Rajeev Namdeo Rana lidhorI

रविवार, 4 अगस्त 2019

-स्व.पन्नालाल जी नामदेव स्मृति में बुन्देली कवि सम्मेलन ने समा बाँधा Tiakamgarh date 4-8-2019
























bundel kavi sammelan
-स्व.पन्नालाल जी नामदेव स्मृति में बुन्देली कवि सम्मेलन ने समा बाँधा

डाॅ. राज गोस्वामी दतिया को मिला स्व.पन्नालाल जी नामदेव स्मृति सम्मान- 
सीताराम राय ‘सरल’ को मिला स्व. रुपाबाई नामदेव स्मृति सम्मान
(‘रांग प्वाइन्ट’’ एवं ‘‘‘आराधना’’ पुस्तक का हुआ विमोचन’)

टीकमगढ़/ स्व.पन्नालाल जी नामदेव स्मृति छटवाँ सम्मान समारोह एवं साहित्यिक संस्था म.प्र.लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ का ‘वार्षिक उत्सव’ एवं बुन्देली कवि सम्मेलन ‘आकांक्षा’ पब्लिक स्कूल,नई चर्च के पीछे,शिवनगर कालोनी, टीकमगढ़ में सम्पन्न हुआ, जिसमें ग्यारह सौ रूपए सम्मान राशि का ‘स्व.पन्नालाल जी नामदेव छटवाँ स्मृति साहित्य सम्मान-2019’ दतिया के प्रसिद्ध कवि डाॅ. राज गोस्वामी को प्रदान किया गया एवं स्व.रूपाबाई नामदेव स्मृति सम्मान-2019 टीकमगढ़ के गीतकार श्री सीताराम राय ‘सरल’को दिया गया।
इस अवसर पर श्री यदुकुल नंदन खरे बल्देवगढ़ के उपन्यास ‘रांग प्वाइंटं’ एवं श्री भारत विजय बगेरिया की पुस्तक ‘‘आराधना’’ का विमोचन किया गया। संयोजक राना लिधौरी ने बताया कि इस अवसर पर बुन्देली कवि सम्मेलन भी आयोजित किया गया। 
कवि सम्मेलन का शुभारंभ नदनवारा से आये गीतकार शोभाराम दांगी‘इन्दु ने सरस्वती बंदना के बाद पढ़ा-
पेट में बेटी कै रइ अपने बाप मताई सें मारौं ने मोय दवाई से।
ललितपुर से आये गीतकार रामस्वरूप नामदेव ‘अनुरागी’ ने पढ़ा- दिल में दर्द हुआ दर्द को छुपाया न गया,
   कोई मरहम लगाया न गया।।
दतिया से पधारे बुन्देली कवि’ डाॅ. राज गोस्वामी ने पढ़ा-  उनके बंगले का करे का कायार बखार,
बैठक में मैडम मिली चैके में श्रीमान।।
जतारा के महेन्द्र चैधरी ने पढ़ा- इंन्द्र लोक के देव विधाता भी अभिमानी भूल गये, 
राजगुरु सुशदेव भगत सिंह जग फाँसी पर झूल गये।
पृथ्वीपुर के पवन नामदेव ने पढ़ा- कभी कोई धर्म राष्ट्र से बड़ा नहीं हो सकता,
                           ये देश मेरा कभी टूट नहीं सकता।
म.प्र.लेखक संघ के अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी ने ‘गर्मी’ पर कविता पढ़ी- 
गर्मी ऐनई पर रई पसीना देय चुचाय,बिन ऐसी बिन कूलरे कछू न देह दिखाये।।
ललितपुर से आये हास्य कवि काका ललितपुरी ने पढ़ा- अंतर तो है चूहा और बिल्ली में,लखनऊ और दिल्ली में।
दतिया से पधारे बुन्देली कवि’ डाॅ.हरि कृष्ण हरि ने पढ़ा- नैनन में नैना मिलाय के, गोरी धना चली अपने मायके।
पलेरा के रविन्द्र यादव ने पढ़ा-भाषा बुन्देली सी नइयाँ, मानत काये नइयाँ।
