Rajeev Namdeo Rana lidhorI

बुधवार, 30 नवंबर 2022

मंगलवार, 29 नवंबर 2022

यात्रा (हिंदी दोहा संकलन ई-बुक) संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी',टीकमगढ़

*1*हरिकिंकर" भारतश्री, छंदाचार्य
 दि०२९-११-२०२२ भौमवार।
विषय(११२)यात्रा
पूज्यपाद प्रभु दत्त ने,किया महा शुभ काम।
भरतयात्रा का किया,प्रचलन अति अभिराम।।१।।
अवधधाम से यह चले, चित्रकूट  तक जाय।
यात्रा में मम् गुरुहिं की, 
प्रमुख भूमिका पाय।।२।।
जुड़ते संत महन्त सब,मणीछावनी द्वार।
यात्रा की अध्यक्षता, गुरु निज कंधे धार।।३।।
उन्नीस सौ सत्तर रहा, यात्रा का आरम्भ।
अगहन कृष्ण सु दोज से,बनता हैं दम खम्भ।।४।।
यात्रा जहाॅं पड़ाव हो, होय कथा सत्संग।
सविधि कीर्तन भजन हो,बाजें ढोल मृदंग।।५।।
चित्रकूट यात्रा पहुॅंच,रुकें जानकी घाट।
बड़ी गुफा कहलाय जो, तरुवर सोचें वाट।।६।।
मौलिक/स्वरचित
"हरिकिंकर" भारतश्री, छंदाचार्य

*2*  शोभारामदाँगी, नदनवारा
 1=जीवन लंबी यात्रा ,पग संभाल कि जाय  । 
काॅटा  चुभे न पाँव में ,जीवन सुख  में  पाय  ।।

2=चित्रकूट की यात्रा ,रही सुगम हर वार  ।
दर्शन पा कामदगिरी , घर ल्याये सरकार।।

3=हर क्षण "दाँगी" कीमती ,पग पग रखना ध्यान  ।
जीवन सुखमय पायगा, "दाँगी" हो कल्याण  ।।

4= कथा भागवत जो करैं,कलश यात्रा होय  ।
पण्डित ग्यानी ग्यान दें,"दाँगी" ग्यान सजोय  ।।

5=तीर्थ यात्रा जाइये ,अमल करो हर चीज  ।
"दाँगी"छोड़ कुरीतियाँ, रखते सदा  तमीज  ।।
मौलिक रचना 
शोभारामदाँगी, नदनवारा

[29/11, 9:47 AM] Promod Mishra Just Baldevgarh: मंगलवार हिंदी दोहा दिवस
विषय ,,यात्रा,,
*****************************
 यात्रा में पैदल चले ,गए ओरछा धाम
अविरल बहती बेतवा , सघन वनों का ठाम
******************************
पाताली हनुमान जी , बने विशेष विमान
यात्रा कोसल ओरछा ,नित्य करें भगवान
******************************
यात्रा करते राम जी , सीता अवध निवास
नमन ओरछा धीश का , शुभ प्रमोद इतिहास
*******************************
रामलला करी यात्रा , आए पुष्य नक्षत्र 
राज सौंप मधुकर दियो , लिख प्रमोद मय पत्र
******************************
यात्री यात्रा का कहे , भरें प्रमोद वृतांत
राम कृपा होता सुलभ , आनंदित एकांत
*******************************
यात्रा पुलक प्रमोद मय , हो जीवन की राम
प्रेम प्रभाकर प्रखर हो , अधर आपका नाम
******************************
         ,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
         ,, स्वरचित मौलिक,,

[29/11, 9:57 AM] Jai Hind Singh Palera: #यात्रा पर दोहे#

                    #१#
पद यात्रा की राम ने,नर बानर के हेत।
राह दिखाई समाज को,सीता लखन समेत।।

                    #२#
वाहन से यात्रा करें,मंद सुगम हो चाल।
तेज होय रफ्तार जो,जाय काल के गाल।।

                    #३#
यात्रा बद्रीनाथ की,गर्मी में हो शीत।
पल में पाप नशाय कें,होय पुण्य की जीत।।

                    #४#
पद यात्रा नेता करें,देते जन संदेश।
हर समाज से बे जुड़ें,हों जनता में पेश।।

                    #५#
शव यात्रा में मैं गया,देखा मृतक शरीर।
ज्यों सीमा पर सो रहा,भारत का बल वीर।।

#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#पलेरा जिला टीकमगढ़#
#मो०-६२६०८८६५९६#
[29/11, 11:58 AM] Amar Singh Rai Nowgang: हिन्दी दोहे, विषय - यात्रा
        दिनांक 29/11/2022

जीवन  यात्रा  जन्म  से, हो  जाती  आरंभ। 
अंत समय यह ज्ञान हो, मिथ्या होता दंभ।।

यात्रा चारों धाम से, मिलता  पुण्य- प्रताप।
देशाटन के साथ में, मिले खुशी अनमाप।।

धैर्य  धरे  यात्रा  करे, पाता  वही  मुकाम।
हटी  सावधानी  अगर, दुर्घटना  अंजाम।।

अंतिम  यात्रा  है  महा, कहता  है  संसार।
राम नाम ही सत्य है, इससे हो भव पार।।

जीवन यात्रा में पथिक, बढ़  मकसद  ले मूल।
नर तन हमको क्यों मिला,यह मत जाना भूल।

मौलिक/
                       अमर सिंह राय
                     नौगांव, मध्यप्रदेश
[29/11, 12:16 PM] R. K. Prajapati Jatara: नमन मंच
प्रदत्त शब्द-यात्रा
विधा-दोहे
*********************************
जीवन यात्रा अति कठिन,मिलते कई पड़ाव।
कभी मिलन हो प्रेम का,कहीं दिखे अलगाव।

