[12/12, 7:29 AM] Amar Singh Rai Nowgang: बुन्देली दोहे, विषय - गिगयात
दिनाँक - 12/12/2022
मदद मँगाबो दीन बन, कर बिनती-सी बात।
झुक कैं करवे आजिजी,ऊखाँ कत गिगयात।।
कम करलो कछु दायजो, इत्ती नइँ औकात।
मोड़ी को दद्दा विकट, समदी से गिगयात।।
करत थराई बीनती, घिग्घी बँध - बँध जात।
चोरी करतन गौ पकर, चोर रहो गिगयात।।
मतलब सें गिगयात हैं, गधा बनाउत बाप।
स्वारथ के संसार में, सँभरे रहियो आप।।
चित्रकूट आए भरत, नर - नारी सँग मात।
वापस चलने राम सें, गिगयाने बहु भाँत।।
हरिश्चंद्र राजा बिके, हती सत्य की बात।
घरनी से कर मांग की, रइ तारा गिगयात।।
भरी सभा में द्रोपदी, सबसे रइ गिगयात।
मोहन लज्जा राखियो,अब नइँ केउ दिखात।
मौलिक /
अमर सिंह राय
नौगांव, म. प्र.
[12/12, 8:14 AM] Pradeep Khare Patrkar Tikamgarh: *बिषय.. गिगयात*
12-12-2022
*प्रदीप खरे, मंजुल*
💐💐💐💐💐💐
1-
भुनसारे सैं रोज तौ,
भीख माँगबे जात।
रोटन के काजैं इतै,
द्वारे में गिगयात।
2-
जब माँ अपने लाल खौं,
खाबै खौं नहिं देत।
लाल लिपट जै माइ सैं,
गिगया पुटया लेत।।
3-
मीठी मौं निसरी घुरी,
बा के बाँके बोल।
गिगयाकें मौ सें कहै,
बाइ गाँठ जा खोल।।
4-
छाती पै फौजी सुनौ,
तुबक धरी जब तान।
परै पाँव गिगयात रय,
आज बगस दो जान।।
5-
गरे लिपट गिगयात ते,
कान्हा माखन चोर।
माई माखन दै दियौ,
भूख लगी बढ़ जोर।।
*प्रदीप खरे, मंजुल*
टीकमगढ़
[12/12, 9:18 AM] Promod Mishra Just Baldevgarh: सोमवार बुंदेली दोहा दिवस
विषय ,,गिगयात,,
***************************
गइया गिर गिरधर चरन , गिड़गिड़ात गिगयात
अब प्रमोद तांसन लगे ,नाथ जिओ नहि जात
********************************
बागेश्वर दरबार में , दीन दुखी गिगयात
भरत पैंड़ पिरमोद गय ,सुनियो बाबा बात
********************************
ऐंड़ ठूंस दइ बखत ने ,अब प्रमोद गिगयात
सूदें हेरत ना हते , करकें विश्वा घात
******************************
नेता जी कर जोरकें, दोरन में गिगयात
धरेँ मूंढ़ गोड़न कहेँ, तुमइ पिता जी मात
****************************
चापेँ चरन चुनाव में ,चमचा चक्कर खात
चाची चम्मच पै खड़ी ,कत प्रमोद गिगयात
******************************
भौत जलत तो काउ सें ,सब नै गव गरराट
अब प्रमोद गिगयात हैं , गुड़मुड़यानों खाट
*******************************
,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
,, स्वरचित मौलिक,,
[12/12, 9:25 AM] Bhagwan Singh Lodhi Anuragi Rajpura Damoh: *बुन्देली दोहे*
भिक मंगा जब भीक खों, अनुरागी गिगयात।
दया लगत है देखकें, मन भारी हो जात।।
दुर्योधन सें पाण्डवा,उर केशव गिगयात।
पांच गांव दै दो हमें, फिर नै करबी बात।।
परे पांव गिगयात रय, अनुरागी बन दीन।
गिनती की वोटे कड़ी,दो पोलिंग में तीन।।
जौन आदमी राम ढिंग, दोइ जौर गिगयात।
मीरा ध्रुव प्रह्लाद सी,गेल उये खुल जात।।
भगवान सिंह लोधी अनुरागी हटा दमोह
