Rajeev Namdeo Rana lidhorI

मंगलवार, 6 दिसंबर 2022

किन्नर (हिंदी दोहा संकलन ई-बुक) संपादक-राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ़

[06/12, 8:00 AM] Jai Hind Singh Palera: #किन्नर पर दोहे#

                    #१#
किन्नर गणिका अप्सरा,तानें सुर गंधर्व।
राजमहल साकेत में,बजा बधाई  सर्व।।

                    #२#
उत्सव जन्म विवाह का,किन्नर नाचें गांय।
जो इनका आशीष  ले,मनबांछित फल पांय।।

                    #३#
रनिवासन श्री  राम को,किन्नर लेत उठाय।
बजा बधाई  नाचते,मन की मौज मनाय।।

                    #४#
किन्नर कुदरत से कहे,चाह न प्रभू अथाह।
देह अधूरी क्यों रही,दो जीने की राह।।

                    #५#
किन्नर में नर की नहीं,है नारी की चाह।
एक अधूरी देह जो,मांगे जीवन राह।।

                    #६#
कोई जब संतान हो,देह अधूरी होय।
किन्नर सब उसको कहें,दिल ममता को रोय।।

                    #७#
किन्नर जब मर जाय तो,देख पाय ना कोय।
गुप्त रूप से बे करें,अंत क्रिया अस होय।।

#जयहिन्द सिंह  जयहिन्द#
#पलेरा जिला टीकमगढ़# 
#मो०-६२६०८८६५९६#
[06/12, 10:21 AM] Brijbhushan Duby Baxswahs: दोहा
1-ब्यानो कर कर बता दव,
भैया रखियो ध्यान।
बृजभूषण करहें सबइ,
पाइ पाइ भुगतान।
2-ब्यानो दव बतकाव भव,
बृज कयें फुरसत पाय।
काम समय पे निपट हैं,
करो जू चिंता काय।
3-बृजभूषण ब्यानो करत,
टिया बता दव जाय।
काम काज बन जात सब,
कभऊं बिलर न पाय।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
[06/12, 11:31 AM] Shobha Ram Dandi 2: शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ (म प्र)०६/१२/०२२ 
बिषय--"किन्नर" हिन्दी
दोहा (१४२)7610264326 
1=नाग किन्नरों देवता , का गाते गुणगान  ।
कहते  "दाँगी" आपसे, गाते वेद पुराण  ।।
  
2=कथा  किन्नरों की कही, अजब गजब  है  बात ।
राम  भरोंसें  ये रहैं  ,"दाँगी" लौ मुस्कात  ।।

3=लगे किन्नरों की दुआ, जो     किन्नर कह देत ।
मांगे पर जो देव ना , पर "दाँगी"सें   लेत  ।।

4= व्याह काज के होत ही , किन्नर  पहुँचें  दोर ।
 दुल्हा दुल्हिन लेत हैं , दुआ इन्दु  ही  भोर  ।।

5= नाच गान दोरें करें ,किन्नर  भजन सुनाँय  ।                    नारि सी देहिया सजा , "दाँगी" मन बहलाँय  ।।

6= जग में किन्नर बहुत हैं , गाऐं वेद पुरान  ।
 जन्म होय गर पुत्र का , आकर दै वरदान  ।।
मौलिक रचना 
शोभारामदाँगी
[06/12, 11:44 AM] Subhash Singhai Jatara: विषय - किन्नर 

किन्नर   सदा   समाज से ,  पाते   है अपमान |
फिर भी घर-घर पर करें , शुभ गीतों का गान ||

किन्नर   आकर   दें   दुवाँ , लेते  अपना  नेंग |
नाचें   गाएँ   द्वार   पर  , लेकर अपनी‌   गेंग ||

नर - नारी से कुछ अलग , किन्नर की पहचान |
वृहनिल्ला इतिहास में , मिलता नाम   सुजान ||

सिर्फ विधाता जानता , इनका क्या   है राज |
नर-नारी से कुछ अलग,किन्नर बना  समाज ||

नाम शिखंडी का सुना , था किन्नर में   शान  |
अर्जुन जैसे वीर  भी  , स्वयं  बने   प्रतिमान ||