राग द्वेष छल भावना,बाधा व्याधि अनेक।
यात्री  बन  यात्रा  करें, दुख दें  माथा टेक।

दूरदृष्टि धीरज प्रबल, साहस नम्र स्वभाव।
 यात्रा में  सहचर  बनें, लगे न  कोई घाव।

यात्रा चारों धाम की,जिसने की मन शुद्ध।
भव सागर से पार को,कहते सन्त प्रबुद्ध।

                      आर.के.प्रजापति "साथी"
                 जतारा,टीकमगढ़ (मध्यप्रदेश)
[29/11, 12:28 PM] Subhash Singhai Jatara: हिंदी दोहा दिवस , विषय - यात्रा 

जीवन   यात्रा  में  दिखें  , राहें   यहाँ   अनंत |
पथिक चला जब खोजने, मिला न कोई  अंत ||

यात्रा जाए कौन   कब , कहाँ   मिले आराम |
यात्री  सब  अंजान है , कहाँ    ढ़लेगी  शाम ||

कभी बिछड़कर हो मिलन , यह यात्रा का खेल |
पता नहीं इस बात का , कब  हो  किससे  मेल ||

जीवन   यात्रा  में मिलें , कहीं  कुटिल  संताप |
कहीं धर्म  की  है शरण ,  कहीं  लुभाते  पाप ||

कहाँ समापन की जगह , खोजो नहीं  सुभाष  |
यात्रा बस  करते  रहो ,   रखो  राम  से  आश  ||

सुभाष सिंघई
[29/11, 12:42 PM] Rajeev Namdeo Rana lidhor: संशोधित *हिंदी दोहा बिषय- यात्रा*

" *#राना_यात्रा_पर_चला "*
*1*
#राना  यात्रा पर चला , मिलते   गए   मुकाम |
मिल जाती  थी शुभ सुबह  , कहीं रात विश्राम  ||
*2*
#राना यात्रा पर चला , साथ चले कुछ लोग |
कुछ ने धोखा दे दिया , कुछ ने   जोड़ा योग ||
*3*
#राना यात्रा पर चला , मिले  सफलता फूल |
कभी- कभी कुछ बात भी , सिखा गई है भूल ||
*4*
#राना   यात्रा   पर  चला , करने   तीरथ धाम |
हर पग पर कर्तव्य की , धुन  सुनता अविराम  ||
*5*
#राना यात्रा पर चला , सुख दुख मिले पड़ाव |
पर हर्षित  मन से रहा,   पावन  रखकर भाव ||
*6*
#राना यात्रा पर चला , मिले   फर्ज  के धाम |
पूरा करने  जब रुका ,  दिखे वहाँ   पर  राम ||
***
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
[29/11, 1:49 PM] Shobha Ram Dandi 2: संशोधित दोहा 

शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ (म प्र)29/11/022 
बिषय--"यात्रा"हिन्दी दोहा =११२
१=जीवन लंबी यात्रा, चलो सभल के यार  ।
 काॅटा चुभे न पाँव में ,यह जीवन का सार   ।।

२=हर क्षण यात्रा कीमती ,पग पग रखना ध्यान  ।
जीवन सुखमय पायगा ,तभी होय कल्याण  ।।

३=चित्रकूट की यात्रा, रही सुगम हरवार  ।
दर्शन
पा कामदगिरी ,घर ल्याये सरकार
 ।।

४=कथा भागवत जो करैं, कलश यात्रा  होय  ।
पंड़ित ग्यानी ग्यान दें,"दाँगी"ग्यान सजोंय  ।।

५=तीर्थ यात्रा जाइये ,अमल करो कुछ  यार  ।
"दाँगी" तजो बुराइयाँ, रखना हैं सुविचार  ।।
मौलिक रचना 
शोभारामदाँगी
[29/11, 2:03 PM] Vidhaya Chohan Faridabad: संशोधित हिंदी दोहे
~~~~~
विषय- यात्रा
~~~~~~~~

१)
यात्रा  कोसों  दूर  की, नगर  शहर  या  गाँव।
इक पल में मन नापता, बिन डैना बिन पाँव।।

२)
जीवन  यात्रा  में  यहाँ,  होते  अनगिन  मोड़।
किसका कितना साथ है, कौन कहाँ दे छोड़।।

३)
यात्रा   कोई  भी   नहीं,  होती   है  आसान।
पहुँचेगा  तू  लक्ष्य  पर, बस चलने की ठान।।

४)
धरती  से  आकाश  की, ऊँची  भरो  उड़ान।
मत  डरना  व्यवधान  से, यात्रा  के  दौरान।।

५)
वन यात्रा  पर  राम जी, पहुँचे  गंग किनार।
केवट  क्या  संसार  को, राम  लगाते  पार।।

~विद्या चौहान
फ़रीदाबाद, हरियाणा
[29/11, 2:03 PM] Dr. Devdatt Diwedi Bramlehara: 🥀 हिंदी दोहे 🥀
    (विषय- यात्रा)

 रखता जो परिवार में,
     सबके हित का ध्यान।
जीवन यात्रा हो सरस,
      मिले मान- सम्मान।।

सुनें न समझे छंद रस,
     गुनें न कविता सार।
साहित्य यात्रा में सरस,
       राम नाम आधार।।

यात्रा से भव सिन्धु की
         जाना हो यदि पार।
नाव बना हरि नाम की,
       पकड़ प्रेम पतवार।।

त्याग पुराना पींजरा,
       काहे करे मलाल।
जग यात्रा पूरी हुई,
     छूटे जग जंजाल।।

डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस
बड़ामलहरा छतरपुर
[29/11, 2:05 PM] Dr Methili Sharan Shrieastava: दोहा दिवस
विषय।     यात्रा
अंतिम यात्रा जीव की,
कछू जने गय साथ।
पौंच चेटका विदा कर
झुका झुका कैं माथ।।
डा, एम, एस, श्रीवास्तव
[29/11, 3:20 PM] Prabhudayal Shrivastava, Tikamgarh: हिन्दी  दोहे    विषय   यात्रा