[12/12, 10:57 AM] Subhash Singhai Jatara: विषय - गिगयात
राम नाम सब भूल कैं , सुख में सब मुस्कात |
दुख की डिबियाँ जब जलै , ईसुर लौं गिगयात ||
पूत न हौबै जौन घर , पूरौ घर घबरात |
सतरा पूजत चौतरा , फिरत रात गिगयात ||
पौलें पट्टी जान गय , जिनकी तनक सुभास ||
बै रातइ गिगयात हैं , आतइ मौरे पास ||
जौन रुपैया लै गयै , मुड़ी धरैं गिगयात |
देती बेरा शेर बन , टरका रय दिन रात ||
ढला चला सब दो चलन , काहै खौं गिगयात |
रखौ भरोसा राम पै , मन से रओ मुस्कात ||
सुभाष सिंघई
[12/12, 11:29 AM] Rajeev Namdeo Rana lidhor: *बुंदेली दोहा-गिगयात*
*1*
#राना तकबै हर जगाँ , घुसत मुड़ी में बात |
जीकौ परतइ काम है , बौइ फिरत गिगयात ||
*2*
बीदत है जब गट्ट तौ , निपटातइ गिगयात |
#राना गट्ट निनौर कैं , फिर सेरा बन जात ||
*3*
कामी भड़या अरु चुगल , जब-जब पकरै जात |
#राना मौखों छोड़ दो , हात जौर गिगयात ||
*4*
दीन हीन जब माँगतइ , फैलातइ है हात |
#राना जितनौ बन सकै , उतनौ बै गिगयात ||
*5*
हाट बजारै जब भडूँ , धुतिया तरै दुकात |
#राना पकरी जात तब , हा -हा कर गिगयात ||
***
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
[12/12, 12:11 PM] Dr. Devdatt Diwedi Bramlehara: 🥀 बुंदेली दोहे 🥀
(विषय गिगयात)
अमल करें जो दौर कें,
मानें उड़ती बात।
बे सब कच्चे कान के,
फिर पाछें गिगयात।।
दबो हाँत पथरा तरें,
बैठो है गिगयात।
मुखिया यैसौ कोंतकी,
सुनें न एकउ बात।।
हीरा बाँदें गाँठ में,
नाँय मायँ गिगयात।
मन मंदिर कौ देवता,
काय न तोय दिखात।
ठगुवन के कय सें करी,
सब अपनन सें घात।
जब अक्कल मारी गई,
अब रो- रो गिगयात।।
डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस
बड़ामलहरा छतरपुर
[12/12, 12:53 PM] Ram Sevak Pathak Hari Kinker Lalitpur: बुन्देली दोहा
प्रदत्त विषय-गिगयात।
करत लुगाई नौकरी,तौ भौतइ इतराते।
पाॅंव दबाबै खसम तब, पइसन खौं गिगयात।।१।।
भिक मंगौं की भीर तौ, रोजउं बढ़ती जात।
हर तीरथ पै सैकरन, हात उठा गिगयात।।२।।
ठिठरें कैऊ ठंड सें, चिथरन खौं गिगयात।
कारन सें ढूॅंकें धनी, देखत औ मुस्कात।।३।।
कैऊ भूखे रो रये, कोरा बीनत खात।
फेर लेत मौं अरबपति, जब उनसें गिगयात।।४।।
शासन तौ कत देश में, भूखौं मरत न कोउ।गिगयारय भूखे कई,कौरा मागत सोउ।।५।।
काये तुम गिगयात हौ, बिन माॅंगेंं प्रभु देत।
कीखौं का का चाउनैं, पैलउ सें लख लेत।।६।।
भिक मंगे कैऊ फिरत, गलिन गलिन गिगयात।
तौउ पेट नइं भरत है, दाॅंत काड़ रै जात।।७।।
आकें ई संसार में,धनी न सब हो जात।
मिलत नईं गिगयाय सें,ईश देत लै पात।।८।।
राम अकल दइ सबइ खौं,ऊकौ रात कमाल।
गिगयाबे पै नइं सुनत,करतइ अंत संसार।।९।।
जो ठगतइ हैं काउ खौं, जेल अंत में जात।
मार घलत जब पुलिस की, तब रोउत गिगयात।।१०।।
"हरिकिंकर" भारतश्री, छंदाचार्य
[12/12, 12:55 PM] Param Lal Tiwari Khajuraho: 1जो कोउ कर्जा लेत है, और चुका नहि पात!
