Rajeev Namdeo Rana lidhorI

मंगलवार, 22 नवंबर 2022

नौटंकी बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक

     नौटंकी (बुंदेली दोहा संकलन) ई-बुक

संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' टीकमगढ़ (मप्र)
                 
  
                💐😊 नौटंकी💐
                
    संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 128वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 19-11-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
              मोबाइल-9893520965
        



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊


🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎊       
              अनुक्रमणिका-

अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)

01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
03-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़
04-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र) 
05-विद्या चौहान (फरीदाबाद)
06-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
07-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
08-अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत ,निवाड़ी
09-डा. एम. एस. श्रीवास्तव, पृथ्वीपुर
10-श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
11-आशाराम वर्मा "नादान" पृथ्वीपुर
12-एस आर सरल,टीकमगढ़
13-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा
14-रामसेवक पाठक हरिकिंकर, ललितपुर
15-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी उप्र.
16-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
17- प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
18-संजय श्रीवास्तव* मवई  (दिल्ली)
19-जयहिन्द सिंह जय हिन्द,पलेरा
20-आर.के.प्रजापति "साथी" जतारा,टीकमगढ़
21-बृजभूषण दुबे बृज, बक्सवाहा

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                     संपादकीय


               साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
            इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे। 
          हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
  हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के  एडमिन के रुप मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) एवं संरक्षक द्वय शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और श्री सुभाष सिंघई जी है।
           हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
     आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
      एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।     
                 हमारे इस छोटे से प्रयास से आज एक नया इतिहास रचा है यह ई-बुक 'नौटंकी ' ( 128वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
     यह पटल  के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 128 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 83 देश के लगभग 89000 से अधिक पाठक अब  तक पढ़ चुके हैं।
  आज हम ई-बुक की श्रृंखला में  हमारे पटल  जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह 128वीं ई-बुक 'नौटंकी '  लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। 
ये सभी दोहे पटल के साथियों  ने शनिवार दिनांक-19-11-2022 को बुंदेली दोहा  प्रतियोगिता-88 मेंदिये गये बिषय 'नौटंकी   पर दिनांक- 19-11-2022 को पटल पोस्ट किये गये थे।
  अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
           धन्यवाद, आभार
            ***
ई बुक-प्रकाशन- दिनांक-22-11-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)

                     -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
                   मोबाइल-91+ 09893520965 

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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़ (मप्र)



**बुंदेली दोहा दिवस , विषय - नौटंकी* 

*राना_नौटंकी_तकत*

#राना  नौटंकी तकत , देखत   सबइ  मजाक |
काम बिगर सब जात है , कटी दिखत है नाक ||🙏

#राना  नौटंकी    तकत,   देखत   नाटकबाज |
कर लैतइ  बै  जोकरी , उनै   न  आतइ  लाज ||😚

#राना नौटंकी   तकत ,   भाषण    लच्छेदार |
खाँय जलेबी बें खुदइँ , हमैं  मिलत  धुतकार ||🤔

#राना  नौटंकी तकत  , कैसी   करत   थराइ |
वोट झटक फिर वे करत , जनता की लतयाइ ||🙄

#राना   नौटंकी   तकत ,  नेता   डारत  डोर |
फिर चटनी-सी बाँटतइ  , देत गुली-सौ फोर ||😴

#राना  नौटंकी तकत , नेतन की फिर   कात |
अबकी बेर चुनाव में , पसरा   दइयौ    भात ||🙏

***दिनांक-19-11-2022

*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com


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2-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)


      शनिवार बुंदेली दोहा दिवस
          विषय ,, नौटंकी,,
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नौटंकी नोनी लगे ,नचनारी के संग
राग तान के ध्यान सें , मन में भरत उमंग 
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साज बाज आवाज में, होती कथा बखान
नटखट तन मटकत अजब , नौटंकी रस गान
*******************************
लोक नृत्य मन भावनी, नौटंकी रस दार
स्वांग परंपरा सें सजी, बने प्रमोद प्रकार
*******************************
नौटंकी करबै दते ,नेता नाटक बाज 
धरम जात कि आड़ लऐं ,जहर घोरवै आज           
*****************************
अब नौटंकी प्रेम की ,करती बाराबाट
लिए वासना वासुकी , तन मन देते काट
*****************************
नौटंकी ढंकी करो , हँसे दिखइया ऐन 
फूले पेट प्रमोद को , सिकवै ठंडे नैन
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      ,, 
       -प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
           स्वरचित मौलिक
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   3-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़

बुंदेली दोहा दिवस , विषय-  नौटंकी 

नौटंकी    तिरिया    करै , घर   पूरौ  हकलात  |
चकरी हौतइ   खौपड़ी , कछू  नहीं कर  पात  ||

नौटंकी जीवन बनौ  , अड़बंगें   सब खेल |
फुरसत नइयाँ दो घड़ी , करैं  राम से मेल ||

नौटंकी अब   देखतइ , टीवी पै दिन रात |
बैठे ठलुआ चार है , बेतुक कौ चिल्लात ||

नौटंकी चालू  करैं , काँवर- सी लय थाम   |
कुरसी  कै  लाने फिरै  , नेता चारौं   धाम ||

नौटंकी अब काँ धरी , जौ   देखी  है  पैल |
अब नौटंका है मिलत , करत रात हर गैल ||

नौटंकी   नेता   करत ,   जनता खौं   पुट़याँय |
जीत-जात कै फिर हमैं , चींथ -चींथ कैं खाँय‌ ||
                         ***
        -सुभाष सिंघई,जतारा

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04-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर



जगा जगा बहरूपिया, छलिया धोखेबाज।
नौटंकी दिखला रहे, बिन संगीत व साज।।

अप्रतियोगी दोहे -  नौटंकी 

लकलकात खादी पहन, झाड़ू लै कैं हाथ।
नौटंकी-सी बे करें, छुटभइयन के साथ।।

झाड़ू पकरें रयँ खड़े, उर  फोटू खिंचवाँय।
नौटंकी जा  देख कैं, हम  जैसे  गुस्साँय।।

हरिश्चंद्र  हरदौल  की,  नौटंकी  जहँ  होय।
स्वांग कहानी देख सुन, देत हते जन रोय।

बातें  नौटंकी  भरी,  है  दहेज़  अभिशाप।
रूप बदल कैं ले रओ,हर लरका को बाप।

गाना  गा  कैं, नाच  कैं, कर  नौटंकी  स्वाँग।
नाट्यकला नोनी हती,अब कम हो गइ माँग।
               
***
                
मौलिक/                                                    
             -अमर सिंह राय,नौगांव, जिला-छतरपुर                         
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05-विद्या चौहान (फरीदाबाद)
तीन  जनन  की  धौंस  है, बालक, नेता, नार।
नौटंकी   दिखलाय  कै,  लेतइँ  काम  निकार।।
***
✍️ विद्या चौहान,फ़रीदाबाद, हरियाणा

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06-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा


नौटंकी की आड़ में, कर रय कइयक काम ।
जानें कैसे लोग हैं ,हो गय भौत हराम  ।।
          ***

 भइ नौटंकी रात में ,कछू कहीं नै जाय ।
घर में का-का होत है, सरम कछू नै आय ।।

जब  नौटंकी मंच पै, खेलत हैं हुशियार । 
कलाकार कि कलावती, रुपया लेत हज़ार।।

नाटक  नौटंकी खिलै ,देखतते हम ऐंन ।
मजा भौत ही आततौ, दिल खुश रय दिन रैन ।।
***

                 -शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा

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7-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
1-
कठपुतली सब लोग तौ,ईश हाथ है छोर।
नौटंकी नहिं होत है, टूट जात जब डोर।।
***
जा जग में जो आय हौ,करियौ नौने काम।
नौटंकी तुम जिन करौ,हो जेहौ बदनाम।
2-
कर नाटक तुम जाव ना,छोड़ौ ना हरी दुआर।
नौटंकी में नहिं धरो,सुन लो कौनउ सार।।
3-
नौटंकी करबे लगे,जा जग में सब लोग।
अंत काल ही छूटबै,लगो बढ़ौ जौ रोग।।
4-
नौटंकी करबे लगे,करें लोग सब भोग।
माया के सब फंद में, फँसकें रै गय लोग।
5-
कठपुतली सब लोग तौ,ईश हाथ है छोर।
नौटंकी नहिं होत है, टूट जात जब डोर।।
***
             --प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़

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  8-अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत ,निवाड़ी


अपनें आँगें मंथरा,कैकइ खों भरमायँ।
खूबइँ नौटंकी करै,चले राम बन जायँ।।
***
अप्रतियोगी दोहे
*************

मौ के मीठे कैउ जन,बोलें मिसरी घोल।
वे नौटंकी बाज हैं, यथा ढोल में पोल।।

खूबइँ बेइमानी करी,रुपया जोरे अंट।
अब नौटंकी ना चलै, डरे खाट पै शंट।।

बजै  नगाड़ौ  तान  कें,  नौटंकी  में  यैन।
नचनारी घुँघरू बजें,परै ना मन खों चैन।।

है  हम सबकी जिंदगी, नौटंकी  कौ खेल।
भज लो सीताराम खों,करौ उनइँ सें मेल।।
***
   -अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकान्त निवाड़ी

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9-डा. एम. एस. श्रीवास्तव, पृथ्वीपुर

नौटंकी भ इ गांव में,लुंगा जुरे तमाम।
खूब मचौ हुड़दंग जब,गांव भऔ बदनाम।।
***
डा. एम. एस. श्रीवास्तव, पृथ्वीपुर

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10-श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.


नौटंकी जा जिंदगी, नचत सबै दिन-रात । 
तबई खाबै खों मिलत, सबखों अपनो  भात ।।

                   ***
श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.


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 11-आशाराम वर्मा "नादान" पृथ्वीपुर



नौटंकी  के  राग  हैं , बहरत  दोहा  खास।
जोकर नचनारी करैं,हास और  परिहास।।

                   ***
  -आशाराम वर्मा "नादान" पृथ्वीपुर

                    
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12-एस आर सरल,टीकमगढ़


नौटंकी उर राइ कौ , मजा  लेव भरपूर।
नौटंकी  हरदौल की, दुनिया में मशहूर।।
                        ***   
बुन्देली दोहा विषय  नौटंकी 
*******************************
राजनीति  में  हो  रये , नौटंकी  से  खेल।
मुद्दा  सबरे  छोडके, अपनी  रय  हैं ठेल।।

नौटंकी  करवें लगें, कर नइँ  रये विकास।
चौतरफ़ा  महगाइ सै, जनता भौत उदास।।

अब ना बात विकास की,मुद्दा हैं सब गोल।
जनता  की  गत  हो रई, नेतन के बड़बोल।।

मुसर ठेल नेता  दयै, जनता  खौ भटकायँ।
हिन्दू  मुस्लिम  नाम  पै , नौटंकी  करवायँ।।
************************†*********
        ***

                 -एस आर सरल,टीकमगढ़

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*13*-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा

लव जिहाद में फांस कें,फिर नौटंकी होय।
पैंतिस टुकड़ा लास के,बिद ना जैयो कोय।।
               ***
बुन्देली अप्रतियोगी दोहे
नौटंकी रोजइॅं करत,जब पी लेत शराब।
कछू -कछू राबैं मुगम,इज्जत करत खराब।।

नौटंकी आऔ करन, ई जग में इंसान।
चहरा भर बदलत रहत,बेइ रहत हैं प्रान।।

बोरा पै चुहरत हते,जां नौटंकी होय।
बो मारा जब कात ते, रुपया देबै कोय।।

हरिश्चंद्र हरदौल की, नौटंकी जां होय।
नर -नारी सब देख कें, फूट -फूट कर रोय।।

नेता नौटंकी करत,जब-जब‌ बोट मगांय।
गले मिलत हैं रात में, चहरा रहत लुकांय।।

***
-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी" हटा दमोह
                         ***           
             
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*14*-रामसेवक पाठक हरिकिंकर, ललितपुर


हऔ तबइ अच्छौ लगत,होय पनौ पहनाव।
फिचउ पनइयाॅं परदनी,मूॅंछन पै हो ताव।।
           ***
नौटंकी में करत हैं, जोकर हॅंसी मजाक। 
ॲंग ॲंग फरकत ताल पै,तड़ तड़ बाजत डाक।।

कोउ मुखौटा लगा कें, उचकत कूॅंदत खूब।
गप्प सड़ाका सुन सबइ, जात मोंज में डूब।।

बिगरजात मौड़ा सबइ, नौटंकी खौं देख।
जात न नौने  देखवे, चमक चौंद जा लेख।।

नचनारीं कौ नाच तौ, तोर देत मरयाद।
गुंडा संगै नचत हैं, उनकों देतइ दाद।।

नौटंकी में जात बस, आबारा बदमास।
होत लराई कभउं तौ, बात होत जा  खास।।
***
-रामसेवक पाठक हरिकिंकर, ललितपुर
                   ***
                    -
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*15*--रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी उप्र.


सबइ सोच बदली भई, बदल गओ माहौल।
गाँवन- गाँवन होत ती, नौटंकी हरदौल।।
                ***
अप्रतियोगी दोहे-

नेता नगरी आजकल, बातें भौत बनात।
नैक - नैक सी बात पे, नौटंकी कर जात।।

झंडा बैनर पोस्टर, भाषन खूब लुभात।
राजनीति चौराय पे, नौटंकी कर जात।।

भइया घर में जब रये, मौं उनको बनजात।
बे गय नौटंकी करे, चुरियन खौं खनकात।।

पुरा परोसी देख कें, कैत उनें का माल।
नौटंकी कर बेइ फिर, सुजा देत हैं गाल।।

गई रामलीला इतै, नौटंकी भइ बंद।
टी. बी. के नाटक सजे,फैला रय छरछंद।।

***
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी उप्र.

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*16*आशा रिछारिया जिला निवाड़ी



सत्ता सुख की चाह में, का करने  नहिं भान
नोटंकी नेता करवें,जनता है हैरान।।
                 ***
 