यात्रा करते सुबह से ,भुवन भास्कर  रोज।
दिव्य दमकती देह है, मुख मंडल पर ओज।

थोड़ा समय निकालिए, लगे  रहेंगे  काम।
यात्रा करने को चलें , मिल कर तीरथ धाम।।

यात्रा  चारों  धाम  की , करने ‌की  थी  चाह।
क‌इ बाधाएं  सामने  ,  खड़ीं  रोकती  राह।।

यात्रा करने  के  लिए ,   बैठे   हैं   तैयार।
कब संदेशा   भेज दे ,  ऊपर   की  सरकार।।

यात्रा भारत जोड़ने   ,  की  लेकर कुछ लोग।
निकल पड़े हैं सड़क पर, रहे  सभी सुख भोग।।

             प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
[29/11, 5:50 PM] Dr R B Patel Chaterpur: दोहा  यात्रा
             01
 जीवन यात्रा जीव की, चलती आठो याम। 
हाय हाय करता रहा,ना  ही कभी विराम। 
               02
यात्रा में या तन थके, मन पर नाही जोर ।
मन तो निशदिन चलत हैं, घूमत है चहुंओर।
                   03
 भवसागर करें यात्रा ,मिलते सुख दुख भोग । इनसे बच निकले अगर, मानव तन संयोग ।

 स्वरचित 
डॉक्टर आरबी पटेल "अनजान"
 छतरपुर।
[29/11, 6:05 PM] Brijbhushan Duby Baxswahs: दोहा
1-फलदायी यात्रा सदा,
 कीजिए बारम्बार।
काम क्रोध मद लोभ तज,
तभी "बृज" सुख सार।
2-यात्रा विविध प्रकार की,
की जाती श्रीमान।
जानी मानी सभी की,
बृज क्या करें बखान।
3-
कभी सभी पैदल चलें,
रथ घोड़ा असवार।
हाथी ऊँट कि पालकी,
यात्रा करें विचार।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा

[29/11, 7:35 PM] Asha Richhariya Niwari: संशोधित दोहे
जीवन यात्रा है सुखद,जो हमराही संग।
मनुआ फूलो है रहत,उठती नयी उमंग।।
🌹
पद यात्रा कौ है चलन,नेतन खों अति भाय।
आवे समय चुनाव को,जीत आस वॅंधवाय।।
🌹
वरयात्रा बारात है, कन्या ब्याहन जांय।
ढोल सजें बाजे बजें, लक्ष्मी घर ले आंय।।
🌹
अंतिम यात्रा में सभी, संबंधी जुर जात।
राम नाम ही सत्य है, मुक्ति मंत्र दुहरात।।
आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 🌹🙏

सोमवार, 28 नवंबर 2022

ऊंघ (नींद) बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' टीकमगढ़

 शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ (म प्र)28/11/022 
 बिषय--ऊँग/नींद बुंदेली दोहा (१४१)मो=7610264326 
1=कछु ऊँगरय किलास में,कछु दफतर के दोर ।
आँखन देखी कात हैं,"दाँगी"करवैं सोर  ।।

2=तन मन सैं हैं आलसी,उऐ नींद झट  आत  ।
चार जनन के बीच में,"दाँगी"झट ऊँगात  ।।

3=मट्ठा बासी रोटियाँ ,दिन दुपरै जो  खाय  ।
आलस  में दिनभर रहे,"दाँगी"ऊँग सताय ।।

4=कमजोरी सैं ऊँगवैं, रोजउ बासों खाँय ।
फुरतीले "दाँगी"  रहैं,भोजन ताजौ पाँय ।।

5=जो जीवन में ऊँगवैं, ऊँगत हैं दिन रैन  ।
कछु विकास करपाय नैं,"दाँगी"देखत  एैन  ।।
मौलिक रचना 
शोभारामदाँगी
[28/11, 8:51 AM] Anjani Kumar Chaturvedi Niwari: बुंदेली दोहा
 दिनांक 27 नवंबर 2022
 विषय-"ऊँग"(नींद)
****************

 ऊँग लगी ती तान कें, उम्दा सपनों आव।
 भौत  जरूरी  काम सें, मोदी  ने बुलवाव।। 

 सपनों टूटौ बीच में,तुरतइँ आ गव होश।
 बैठे ऊँगें खाट पै, बचौ न बिल्कुल जोश।।

 बिछी खाट खों देख कें, ऊँग तुरत आ जाय। 
 कहें  वैद  जी  सवई सें, जौ सुख कहाँ समाय।।

 बिन्नू  स्यानी  हो  गई,  ऊँग  न  येंगर आय।
 भजन करै भगवान कौ उम्दा वर मिल जाय।।

 घरबारी  टें  टें  करै,  आइ  ऊँग भग जाय।
 हाथ जोड़ विनती करी, तौउ दया ना आय।।

 धन सें भौत गरीब खों, खाबे मिलै ना अन्न।
 ऊँग  ना आवै  रात कें,  सोचत रै गव टन्न।।

करजा होवै मूँड़ पै, बिल्कुल ऊँग ना आय।
 बिटिया होवै ब्याव खों, दुख दूनों हो जाय।।

अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
[28/11, 9:10 AM] Subhash Singhai Jatara: बुंदेली दोहा दिवस , विषय - ऊँग ( नींद ) 

जीकी आँखन में भरत , काम तकत ही ऊँग |
जानौं      ऐसौ  आदमी  , हौतइ    ठर्रा  मूँग ||

लपट - झपट आगी  जरै ,  , चुरै  न ठर्रा  मूँग |
काम नईं   कौनउँ   करै , जीखौं चढ़बै   ऊँग ||

ठलुआ ठैगन कै घरै , पसरी  रत    है  ऊँग |
जौ हौतइ है‌  आलसी, लेतइ   उनखौं  सूँग ||

ऊखौं चढ़तइ ऊँग है , जीखौं  अफरा  छाय |
कह सुभाष  ऊ टैम में  , कौनउँ नईं  पुसाय‌ ||

एक यथार्थ कटु सत्य 
नचनारी  नचबै   जितै ,   उतै न  आबै  ऊँग |
पंडित बाँचैं  जब कथा , पौचें  जल्दी ‌  सूँग ||

सुभाष सिंघई
[28/11, 11:05 AM] Jai Hind Singh Palera: #ऊंग पर दोहे#

                    #१#
फूले फूल गदूल के,ऊंग लगें  मुस्कांय।
खिल खिल जाबें रात में,दिन में बे मुरझांय।।

                    #२#
मंडप बैठे राम जू,सखियां मंगल गांय।
ऊंग ऊंग जाबें प्रभू,नैना जब लिड़यांय।।

                    #३#
चोर जुआरी लंपटा,रोगी और गवांर।
कलाकार सब मंच के,लेबें ऊंग समार।।

                    #४#
ऊंग सदां बगला भरी,लगें नैन लिड़यांय।
पानी मछरी देखकें,तुरत गप्प कर जांय।।

                    #५#
ठाड़ें ठाडें ऊंग लै,घुरवा ऐसौ धीर।
बैठौ कभ‌उं न देखियौ,कैसी जा तकदीर।।

#जयहिन्द सिंह जयहिन्द #
#पलेरा जिला टीकमगढ़# 
#मो०-६२६०८८६५९६#
[28/11, 11:31 AM] Dr. Devdatt Diwedi Bramlehara: 🥀बुंदेली दोहे🥀
    (विषय- ऊँग)

छूटत नइयाँ काउ कौ,
  जनम जात गुन- दोस।
 ऊँग उनें आबै तुरत,
       जो राखें सन्तोस।।

जेठे- स्याँनें के गये,
       एक अनोंखी बात।
ऊँग बिछौना नें तकै,
       भूँक न जूँठौ भात।।

ऊँग भरी रइ जनम भर,
       करौ न हरि सें हेत।
अब पछतायें होत का,
      चुनों चिरैंयन खेत।।

रोज, पपीता, सेवफल,
       गाजर, पालक खाय।
तन मन राँय निरोग औ,
    उयै ऊँग नित आय।।

जिनें भरी रत ऊँग सी,
     कउँ कौ कछू बतात।
सब दिन जाबें एक से,
        दिन होबै कै रात।।

डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस
बड़ामलहरा छतरपुर
[28/11, 12:28 PM] Dr R B Patel Chaterpur: दोहा  ऊंग
         दिनांक 28 11 2022
                  01
ऊंग आई ब्यारी करत ,लई रजाई तान ।
ठंडन की रातें  कटी ,नहीं सुबह की भान। 
               02
ऊंगत उन्ना लऐ पहन ,पहुंच गए ससुरार ।
 उल्टा पेंट फसाए के ,चैन खुली मझधार ।
                   03
 रातन कि भंवरी पड़ी, लरका बहु ऊंगाय।
 फेरन में गिर गिर परत, ठंड पसीना आय।
                 04
 ऊंग नसावत मनुज को ,काम करें ना नेक।
ऊंग ऊंग दिनभर रटत, सोवत जागत एक। 
                 05
बासो भोजन नित करत,ऊंगत है दिन रैन।
नेक काम  होते नहीं, ना ही पावे चैन ।

स्वरचित 
डॉक्टर आर बी पटेल "अनजान"
 छतरपुर।
[28/11, 12:29 PM] Aasharam Nadan Prathvipur: बुंदेली दोहा विषय - ऊॅंग (नींद)
(१)
ऊॅंग न आबै रात-दिन , बिटिया कौ है व्याव ।
नइयाॅं कर दइ साव नें , कोऊ जुगत बताव।।
(२)
नोंटंकी  होबै  जितै , सबके  मन  खौं  भाय ।
रामकथा में बैठतन , ऊॅंग  अवस आ जाय ।।
(३)
ऊॅंग रगड़ कैं आय जब  ,तकै  न  टूटी खाट।
चाय जितै सो जात हैं , बिछा  पुरानों  टाट ।।
(४)
बस  में  ऊॅंगे  पावनें , करौ न तनकइ ध्यान।
जेब  कतर लइ  काउ नें ,सपा  चट्ट  मैदान ।।
(५)
बैठे -  बैठे   ऊॅंग   बैं ,  करैं   पराई  आस ।
उनके  घर  में  लक्ष्मी ,कभउॅं करै ना बास।।

 आशाराम वर्मा "नादान" पृथ्वीपुर
( स्वरचित ) 28/11/2022
[28/11, 12:29 PM] Amar Singh Rai Nowgang: बुन्देली दोहे, विषय- ऊँग /नींद

ऊँग लगे जब जोर सें, दिखे न टूटी खाट।
देर भई  लेटत  नहीं, भरन  लगे  खर्राट।।

कमी न कौनऊँ चीज की, धरे खूब संपन्न।
उन्हें ऊँग आवै नहीं, दवा लेत  कइ बन्न।।

रूखी- सूखी  खाय  कैं, सोवें  पूरी  नींद।
जे ऊँगत  से रांय  नइँ, ऐसे  साजे  बीँद।।

