[11/03, 9:46 AM] Ram Sevak Pathak Hari Kinker Lalitpur: अप्रतियोगी दोहे-
बना पपरियाॅं ढेर भर,एक दिना धर लेउ।
बिगरत नइयाॅं कभउॅं वे, महिनन नौं धर देउ।।१
जीके गिर गये दाॅंत सब, गला पपरियाॅं खाव।
अच्छी लगतइ भौत वे, जल्दी गुटकत जाव।।२
बेसन/ मेंदा की बनत, पतरी पापर घाॅंई।
अत:पपरियाॅं कत उन्हें, तेल चुराईं जाॅंई।।३
घी की नौनी नईं लगत, चमचोली हो जात।
वे पानू में नइं गलत,बूढ़े चवा न पात।।४
व्यावन में मड़वा तरें, बनत खखइयाॅं खूब।
वेइ औरतन में बॅंटत, पूरन हों मंसूब।।५
मौलिक, स्वरचित,
हरिकिंकर, भारतश्री, छंदाचार्य
[11/03, 1:30 PM] Rameshver Prasad Gupta Jhanshi: अप्रतियोगी दोहे- पपरिया.
बनीं पपरिया मंच पे, परसीं गईं विलात/
कछू समय से पैल ही, परसन खों अकुलात//
परस पपरिया जब गईं, नौनीं खरीं दिखात/
खावे वारे गप्प से, खावै खों ललचात//
बुंदेली के शब्द ले, रस भर कें मनचाव/
सेंक कसौटी पे खरी, भर दय सुंदर भाव//
बुंदेली के कवि कितै, कां - कां की कै जात/
भाव पपरिया प्रेम की, भर - भर खूब चबात//
प्रतियोगी दोहे पढे़, मन में उठी उमंग/
खाव पपरिया सब जने, डारौ मन को रंग//
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.
बडागांव झांसी उप्र.
[11/03, 1:35 PM] Pradeep Khare Patrkar Tikamgarh: [11/03, 8:35 am] Pradeep Khare: बिषय.. पपरिया
पिया पपरिया पा रहे,
पाँच पाँच नित भोर।
चाय चुश्कियाँ ले रहे,
चुरा जिया चितचोर।।
2-
मैंदा गूँथो मौन दै,
धना बढ़ी हुशयार।
बना पपरिया धर लयीं,
खाईं बैठ सँग चार।
3-
फाग दिवाई होय तौ,
बाँदें बंदनवार।।
बिना पपरियाँ ना मनै,
कौनउँ जौ त्योहार।।
4-
पुरा परौसी देखते,
लखत जिया रय खोय।
गोरी चिकनी सी धरी,
लगै पपरिया होय।
5-
ठसका खातन में लगो,
सूकी बिना अचार।
खाइ पपरिया शान सैं,
बयी अँसुवन की धार।।
6-
मौन पपरिया में दऔ,
खातन में चर्रात।
होरी आतन घर बनें,
रात दिना बर्रात।।
7-
बाई दैबै बायनौ,
धरी पपरियाँ चार।
माल टाल तौ धर लियौ,
झूरन दीनौ झार।।
8-
बाई में औगुन भरे,
कुतका रही बताय।
पैलाँ खुद सब खायकें
, झूरन दियौ झराय।।
[11/03, 3:07 PM] Subhash Bal Krishna Sapre Bhopal: पपरिया पर बुंदेली दोहे
1.
काकीं लें के,आगईं,पपरिया भरो थार।
सबरे खाबे आगये,मजा आ गओ आर.॥
2.
"कक्का के ज़ब गिर गये,मों के सबरे दांत।
कडक पपरिया हो गई,अब नई बनत खात॥
3.
"ब्याव बरात में सबइ, लरका खुस हो जात।
थाल पपरिया देख,कें, खाबे मन ललचात.॥
4.
"होरी के इस पर्व में, गुजिया ज़ब बन जात।
पपरिया संग,खात हैं, मजा भोतई आत.॥
5.
"रंग ड़ारबे जुड गये, सबरे रिस्तेदार।
सबइ नमकीन खा रये, पपरिया बची चार.॥
सुभाष बाळकृष्ण सप्रे
जबलपुर
[11/03, 3:30 PM] Jai Hind Singh Palera: #अप्रतियोगी दोहे#
#१#
अफसर नेता हों गुनी,खाबें चतुर सुजान।
प्रेम पपरिया सें करें,सुर नर मुनि सुल्तान ।।
#२#
पूजा होबै काउकी,होय तीज त्योहार ।
बिना पपरिया भाय ना,खाय इयै संसार।।
#३#
बेसन या मेंदा मड़ै,डार नमक अजवान।
और तेल में काड़ लें,करें पपरिया पान।।
#४#
बनें खकरियां खांकरा,बटै बायनों ऐन।
इनें टिपारे में धरें,जाबें घर घर देंन।।
#५#
बनें पपरियां खकरियां, भोग लगै भगवान।
इनके बिन फीके परें,बन्न बन्न पकवान।।
#६#
आसन आसें डारतीं,करें मान पकवान।
गिरै पपरिया के बिना,पकवानन की शान।।
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#पलेरा जिला टीकमगढ़#
#मो०-६२६०८८६५९६#
[11/03, 4:43 PM] Rajeev Namdeo Rana lidhor: *बुंदेली दोहा बिषय -पपरिया/खखरिया*
***
बने पपरिया जब जितै , बेसन उसनौ जात
नौंन मोन #राना डरे , बेलत और चुरात ||
बने पपरिया जब घरै , #राना खुश हौ जात |
जब चुरतइ है तेल में , खुश्बू ऊँकी आत ||
गोंठा खाजा है बनत , देत पपरिया स्वाद |
धना जानतइ बात खौ , बना लेत कर याद ||
मिले पपरिया चाय सँग , मजा चौगुनौ हौत |
#राना सूँटत जात सब , स्वाद मिलत है भौत ||
बनें खकरिया गेह में , परै तीज त्योहार |
पैलउँ चढ़तइँ देवता , फिर #राना सत्कार ||
*** दिनांक-11-3-2023
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.co
[11/03, 5:32 PM] Gokul Prasad Yadav Budera: अप्रतियोगी दोहे
विषय-पपरिया/खकरिया🌹
**********************
पापर सें लरबे लगी,
लटी पपरिया यैन।
कत तोरौ रूखड़पना,
काँ लौ करिए सैन।।
**********************
लटी पपरिया के सुनें,
पापर नें बिष-बैन।
अँगरन पै कूँदो ससुर,
फोरा पर गय यैन।।
**********************
पाछूँ पर गव खाँकरौ,
बिदी खकरियै मौत।
पापर के घर जा घुसी,
लरी पपरिया भौत।।
**********************
नचें खकरियाँ-खाँकरे,
गुजिया गा रइ फाग।
भयौ पपरिया खाँ उतइँ,
पापर सें अनुराग।।
**********************
दारू की संगत उयै,
तनक न आई रास।
पापर के बँद टोर कें,
बनी पपरिया खास।।
**********************
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
[11/03, 6:35 PM] Promod Mishra Just Baldevgarh: शनिवार बुंदेली दोहा दिवस
विषय ,,पपरिया,, खकरिया
********************************
पापर की घरबाइ को , परों पपरिया नाव ।
परीं टिपारो खोलकें , होत "प्रमोद" चलाव ।।
********************************
सपरखोर बिननू सजीं , पोते खुरन महाव ।
लुचइ पपरिया बाँदकें , कत "प्रमोद" अब जाव ।।
*********************************
गुना फरा आँसे लुचइ , फूल "प्रमोद" करार ।
खुरमा गूंजा अदैनी , धरीं पपरिया चार ।।
*********************************
बुन्देली त्यौहार पै , मोड़ी मोंड़ा खात ।
लुचइ पपरिया कचरिया ,हमें "प्रमोद" पुसात ।।
**********************************
चूँन चनन को चालकेँ , करो नोन अजवान।
खरीं पपरिया सेंकलो , करो कलेवा तान ।।
*********************************
चटनी कैंथा प्याज की , मैंथी धना तड़ंग ।
जैवन बैठें पपरिया , पर "प्रमोद" गव रंग ।।
*********************************
,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
,, स्वरचित मौलिक,,
[11/03, 7:09 PM] Prabhudayal Shrivastava, Tikamgarh: अप्रतियोगी दोहे विषय पपरिया
बनीं पपरियां रैंन कीं, डरी खूब अजवान।
थरिया में परसीं धरीं, जे जेलो जजमान।।
गुजियां खूबइ खाइँ सो,मन रै रै मिठयात।
पिया पपरियां जेव जे , मानों मोरी बात।।
प्रीतम प्यारे फाग खों , होबै घरै। अबाइ।
धरीं पपरियां सेंक कें, जे लइयौ मनचाइ।।
हुरयारन कौ होत है , हर घर में सत्कार।
खायँ पपरियां सोंक सें, छोड़ें रंग फुहार।।
सिकीं पपरियां देख कें, मन ललचाबै ऐंन।
कबै हांत फटकारबें , परै न बिल्कुल चैंन।।
प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
[11/03, 7:36 PM] Brijbhushan Duby2 Baksewaha: दोहा
विषय-पपरिया
1-होय पपरिया कुरकुरी,
चुरमुराय के खाव।
बृजभूषन कैसी लगी,
अपनो स्वाद बताव।
2-पापर सी पतरी बनी,
साजौ लगत स्वाद।
खरी खरी सिक जाय जब,
खावें संग सलाद।
3-नोट पपरिया से गिनत,
मिलत जबइ हर चीज।
बिना दाम फिरतइ रहो,
कोउ नइ सकत पसीज।
4-लुचइ पपरिया ठढूला,
खुरमा बतिया सेव।
बृजभूषन बनवा धरो,
स्वाद मजे से लेव।
5-बनत पपरिया स्वाद की,
डरे हींग अजवाइन।
नोन धना मिर्चा तनक,
लाजबाब पकवान।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
[11/03, 8:48 PM] Brijbhushan Duby2 Baksewaha: दोहा
विषय-पपरिया
1-होय पपरिया कुरकुरी,
चुरमुराय के खाव।
बृजभूषन कैसी लगी,
अपनो स्वाद बताव।
2-पापर सी पतरी बनी,
साजौ लगत स्वाद।
खरी खरी सिक जाय जब,
खावें संग सलाद।
3-नोट पपरिया से गिनत,
मिलत जबइ हर चीज।
बिना दाम फिरतइ नई,
कोउ नइ सकत पसीज।
4-लुचइ पपरिया ठढूला,
खुरमा बतिया सेव।
बृजभूषन बनवा धरो,
स्वाद मजे से लेव।
5-बनत पपरिया स्वाद की,
डरे हींग अजवाइन।
नोन धना मिर्चा तनक,
लाजबाब पकवान।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
[11/03, 9:08 PM] Rajeev Namdeo Rana lidhor: 104 बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-104
शनिवार, दिनांक 11/03/2023
बिषय - ' पपरिया/खकरिया '
प्राप्त प्रविष्ठियां :-
*1*
गुना फूल आँसें फरा , लुचइ पपरिया पान ।
गुजिया खुरमी खकरिया , दिखनी चुलिया जान ।।
***
प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
*2*
तन-मन जो भींझो नईं , फीको रँग तो यार।
बिना पपरिया के लगो, फीको सो त्योहार।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
*3*
औसर मंगल काज कौ, या होवै त्योहार,
बनै पपरिया नुनखरी, पावें भर-भर थार ।
***
*अरविन्द श्रीवास्तव* भोपाल
*4*
मेंदा की कछु रेंन की,बनै पपरिया खस्त।
बुंदेली पकवान में, जौ व्यंजन है मस्त।।
***
-आर. के.प्रजापति "साथी", जतारा
*5*
परस पपरिया प्यार सें,खावें और खवांय।
पांय पपरियां पावने,परे प्रेंम सें पांय।।
***
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा,टीकमगढ़
*6*
नोंन और अजवान खों,मिला रैंन में देत।
चढ़ा करैया तेल की,बना पपरिया लेत।।
***
भगवान सिंह अनुरागी,हटा
*7*
बनें पपरिया रेंन की,डार नोंन अजवान।
तेभारों की सान है,बुन्देली पकवान।।
***
डॉ देवदत्त द्विवेदी जी बड़ा मलेहरा
*8*
धरेैं करइया है धना , बेसन गूँथत जात |
चुरै पपरिया तब सजन , हँसकै निकट बुलात ||
***
सुभाष सिंघई, जतारा
*9*
खुरमी गुजिया सेव सँग, बना पपरिया लीन।
होरी में घर आव जो, खुवा प्रेम से दीन।
***
अमर सिंह राय, नौगांव
*10*
मिलो फाग की दोज खों,आजी हिरदें चैन।
भव नातिन कौ मूड़नों,बटीं खकरियाँ यैन।।
***
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी बुड़ेरा
*11*
व्याव बरातन में मिलै,अरु आबै त्यौहार।
बिना पपरिया होय ना,थारी कौ सिंगार।।
***
*प्रदीप खरे, मंजुल* टीकमगढ़
*12*
सूक पपरिया हो गओ,भव किसान अदपेट।
ओरन की बोछार ने,कर दव मटियामेट।।
***
-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
*13*
टेंम पास गुजिया करै , सबके मन खौं भाय।
सेव पपरिया संग में , पियौ मजे सैं चाय।।
***
आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुर
*14*
सबसे नौनी पपरियाॅं, पकवानन में मान।
खाओ पानू में गला,अति ही पाचक जान।।
***
-"हरिकिंकर", ललितपुर
*15*
भोजन की थाली सजी,व्यंजन धरे अनेक ।
धरी पपरिया थाल में,खा रय लगा विवेक ।।
***
शोभाराम दाँगी नंदनवारा
*16*
औसर-काजन पपरियाँ,बना-बना कें खाव।
थोरीं-थोरीं बाँट दो, जीवन भर सुख पाव।।
***
अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी
*17*
बरफी पेरा पपरिया, खस्ता खुरमा सेव।
होरी के त्योहार पे, घरन- घरन में जेव।।
***
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.
*18*
खात पपरिया देख कै,लगे ठिनकबे श्याम।
पुटयाबे मैया लगीं, सबरे छोड़ें काम।।
एस आर सरल टीकमगढ़
***
*19*
काकीं लें के,आगईं,पपरिया भरो थार,
सबरे खाबे आगये,मजा आ गओ आर."
***
सुभाष बाळकृष्ण सप्रे , भोपाल
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