Rajeev Namdeo Rana lidhorI

मंगलवार, 14 मार्च 2023

गल्लन (बुंदेली दोहा)

गल्लन
[13/03, 8:15 AM] Jai Hind Singh Palera: #गल्लन पर दोहे#

                    #१#
गल्लन गैलारे कड़ें,जांय‌ओरछा धाम।पैदल जायें भीर लै,करत जात आराम।

                    #२#
दल्लन दल्लन में पिड़े,गल्लन चूहे सांप।
दल्लन में पानी भरें,मारें उनखों भांप।।

                    #३#
गल्लन में फसलें धरीं,गल्लन लगे मजूर।
कछु ऐंगर सें आंय बे,कछु आउत है दूर।। 

                    #४#
गल्लन गन्ना खेत में,करे छील कें ढेर।
ढो ढो कें लै जात हैं,कोलू में दे पेर।।

                    #५#
नेता खड़े चुनाव  में,गल्लन भीर जुटांय।
गल्लन खों गल्ला बटो,मंचन पै चिल्यांय।।

#जयहिन्द सिंह  जयहिन्द# 
# पलेरा जिला  टीकमगढ़# 
#मो.-६२६०८८६५
[13/03, 8:35 AM] Promod Mishra Just Baldevgarh: सोमवार बुंदेली दोहा दिवस
           विषय ,, गल्लन,,
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दल्लन में गल्लन घुसें , चुखरन के परिवार । 
बिल्लो बैठीं तप करें , यह "प्रमोद" संसार ।। 
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गल्लन वैरी लूट गय , हमरो भारत देश ।
हम आपुस में लरत रय , करत "प्रमोद" कलेश ।।
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गल्लन कर गय देश पै , तन मन धन न्योछार ।
तभी "प्रमोद" स्वतंत्र भय , झेली भौँत बिगार ।।
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गल्लन पूजें चौंतरा , जब भय पूत "प्रमोद" ।
पढ़ लिखकें देखत नही , नन्ना ओरी कोद ।।
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गल्लन बैठें गाँव में , ठलुवा खेलत ताश ।
कुछ "प्रमोद" पीकेँ डरें , भइ ढोरन की नाश ।।
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गल्लन पेड़ें काटकेँ , नंगी कर दइ भूंम । 
अब "प्रमोद" सब भोगियो , भारी पन्ने हूंम।।
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गल्लन मर गय रामधी , कर धनियाँ सें हेत ।
 गव "प्रमोद" जीवन उजर , जैसों चैतें खेत ।।
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        ,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
        ,, स्वरचित मौलिक,,
[13/03, 8:38 AM] Shobha Ram Dandi 2: शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ (मप्र)१३/०३/०२३
बिषय--"गल्लन"मुल्कन ,बिलात (बहुत सारा)बुंदेली दोहा (१५६)
१=गेहूँ̃
गल्लन होत है,भर भर तसला जाय ।
"दाँगी" पिसिया बैंचकें ,जल्दी देत बढ़ाय  ।।
आध्यात्मिक
२=गल्लन इकछायें रवैं,पूरन नइँ करपाँय ।
एक पूर कर पाय सो,"दाँगी" दूसर आँय ।।

३=लरका बिटियाँ भौत हैं,बगर पसर गव ऐन ।
"दाँगी" इतने ना करौ, खावे लगवै लेन  ।।

४=ब्याव काज में होत हैं,गल्लन सारे काम ।
"दाँगी" का का का करैं ,नइँयाँ गाँठै दाम ।।
परिवहन समस्या 
५=गल्लन चलरइँ मौट रैं ,तौऊ कमी दिखात ।
"दाँगी" मुल्कन आदमी ,रेलन नईं समात ।।
आध्यात्मिक 
६= "दाँगी" देहिआ में भरे,गल्लन तोय  विकार ।
ऐसे जीवन नइँ चलें ,इनखौं देव निकार ।।
मौलिक रचना
शोभारामदाँगी
[13/03, 9:02 AM] Shobha Ram Dandi 2: वाह गल्लन पेड़े काट कैं ,नंगी करदइ भूँम ।****पेडे=पेड़ें ,ड़ें से शायद विंदी ***-
इसी प्रकार भूंम पर विंदी यदि छोड़ें और भूँम तो कैसा रहेगा कृप्या शंकासमाधान जरूर करना आदरणीय श्री प्रमोद मिश्रा जी बेहतरीन दोहा बहुत गजब की लेखनी बधाई ।
कृप्या आप बराबर मुझे अनुभव नहीं ।
शोभारामदाँगी
[13/03, 9:09 AM] Dr. Devdatt Diwedi Bramlehara: 🥀 बुंदेली दोहा 🥀
        (विषय गल्लन)
गल्लन मोरे काम हैं,
    काँलौ कियै गिनावँ
सरन तुमारी छोड़कें,
     भोला अब काँ जावँ। 