बल्देवगढ़ के कवि कोमल चन्द्र बजाज ने पढ़ा- प्रेम की बातें है करता,झाँसा देता प्रेम का,
बलात्कार करता फँसाकर कितना गंदा आदमी।
लखौरा से पधारे कवि गुलाब सिंह यादव‘भाऊ’ ने पढ़ा- दादा खबर करें ओली की,प्यारी बोली की।
बाल कवि वेद पस्तोर ने पढ़ा- आजकल आजकल के पापा भी गजब ढा रय,
                          मम्मी से नई बतिया रय,गर्लफ्रेंड से चोंच लड़ा रय।
पृथ्वीपुर  से आये कवि दीक्षित राज घनघौरिया’ ने सुनाया-हँसकर झूल गये फाँसी पर उनको नमन हमारा है।
परमेश्वर दास तिवारी ने पढ़ा-सेवा निवृत हो गये,बदला अब किरदार, नौकर से अब हो गये खुद ही जागीदार।
हाजी जफरउल्ला खां जफर ने गजल पढ़ी- वो तो बदरावन उड़ जाते खूबई मौज में रातें।
अनवर खान ‘साहिल’ ने गजल पढ़ी-नर्म नर्म हाथों में जाने कैसा जादू है,जब भी माँ बनाती रोटियाँ महकती है।
सुधा खरे ने कविता पढ़ी- धर्म मानते बात ध्यान में रखो, पूजा जन्म की नहीं कर्म की करो।
शायर जाबिर गुल ने पढा-आई वन सँवरके वो कह दो जरा उसे टहला न कर अकेले कुँवारों के बीच में। 
रामेश्वर राय ‘परदेशी’ ने सुनाया-जात हो बलम कमावे दिल्ली, तुम बिन जो जी न माने।
गीतिका वेदिका ने पढ़ी- मैं गजल होने का दावा तो नहीं करती, इक शेर हूँ बस प्यार से सुनते रहिये।।
सियाराम अहिरवार ने सुनाया- बिन सींगन के नटवा हो गया अपने खो पैचानत नइयां।
दयाली विश्वकर्मा ने सुनाया- मोरे मन भावे बुन्देली बोली, घर घर जाके डोली।।
पूरन चन्द्र गुप्ता ने सुनाया- बदरा बरसत काये नइयाँ चले जात कुडकइयाँ।
शकील खान पढ़ा- फूल के बदले काँटे लाये कुछ जाने पहचाने लोग,
               वक्त पड़ा तो काम ना आये कुछ जाने पहचाने लोग।
इनके अलावा यदुकुल नंदन खरे बल्देवगढ़, हरिविष्णु अवस्थी,परमेश्वरीदास तिवारी,डी.पी.शुक्ला, प्रभूदयाल श्रीवास्तव,राजेन्द्र बिदुवा,वीरेन्द्र चंसौरिया ,उमा पाराशर,राज पाराशर, भारत विजय बगेरिया,डी.पी.यादव,जी.पी.शुक्ला,मनमोहन पांडे,प्रमोद गुप्ता ‘मृदुल’,अवध विहारी श्रीवास्तव आदि भी अपनी रचनाएँ एवं विचार प्रस्तुत किये। कवि सम्मेलन में राजेन्द्र अध्वर्यु, ओमप्रकाश दीक्षित, कौशल किशोर भट्ट,सरमनलाल पुरोहित,सुधीर जैन,एम.एल.पाल,महेन्द्र पोतदार,डा.नरेन्द्र जैन, सहित सैकड़ों साहित्यप्रेमियों की गरिमामय उपस्थिति रही। गोष्ठी का संचालन उमाशंकर मिश्र ने किया तथा सभी का आभार संयोजक व अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने माना।

रपट-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
संपादक- ‘आकांक्षा’ पत्रिका
जिलाध्यक्ष- म.प्र. लेखक संघ
संयोजक-पन्नालाल नामदेव स्मृति स.समिति,टीकमगढ़
टीकमगढ़ (म.प्र.)मोबाइल-9893520965
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