सुभाष सिंघई 
~~~~~~~~~~~~~
[06/12, 11:51 AM] Rajeev Namdeo Rana lidhor: *हिंदी दोहे बिषय:- किन्नर*
*1*
#राना किन्नर देखकर , मत  जाना  यह  भूल |
सहकर यह सब शूल भी , देत दुवाँ  के  फूल ||

*2*
#राना किन्नर की  दुवाँ , ईश्वर    करे    कुबूल |
शिशु जन्म पर  बाँटते  , खुशी   भरे यह  फूल  ||

*3*

किन्नर जब  भी   नाचते , गीत  बधाई  गान |
बुरी बला इनसे डरें , #राना को   यह  भान ||

*4*
किन्नर सब  वंचित रहे , #राना मिला न प्यार  |
अब सरकारों   ने दिए ,   मतदानी  अधिकार ||

*5*
किन्नर मानव  मानिए  ,  इन्हें  न  दीजे   खेद |
संरचना #राना   समझ , बना लिंग बस  भेद ||

*6*
किन्नर आए द्वार पर , मत   करना   अपमान |
#राना जो कुछ दे सको ,  देना  उनको   दान ||
***दिनांक- 6-12-2022
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
🥗🥙🌿☘️🍁💐🥗🥙🌿☘️🍁💐
[06/12, 12:06 PM] Dr. Devdatt Diwedi Bramlehara: 🥀 हिंदी दोहे 🥀
     (विषय- किन्नर)

नर मादा कोई नहीं,
     अलग तीसरा रूप।
दुनिया में किन्नर सरस,
     एक प्रजाति अनूप।।

किन्नर औ गंधर्व गण,
     यक्ष, अप्सरा आदि।
ये सब ही उप देवता,
      मानें जायँ अनादि।।

जन्म, छठी, मुंडन, लगन,
       उत्सव और विवाह।
किन्नर नाचें गायँ तो,
       बढ़ जाये उत्साह।।

संस्कार के समय पर,
      किन्नर गीत सुहायँ।
हँसी खुशी से दान ले 
       आशीषें बरसायँ।।

डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस
बड़ामलहरा छतरपुर
[06/12, 12:43 PM] Promod Mishra Just Baldevgarh: राना किन्नर देखकर , खुशी भरे यह फूल
किन्नर जब भी नाचते, मनवा जाए झूल
आदरणीय बहुत सुंदर रचना
[06/12, 1:14 PM] Anjani Kumar Chaturvedi Niwari: हिंदी दोहे 
 दिनांक- 6 दिसंबर 2022
 विषय- किन्नर

 जग में जितने जीव हैं, किन्नर उनमें एक।
 स्वयं सदा अपमान सह,दें आशीष अनेक।।

 किन्नर अब गफलत करें, सबको बहुत सतायँ।
 मुँह मागा धन चाहते, दादागिरी बतायँ।।

 नहीं  देखते  हैसियत, माँगे  धन भरपूर।
 घुमा घुमा कर घाघरा,किन्नर मद में चूर।।

 नियम धर्म सब छोड़ कर, काम करें विपरीत।
 कितना कोई दीन हो, किन्नर धन के मीत।।

 जो किन्नर देते दुआ, होती तुरत कबूल।
इन्हें सताने की कभी, करे न कोई भूल।।

सरकारों ने दे दिया, इनको मताधिकार।
अब समाज करने लगा,किन्नर को स्वीकार।।

अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
[06/12, 1:39 PM] Ram Sevak Pathak Hari Kinker Lalitpur: दि०६-१२-२०२२ प्रदत्त शब्द -किन्नर।
रूप मिला है मनुज का, पर वह नर न नारि।
दण्ड मिला यह क्यों उसे, बतलाओ त्रिपुरारि।।१।।
लखने  में पूर्णांग है, फिर भी कम एकांग।
कहलाता किन्नर नहीं,बोलो क्यों दिव्यांग।।२।।
 चार पुरुषारथ जगत में, माॅंगत प्रभु से लोग।
पर किन्नर को त्रय मिलें,कैसा बना कुयोग।।३।।
उभय लिंग जग कह उसे, पर किन्नर गुण से हीन।
हैं मयूर इससे भला, रहे नृत्य प्रवीन।।४
रूप जनाना रख सदा, रहे समाज से दूर।
किन्नर नाचें द्वार पर,  कैसा यह दस्तूर।।५।।
"हरिकिंकर" भारतश्री, छंदाचार्य
[06/12, 2:23 PM] Dr. Renu Shrivastava Bhopal: दोहे - विषय *किन्नर*
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
1 किन्नर की भगवान ने, 
 अलग बनाई देह।
 जिसके खुशियांँ होत हैं, 
 जाते उसके गेह।। 

2 जाते किन्नर द्वार पे, 
   माँगे नोट हजार।