ऊँग न देखे बिस्तरा, भले होय  निखराट।
ढेलन  में सो  जात हैं, नींद  न हेरे  बाट।।

बिटिया  की उम्मर भई, करने  पीरे  हाथ।
पैले ऊँगत बे रये, अब  सो  पटकें  माथ।।

ऊँग रहे हैं लोग कइ, अपनों  काम  भुलाय।
खुली आँख जो सो रहे,उनखाँ कौन जगाय।

मौलिक/
                           अमर सिंह राय
                                नौगांव
[28/11, 12:46 PM] Rajeev Namdeo Rana lidhor: *बुंदेली दोहा बिषय-ऊंग*
*1*
का कैदें हम ऊँग की , #राना   जब भी   आत |
जगाँ   तकै  ना कौन है , पसर  उतइँ   है जात ||
*2*
ऊँग भरै जब   गटा हौं  , नशा   चढ़ौ  सौ   रात |
#राना  परबौ  सूझतइ  , लुड़क-लुड़क है जात ||
*3*
#राना  नेता  ऊँग    रय ,   रइयत  रइ  है‌  जाग |
करिया  दफ्तर  में   डटै , फुसकारत   है   झाग ||
*4*
#राना ऊँग न कौसियौ , ऊकौ  नइयाँ   दोष |
परै चिमाने  खुद  डरेै,   गानौ   धर  कै  होश ||
*5*
ऊँग  जौन दिन  टूटतइ  , पछतातइ  तब  रात  |
#राना    से  सबरै  कहै , चूक  गयै  हम  बात ||
*6*
ई   सै #राना   कात है , करौ   समय पै  काम |
ऊँग  बाद में  आय जब   कर लइयौ  आराम ||
***दिनांक-28-11-2022
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
[28/11, 12:55 PM] Promod Mishra Just Baldevgarh: सोमवार बुंदेली दोहा दिवस
विषय ,, ऊँग ,,
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परों बिलोरा ऊँग में , खड़ बड़ात हैं ठाट
भगत चुखरवा से लगत , बिलू हेर रइ बाट
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चीला भय बनयान में , आँग प्रमोद खुजात
ऊँग आइ न निठठूअइ,वे काटत सब रात 
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खटकीरा भय खाट में ,खून चूसतइ मोर 
ऊँग आइ सो पाय ना , आइ उरइयाँ दोर
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भदगर काटें सूँघ कें , आइ ऊँग लौटाय
ससुरो गावै दादरें ,ना प्रमोद सो पाय
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ऊँग आइ ना आँख में , हेरत कड़ गइ रात
धनियाँ तोरी बाट में , सर गव मीठो भात
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उंगयाने दिन चार के , भव प्रमोद ना कूत
सोगय गैरी ऊँग में ,दव उन्नन में मूत 
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         ,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
                  ,, स्वरचित मौलिक,,
[28/11, 1:04 PM] Brijbhushan Duby Baxswahs: दोहे
1-नीद भरे लरका सबई,
बृज गुरु कयें सो जाव।
बातन आदि रात भई,
काल करें बतकाव।
2-बिटिया स्यानी घरै बृज,
धरी ऊंँग का नीद,
पीरे हाथ कर पांय कब,
करे जाई उम्मीद।
3-सभा बीच में ऊँग रय,
जानो बिकट अलाव।
बृजभूषण होवें दुखी ,
जिनके ऐसे हाल।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
[28/11, 1:55 PM] Ram Sevak Pathak Hari Kinker Lalitpur: जगत रहत जो रात में,दिन में ऊॅंग सताय।
मन नइं लगतइ काम में, झूमत वही दिखाय।।१
कछू सराबी रात में,पीकें होतइ धुत्त।
ऐसे ही वे लोग हैं,रहत ऊॅंग में भुत्त।।२
खात नींद की गोलियाॅं, सो नइं पावें रात।
गिरधौला से ऊॅंग में, मूॅंड़ हिलाउत दिखात।।३
बैठे बैठे ऊॅंगतइ, फुरसत में तौ कैउ।
बुरौ मानतइ टोकदो, चुप  भी वे नइं रैउ।।४।।
ठेंकें ऊॅंगत  कछू तौ,कन्नै परै न काम।
कै देतइ रातै जगे, घिस न जाबै चाम।।५।।
स्वरचित।"हरिकिंकर"
[28/11, 2:44 PM] Sr Saral Sir: *बुन्देली दोहा  विषय -ऊँग* 
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उँगयानै  सब  रात  के, करकै  आय  बरात।
लगी ऊँग दिन के चढ़े, आँखन नईं दिखात।।

ऊँग भरी दिखवै नईं , तिल विल्लीं सी आँय।
आँखन में  है धुंद सौ, बात  करत अलसाँय।।

जियै ऊँग  कर्री  लगत, माँगत नइयाँ  खाट।
बौ सुद बुद खौ भूलकें, चाय जितें सो जात।।

भऔ  बियाव  पड़ोस  में, सबरातै  भइ  राइ।
झलक बेडनी की तकै ,*सरल* ऊँग  ना आइ।।

जब तक नची न बेड़नी, आलस रऔ जरूर।
झलक  देख  कै बेड़नी, ऊँग  भगी  सब दूर।।
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           *एस आर सरल*
               *टीकमगढ़*
[28/11, 3:15 PM] Prabhudayal Shrivastava, Tikamgarh: बुंदेली दोहे    विषय  ऊंग(नींद)

जगे रात भर राइ में , सो न‌इँ  आई  ऊंग।
सो गय घुरवा बेंच कें, दिन  में  उजरी  मूंग।।

ऊंग रये  हैं  दोर  में ,  करें न  कोंन‌उँ  काम।
बिबस बिचारे बाप कौ , जीबौ  करें  हराम।।

बदरा माउठ के उठे ,  चिंता  करत  किसान।
ऊंग न आर‌इ  रात में, कृपा ‌करौ  भगवान।।

जी कें बिटिया ब्याव खों, ऊंग उयै न‌इँ आत।
इनके कैसे कें करें  ,  हम  हरदीले   हांत।।

