Rajeev Namdeo Rana lidhorI

सोमवार, 26 दिसंबर 2022

पुस्तक समीक्षा- बुंदेलखंड की घुमक्कड़ी (लेखक-राजीव नामदेव "राना लिधौरी")

#पुस्तक_समीक्षा :-

पुस्तक का नाम- #बुंदेलखंड_की_घुमक्कड़ी (आलेख व यात्रा संस्मरण)*
लेखक का नाम- श्री #राजीव_नामदेव "#राना_लिधौरी"
प्रकाशक- सरस्वती साहित्य संस्थान, प्रयागराज
मूल्य- सजिल्द 300/ 
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                #साहित्य_अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद, मध्यप्रदेश शासन द्वारा सन् 2021 का  #51000रुपए का * #श्री_छत्रसाल_स्मृति_पुरस्कार* से #पुरस्कृत, यह कृति/बुंदेली ग्रंथ (#यात्रा_संस्मरण), बुंदेली को भाषा के रूप में स्थापित कराने के लिए तथा बुंदेलखंड के उपेक्षित, दुर्गम, लुप्तप्राय पर्यटक स्थलों को प्रकाश में लाने के लिए, श्री राजीव नामदेव द्वारा विरचित अद्वितीय हस्तक्षेप के रूप में प्रस्तुत है।
               बुंदेली को भाषा के रूप में स्थापित करने के लिए वर्षों से साहित्यकारों द्वारा विभिन्न कार्यशालाओं का आयोजन, बुंदेली आलेख लेखन, बुन्देली मे अनुवाद तथा बुंदेली शब्दों का संग्रह किया जा रहा हैं। इन्हीं क्रिया कलापों में श्री राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' की "बुंदेलखंड मे घुम्मकड़ी" पुस्तक के रूप में मील का पत्थर साबित होगी।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी लेखक श्री राजीव नामदेव अनेक विधाओं में पुस्तकों की रचना कर तीन राज्यपालों सहित कई सम्मान प्राप्त कर चुके हैं।
           पुस्तक का मुख्य पृष्ठ बुंदेली तालाब, मंदिर, महल, किलों के चित्रों से सुसज्जित है। परिनिष्ठ बुंदेली में लिखे गए आलेख विशुद्ध ग्रामीण बुंदेली की अनुभूति देते हैं। यद्यपि लेखक स्वास्थ्य समस्याओं के चलते घुमक्कड़ का शौकीन होने के बावजूद भी लम्बी यात्रा करने में असमर्थ हैं, फिर भी उन्होंने बुंदेलखंड की कई जगहों की यात्रा कर इस पुस्तक को प्रकाशित कराने का चुनौतीपूर्ण कार्य किया है। जिसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। 
             पुस्तक में यात्राओं का वर्णन रोचक तरीके से किया गया है,  विभिन्न पर्यटक स्थलों की पृष्ठभूमि, वहां प्रचलित लोक कथाएं, उस स्मारक का इतिहास व पर्यटक स्थल क्यों देखें संबंधी जानकारी भी लेखक प्रस्तुत कर रहे हैं। 
           पृष्ठ 49 पर लेखक कुंडेश्वर धाम के विषय में लिखते हैं- "लोगों की आस्था का केंद्र बना भओ इ मंदिर के बारे में बुढ़े-बुर्जुगन से ऐसो सुनो जात है कै रोजउ संजा बेरा की आरती के टेम केउ अदृश्य शक्तियां और देवगण उपस्थित होके आरती करत हैं."
          पुस्तक के आलेख, यदाकदा बोलचाल में उपयोग किए जाने वाले बुंदेली शब्द (परिनिष्ठित बुंदेली) में होने के कारण एकाग्रता से पढ़े जाने चाहिए, यद्यपि बुंदेली में अल्पज्ञ पाठकगण भी सभी आलेखों का आनंद ले सकते है। कुछ बुंदेली शब्दों का सही अर्थ जानने के लिए बुंदेली शब्दकोश की मदद ली जा सकती है।
           पुस्तक में बुंदेलखंड के प्रमुख धार्मिक पर्यटक स्थल ओरछा, दतिया, रतनगढ़, अछरू माता, कुंडेश्वर, जटाशंकर, भीमकुंड आदि के बारे में जानकारी तो दी ही गई है. इसके अतिरिक्त बुंदेलखंड का अघोषित-वैष्णो देवी धाम हिंगलाज माता, विस्मृत-मोहनगढ़ किला, नदनवारा का सबसे बड़ा चंदेल कालीन तालाब, उपेक्षित-मोनासैया बिजावर के आदिम कालीन शैलचित्र, अनजान-वाकाटक और नाग राजाओं की नगरी शक्ति भैरव, लापता-पातालगंगा अनोखी हैरतअंगेज गुफा आदि के बारे में भी रचनात्मक और सारगर्भित आलेख दिए गए हैं जो रोचक व पठनीय तो है ही, मन मे दिदृक्षा भी जगाते है।
              कुल 112 पृष्ठों में बुंदेलखंड के 20 पर्यटक/ऐतिहासिक स्थलों के बारे में जानकारी दी गई है। जिनका पूर्ण आंनद पुस्तक को पढ़कर ही उठाया जा सकता हैं। कुछ ऐसे स्थान भी हैं जहां लेखक नहीं पहुंच पाए, पर उन्होंने अपने साथियों से भ्रमण जानकारी जुटाकर आलेखों का प्रतिपादन किया है. (पुस्तक में कई जगह अपना नाम पढ़कर सुखद अनुभूति हुई)
            प्रस्तुत ग्रंथ बुंदेली का प्रचार-प्रसार करने, उन्नयन करने के साथ-साथ बुंदेलखंड के विशिष्ट व लुप्तप्राय, अघोषित, उपेक्षित पर्यटक स्थलों की जानकारी देने में उपयोगी सिद्ध है। यह पुस्तक पठनीय होने के साथ-साथ संग्रहणीय भी है।
(सामान्य ज्ञान- वर्ष 2021, साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद का *श्री छत्रसाल स्मृति पुरस्कार* प्राप्त कृति- बुंदेलखंड की घुमक्कड़ी)
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#लाइब्रेरी_लोकेशन- G1609
@mehra
#समीक्षक- #विजय_मेहरा*
#लाइब्रेरियन
#शासकीय_जिला_पुस्तकालय_टीकमगढ़ (मप्र)

2 टिप्‍पणियां:

Vidya Chouhan ने कहा…

बहुत ही सुंदर समीक्षा🙏💐पुरस्कृत कृति पढ़ने की जिज्ञासा हो रही। आ. राजीव जी को हार्दिक बधाई और उनका लेखन सफ़र अनवरत जारी रहे ऐसी शुभकामना🙏🙏💐💐

Amar Singh rai ने कहा…

आदरणीय श्री राजीव नामदेव राना लिधौरी' एक अच्छे साहित्यकार, व्यंग्यकार, गजलकार के साथ-साथ एक अच्छे इंसान हैं जो कई विधाओं के धनी हैं। आप हिंदी के साथ-साथ बुन्देली भाषा के संरक्षण और विकास में प्रशंसनीय भूमिका निभा रहे हैं। आप नए लेखकों, कवियों को भी इस और प्रेरित कर आगे लाने का सतत प्रयास करते रहते हैं जो सराहनीय है। अभी हाल ही में आपकी पुस्तक "बुंदेखंड की घुमक्कड़ी" को साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद, मध्यप्रदेश शासन द्वारा सन् 2021 का 51000 रुपए का श्री छत्रसाल स्मृति पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया है जो हम सबके साथ साथ समूचे बुंदेलखंड वासियों के लिए अत्यंत गौरव की बात है। आपको मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई