बुंदेली ग़ज़ल- "तुमाई का काने"
कर दऔ बंटाधार, तुमाई का काने।
बढ़ गऔ अत्याचार, तुमाई का काने।।
दंद फंद करकें उने तो सीट बचाने।
है भौतइ मक्कार, तुमाई का काने।।
भौत हो गयी अब तौ, गम्म नै खाने।
वे कर रय है वार, तुमाई का काने।।
खूब करौ व्यापार, तुमाई का काने।
बन गयी है सरकार, तुमाई का काने।।
मेंगाइ की मार,तुमें बस मौ चलाने।
मच रई हाहाकार, तुमाई का काने।।
ऊकी अक्कल लग जै फिर ठिकाने।
करने है बहिष्कार, तुमाई का काने।।
"राना" ने देखो है जो कलम चलाने।
अब हो गय बेकार, तुमाई का काने।।
###24-6-2020
राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़ (मप्र)
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