करजा चुको न साव कौ,  ऊंग न आबै  मोय।
करदोंनी  उर लल्लरी  , की पर गइ है तोय।।

               प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
[28/11, 4:18 PM] Dr. Renu Shrivastava Bhopal: दोहे विषय *ऊँग*

1 बिन्नू स्यानी हो गई, 
   ऊँग लगत ना रात।
   कैसो दूल्हा मिलत है, 
   चिंता की जा बात।। 

2 ऊँग आ गई मातु को, 
   अर्जुन की सुन बात। 
   अभिमन्यु सुनवे सबई, 
    गरभ  हते  वे  मात।। 

3 बासो कूसो खात हैं, 
   कक्का काकी रोज। 
   आलस में फिर हैं डरे, 
   मोड़ा कर रै  मौज।। 
   
4  बारो दूल्हा ऊँग रौ, 
    दद्दा उये जगात। 
    मांय दुलइया सो रई, 
    कैसे ब्याव करात।। 

                 डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल 
                 सादर समीक्षार्थ 
                 स्वरचित मौलिक
[28/11, 5:36 PM] Sanjay Shrivastava Mabai Pahuna: *सोमबारी बुंदेली दोहे*
  विषय - *ऊँग*

*१*
धनी आदमी ऊँग की,
         रोजउँ गोली खाय।
मैंनतकश मजदूर की,
      परत आँख लग जाय।

*२*
ऊँगत कड़ गइ जिंदगी,
       बेजाँ हो गइ देर।
रेत सरक गइ हाँत सें,
       सपने हो गय ढेर।।

*३*
चिंता और तनाव में, 
       मन भारी बेचैन।
ऊँग टिकै न आँख में,
     कुलथत रत दिन-रैन।।

*४*
स्यानी मोड़ी देखकें,
      ऊँग आय ना चैन।
वे मैंनत सें सूक गय,
      हम सोचन में बैन।।

*५*
भड़या जगबै रात भर, 
      चुप्पा उल्लू घाँइ ।
ऊँगत देखो आदमी,
     ऊनै घात लगाइ।।

  संजय श्रीवास्तव, मवई 
  २८-११-२२😊दिल्ली
[28/11, 7:09 PM] Kalyan Das Sahu Prithvipur: कुल्थत रत हैं रातभर , आँख नईं झप पाय ।
 वीदे हैं जंजाल में , ऊँग काय खों आय ।।

ऊँग-भूँख जिनकी गयी , पकर लेत हैं खाट ।
मट्टी  होत  पलीत है , उठन लगत है हाट ।।

भाजी-रोटी प्रेम सें , खाकें भजरय राम ।
झट्ट ऊँग आ जात है , करें नीति सें काम ।।

आँख मिचै झपकी लगै , खावें खूब पचाँय ।
परे घुरक रय मेंड़ पै , ऊँग फिरै पिछयाँय ।।

कछू तरसतइ ऊँग खों , तड़पत हैं दिनरैंन ।
कछू  जनें  बर्रात  हैं , सोवें - पावें  चैंन ।।

   ---- कल्याण दास साहू "पोषक"
      पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र)

         ( मौलिक एवं स्वरचित )
[28/11, 7:25 PM] Rama Nand Ji Pathak Negua: दोहा ऊँग
                       1
ऊँग जीव के स्वाव में,डटें न वे विन सोंय।
जगबै जो जबरइ सदा,बीमारी कइ मोय।
                         2
ऊँग आय सब काम में, नई तमासे ऊँग।
सोत तुरत हरि कथा में,छाती दरवै‌
मूंग।
                          3
ऊँग अवस कें लीजिए, तन खों हो आराम।
भुन्सारे झट जग उठें,डटकें करियौ काम।
                            4
जडकारौ कस कें परौ,उन्ना घर में नाहिं।
रात ऊंग न चैंन गऔ, लेत उरइयां जाहिं।
                            5
अपन परे घर ठाट सें,ऊंग गरीव न होय।
तुसार नैंचैं घर परै,चैन कभऊँ न पाय।
रामानन्द पाठक नन्द
[28/11, 7:31 PM] Vidhaya Chohan Faridabad: बुंदेली दोहे
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विषय- ऊँग (नींद)
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१)
ऊँग चुरा लइ आँख से, लुट गव  सब आराम।
कत राधा सुध लेन खौं, कब आहौ घनश्याम।।

२)
ऊँग   न  आबै  उर्मिला,  जागत  है  दिन रैन।
लछमन  जू  बनवास  में, सोचत  बरसे  नैन।।

३)
बिटिया  की  कल  भाँवरें,  आहै  घर  बारात।
जनक जाग रय ऊँग बिन, चिंता खाये जात।।

४)
कितै   गओ  है   चंद्रमा,  टेरत   है  अँदयार।
निकरो बौ तो ताल से, हो गइ जब भुनसार।।

५)
ऊँग  न  देखत  साजरो, पलका, गद्दा, खाट।
दो आँखन कौ बिस्तरा, दो पलकन की टाट।।

~विद्या चौहान
फ़रीदाबाद, हरियाणा

रविवार, 27 नवंबर 2022

Mobile library Tikamgarh- (samgra all)

date 16.12.2023
durganagar (jhingua)


*मोबाइल लाइब्रेरी सरकनपुर में* दिनांक-21-1-2023
          
             अपने पूर्व नियोजित कार्यक्रम के अनुसार आज दिनांक 21.01.2023 को शासकीय जिला पुस्तकालय द्वारा संचालित *चलित पुस्तकालय* ग्राम सरकनपुर पहुंचा. माध्यमिक शाला सरकनपुर के लगभग 80 छात्र-छात्राओं के बीच चलित पुस्तकालय ने अपनी शैक्षणिक, सांस्कृतिक, सामाजिक व सामान्य ज्ञान संबंधी गतिविधियां संचालित की.
              टीम लाइब्रेरी द्वारा छात्र-छात्राओं से परिचय प्राप्त करने के पश्चात उनसे मध्य प्रदेश, भारत और विश्व के सामान्य ज्ञान संबंधी प्रश्न पूछे गए छात्र छात्राओं ने उत्साह पूर्वक प्रश्नों के उत्तर दिए. टीम लाइब्रेरी ने बच्चों को पद व प्रतिष्ठा के लिए सामान्य ज्ञान की अनिवार्यता से परिचित कराया. भूगोल, राजनीति, इतिहास, अर्थशास्त्र आदि विषयों की प्राथमिक अध्ययन सामग्री व अध्ययन क्षेत्र से भी छात्र छात्राओं को अवगत कराया गया.
                ग्लोब व विभिन्न मैप के सहारे महाद्वीप, महासागर, अक्षांश, देशांतर, दिन-रात, सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण आदि के बारे में विस्तार से छात्र छात्राओं को बताया गया.
                 अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम, जलवायु परिवर्तन, सामाजिक सौहार्द्र पर बच्चों से चर्चा की गई. बच्चों ने आनंद पूर्वक इन चर्चाओं में भाग लिया.
            लुप्त होती बुंदेली बोली के विभिन्न शब्दों, प्रथा, परंपराओं के बारे में बच्चों से प्रश्न पूछे गए जिनके उत्तर उत्साह पूर्वक छात्र-छात्राओं ने दिए.
              टीम लाइब्रेरी द्वारा छात्र-छात्राओं को स्वच्छता रखने व्यसन न करने और पुस्तकों से दोस्ती करने का पाठ पढ़ाया गया.
             मंच प्रस्तुति का कार्यक्रम भी रखा गया जिसमें बच्चों ने देश प्रेम से ओतप्रोत कविताएं, गीत, कहानियां, लोकगीत की प्रस्तुतियां दी.
              अंत में चलित पुस्तकालय की गतिविधियों में भाग लेने वाले छात्र-छात्राओं को जिला पुस्तकालय टीकमगढ़ की ओर से प्रमाण पत्र, पेन, पेंसिल, बिस्किट आदि का वितरण कर पुरस्कृत किया गया. 
      लगभग 3 घंटे तक संचालित हुई चलित पुस्तकालय   की गतिविधियों का समापन सामूहिक राष्ट्रगान के साथ हुआ. 
धन्यवाद 
समस्त स्टाफ माध्यमिक शाला सरकनपुर
श्री राजेश कुमार रैकवार 
श्रीमती संतोषी सोनी 
श्री वीरेंद्र कुमार जैन 
श्री बृजेश कुमार रैकवार 
श्री रामदयाल रैकवार 
श्री कृष्ण कुमार विश्वकर्मा 
श्रीमती प्रियंका कश्यप
बहुत-बहुत धन्यवाद मोबाइल लाइब्रेरी टीम 
श्री राम गोपाल रैकवार जी 
श्री राजीव नामदेव जी
@mehra
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प्रैस विज्ञप्ति
‘‘मोबाइल पुस्तकालय का अनोखा नया प्रयोग-
ग्राम समर्रा पहुँचा चलित पुस्तकालय बच्चों ने लिया ज्ञान लाभ-

टीकमगढ़//  शासकीय जिला पुस्तकालय टीकमगढ़ द्वारा संचालित ‘चलित पुस्तकालय’ (मोबाइल लाइब्रेरी) ग्राम समर्रा में शासकीय माध्यमिक शाला समर्रा जिला टीकमगढ़ में पहुँचा और अपनी गतिविधियाँ संचालित की ‘चलित पुस्तकालय’ में श्री विजय मेहरा के साथ में श्री रामगोपाल रैकवार सेवा निवृत्त कनिष्ठ व्याख्याता कुण्डेश्वर, एवं साहित्यकार व म.प्र.लेखक संघ के जिलाध्यक्ष श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ प्रमुख रूप से रहे। चलित पुस्तकालय में आज विभिन्न गतिविधियाँ संचालित की गयी जिसमें परिचय,पुस्तक वाचन, कविता पाठ, सामान्य ज्ञान,मैप एवं ग्लोब से भौगोलिक जानकारियाँ दी, चित्र प्रतियोगिता, लोक गीत ,देश भक्ति गीत, बुन्देली शब्द व संस्कृृति के बारे में जानकारी दी गयी तथा खेल-खेल में प्रश्नोत्तर कहानी के माध्यम से बच्चों को ज्ञानवर्धक शिक्षाप्रद जानकारी दी एवं स्वच्छता का विशेष ध्यान रखने को कहा गया। टेंट लगाकर माध्यमिक विद्यालय के पचास बच्चों को दो घंटे तक उन्हें ज्ञानवर्धक पुस्तकंे पढ़ने को दी, बच्चों को अपना परिचय देने का सही तरीका बताया ,कहानियाँ सुनायी, बच्चों को शुद्ध पढ़ना, उच्चारण आदि सिखाया गया बच्चों ने बहुत उत्साहपूर्वक भाग लिया।
साहित्यकार व म.प्र.लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने बताया कि इसके पूर्व हमारा चलित पुस्तकालय टीकमगढ़, मडखेरा,लखौरा, अस्तोन,पपावनी में आयोजित किया जा चुका है। इस बार ग्राम समर्रा में लेकर गये। पुस्तकालय के सूत्रधार श्री विजय मेहरा लाइबेरियन ने बताया कि इसी प्रकार से टीकमगढ़ के आसपास के प्रत्येक गाँवों में हम लोग यह चलित पुस्तकालय लेकर जायेगें और वहाँ के बच्चों में पढ़ने के प्रति रूचि पैदा करने उनके सामान्य ज्ञान को बढ़ाने का प्रयास करेगे। श्री रामगोपाल रैकवार कनिष्ठ व्याख्याता कुण्डेश्वर ने कहा कि- हमें अपने आस पास स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना है कचडा़ एवं गंदगी नहीं फैलाना है कूडा-कचडा कचड़ादान में ही डालना है क्योंकि दूषित वातावरण में अनेक बीमारियाँ फैलती है हमें सचेत एवं जाकरूक होना है। एक सभ्य नागरिक बनाना है। किसी भी प्रकार का नशा न करने की सलाह दी।
लगभग पचास बच्चों के साथ-साथ अनेक ग्रामीण लोगों ने भी ज्ञान लाभ लिया जिसमें प्रमुख रूप से नीता खरे,ज्योति श्रोती,दीपा चढार, अमर शर्मा,विकास दीक्षित,मनोज जैन,प्रतिपाल सिंह आदि विद्यालय स्टाप सहित अनेक लोग उपस्थित रहे। बच्चों को लेखन सामग्री पुस्कार के रूप में दी गयी एवं प्रोत्साहन प्रमाणपत्र प्रदान किये गये। अंत में राष्ट्रगान करके कार्यक्रम का समापन किया गया। सभी का आभार लाइब्रेरियन विजय मेहरा ने माना।