वे मानुस गारी सुनत, औ पाछे गिगयात!!
2बोलत नहीं विचार कै, बिन सोचे बक जात!
वे बेइज्जत होत हैं, औ पाछे गिगयात
3मानी मात पिता नहीं, जीवन में इक बात!
द्वारे द्वारे फिर रहे, अब मांगत गिगयात!!
4अपराधी शातिर रहे, जुरम करें दिनरात!
थाने में ठाड़े रहें, हाथ जोर गिगयात!!
5पुरखन की इज्जत सकल, धूरा में मिल जात!
चोरी में पकरे पिटे , छूटे हाँ गिगयात!!
परम लाल तिवारी
खजुराहो
[12/12, 2:06 PM] Jai Hind Singh Palera: #गिगयात पंर दोहे#
#१#
गेर गेर गिगयात बे,ऐसी करबें बात।
हर्रा लगै न फटकरी,रंग चोखौ हो जात।।
#२#
मूरख यार न ढूड़िये,करिये कभउं न संग।
चड़ै न कारी कामरी,दूजौ कौनउ रंग।।
#३#
मूसर सें बिनती करौ,काहे खों गिगयात।
जबइ लेंन पै आंय बे,खांय पनैयां लात।।
#४#
कड़ ना पाबें गैल सें,गिर गिर कें गिगयात ।
ठगिया सनकी कांइयां,जो मांगें खैरात।।
#५#
बेर बेर गिगयांय जो,हस कें लेबें प्रान।
बचियौ ऐसे संग सें,पक्कौ ठगिया जान।।
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#पलेरा जिला टीकमगढ़#
#मो०-६२६०८८६५९६#
[12/12, 2:22 PM] Aasharam Nadan Prathvipur: पौराणिक आधार पर बुंदेली दोहे
विषय ---- गिगयात ( गिड़गिड़ाना)
(१)
छोड़ देव लाला हमैं , प्रान कड़े अब जात ।
बहिन कंस की पूतना ,मोहन सैं गिगयात।।
(२)
चौंच सिया खौं मार कैं ,जब जयंत भग जात।
माफ करौ ना कोउ नें , खूब फिरौ गिगयात ।।
(३)
चरण पकर कैं राम के , बाली है गिगयात ।
सुत अंगद के आप ही , गुरू पिता अरु मात ।।
(४)
जगत पिता रघुनाथ जी , केवट नों गिगयात ।
भइया पार उतार दो , हो रइ हमें उलात ।।
(५)
देख रूप हनुमान कौ , लंकापति घबरात ।
पूॅंछ- पूॅंछ कैं मारबैं , रावण दल गिगयात ।।
आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुर
( स्वरचित ) 12/12/2022
[12/12, 2:33 PM] Sr Saral Sir: बुन्देली दोहा विषय- गिगयात
*********************************
जनता के दरबार में, नेता जोरत हात।
बे दोरन-दोरन फिरै, वोटन खौ गिगयात।।
जनता ही भगवान हैं, फुलै फुलै बे कात।
जीते पै सुनते नईं, फिर जनता गिगयात।।
नइयां कोउ गरीब कौ,फिर रय हैं गिगयात।
नेता उनखों देख कै, काट कनारौ जात।।
लम्बे चौड़े बायदे, करके छू हो जात।
लाज न नेतन खौ लगें,वोटन खौ गिगयात।।
भूकन सै गिगयात हैं, रये विकास बताय।
अच्छे दिन के राज में,*सरल* दीन चिल्लाय ।।
*********************************
एस आर सरल
टीकमगढ़
[12/12, 2:50 PM] Prabhudayal Shrivastava, Tikamgarh: बुंदेली दोहे विषय गिगयात (गिड़गिड़ाना)
करम हीन के काम खों, करबे चलें न हात।