-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी

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17- प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
नौटंकी के मंच पै , जब नचनारी  आत ।
छैल छबीले करत हैं,नोटन  की  बरसात।।
***
अप्रतियोगी दोहे विषय  नौटंकी

नौटंकी की का कने ,देखन  मन ललचात।
जब नचनारी की कमर,  कैउ  मरोरा  खात।।

नौटंकी की होत है,  भौत‌इ   जादां  धूम।
जुरे   दिख‌इया   देखबे ,रय  मस्ती  में  झूम।।

हरिश्चंद् तारामती  ,   अमर सिंह  राठौर।
पूरनमल हरदौल जी, नौटंकी  सिरमौर।।

नककारे की जब सुनी ,  मन भावन  आवाज।
नौटंकी  खों  देखबे  ,जुर   र‌इ रसिक समाज।।

नौटंकी  कर  जे रहे  ,  हैं  भारत    खों  जोड़।
नीत  नियत साजी  न‌ईं,   ल‌इ  बेसरमी  ओड़।।

            ***

             -प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़

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18-संजय श्रीवास्तव, मवई  (दिल्ली)

पल-पल नौटंकी करै,  पल-पल बदलै रूप।    
अँदियारो भीतर भरो,  पोतें ऊपर धूप।।
    ***

*अप्रतियोगी दोहे*

*१*
लोक कलाएं देश की,दुनिया मे मशहूर।     
नौटंकी या राइ हो,मन रंजन भरपूर।।
       
*२*
 नौटंकी, स्वाँग, भवइ, लोकनाट्य के रूप।     
लोककला के विविध रँग,सबके भिन्न स्वरूप।।
      
*३*
जीवन में जो करत रत,नौटंकी दिन-रात।       
नक्कारे सँग गा सकें,नइयाँ बा औकात।।
     
*४*
नौटंकी को जानते ,जो जन फूहड़ काम।    
ऐसे ज्ञानी को करूँ,दूर सें राम राम।।
 
*५*
नौटंकी अरु राइ को,पदम् श्री इस साल।   
रामसहाय पाण्डेय,शर्मा राम दयाल।।
      ***
     *संजय श्रीवास्तव* मवई  (दिल्ली)

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

19-जयहिन्द सिंह जय हिन्द,पलेरा


नौटंकी नौनी रची,खूब बजो नक्कार।
नाटक करबे खों जुरे,इतै सब‌इ मक्कार।।
***
जयहिन्द सिंह जय हिन्द,पलेरा

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

20-आर.के.प्रजापति "साथी" जतारा,टीकमगढ़
अप्रतियोगी दोहे
दोहे बुंदेली विषय-नोटंकी
****************************

जोकर जैसी जिंदगी, बदलै रोज लिबास।
नित नइ  नोटंकी  रचै, टोर  देत  विश्वास।।

नोटंकी   नोनी।  करें,  नेता  लेता  वोट।
फिर ढूँकन नइँ आत है, देतइ गैरी चोट।।

झूठौ,लबरा, स्वारथी,   या   नोटंकीबाज।
कभउ भरोसौ ना करौ,दें जीवन भर खाज।

नोटंकी नों दिन चलै,दसवें दिन सब ठप्प।
जो  जैसौ  करवै  यहाँ, वैसौ  लेवै  लप्प।।

धरें मुखौटे  पास में, अन्न- बन्न  के  लोग।
नोटंकी रोजइ करें, लगा स्वार्थ कौ भोग।।
***
         -आर.के.प्रजापति "साथी"
     जतारा,टीकमगढ़ (मध्यप्रदेश)
🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

21-बृजभूषण दुबे बृज, बक्सवाहा

विषय -नौटंकी
1-
सांची कयें फांँसी लगत,झूट-मूट दयें रात।
नौटंकी करतइ रहत,मांनत नइया बात।
2-
करत धरत लूघर नही,नाहर से गुर्रात।
समझांयें मांनत हंसी,नौटंकी दिखलात।

3-
काम धाम भारी करत,सब घर तऊं चिचयाय।
नौटंकी भौतउ करत,बृज गलती बतलाय।।
***
-बृजभूषण दुबे बृज, बक्सवाहा

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

                          संपादन-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)

               

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

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               💐😊 नौटंकी 💐
                
    संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 128वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 22-11-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
              मोबाइल-9893520965

2 टिप्‍पणियां:

Vidya Chouhan ने कहा…

दिये गये नौटंकी विषय पर सभी प्रबुद्ध रचनाकारों ने एक से बढ़कर एक बुंदेली दोहे लिखे। सभी बधाई के पात्र हैं।आ. राजीव जी द्वारा सभी दोहों को ई-बुक में सम्मिलित कर बेहतरीन संकलन उपलब्ध करवाने हेतु सादर आभार, अभिनंदन🙏🌹💐

rajeev namdeo rana lidhori ने कहा…

धन्यवाद आदरणीया चौहान मेम