म.प्र.लेखक संघ की ‘हिन्दी’ पर केन्द्रित 188वीं गोष्ठी हुई- टीकमगढ़//नगर की ख्यातिप्राप्त सुप्रसिद्ध साहित्यिक संस्था म.प्र.लेखक की 188वीं गोष्ठी ‘राज भाषा हिन्दी’ पर केन्द्रित जिला पुस्तकालय में आयोजित की गयी जिसके मुख्य अतिथि कवि रघुवीर प्रसाद अहिरवार आनंद’ रहे व अध्यक्षता साहित्यकार बी.एल.जैन ने की तथा विशिष्ट अतिथि बल्देवगढ़ से पधारे साहित्यकार यदुकुलनन्दन खरे रहे।
गोष्ठी के प्रथम चरण में हरेन्द्रपाल वक्ताओं द्वारा ‘हिन्दी’ पर अपने विचार व्यक्त किये।
द्वितीय चरण में काव्य गोष्ठी हुई जिसमें हाजी ज़फ़र उल्ला खां जफ़र ने पढ़ा-
भारत वर्ष महान है। हिन्दी जिसकी शान है।
म.प्र. लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने ‘हिन्दी’ पर ‘ग़ज़ल’ सुनायी- हमारी शान है हिन्दी, हमारी जान है हिन्दी। हमारे राष्ट्र की यही तो पहचान है हिन्दी।। ग्राम नदनवारा से पधारे गीतकार शोभाराम दांगी‘इन्दु’ ने पढ़ा-हिन्दी बोलत रइयो, सो अपनी भाषा मान।।
ग्राम दिगौड़ा से पधारे कवि देवन्द्र कुमार अहिरवार ने पढ़ा-हिन्दी तो लिख नहीं सकते अंग्रेजी में बात करते है।
परमेश्वरीदास तिवारी ने पढ़ा-कर्ज देता मित्र को वह मूर्ख कहलाता है। महामूर्ख वह यार है जो पैसा लौटाये।।
रघुवीर आनंद ने रचना पढ़ी- जितना अपनाओंगे उतनी निखार आयेगी। जिन्दगी कोई ख्वाब नहीं जो विखर जायेगी।।
पूरन चन्द्र गुप्ता ने पढ़ा-भाषा अपनी हो जहाँ उन्नति वहीं सदाय। राजभाषा हिन्दी बन हिन्दुस्तान कहाय।।
वीरेन्द्र चंसौरिया ने गीत सुनाया-जिन्हें हम अपना कहते थे उन्हीं ने रंग बदले है।
ऐेसे अपनों से क्या लेना एसे अपनो कोक्या देना।।
ग्राम लखोरा से पधारे कवि ग्ुालाब सिंह ‘भाऊ’ ने कविता पढ़ी’-अब देश में अपराधी असंख्य होगये।
कैसे बचत बिच्छु कैसे तक हो गये डर नईया निरशंक हो गये।।
ग्राम बल्देवगढ़़ ने पाधारे कवि यदुकुल नंदन खरे ने-जल में न आग लगा ओं तुम नव पीढी को न ठुकराओं तुम।।
डाॅ. जगदीश रावत ने कविता पढी-आले में की ढिबरियाँ घर के शालिगराम। आँगन की तुलसी कहाँ हो गई गुमनाम।।
हरेन्द्र पाल सिंह ने सुनाया-सपने आते ही क्यों हैं जग उन्हें जाना है। यर्थात के धरातल से दूर जब उन्हें जाना है।।
मनमोहन पांडे ने गीत पढ़ा- नव दुर्गा की प्रतिपदा आई लै आनंद। महिलाओं में दिख रहा नया जोश नव छंद।।
दीनदयाल तिवारी ने पढ़ा- कबै की कौ का होने किकर काउ खौं नैंयाँ। बडे मजे से सबखौं आरइ ऊँट चढ़ मलकैया।
बी.एल.जैन ने रचना पढ़ी- जहाँ स्नेह है वहाँ प्रेम है दया है करूणा है।सरलता का भाव है सहयोग भी प्रेरणा है।।
अजीत श्रीवास्तव ने ‘जुएँ की फसल’ एवं विजय मेहरा ने ‘दशहरा का रावण’ एवं रामगोपाल रैकवार ने ‘ ‘चा-चा-चा-चा-चा-चा’ ने व्यंग्य सुनाया।
इनके आलावा अवध विहारी श्रीवास्तव, अभिनंदन जैन, बी.एल जैन डाॅ. आशा देवी,आदि ने भी अपनी रचनाएँ सुनायीे। गोष्ठी संचालन वीरेन्द्र चंसारिया ने किया एवं सभी का आभार
प्रदर्शन जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधोैरी’ ने किया। रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
, अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ,टीकमगढ़,
मोबाइल-9893520965,