पर केन्द्रित कुछ बुंदेली दोहे

संपादक-राजीव नामदेव "राना लिधौरी"
प्रकाशक-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
पता -राजीव नामदेव "राना लिधौरी"
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
अध्यक्ष मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी 
टीकमगढ़ (मप्र) 472001भारत
मोबाइल- 9893520965
Date of Publish- 14-7-2020
@ Rajeev Namdeo 'Rana Lidhori', Tikamgarh (M.P.) India
Mob.- 91+ 9893520965

नीम पर केन्द्रित कुछ बुंदेली दोहे

1
द्वारे की सोभा बड़ी,
हिलें नीम की डार।
दातुन, हवा, दवा मिलै,
झूला झूलै नार।।
             -राजीव नामदेव "राना लिधौरी"(टीकमगढ़)

2
नीम मुखारी जो करें,
निन्नें पत्ती खायं ।
जुर- बुखार आबें नहीं,
बूढे चना चबायं ।।
             -डॉ. देवदत्त द्विवेदी 'सरस',(बड़ा मलहरा)

3
ओखद बारे गुनन सें,
नीम भौत भरपूर।
नित प्रति सेबन करे सें,
रोग भगें सब दूर।।
            - प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष (टीकमगढ़)

4
नीम करव तौ होत है,
गुर डारें करवाय।
कैउ रोग मिट जात हैं,
रोज-रोज जो खाय।।
                         -गुलाब सिंह यादव भाउ ,(लखौरा)

5
बैठी तौ पंचात है,
देख रऔ है नीम।
लट्ठ-न्याय के सामनै,
की की चलबै चीम।। 
                      -रामगोपाल रैकवार (टीकमगढ़)

6
होंन व्यान में पत्तियां,
दाद खाज में खट्ट।
दातुन नीमईं की करौ,
रोग मिटाबै झट्ट।।
                    -अशोक पटसारिया नादान (लिधौरा)

7
नीम छाल, पाती मिला,
औसद बैद बनाइ।
चर्म रोग मिट जात हैं,
चढ़ै न ताप-तिजाइ।।
              -रामेश्वर राम 'परदेशी' ( टीकमगढ़)

8
जो काया सुख चाइये,
नीमहि  गुन पैचान।
करव स्वाद में है भले,
ईखों अमरित जान।
                     -संजय श्रीवास्तव(मबई)

9
पत्ता मीठे नीम के,
डार कढी में खांय ।
खुशबू आबै खात में,
स्वाद सोउ बड़जाय ।।
                   - सियाराम अहिरवार(टीकमगढ)
10
नीम निबौरी सें बनें,
औसद कैउ हजार।
रोग हरै, दातुन करें,
स्वस्थ रयै संसार।।
                  -डां.रूखसाना सिद्दीकी(टीकमगढ)

11
गुर-घी सीं बातैं करैं,
मन के कडुए लोग।
इनसें साजी नीम है,
जौन नसावै रोग।।
            - अनीता श्रीवास्तव, (टीकमगढ़)
12
मंजन बुरुश खों छोड़ कें,
दातुन लो अपनाय।
रोज नीम की कीजिये,
दांत दरद मिट जाय।।
                - वीरेंद्र चंसौरिया (टीकमगढ़)
13
नीम पेड़ अति करव है,
पै गुनकारी जान।
रोग निरोधक गुनन सें,
देव तुल्य जौ मान।।
                   - अभिनन्दन गोइल (इंदौर)
14
कड़बी बातैं नीम-सीं,
नेकउ नहीं सुहायँ ।
असर औषधी सौ करैं,
सबरे दोष मिटायँ ।।
                 -अरविन्द श्रीवास्तव(भोपाल) 
15
पत्ता नीम वटोर कै,
घर में सुनो जराऐं।
धुआ करै मच्छर भगै,
घरै घुसन न पाऐं।।
                    -लखन लाल सोनी "लखन" (छतरपुर )
16
नीम देव सम जानिये,
महिमा वरनि न जाय।
पोर-पोर सब काम कौ,
घर कौ बैद कहाय।।
      -  सीमा श्रीवास्तव'उर्मिल' (टीकमगढ़)
17
पानी नीम उबाल कै,
बीत जाय जब घड़ी।
तुरत छान कै पी लियो,
औषध अचूक खरी।
              - रघुवीर अहिरवार आनंद (टीकमगढ़)
18
नीम छाल पानी चुरा,
 सपरे रोज ऊ रोज।
दाद,खाज, खुजली मिटे,
बढवे आभा ओज।।
                -प्रेम नारायण शर्मा 'प्रेमी'(अपरवल)

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नीम पर केन्द्रित कुछ बुंदेली दोहे
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