कुंज गली में छेंक कें,
     करो हाल- बेहाल।
रसिया नें डारो सरस,
     गल्लन रंग गुलाल।।

ऐंसे ऐंसे आलसी,
      परे रहें मौं बायँ।
घरमें गल्लन बेर तउ,
    बिरचुन खों ललचायँ।।

जीकें हर सालै पजै,
     गल्लन उरदा धान।
खिचरी में बिक जात ऊ,
      मुखिया कौ ईमान।।

गाँव भरे नें देख लव,
      उनकौ करो कमाल।
गल्लन डेरा चाटकें,
     बैठे चौपट लाल।।

डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस
बड़ामलहरा छतरपुर
[13/03, 9:28 AM] Ram Sevak Pathak Hari Kinker Lalitpur: दि०१३-०३-२०२३दिन-सोमवारप्रदत्त शब्द -गल्लन(बुन्दे ढहली)
(१)
पोथी तौ गल्लन लिखी,सबरीं करदइ दान।
फेकें कितै प्रशस्तियाॅं,कयै  कोइ  विद्वान।।
(२)
मानस की घाॅंई लिखौ, पूर्ण भागवत ग्रंथ।
पारायण गल्लन करें,मिलै मोक्ष कौ पंथ ।।
(३)
गल्लन हित भव देश कौ,दश सालन के बीच।
जिनकी कुर्सीं छिन गईं, वेइ मचा रय कीच।।
(४)
बिगरे गल्लन सुधर गय,बुल्डोजर कौं देख।
लाॅंघ न पाउत उच्चका,जा सरहद की रेख।।
(५)
योगी मोदी कर रये,गल्लन नौनों काम।
मन्दिर बन गव राम कौ,खुश हैं अब आवाम्।।
मौलिक, स्वरचित
"हरिकिंकर",भारतश्री, छंदाचार्य
[13/03, 11:22 AM] Aasharam Nadan Prathvipur: बुंदेली दोहा - विषय -गल्लन
    " बहुत सारा "
(१)
देहाती  बतकाय  में ,  मुतकौ ,मुलक, बिलात ।
कउॅं कयॅं गल्लन, भौत है , पर  है एकइ बात।।
(२)
गल्लन  भरे  अनाज  सैं  ,  सरकारी   गोदाम ।
खूबइॅं मिल रऔ मुफ्त में,करें काय अब काम।।
(३)
रोज  भौत  उबरा  कड़े  , गल्लन उजरा ढोर ।
आइ फसल चौपट करी , घुस गय बारी टोर।।
(४)
गल्लन  बॅंदरा  राम  के  ,  संगै  लरे   लराइ ।
जबइॅं  सुनो  लंकेश पै  , फतैं  राम नें  पाइ ।।
(५)
ऐसौ धरम  विरोध  कौ  , कांसैं  आ गव रोग ।
अब गल्लन उबरा कड़े ,मुलक नास्तिक लोग।।

आशाराम वर्मा  "नादान " पृथ्वीपुर
( स्वरचित ) 13/03/2023
[13/03, 12:25 PM] Gokul Prasad Yadav Budera: बुन्देली दोहे, विषय-गल्लन🌹
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गल्लन दिन सें कात हों,
             पिया मान लो बात।
पुरी  चलौ  खाबूँ  उतइँ, 
            जगन्नाथ  कौ भात।।
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दिन-दिन बड़ रइ देश में,
             बुन्देली   की  शान।
गल्लन गायक-कवि-सृजक,
             बढ़ा  रहे  हैं  मान।।
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गल्लन दिन हो गय पिया,
            मिली न खाबे खाँड़।
निरै-निरै  कें  खात  ती,
             काल परौसन राँड़।।
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गल्लन मल्लन खों हरा,
           अमन रचो इतिहास।
जीतो सौनें कौ पदक,
          गजब आत्मविश्वास।।
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गल्लन धन-धरती-भवन,
           हते    तिधानें-गुन्ज।
दारू की  फैली  महक,
           सूको  माया-कुन्ज।।
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✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
[13/03, 12:49 PM] Sr Saral Sir: बुन्देली दोहा

