बिषय- "गुरु को समर्पित दोहे"
आज दिवस गुरू पूर्णिमा,
मना रहे हम आप।
इष्ट मंत्र का नित्य ही,
करिये मन से जाप।।
गुरु की जो सेवा करे,
मिले उसे सम्मान।
गुरु की ही आशीष से,
बनता शिष्य महान।।
गुरु सदैव ही बांटता,
निज सुगंध ज्यों फूल।
उनके ही सद् ज्ञान से,
मिट जाते जग- शूल।।
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रचनाकार-© राजीव नामदेव "राना लिधौरी"
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र) मोबाइल 9893520965
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