गजल....हर तरफ शोर है
रोज बढती हुर्इ महगांर्इ का ।हर तरफ शोर है लुटार्इ का ।।
दूर जब से हुआ हू मै तुमसे।
दर्द न सह सकूं जुदार्इ का।।
तुम्हारी जुल्फ मे जो कैद हुआ।
है इंतजार अब रिहार्इ का।।
शुद्धता अब न मिल सकेगी कही।
है नकली मावा इस मिठार्इ का ।।
गलत जो काम बिना सोचे किये।
जरा भी डर नही है खुदार्इ का ।।
किस कदर उलझे इन्टरनेट मे ही।
यही तो वक्त है पढार्इ का ।।
करो भी प्यार सभी से राना ।
मिले न फायदा बुरार्इ का ।।
राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ
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