विषय  गल्लन 

गल्लन लग गइ पाँव में, हो गइ मूदा चोट।
काम काज सब ठप्प हैं,रय बिस्तर पै लोट।।

गल्लन खा रय गोलियाँ, तोउ जमें ना पाँव।
गाड़ी  गिर  गइ  पाँव पै, गयते  बाहर गाँव।।

गल्लन पिछड़े काम हैं,बदें न कौनउ औज।
परे  परे  चिन्ता  करें , छिन गइ मस्ती मौज।।

क़ो  गल्लन  दोहा लिखें, घरबारे  चिल्लात।
कत चिपके मोबाल सै,अब नइँ पाँव पिरात ।।

को  माथापच्ची करें, तबियत नइयाँ  ठीक।
गल्लन हम कैसै लिखें ,दोहा *सरल* सटीक।।

     एस आर सरल
       टीकमगढ़
[13/03, 2:00 PM] Dr R B Patel Chaterpur: दोहा   गल्लन 
            01
गल्लन ज्ञान बताउते ,बैठ चौतरा रांय  ।
वे नन्ना अब ना रहे , कीसे पूंछन जांय । 
             02
 गल्लन राखी भैंसिया , मुत को दूध लगांय । सानी भूसा करत ते, भौत मजे में रांय ।
            03
गल्लन गल्ला भवन धरे, और मज़े से खांय । मनमानी है बेचते ,खूबइ मजा उड़ांय ।
             04
 गल्लन करी लुगाईयां, गल्लन खोंटे काम ।
 गल्लन संताने करीं , गल्लन काटे चांम ।
         05
 करम धरम अब ना बचे,गल्लन उपजे लोग । मुफ्त खाएं बातें करें , फैलो कौन कुजोग ।

 स्वरचित
 डॉक्टर आर बी पटेल "अनजान "
छतरपुर  म प्र
[13/03, 3:19 PM] Promod Mishra Just Baldevgarh: गल्लन कत जयहिंद गय , लिखकेँ शोभाराम ।
अजब गजब की लेखनी ,करत "प्रमोद" प्रणाम ।।
[13/03, 3:25 PM] Promod Mishra Just Baldevgarh: गल्लन छेंकीं गोपियाँ , लिखें दुबे जू हाल ।
कत "प्रमोद"पाठक लिखत ,बुलडोजर की चाल ।।
[13/03, 3:31 PM] Prabhudayal Shrivastava, Tikamgarh: बुंदेली दोहे विषय   गल्लन(बहुत सारा)

गल्लन गु‌इँयां गांव  कीं, मेला देखन जायँ।
गैलारन सें गैल में ,  हँस हँस कें बुलयायँ।।

धू  धू  कर  होरी जरै, लहरार‌इ  है आग।
जुर गय गल्लन आदमी, खेल रये  हैं ‌फाग।।

र‌इ थोरी सी जिंदगी ,गल्लन  करने काम।
जुत रय निसदिन बैल से, कितै  धरो आराम।।

गल्लन  बोजे छोर कें, फैलादय  खरयान।
कबै नाज आबै घरै  ,हेरें  बाट  किसान।।

गल्लन जुर मिल कें सखीं,   माता  ढारन जात।
भजन गुरीरे गाउतीं ‌, भरतन   पेंड़ दिखात।।

            प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
[13/03, 3:31 PM] Promod Mishra Just Baldevgarh: गल्लन आशाराम हैं ,पर एकइ नादान ।
एस आर लिखते सरल , करत "प्रमोद" बखान ।।
[13/03, 3:37 PM] Arvind Shrivastava Bpl: *गल्लन*

मुतकेरौ, गल्लन, बहुत, जादाँ, अति, अधकाव,
भाइ, भौत, मुलकन, भलौ, घनौ, ब्लात, बड़याव ।

