Rajeev Namdeo Rana lidhorI

बुधवार, 14 दिसंबर 2022

दास (हिंदी दोहा संकलन) ई-बुक राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'


[13/12, 7:16 AM] Ram Sevak Pathak Hari Kinker Lalitpur: दिन-भौमवार हिन्दी -दोहा।विषय-दास(११५)
 गुरुवर प्रभु के दास हैं,मैं गुरुवर का दास।
अत: जगत कहता मुझे, हरिकिंकर अनुदास।।१।।
दास वही जो स्वामि का, सतत् करें सम्मान।
सेवा में नित रत रहे, हिय में दे सुस्थान।।२।।
पवन पुत्र ने स्वामि को,वसा लिया हिय मध्य।
अत:अमर हैं जगत में, पूजे जाते अद्य।।३।।
तन मन बारे स्वामि हित,तब कहलाता दास।
सुरसा के मुॅंह में घुसे,भय नहिं आया पास।।४।।
प्रभु तो अपने दास का,हर पल रखते ध्यान।
जो उनकी शरणन रहे, रहे न हृदय म्लान।।५।।
"हरिकिंकर"भारतश्री, छंदाचार्य
[13/12, 8:41 AM] Shobha Ram Dandi 2: शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ (म प्र)१३/१२/०२२ 
बिषय--"दास" हिन्दी
दोहा (115)
 1=चरण पखारू आपके, हे प्रभु दीन दयाल ।
शरणार्थी है दास ये ,"दाँगी"करो निहाल ।।

२=कृपा करो इस दास पै, दीन बंधु  घनश्याम ।
 हे जगदीश्वर आपकी ,रज लैं शोभाराम ।।

३=जगत पिता परमातमा,दिव्य दृष्टि देव ग्यान ।
चरणों में है दास ये ,"दाँगी"ठानें ठान  ।।

४=विनय करें हनुमान जी ,तुम हो जग करतार ।
चरणों हाजिर दास ये ,"दाँगी"होय उद्धार ।।

५=चरणों सेवक जानिके ,करुणा दया निधान ।
दास शरण में लीजिए ,"दाँगी" अपना जान ।।

६=हे जगदीश्वर दास की ,नइया करना पार ।
विनय करू कर जोर मैं ,"दाँगी" होय उद्धार ।।
मौलिक रचना
शोभारामदाँगी 7610264326
[13/12, 9:09 AM] Subhash Singhai Jatara: हिंदी दोहा दिवस , विषय - दास 

बनने का अवसर मिले , तब  बनना तुम दास |
भक्त दास   हनुमान से , बनो   राम के  खास ||

भक्त शिरोमणि हो गए , जग में  श्री  रविदास |
गंगा चलकर  आ  गई  , खुद  ही उनके  पास ||

जो भी दीन गरीब हों , कभी न   समझो दास |
अंधकार  के   कष्ट  में  , जुगनू  भरे  उजास ||

जो  छोटों  को   देखकर , समझें  उनको दास  |
कहें 'सुभाषा'   वें सदा , पालें   खुद  ही   त्रास  ||

हम दासों के दास हैं  , कहता   आज  सुभाष  |
राम  नाम जो पुंज का , रखता  ह्रदय प्रकाश ||

मात -पिता गुरु के चरण , शरण राम  की पास |
नहीं सुभाषा'  चूकना , बनों   चरण  के   दास ||

सुभाष सिंघई
[13/12, 9:24 AM] Subhash Singhai Jatara: आदरणीया बहिन , आपके सदैव सभी दोहे निर्दोष होते है , व श्रेष्ठ कथ्य युक्त होते है 
पहले दोहे में बहुत बारीक बात यह है कि दास - उदास में यमक तुकांत खटक रही है 🙏
उजास शब्द का प्रयोग कर सकती है 
जैसे - 
खुशी किसी के भाग्य में , भरती रहे उजास 
सादर
[13/12, 9:34 AM] Pradeep Khare Patrkar Tikamgarh: बिषय.. दास
13-12-2022
*प्रदीप खरे, मंजुल*
💐💐💐💐💐💐
1-
राम सदाँ स्वामी रहो,
 निज सेवक के पास।
ज्ञान ध्यान जानूँ नहीं, 
मैं हूं तेरौ दास।
2-
रात दिना जो करत हैं,
भगवत का गुणगान। 
प्रभु दास को देत हैं, 
स्वामी सम सम्मान। 
3-
दास, दीनता अरु दुखी,
जीवन में जो पाय।
बे नर निय प्रभु के रहें, 
सदाँ रहैं हरसाय।।
4-
नेता के ढिंग कर रहे,
देख चाकरी लोग।
दास बनें सैं खुश रहें,
 बढ़ौ अजब संजोग।।
5-
हनुमत की लीला महा,
हर कारज बे कीन।
दास रहे प्रभु राम के,
श्रेय राम को दीन।।
*प्रदीप खरे, मंजलु*
टीकमगढ़
[13/12, 9:45 AM] Rajeev Namdeo Rana lidhor: हिंदी दोहे - दास*
***
*1*
नहीं  किसी के दास हम , और न पाले दास |
#राना सबसे   मित्रता , सब   हैं   मेरे  खास ||
***
*2*
दास प्रथा ने कर दिया , #राना बेड़ा गर्क |
ईश्वर ने कब दे दिया , करने हमको फर्क ||
***
*3*
बनना यदि अब दास है , तब पहचानो राम |
#राना  सेवक हम रहें , उनके  आठों  याम ||
*4*
मानव   सेवा धर्म  है , बनो  दीन के  दास |
#राना   दीनदयाल तब ,   होगें   तेरे  पास ||
*5*

तुलसी केशव सूर थे , लिखे  नाम  में  दास |
#राना थे रविदास जी, सभी  ईश के खास ||
*** दिनांक-13-12-2022
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
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[13/12, 9:50 AM] Promod Mishra Just Baldevgarh: मंगलवार हिंदी दोहा दिवस
विषय ,,दास,,
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वृक्ष लताऐं दास बन , धरती रहे सजाय
महक पुष्प देते पवन , लिख प्रमोद हरसाय
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काग दास बन पालता , कोयल सुत निज जान
बोली में पहचान है ,लिखा प्रमोद प्रमान
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विटप दास इस जगत का ,जल वायू फल हेत
पुष्प पात अर्पित करे ,जीवन जग को देत
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दास नीर निधि जलज का , सुना सुधाकर भ्रात
मित्र भास्कर मां धरनि, जग प्रमोद उपजात
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पुरुष प्रकृति का दास है , जगजीवन श्रृंगार 
विपुल वनों की संप्रदा , लिख प्रमोद उपहार
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पशू दास बन पुरुष का , रहता जीवन सँग
दास नार नर सम कहें ,प्रेम प्रमोद प्रसँग
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       ,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
       ,, स्वरचित मौलिक,,
[13/12, 11:06 AM] Jai Hind Singh Palera: #दास पर दोहे#

                    #१#
राम रंग बजरंग के,रोम रोम में खास।
अपने स्वामी की सदा,दास करे अरदास।।

                    #२#
करी दास हनुमान ने,लंक जानकी खोज।
राम रंग रग रग रमा,रघुपति राघव रोज।।

                    #३#
उपजे इस संसार में,दास एक से एक।
भाई जिनमें वीरता,विद्या विनय विवेक।।

                    #४#
स्वामी पर बिपदा पड़े,दास न रहे उदास।
तन मन धन की चाह ना,राखे अपने पास।।

                    #५#
हरि के दासों में हुये,दास एक रैदास।
गंग कठौती में बुला,उर में उगी उलास।।

#जयहिन्द सिंह जयहिन्द# 
#पलेरा जिला टीकमगढ़# 
#मो.६२६०८८६५९६#
[13/12, 12:44 PM] Geeta Devi Orya: दास

दास तुम्हारी हूँ सदा, सुनो कालिका मात।
हरपल रहना संग में, दिन हो चाहे रात।।

मैं चरणों का दास हूंँ, मेरे प्रभु श्री राम।
जीवन भर अब आपका, लूँगा मैं तो नाम।।

दास प्रथा को छोडि़ए,शोषण है नित पाप।
रहे सभी आजाद अब,समझदार जन आप।।

कृष्ण भक्त कहती फिरे, सुनो लोग अरदास।
दासी हूँ गोपाल की,सदा रहूँ हिय पास।।

कहते लक्ष्मण भ्रात से, रखना अपने पास।
भूल क्षमा करना सभी, मैं छोटा हूँ दास।।

गीता देवी
[13/12, 1:00 PM] Bhagwan Singh Lodhi Anuragi Rajpura Damoh: हिंदी दोहे
विषय:-दास
दास बना लो दीन को,हे माधव सरकार।
चरणों में मन रत रहे,विनती वारम्वार।।

केशव सूर मलूक अरु, बाबा तुलसीदास।
नामदेव कबीरा हुय,भक्त संत रैदास।।

खून चूसते दास का,पूॅंजीवादी  लोग।
माया का‌ जिनको लगा,नश्वर जग में रोग।।

हे करुणानिधि दास की,सुनलो करुण पुकार।
रामराज्य कब आएगा, धरा -धरा पर भार।।

मात पिता के दास बन,गौरी पुत्र गनेश।
प्रथम पूज्य देवा बड़े,बिघन हरण बिघनेश।।

भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा दमोह जी‌सर🙏🌹
[13/12, 1:52 PM] Amar Singh Rai Nowgang: हिंदी दोहे, विषय- दास
            दिनांक 13/12/2022

स्वामी जिनके हिय बसें, देखा ऐसा दास।
बजरँग सेवक भी रहें, सदा राम के पास।।

ज्ञानवान बनना अगर, बन गुरुवर का दास।
गुरु ही सच्चा ज्ञान दे, गुरु बिन है उज्यास।।

एकलव्य ने दास बन, किया स्वयं अभ्यास।
तीरंदाजी  सीख  ली, गुरु मूरत रख पास।।

विनयशीलता  धैर्यता, खूबी  जिसके  पास।
करे ग्रहण गुण दास बन, छूता वही अकास।

जबरन परबस दासता, करे  दास  स्वीकार।
प्रथा पुरानी लुप्त है, है  समान  अधिकार।।

होना जो  होकर  रहे, रख  मन  में विश्वास।
कर्म नेक  करते रहो, बन  ईश्वर  के  दास।।

गद्दी में रख पादुका, किया  दास  बन  राज।
बना कुटी रहकर भरत,किए प्रजा के काज।

मौलिक/
                          अमर सिंह राय
                        नौगांव, मध्यप्रदेश
[13/12, 2:08 PM] Dr. Devdatt Diwedi Bramlehara: 🥀 हिंदी दोहे 🥀
     (विषय- दास)

जन जीवन ऐसा हुआ,
      लाचारी का दास।
चुल्लू भर पानी मिले,
      सरस घड़े भर प्यास।।

मन माया का दास है,
   काया तृष्णा दास।
जो अपने मन का चले,
   उसका क्या विश्वास।।

करने वाला एक है,
    खाते हैं दस पाँच।
सता रही हरि दास को,
   निरधनता की आँच।।

दीन दयालु दयानिधी,
     दिन दानी दातार।
दास द्रवहु दीजे दरस,
   दारहु दुसह दमार।।

डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस
बड़ामलहरा छतरपुर
[13/12, 2:10 PM] Aasharam Nadan Prathvipur: हिंदी दोहे विषय --दास
(१)
विनती है इस दास की, सुनिए कृपा निधान।
चरणों  में   ही  राखिए  , मैं   मूरख  नादान।।
(२)
जब तक यह सांसे चलें,  रहूॅं  आपका  दास।
भव से  पार  उतारिये ,  कृपासिंधु  सुखरास।।
(३)
दया  दास  पर कीजिए , नाव फसी मझधार।
हे   प्रभु  पार  लगाइये , बन  के   खेवनहार।।
(४)
जब तक यह  जीवन  रहे, रहे  आपका साथ।
अर्पण सब कुछ दास का, है  प्रभु  दीनानाथ।।
(५)
विनय  दीन  नादान  की, कर  लीजे  स्वीकार।
दास   बना   लीजे  मुझे,  मेरे   प्राण   अधार ।।

आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुर
  ( स्वरचित ) 13/12/2022
[13/12, 2:54 PM] Brijbhushan Duby Baxswahs: दोहा
विषय-दास
1-धर्म निभाना दास का ,
कठिन बताते शास्त्र।
बृज सुख समृद्धि प्राप्त हो,
बनकर कृपा पात्र।
2-मात-पिता का सदा ही ,
ध्यान जो रखता खास ।
आज्ञा पालन नित करें,
 कहलाता वह दास ।
3-अनुशासन पालन किया ,
जीत लिया विश्वास।
 बृजभूषण वह दास है,
 बनकर रहता खास।
4- दास दास्तां मानकर,
 होना नहीं निराश।
 स्वीकारो ब्रज दास्तां ,
हरदम करो प्रयास।
5- स्वामी बन जाते सभी,
 बने नहीं कोई दास।
 सुख साधन तो चाहता,
 ब्रज करता आभास।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
[13/12, 3:53 PM] Prabhudayal Shrivastava, Tikamgarh: हिन्दी  दोहे   विषय  दास

प्रभु के दास अनेक हैं,  मैं दासों का दास।
बना रहूं मैं आम ही , नहीं  बनाना  खास।।

तुम मनमोहन स्वामिनी, मैं हूं उनका दास।
सदा सर्वदा ही मिले , बृज मंडल में वास।।

राम दास से गुरु मिले,  माता  जीजाबाइ।
वीर  शिवा  से मांगते  , पानी   आताताइ।।

पूज्य पिताजी के लिए,  समय न उसके पास।
सेवक है ससुराल  का ,  प्रिय  पत्नी  का दास।।

दास प्रथा का  हो गया,  बहुत  दिनों  से  अंत।
पर नेताओं के लिए  , वह  उपलब्ध  तुरंत।।

             प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
[13/12, 4:40 PM] Gokul Prasad Yadav Budera: 🌹हिन्दी दोहे विषय-दास🌹
***********************
दुनिया के हर देश में,
           दास प्रथा थी व्याप्त।
रहते थे हर दास को,
        सब अधिकार अनाप्त।।
***********************
मालिक हुए गुलाम तब,
            आया  उनको  होश।
तभी समझ पाए सभी,
             दासों का आक्रोश।।
***********************
प्रतिबंधित अधिकार थे,
             जन थे वस्तु समान।
सदी बीसवीं में हुआ,
            दास प्रथा अवसान।।
***********************
चार घड़ी की दासता,
               देती है अति त्रास।
उनकी सोचो जो रहे,
              कई पीढ़ियों दास।।
***********************
("दास"नाम वाले संत कवि)
----------------------------------
तुलसी सूर कबीर हरि,
              धर्मदास   रविदास।
सुंदर अमर मलूक सह, 
           रामदास कवि खास।।
***********************
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
[13/12, 5:10 PM] Kalyan Das Sahu Prithvipur: मात - पिता  गुरुदेव  के , बनों  दुलारे  खास ।
आजीवन बनकर रहो , सच्चे सेवक दास ।।

भारत  माँ  के  लाड़ले , पूरन  करते  आस ।
मान बढा़ते हर समय , मातृभूमि  के  दास ।।

धर्म-कर्म शुचि सत्यता , न्याय-नीति के दास ।
रखें  सच्चिदानन्द  पर , सदा अडिग विश्वास ।।

शुभ अनुरागी आस्तिक , आराधक अभिलाष ।
परम  आस्थावान  ही , होते  हरि  के  दास ।।

तुलसी केशव सूर कवि , सगुण उपासक दास ।
निर्गुण शाखा भक्ति के , कवि कबीर हैं खास ।।

   ---- कल्याण दास साहू "पोषक"
      पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र)

        ( मौलिक एवं स्वरचित )
[13/12, 6:22 PM] Sr Saral Sir: हिन्दी दोहा विषय  दास 
******************************
चमचा हुए समाज में, नेताओं के  दास।
करते अत्याचार को,खुले आम बिंदास।।

वर्तमान  में  दास  के, होते  तीन प्रकार।
इक चमचा दो दास हैं, तृतीय  चाटूकार।।

स्वामी को निज सारथी,पर होता विश्वास।
बे स्वामी के दास हैं, स्वामी  उनके खास।।

भक्तों में सिरमौर हैं, स्वामी गुरु रविदास।
सदा  रखा रविदास ने, कर्मों में  विश्वास।।

दास प्रथा से देश के,*सरल* हाल बदहाल।
स्वामी  मालामाल हैं, दास  हुए  कंगाल।।
*******************************
         एस आर सरल
             टीकमगढ़
[13/12, 6:40 PM] Dr R B Patel Chaterpur: दोहा -दास
          01
दास दीन की परख है,
रहते सदा गुलाम।
कितनी भी कोशिश करो,
पूजत आठो याम।
              02
प्रभु स्वामी इस जगत के,
नर नारी है दास।
ध्यान भजन निशदिन करत,
एक तुम्हीं से आस।
          03
दरस दास दीजै प्रभू,
तुलसी के मन आस।
मात पिता गुरु आप हैं,
काहे करत निराश ।

डा आर बी पटेल "अनजान "
छतरपुर
[13/12, 7:18 PM] Kalyan Das Sahu Prithvipur: मात - पिता  गुरुदेव  के , बनों  दुलारे  खास ।
आजीवन बनकर रहो , सच्चे सेवक दास ।।

भारत  माँ  के  लाड़ले , पूरन  करते  आस ।
मान बढा़ते हर समय , मातृभूमि  के  दास ।।

धर्म-कर्म शुचि सत्यता , न्याय-नीति के दास ।
रखें  सच्चिदानन्द  पर , सदा अडिग विश्वास ।।

शुभ अनुरागी आस्तिक , आराधक जन खास ।
परम  आस्थावान  ही , होते  हरि  के  दास ।।

तुलसी केशव सूर कवि , सगुण उपासक दास ।
निर्गुण शाखा भक्ति के , कवि कबीर हैं खास ।।

   ---- कल्याण दास साहू "पोषक"
      पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र)

        ( मौलिक एवं स्वरचित )
[13/12, 7:39 PM] Ramlal Duvedi Karbi, Chitrakut: 🌹 दोहे🌹
   विषय- दास

राधा मेरी स्वामिनी, माधव मम महाराज।
 भव से पार लगाइये, रखें दास की लाज ।1,

अहं शून्य विनयी सदा, रहे स्वामि के पास ।
लख रुख आज्ञा पालते, वह ही सच्चा दास ।2

गुरु निष्ठा के जो वृती, सेवा पर विश्वास । 
संत चरण निष्ठा अडिग, प्रभु पाता वह दास।3

 अखिल लोक राजा पिता ,हरदम सबके पास ।
पहचानो उर झांककर ,बनो हृदय से दास ।4

महाराज ब्रह्मांड के, क्यों सुत रहे उदास ।
सांचा रिश्ता मानले ,मिटे दास भव- फांस।5
🌻🌻🌻🌻🌻
 दरस दिखाव दयानिधी ,दीनबंधु दिनदानि। 
दिल दावानल - से दहे, बिन दर्शन द्युतिखानि।6

स्वरचित व मौलिक 

रामलाल द्विवेदी प्राणेश
कर्वी चित्रकूट
***
संयोजक -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
टीकमगढ़ (मप्र)

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