पाछें पइसाबांन के , भगत फिरत गिगयात।।
फटफट दैबे की नईं , है मोरी औकात।
बिटिया बारौ आन कें, समदी नों गिगयात।।
रो रो कें भाटे भरे , तौउ बनीं नइँ बात।
बोटन खों गुजरात में, ओबेसी गिगयात।।
नाहक परे कुसंग में , चिनवा दइ है जात।
सदा तने रय लट्ठ से , अब फिर रय गिगयात।।
दद्दा बैठे खर्च खों , लरका कब घर आत।
आ गव बौ सब हार कें, बाई नों गिगयात।।
प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
[12/12, 3:40 PM] Dr. Renu Shrivastava Bhopal: दोहे विषय *गिगयात*
1 रावण मारत लात है,
भज्जा है *गिगयात*।
दे दो मज्जा सीय खों,
बे हैं लक्ष्मी मात।।
2 मोड़ा बारन के घरे,
समधी है *गिगयात*।
दान दायजो सबइ दौ,
मोड़ी काय सतात।।
3 दुपत सुता *गिगयात* है,
पाँचो पति सुन लेत।
मोरी लज्जा लूट रै,
दंड काय ना देत।।
4 कछू उचक्का फिरत हैं,
नाय माय लुरयात।
लगत ठुकाई जब उने,
सबरन सें गिगयात।।
डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल
सादर समीक्षार्थ 🙏
स्वरचित मौलिक 👆
[12/12, 4:19 PM] Gokul Prasad Yadav Budera: 🌹बुन्देली दोहे विषय-गिगयात🌹
***************************
पड़बे के दिन जब हते,
नेक न मानी बात।
अब माँगत फिर रय बिटउ,
घरन-घरन गिगयात।।
***************************
सगी सास पै दाँक कें,
बहू बुजा रइ खुन्स।
हांत जोर गिगयात मइँ,
ससुर निखट्टू मुन्स।।
***************************
पथरा दिल के हैं धनी,
जग में मनुस बिलात।
जिया पसींजत ना तनक,
जब गरीब गिगयात।।
***************************
हा-हा कर गिगयात रव,
मांग बनी अभिसाप।
असुआ पोंछत लौट गव,
दीन सुता कौ बाप।।
***************************
गिगयाबे सें नइँ मिलत,
कभउँ काउयै हक्क।
हक्क मिलत बिद्रोह सें,
जा कै गय चाणक्य।।
***************************
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
[12/12, 5:14 PM] Kalyan Das Sahu Prithvipur: मौका आत चुनाव कौ , माते जू गिगियात ।
फिर जनता गिगियात है,अटा-पटी हो जात ।।
अटक जात जब काउ की , खूब फिरै गिगियात ।
काज सटै बिसरै मनुज , फिर नइं झाँइ दिखात ।।
दुरयोधन सें पाण्डव , येंन फिरै गिगियात ।
कुलघाती दुष्टी बनौं , एक न मानी बात ।।
औलादें गिगियात तीं , कभउँ न खाई मात ।
बदल जमानौं अब गयौ , मात-पिता गिगियात ।।
औघड़दानी नाथ लौं , जो कोऊ गिगियात ।
मंसा पूरन होत है , सुख सें समय बितात ।।
---- कल्याण दास साहू "पोषक"
पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र)
( मौलिक एवं स्वरचित )
[12/12, 5:57 PM] Shobha Ram Dandi 2: शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ (म प्र)१२/१२/०२२
बिषय--"गिगयात(गिड़गिड़ाना)
बुंदेली दोहा =(143)
1= पड़ा चोर पकड़े गये ,पाँउन लौ गिगयात ।
"दाँगी" माफ करें उऐ ,सला सूद दइ जात ।।
2=चार जनन के बीच में ,करिया जौ गिगयात ।
"दाँगी" उए न माफ करैं, लट्ट परैं चिचयात ।।
3= भरी सभा में दोपदी ,हात जोर गिगयात ।
लाज बचालो आनकैं ,किशन तुमइ हो भ्रात ।।
4=दुखिया दुख में रोत है, "दाँगी" कै रय बात ।
डरौ प्रभु के दुआर में, हाँत जोर गिगयात ।।
5=चरन पखारू आपके,"दाँगी" कै रय बात ।
लज्जा मोरी राखिओ , सेवक ही गिगयात ।।
6=नाक कटी जो बैन की , लाज बचालो तात ।
भइया सैं कहने लगी , गइ "दाँगी" गिगयात ।।
मौलिक रचना
शोभारामदाँगी
[12/12, 6:08 PM] Brijbhushan Duby Baxswahs: दोहे
1-चीर हरन भव जात कउं,
बिगड़ी जा रई बात।
बचा सकत नइ सभासद,
दुरपद सुता गिगयात।
2-राज भरत खों देत हम,
मानत रानी बात।
वन पठवा मत रामजी,
दशरथ जू गिगयात।
3-कर्जा लद गव मूँढ़पे,
अब नई चुकत दिखात।
साव घरी मानत नही,
बृजभूषण गिगयात।
4-फूला फूली धर भगी,
दूला सें नाराज।
बृज दूला पछयात गव,
हरां हरां गिगरात।
5-चीर हरन कर लव किशन ,
मानत नइया बात।
बृज सखियां गिगयात सब,
भारी जोड़त हाथ।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
[12/12, 6:29 PM] Anjani Kumar Chaturvedi Niwari: बुन्देली दोहा
12 12 2022
विषय- गिगयात
***************
कपट वेश रावण धरें, भीतर नइँ घुस पात।
जनक लली के सामनें, हाथ जोर गिगयात।।
घरबारी के सामने, दोइ टेंम गिगयात।
हाथ जोर विनती करै,तौउ चिया नइँ पात।।
बीच सड़क पै तान कें,फिटफिटिया सन्नात।
गाड़ी कुतिया पै चड़ी, रै गय वे टन्नात।।
चवालीस के पार भव,सबसें बौ गिगयाय।
चइयाँ मइयाँ पार दो, वउ घर में आ जाय।।
पुंगपना खूबईं करौ, कभउँ ना गय स्कूल।
अब गिगया रय सबइ सें, माफ करौ जा भूल।।
अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
[12/12, 8:42 PM] Anjani Kumar Chaturvedi Niwari: बुन्देली दोहा
12 12 2022
विषय- गिगयात
***************
कपट वेश रावण धरें, भीतर नइँ घुस पात।
जनक लली के सामनें, हाथ जोर गिगयात।।
घरबारी के सामने, दोइ टेंम गिगयात।
हाथ जोर विनती करै,तौउ चिया नइँ पात।।
बीच सड़क पै तान कें,फिटफिटिया सन्नात।
पुलिस जाँच में गय पकर,ठाँडे वे गिगयात।
चवालीस के पार भव,सबसें बौ गिगयाय।
चइयाँ मइयाँ पार दो, वउ घर में आ जाय।।
पुंगपना खूबईं करौ, कभउँ ना गय स्कूल।
अब गिगया रय सबइ सें, माफ करौ जा भूल।।
अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
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