चाय कितेकउ सादवै, चपिया खौं अधकाइ,
घी गल्लन गिर जात जो, परसै, ख्वाय मताइ ।

होरी में आसौं सखी, जी ऐसौ बौराय,
गल्लन लड़ुआ फूटवैं, भौतइ मन मिठयाय ।

*अरविन्द श्रीवास्तव*
भोपाल
मौलिक-स्वरचित
[13/03, 3:37 PM] Promod Mishra Just Baldevgarh: गल्लन गोकुल कुल बने ,जिनने पूँजी गाय ।
दूध पटेल लगायकेँ , चाय "प्रमोद" पिबाय ।।
[13/03, 3:37 PM] Brijbhushan Duby2 Baksewaha: दोहा
विषय-गल्लन
1-गल्लन सारी बढ़त गइ,
सन्मुख लगो पहार।
उगर सकी नइ द्रोपदी,
गओ दुशासन हार।
2-गल्लन करजा सिर लदो,
बृज अब तुमई बताव।
भरपाई कासें करत,
मानत नैया साव।
3-गल्लन रुपया जिनन कें,
उनइ खों भारी भूक,
दातारी कर नइ सकत,
खुदईं रहे बृज झूँक,
4-उत्पाती गल्लन मिलत,
उपकारी रत पाँच।
सुनतन अचरज सो लगत,
बृज कत बिल्कुल साँच।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
[13/03, 3:44 PM] Promod Mishra Just Baldevgarh: हँसकें बुलयारय प्रभू , पेड़ "प्रमोद" दिखात। 
होरी पै अरविन्द जू , राधे राधे कात।।
[13/03, 4:14 PM] Vidhaya Chohan Faridabad: बुंदेली दोहे
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विषय - गल्लन (बहुत सारा)
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१)
बैर  बुराई  मान्स  ने, गल्लन  लये  पसार।
बैठो  सत्य  बिसार कें, साँसे  धरी  उधार।।
 
२)
भले न  गल्लन  हों  सखा, साँसी  होबै  एक।
दुष्ट  सकल कीं  भीड़ में, कोऊ  तो हों नेक।।

३)
गल्लन  जो  सम्मान  दें,  करे  बड़ाई   भूर।
स्वारथ लोभ  लुभावनें,  रइयो  कोसों  दूर।।

४)
गल्लन गुस्सा थूँक द्यौ, तन खाँ दें नुकसान।
कर हौ कोप  प्रभाव सें, कैसें  काज  महान।।

५)
गल्लन बिरथाँ आय तो, रखियो धीर समार।
ईसुर  पै  बिस्वास   हों,   बेइ  लगाउत  पार।।

~विद्या चौहान
[13/03, 4:18 PM] Gokul Prasad Yadav Budera: गल्लन दोहे पड़ लये, कमइँ दिखो श्रंगार।
जब पियूष जू के पड़े,बै गइ रस की धार।।
उत्कृष्ट दोहे सृजन हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय 👌🌹🙏
[13/03, 4:47 PM] Kalyan Das Sahu Prithvipur: गल्लन दोहा मिल गये , हमें वाँचवे आज ।
सबइ एक सें एक हैं , हमखों सब पै नाज ।।

आदरणीय काव्य मनीषियन खों गल्लन बधाई ।

   --- कल्याण दास साहू पोषक पृथ्वीपुर
[13/03, 4:47 PM] Pradeep Khare Patrkar Tikamgarh: बिषय.. गल्लन
13-03-2023
*प्रदीप खरे, मंजुल*
^^^^^*^^^^^*^^^^^
गल्लन न्यौतें आ गये,
 बैठे फट्टा डार।
छूचे छूचे रै गये, 
तनक मिली नहिं दार।।
2-
बुला शान सैं सौ लयै,
छौंट गयौ सामान।
गारीं दैकें लौटते,
गल्लन ते मेमान।।
3-
फिर रय गल्लन गैल में,
ठलुआ देखौ आज।
बिना काज मारे फिरें,
कैसौ आयौ राज।।
4-
गल्लन लरका हो गये,
फिरें पिटइयाँ लाद।
चना धना नइयाँ घरै,
रो रइ जा औलाद।।
5-
गल्लन ग्वाला गैल में,
छैंकत हैं गुलनार।
सब मिल मटकी फोरते,
कर रय बंटाधार।।
*प्रदीप खरे, मंजुल*
टीकमगढ़
[13/03, 4:48 PM] Gokul Prasad Yadav Budera: आदरणीय बहुत ही शानदार दोहे सृजित हुए हैं 👌
तीसरे दोहे के प्रथम एवं द्वितीय चरण को निम्न प्रकार लिख देने से दोहा निर्दोष बन सकता है 🙏
"गल्लन जिनलौ दाम हैं,गल्लन उनखों भूंँक।"🙏
[13/03, 4:53 PM] Kalyan Das Sahu Prithvipur: मुतके मुलकन भौत कुल , गल्लन के पर्याय ।
अधिक खूब हैं ढेर भर , यैंन बिलात कहाय ।।

चमत्कार होवै जितै , गल्लन जनें दिखाँय ।
पुण्य धरम के काम में , ठेलें-ठेलें जाँय ।।

गल्ला लैवे खों जुरे , देखौ गल्लन लोग ।
कछू जनें गल्ला करें , कछू प्रसंसा जोग ।।

गल्ल बनाकें खेलरय , गल्लन गल्लूबाज ।
सूद मिलारय गल्ल में , छोडे़ं घर कौ काज ।।

गोपी गोकुल ग्राम की , गिरधारी खों मोय ।
गैंदा और गुलाब के , गल्लन गजरा गोय ।।

   ---- कल्याण दास साहू "पोषक"
      पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र)

           ( मौलिक एवं स्वरचित )
[13/03, 7:34 PM] Bhagwan Singh Lodhi Anuragi Rajpura Damoh: बुन्देली दोहे
विषय:-गल्लन
गल्लन लुगवा आजकल,दारू पियें दिखात।
करत बहानौ फाग कौ,नाली में गिर जात।।

दल्लन-दल्लन में घुसे,गल्लन चुखरा आय।
फसल काट रय खेत की,करिये कौन उपाय।।

गल्लन असुआ बै गये, श्याम बड़े बेपीर।
मदन जौर तन पै करै,कैंसें धरिये धीर।।

हस हेरन पै मर मिटे, गल्लन तजे पिरान।
लाला कै मुस्कात जब,भटकत फिरत सुजान।।

भगवान सिंह लोधी "अनुरागी" हटा
[13/03, 8:10 PM] Rajeev Namdeo Rana lidhor: *बुंदेली दोहे बिषय- गल्लन*

गल्लन बातें कर रहै, घर कौ छौड़ उसार |
#राना आ गय  पावने ,दरी न घर में दार ||

गल्लन अब बतकाव है , मिलै  और ना छौर |
बकर-बकर समधन करें  , #राना  खूँटा टौर ||

लल्लन अब  गल्लन करें , बातें रय है फाँक |
सड़ सुवाद अब है कितै , #राना रय है आँक ||

काना  फूँसी  हौ रई ,    गल्लन  है    बतकाव |
बिलुर रयी   पंचात   है , #राना  खा रय ताव ||

गल्लन हम दोहा लिखै , मिला जुरा तुक तान |
#राना  लिखना कथ्य को , चूकै नहीं विधान ||
*** 13-3-2023
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
🥗🥙🌿☘️🍁💐🥗🥙🌿☘️🍁💐
[13/03, 8:37 PM] Sanjay Shrivastava Mabai Pahuna: *सोमबारी बुंदेली दोहे*

विषय -    *गल्लन*

*१*
गल्लन दुख के बीच में,
          खुशियां छुपीं हजार।
अपने मन की मानकें,
      चलो कदम दो-चार।।

*२*
गल्लन ब्यादें आदमी,
       फिरत मुड़ी पै लाद।
सोच-विचारी करत रत,
       लगत हाँत अवसाद।।

*३*
दीन-हीन के भाग में,
      गल्लन केरीं ब्याद।
चलें उमर भर संग में,
     इनकी नइँयाँ म्याद।।

*४*
जलन, ईर्ष्या भीतरै,
        गल्लन भरो कसार।
अपनी सुविधा देखकें,
        करत मान्स ब्यौहार।

*५*
गल्लन फिर रय देश में,
         लायक उर गुणवान।
जो शातिर,  खुड़पेंचिया
          उये मिलत सम्मान।।

      संजय श्रीवास्तव, मवई
        १३-३-२३😊 मुंबई

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