रपट-   / राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
संपादक ‘आकांक्षा’ पत्रिका
   अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
अध्यक्ष- वनमाली सृजन पीठ, टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.)
  पिनः472001 मोबाइल-9893520965
     Blog - rajeevranalidhori.blogspot.com
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‘‘मोबाइल पुस्तकालय का अनोखा नया प्रयोग-

ग्राम पपावनी पहुँचा चलित पुस्तकालय बच्चों ने लिया ज्ञान लाभ-

टीकमगढ़//  शासकीय जिला पुस्तकालय टीकमगढ़ द्वारा संचालित ‘चलित पुस्तकालय’ (मोबाइल लाइब्रेरी) दिनांक-26-11-2022 को ग्राम पपावनी में शासकीय माध्यमिक विद्यालय में पहुँचा और अपनी गतिविधियाँ संचालित की ‘चलित पुस्तकालय’ में श्री विजय मेहरा के साथ सहयोगी के रूप में श्री रामगोपाल रैकवार सेवा निवृत्त कनिष्ठ व्याख्याता कुण्डेश्वर, एवं साहित्यकार व म.प्र.लेखक संघ के जिलाध्यक्ष श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ उपस्थित रहे। 
              चलित पुस्तकालय में आज विभिन्न गतिविधियाँ संचालित की गयी जिसमें परिचय,पुस्तक वाचन, कविता पाठ, सामान्य ज्ञान,मैप एवं ग्लोब से भौगोलिक जानकारियाँ दी, चित्र प्रतियोगिता, लोक गीत ,देश भक्ति गीत, बुन्देली शब्द व संस्कृृति के बारे में जानकारी दी गयी तथा खेल-खेल में प्रश्नोत्तर कहानी के माध्यम से बच्चों को ज्ञानवर्धक शिक्षाप्रद जानकारी दी एवं स्वच्छता का विशेष ध्यान रखने को कहा गया। टेंट लगाकर माध्यमिक विद्यालय के पचास बच्चों को दो घंटे तक उन्हें ज्ञानवर्धक पुस्तकंे पढ़ने को दी, बच्चों को अपना परिचय देने का सही तरीका बताया ,कहानियाँ सुनायी, बच्चों को शुद्ध पढ़ना, उच्चारण आदि सिखाया गया बच्चों ने बहुत उत्साहपूर्वक भाग लिया।
साहित्यकार व म.प्र.लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने बताया कि इसके पूर्व हमारा चलित पुस्तकालय टीकमगढ़, मडखेरा,लखौरा व अस्तोन में आयोजित किया जा चुका है। ग्राम पपावनी में यह पाँचवा कार्यक्रम है। पुस्तकालय के सूत्रधार श्री विजय मेहरा लाइबेरियन ने बताया कि इसी प्रकार से टीकमगढ़ के आसपास के प्रत्येक गाँवों में हम लोग यह चलित पुस्तकालय लेकर जायेगें और वहाँ के बच्चों में पढ़ने के प्रति रूचि पैदा करने उनके सामान्य ज्ञान को बढ़ाने का प्रयास करेगे। श्री रामगोपाल रैकवार कनिष्ठ व्याख्याता कुण्डेश्वर ने कहा कि- हमें अपने आस पास स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना है कचडा़ एवं गंदगी नहीं फैलाना है कूडा-कचडा कचड़ादान में ही डालना है क्योंकि दूषित वातावरण में अनेक बीमारियाँ फैलती है हमें सचेत एवं जाकरूक होना है। एक सभ्य नागरिक बनाना है। किसी भी प्रकार का नशा न करने की सलाह दी।
लगभग पचास बच्चों के साथ-साथ अनेक ग्रामीण लोगों ने भी ज्ञान लाभ लिया जिसमें प्रमुख रूप से पवन कुमार नामदेव शिक्षक,श्रीमती क्रांति जैन शिक्षिका, नन्ही बाई, यादव,प्यारी बाई यादव सहित अनेक लोग उपस्थित रहे। बच्चों को प्रमाणपत्र प्रदान किये गये। अंत में राष्ट्रगान करके कार्यक्रम का समापन किया गया। सभी का आभार लाइब्रेरियन विजय मेहरा ने माना।

रपट-  राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
संपादक ‘आकांक्षा’ पत्रिका
   अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
अध्यक्ष- वनमाली सृजन पीठ, टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.)
  पिनः472001 मोबाइल-9893520965
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रपट-   राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
संपादक ‘आकांक्षा’ पत्रिका
   अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
अध्यक्ष- वनमाली सृजन पीठ, टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.)
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