   उनकी है ये जीविका, 
   नहीं करो इंकार।। 
  
3 वेद पुराणों में रहा, 
    किन्नर का गुणगान। 
    नर नारी फिर रूप का, 
    क्यों करते अभिमान।। 

4 दे देते आशीष जो, 
   किन्नर दिल से जान। 
   सुख वैभव मिलता सदा, 
   सच्ची है ये मान।। 

5 किन्नर का जो जन्म ले, 
   किस्मत को बो रोय। 
   इज्जत नहीं समाज में, 
   कैसे जीवन ढोय।। 
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️

                  डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल 
                  सादर समीक्षार्थ 🙏
                  स्वरचित मौलिक 👆
[06/12, 3:42 PM] Prabhudayal Shrivastava, Tikamgarh: हिन्दी  दोहे    विषय   किन्नर

नर नारी ये  हैं नहीं  ,  किन्नर   अलग  समाज।
नाच गान  करते सदा, जब हो  कोई  काज।।

फलीभूत होती  सदा ,  किन्नर  की  आशीष।
दे दो  जो भी  मांगते ,  रहे न मन में टीस।।

अपने मन को मार के, सबके  हिय  हरसायँ।
बजा बजा के तालियां, किन्नर  नाचें  गायँ।।

मान अगर ना दे सको,  मत  करना अपमान।
किन्नर  मनुज समाज को,अति आवश्यक मान।।

किन्नर रूपी  पार्थ ने ,  दिया  नृत्य का ज्ञान।
पुत्र वधू बन उत्तरा  ,  ने  पाया  सम्मान।।

           प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
[06/12, 4:10 PM] Vidhaya Chohan Faridabad: हिंदी दोहे
~~~~~~
विषय- किन्नर
~~~~~~~~

१)
नर नारी के बीच भी, होता इक इंसान।
किन्नर ताली पीट कर, देता है पहचान।।

२)
होती है मंगलमुखी, किन्नर की समुदाय।
फलीभूत होती दुआ, मिले न इनकी हाय।।

३)
अर्जुन बने वृहन्नला, धारण किन्नर रूप।
गायन वादन नृत्य में, सेवक गुप्त अनूप।।

४)
किन्नर को श्रीराम का, मिला दिव्य वरदान।
शुभ  मंगल हर काज में, करते कृपा प्रदान।।

५)
जीवन किन्नर जाति का, कब होता आसान।
कुंठा, लज्जा, भर्त्सना, मिलता है अवमान।।

~विद्या चौहान
[06/12, 4:59 PM] Amar Singh Rai Nowgang: हिंदी दोहे, विषय- किन्नर

किन्नर का घर आगमन, माना जाता ठीक।
बुध ग्रह होता है प्रबल, देते दुआ सटीक।।

गीत  बधाई  गायकर, किन्नर  दें  आशीष।
नाचें  गाएं  दें  दुआ, खुशी रखे जगदीश।।

किन्नर नर-नारी नहीं, धर्म  ग्रंथ  में  ख्याति।
क्षेत्र हिमालय में बसे,नर की है इक जाति।।

किन्नर घर आते तभी, जब होता शुभ काम।
जन्मोत्सव  हो  शादियाँ,  ले  जाते  ईनाम।।

किन्नर दे यदि आपको, रुपया सिक्का एक।
कहते रखो सँभालकर, बरकत होती नेक।।

किन्नर अब अड़ियल हुए,कम दिखता है नेह।
धंधा  के  उद्देश्य  से,  आते  केवल  गेह।।

मौलिक/                 अमर सिंह राय
                            नौगांव मध्यप्रदेश
[06/12, 5:34 PM] Kalyan Das Sahu Prithvipur: किन्नर नारी-सम सजें , तन सुन्दरता सोह ।
बजा-बजाकर तालियाँ , लेते मन को मोह ।।

शुभ अवसर पर नाच-गा , पाते नगद इनाम ।
चलती उनकी जीविका , किन्नर वर्ग अकाम ।।

पुरुष नहीं महिला नहीं , उभयलिंग पहचान ।
किन्नर जाति समाज में , खोज रही सम्मान ।।

वर्तमान  में  हो  रहे , किन्नर गण बदनाम ।
बेदर्दी  से  ऐंठते , अड़कर जबरन दाम ।।

घुस जाते कुछ रेल में , धर किन्नर का रूप ।
बेहूदी  हरकत  दिखा , लेते  रुपया  तूप ।।

जोड़ रहे दौलत बहुत , तोंद बढा़ते बैठ ।
किन्नर भी करने लगे , राजनीति में पैठ ।।

   ---- कल्याण दास साहू "पोषक"
      पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र)

        ( मौलिक एवं स्वरचित )
[06/12, 6:37 PM] Sr Saral Sir: हिंदी  दोहा  विषय -किन्नर 
*******************************
ब्याह भये  आई बहू, किन्नर  नाचें द्वार ।
मांग रहे  बे  नैग में, रूपया पाँच हजार।।

माँगत हैं वर पक्ष से,किन्नर अपनी फीस।
फीस मिली छाई खुशी,देन लगे आशीष।।

राजनीति  में कूद  के, किन्नर  माँगे वोट।
बे चुनाव  को  जीतनें, बाँटत फिरते नोट।।

किन्नर अब गुंडा भये, मांगत चौखे दाम।
जो उनको  देते नहीं, करते  बे  बदनाम।।

नाच  करें  गाते  फिरें, चौखी  बातें  देत।
बजा बजा के तालियाँ,किन्नर रुपया लेत।।
********************************
        एस आर सरल
           टीकमगढ़
[06/12, 7:44 PM] Pradeep Khare Patrkar Tikamgarh: किन्नर आये द्वार पै,
 होये जब शुभ काज।
वर पाये प्रभु राम से,
करहूँ कलियुग राज।।
2-
होय जनम जब लाल कौ,
करते उस पर नाज।
किन्नर जब आशीष दे,
होते पूरन काज।
3-
कलियुग में पद पा रहे,
किन्नर जीत चुनाव।
बने विधायक देख लो,
महापौर बन आव।।
4-
किन्नर की बोली अलग,
अलग चाल अरु ढाल।
जा यौनी में होत है,
भैया खूबयी माल।।
5-
ढोलक लैकैं आ गयै,
किन्नर गाबै गीत।
दुआ देत घर आन कैं,
बढ़ै रात दिन प्रीत।।
*प्रदीप खरे, मंजुल*
टीकमगढ़
[06/12, 7:57 PM] Geeta Devi Orya: किन्नर

सदा सदन फूले-फले,बने कार्य आसान।
किन्नर के आशीष से,पाओ जग में मान।।

जन्म हुआ है लाल का,खुश है सब परिवार।
किन्नर नाचे धाम में,पडी़ नेक भरमार।।

नर-नारी के सम दिखे,करते सब श्रृंगार।
भारी-सी आवाज है,पहचानो सब यार।।

नित विवाह में देखिए,किन्नर नाचे रोज।
वर-वधु को देते दुआ,चमके मुख पर ओज।।

अतिथि समझ देना सभी,इनको बहु सम्मान।
खुश होते किन्नर सभी,दे जाते वरदान।।

गीता देवी
[06/12, 7:58 PM] Dr R B Patel Chaterpur: दोहा  किन्नर
              01
 किन्नर करतब करत ना, बिन मेहनत क खात भये ब्याहे खबरें सुन, नाचत गावत जात ।
               02
 नेता अब इस धरा में, करते किन्नर कर्म। 
पद कुर्सी उन्हें चाहिए ,चाहे होय अधर्म ।
                03
 दूल्हा-दुल्हन भांवरे ,ब्याहे की है रीति ।
 किन्नर आ धमके तभी ,पैसे से है प्रीति ।
 
स्वरचित 
डॉ आर बी पटेल "अनजान"
 छतरपुर।
मंगलवार हिंदी दोहा दिवस
विषय , किन्नर,
****************************
चित्रकूट जाकर मिले ,भरत लखन श्री राम
नर नारी लौटे अवध,किन्नर बैठे धाम
****************************
वृहन्नला अर्जुन बने ,लेकर किन्नर रूप
लगे पढ़ाने उत्तरा , श्राप प्रमोद अनूप
****************************
इरावान से ब्याह कर , एक रात की आस
किन्नर विधवा हो चले ,कर प्रमोद विश्वास
******************************
खड़ा शिखंडी बन रथी , चकित हुए कुरु वीर
किन्नर कंधे पार्थ के ,लगे बरसने तीर
********************************
हिजड़ा किन्नर खोजवा ,छक्का नाम तमाम
देहिक विकृति से हुए ,आ सम्मानित नाम
******************************
बहिष्कार से जूझते , किन्नर सहे अभाव
कौशल शिक्षा की कमी , फिर भी मृदुल स्वभाव
*********************************
कह प्रमोद इस जगत में , किन्नर कभि ना होय
आशिष दे हँसता सदा , रहता हिरदय रोय
*********************************
      ,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
      ,, स्वरचित मौलिक,,

कोई टिप्पणी नहीं: