Rajeev Namdeo Rana lidhorI
Teacher's Day
Teacher's Day
Happy Teacher's Day
बुन्देली कविता-''जो हम शिक्षाकर्मी बन जाते
जो हम कऊ शिक्षाकर्मी बन जाते..
घर में परे-परे ही खाते ।
किराये कौ टीचर उते रखकैं,
सबरी तनख्याह पाते।
जो हम शिक्षाकर्मी बन जाते..
गाँव में है नौकरी हमार्इ,
शहर में ओडी लगवाते।
और सात दिना के दस्तखत,
एक दिना उतै जाकै कर आते।
जो हम शिक्षाकर्मी बन जाते..
जिदना उतै बाजार भरत है,
उदना ही बस जाते।
झोला भर-भर मुफ्त में,
मौंड़न से सब्जी मँगवाते।
जो हम शिक्षाकर्मी बन जाते..
गाँवन में तो घी-दूध
एनर्इ होत है,
त्यौहारन में सब माेंड़न से
तनक - मनक तो मँगवाते।
जो हम शिक्षाकर्मी बन जाते..
वेतन कभऊं न कट पाये,
ऐसी साँठ-गाँठ कर आते।
जींस पैर कै फटफटिया पै,
स्कूल घूमन जाते।
जो हम शिक्षाकर्मी बन जाते..
ठाट बाट से ब्याह रचाते,
हम फोर व्हीलर पाते।
नोटाे की गडडी करकरी एनर्इ आती,
हीरा सी बऊ घर लाते।
जो हम शिक्षाकर्मी बन जाते..
किस्मत खराब है हमार्इ,
जो हम प्राइवेट इस्कूल में पढ़ाते।
इतेक तनक वेतन में तो हम,
मकान कौ किराओं नर्इ चुका पाते।
जो हम शिक्षाकर्मी बन जाते..
शासन ने लटका दऔ हम खौं,
नर्इतर हमर्इ कऊं लग जाते।
जो हम शिक्षाकर्मी बन जाते..
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राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
संपादक 'आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)
भारत,पिन:472001 मोबाइल-9893520965
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