गध व्यंग्य -''आधुनिक शब्दकोश
(व्यंग्य-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी)
हम वर्तमान में 'मोबाइल एवं 'इंटरनेट युग में जी रहे है। समय इतनी तेजी से बदल रहा है कि पूछो मत, शब्द अपने वास्तविक अर्थ खोते जा रहे है उनकी परिभाषाये बदल गयी है। वही घिसेपिटे शब्द सुन-सुनकर आदमी बोर होने लगा है। इसलिए कुछ शब्द जो बहुत ज़्यादा उपयोग में आने लगे है उनके अर्थ एवं परिभाषाएँ लोगों ने अपने हिसाब से रख ली है। हम यहाँ कुछ मजेदार एवं बहुत अधिक प्रयोग में होने वाले आम बोलचाल वाले कुछ प्रचलित शब्दों के अर्थ एवं नयी परिभाषाएँ प्रस्तुत कर रहे है, जो कि आपको अवश्य ही पसंद आयेगी।
नेता-गिरगिट का साथी,कहीं-कहीं गाली के रूप में भी इस शब्द का उपयोग किया जाता है, लेकिन सुख सुविधाओं में भगवान इन्द्र से भी बड़ा। वोट-नोट या चोट से खरीदने का साधन। मतदान-जिसकी लाठी उसकी भैंस। केले का छिलका-जमीन से भैंट कराने वाला दलाल या धूल चटाने वाला। कम्प्यूटर- जल्दी चश्मा लगाने या अंधे होने की मशीन। चाय-कलयुग का अमृत।शराब अमीरों का फैशन और गरीबों की टेंशन। पालीथिन-गाय को मारने का फ्री का जहर। प्रेम विवाह-पहले बेस्ट फिर नेक्सट। विवाह-लड़काे के लिए बंधन और लड़कियों के लिए आखिरी मंजि़ल। इंटरनेट-घर बैठे ही बच्चों को शीघ्र वयस्क बनाने का साधन। चैलन-अश्लीलता दिखाने एवं अंधविश्वास बढ़ाने का सुलभ साधन। चश्मा-आँखों का पिंजरा। जेल-बिना किराये का घर। पडौ़सी-सबसे बड़ा दुश्मन सबसे अधिक ज्वलनशील(जलने वाला) पदार्थ। पैसा-जिसके पास जितना अधिक होता है उसकी चाहत उतनी ही अधिक बढ़ जाती है। भार्इ -आज बनते कसार्इ। दलाल- नहीं करते मलाल।
हवार्इ जहाज-मनुष्य का पालतु पक्षी। टार्इ-बिना गुनाह की फाँसी, टी.व्ही.-बच्चों को बिगाड़ने का साधन। मास्टर-स्कूल की बजाय घर में टयूशन पढ़ाने में मास्टर, मेहनत-गरीब का आभूषण। मच्छर-बिना बुलाये मेहमान। मोबाइल- बहरे (रोगी) होने की अत्याधुनिक मशीन। र्इमानदारी-यह शब्द अब धरती से अदृश्य हो गया है, लेकिन कहीं-कहीं पर 'र्इद के चाँद की तरह दिखार्इ पड़ता है।
झगड़ा-वकीलों का कमाऊ पूत। ब्यूटी पार्लर- जहाँ औरतें अपने बुढ़ापे से लड़ती है। पंखा(सीलिंग फेन)-आत्महत्या करने का सर्वाधिक प्रयोग किये जाने वाला घर में उपलब्ध साधन। रिश्वत-अपना काम कराने का सोर्टकट रास्ता। गिफ्ट-रिश्वत का आधुनिक रूप। फिल्में- अश्लीलता का ज़हर। विज्ञापन-लालच का जाल। बाबू-घूस लेन के लिये है साबू(कामिक्स चाचा चौधरी का साथी केरेक्टर)। पेट्रोलडीजल-अनमोल दृव्य। गैस सिलेण्डर-सीधी लाइन लगाना सिखाता है। लाइट- बिल कराता हुलिया टाइट। बेलन-महिलाओं सबसे प्राचीनतम हथियार। कालेज गर्ल-नेत्र भोजन। पत्नी-घर की मुर्गी दाल बराबर। खूबसूरत पड़ोसन-शुभ प्रभात। प्रेमिका का भार्इ-बिना वर्दी का पुलिसवाला। पुलिस-वर्दी वाला गुंडा। शिक्षण संस्थान-हो गये अब पसरट की दुकान। भारतीय रेल-आदमी रूपी भेड़-बकरियों ठेलम-ठेल। पानी- गर्मियों में याद दिलाये नानी। रोड वेज की बसे-कछुवा से धीमी चाल। क्रिकेट-आधुनिक जुआ (सटटा) खेलने का सुलभ साधन। क्रिकेट खिलाड़ी-फिसिंक्ग एवं विज्ञापन में हीरो खेलने में जीरो। हाकी-क्रिकेट के ऊपर उगा परजीवी पौधा।
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-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
संपादक 'आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.)
पिन:472001 मोबाइल-9893520965
E Mail- ranalidhori@gmail.com
Blog - rajeev rana lidhori.blogspot.com
(व्यंग्य-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी)
हम वर्तमान में 'मोबाइल एवं 'इंटरनेट युग में जी रहे है। समय इतनी तेजी से बदल रहा है कि पूछो मत, शब्द अपने वास्तविक अर्थ खोते जा रहे है उनकी परिभाषाये बदल गयी है। वही घिसेपिटे शब्द सुन-सुनकर आदमी बोर होने लगा है। इसलिए कुछ शब्द जो बहुत ज़्यादा उपयोग में आने लगे है उनके अर्थ एवं परिभाषाएँ लोगों ने अपने हिसाब से रख ली है। हम यहाँ कुछ मजेदार एवं बहुत अधिक प्रयोग में होने वाले आम बोलचाल वाले कुछ प्रचलित शब्दों के अर्थ एवं नयी परिभाषाएँ प्रस्तुत कर रहे है, जो कि आपको अवश्य ही पसंद आयेगी।
नेता-गिरगिट का साथी,कहीं-कहीं गाली के रूप में भी इस शब्द का उपयोग किया जाता है, लेकिन सुख सुविधाओं में भगवान इन्द्र से भी बड़ा। वोट-नोट या चोट से खरीदने का साधन। मतदान-जिसकी लाठी उसकी भैंस। केले का छिलका-जमीन से भैंट कराने वाला दलाल या धूल चटाने वाला। कम्प्यूटर- जल्दी चश्मा लगाने या अंधे होने की मशीन। चाय-कलयुग का अमृत।शराब अमीरों का फैशन और गरीबों की टेंशन। पालीथिन-गाय को मारने का फ्री का जहर। प्रेम विवाह-पहले बेस्ट फिर नेक्सट। विवाह-लड़काे के लिए बंधन और लड़कियों के लिए आखिरी मंजि़ल। इंटरनेट-घर बैठे ही बच्चों को शीघ्र वयस्क बनाने का साधन। चैलन-अश्लीलता दिखाने एवं अंधविश्वास बढ़ाने का सुलभ साधन। चश्मा-आँखों का पिंजरा। जेल-बिना किराये का घर। पडौ़सी-सबसे बड़ा दुश्मन सबसे अधिक ज्वलनशील(जलने वाला) पदार्थ। पैसा-जिसके पास जितना अधिक होता है उसकी चाहत उतनी ही अधिक बढ़ जाती है। भार्इ -आज बनते कसार्इ। दलाल- नहीं करते मलाल।
हवार्इ जहाज-मनुष्य का पालतु पक्षी। टार्इ-बिना गुनाह की फाँसी, टी.व्ही.-बच्चों को बिगाड़ने का साधन। मास्टर-स्कूल की बजाय घर में टयूशन पढ़ाने में मास्टर, मेहनत-गरीब का आभूषण। मच्छर-बिना बुलाये मेहमान। मोबाइल- बहरे (रोगी) होने की अत्याधुनिक मशीन। र्इमानदारी-यह शब्द अब धरती से अदृश्य हो गया है, लेकिन कहीं-कहीं पर 'र्इद के चाँद की तरह दिखार्इ पड़ता है।
झगड़ा-वकीलों का कमाऊ पूत। ब्यूटी पार्लर- जहाँ औरतें अपने बुढ़ापे से लड़ती है। पंखा(सीलिंग फेन)-आत्महत्या करने का सर्वाधिक प्रयोग किये जाने वाला घर में उपलब्ध साधन। रिश्वत-अपना काम कराने का सोर्टकट रास्ता। गिफ्ट-रिश्वत का आधुनिक रूप। फिल्में- अश्लीलता का ज़हर। विज्ञापन-लालच का जाल। बाबू-घूस लेन के लिये है साबू(कामिक्स चाचा चौधरी का साथी केरेक्टर)। पेट्रोलडीजल-अनमोल दृव्य। गैस सिलेण्डर-सीधी लाइन लगाना सिखाता है। लाइट- बिल कराता हुलिया टाइट। बेलन-महिलाओं सबसे प्राचीनतम हथियार। कालेज गर्ल-नेत्र भोजन। पत्नी-घर की मुर्गी दाल बराबर। खूबसूरत पड़ोसन-शुभ प्रभात। प्रेमिका का भार्इ-बिना वर्दी का पुलिसवाला। पुलिस-वर्दी वाला गुंडा। शिक्षण संस्थान-हो गये अब पसरट की दुकान। भारतीय रेल-आदमी रूपी भेड़-बकरियों ठेलम-ठेल। पानी- गर्मियों में याद दिलाये नानी। रोड वेज की बसे-कछुवा से धीमी चाल। क्रिकेट-आधुनिक जुआ (सटटा) खेलने का सुलभ साधन। क्रिकेट खिलाड़ी-फिसिंक्ग एवं विज्ञापन में हीरो खेलने में जीरो। हाकी-क्रिकेट के ऊपर उगा परजीवी पौधा।
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-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
संपादक 'आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.)
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