म.प्र.लेखक संघ की ‘वीर रस व देशप्रेम’ पर केन्द्रित 192वीं गोष्ठी हुई-
(‘सार्वजनिक पुस्तकालय और उनकी समस्याएँ’ पुस्तक का विमोचन हुआ)
म.प्र. लेखक संघ के जिलाध्यक्ष ’राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी ने ग़ज़ल सुनायी-
देश रक्षा के लिए खून बहाने की जगह,
हम लहू दंगे फसादों में बहा देते।
हम तो सहते है ज़माने के सितम हँस-हँस के,
हम नहीं वो जिन्हें हालात रूला देते है।।
-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी
टीकमगढ़//‘पुस्तके मन को पोषित करती है’ यह विचार विशिष्ट अतिथि सांख्यिकी योजना अधिकारी श्री ओमप्रकाश त्रिपाठी जी ने म.प्र.लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 192वीं गोष्ठी ‘वीर रस व देश प्रेम’ पर केन्द्रित जिला पुस्तकालय में आयोजित की गयी गोष्ठी में रखे। जिसके मुख्य अतिथि श्री शीलचन्द्र जैन प्राचार्य मबई व अध्यक्षता साहित्यकार दीनदयाल तिवारी ‘बेताल’ ने की। इस अवसर पर अतिथियों द्वारा ‘सार्वजनिक पुस्तकालय और उनकी समस्याएँ’ विषय पर जिला पुस्तकालय में हुए सेमीनार पर आधारित विजय कुमार मेहरा द्वारा संपादित पुस्तक का विमोचन किया गया। नवोदित कवियत्री नेहा पाण्डे ने सरस्वती पढ़ी-अर्चना तुम बन्दना तुम,शब्द तुम स्वर साधना तुम।
ततपश्चात परमेश्वरीदास तिवारी ने पढ़ा-पुस्तकालय सभ्यता की जान है,
पुस्तकालय देश का ईमान।।
हाजी ज़फ़रउल्ला खां ‘ज़फ़र ने ग़ज़ल पढ़ी- हो जाएं सब इकठ्ठे ही आवाज़ दो ‘ज़फ़र’।
मिलके वन्दे मातरम एक साथ गायेंगे।।
म.प्र. लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने ग़ज़ल सुनायी-
देश रक्षा के लिए खून बहाने की जगह,
हम लहू दंगे फसादों में बहा देते।
हम तो सहते है ज़माने के सितम हँस-हँस के,
हम नहीं वो जिन्हें हालात रूला देते है।।
वीरेन्द्र चंसौरिया ने गीत पढ़ा-देश खातिर जान मेरी हाजि़र,प्राणों से प्यारा देश मेरा है।
सीताराम राय ने रचना पढ़ी- भर देंगे हम मांग खून से काट-काट दुश्मन को,
सरहद ऊपर झांक न पाये,देख पा पाये वतन को।
बी.एल.जैन ने रचना पढ़ी-आज तुम्हे सौगंध है भारत की जनता की। देने भारत की जनता के अपनी सच्ची ममता की
डाॅ. जगदीश रावत ने पढ़ा-जाति धर्म हर व्यक्ति वर्ग से राष्ट्र बड़ा होता है। शहीदों की अर्थी पर राष्ट्र खड़ा होता है।
कवियत्री डाॅ. आशा देवी तिवारी ने पढ़ा-विश्वास घातों की आंधी में,दीपक सत्य जलायें बैठे है।
पूरन चन्द्र गुप्ता ने सुनाया-बुंदेली वीरों तुम जागो करना अब उत्थान है,बुन्देले बुन्देलखण्ड भी जागे हिन्दुस्तान है।
ग्राम लखौरा के कवि गुलाब सिंह ‘भाऊ’ ने कविता पढ़ी-मन में ऐसी ठाने ठान जब तक है तन में जे प्रान।
ररखै अपनी माँ की शान। नहीं डरेगे हम शत्रु से नहीं है प्यारी जान।
शिवचरण उटमालिया- हमने देखे हैबहुत तीर चलानेवाले।
चूक जाते है कभी अच्छे निशानेवाले।।
हरेन्द्र पाल ंिसह ने पढ़़ा-जव विकास की हवा हमारे गाँव में लहरायेगी,
भाग्य छोड़ जब कर्म की रेखा धरती पर खिंच जायेगी।ं
अमित सिंह बुन्देला ने कविता पढ़ी-अगर छुआ कश्मीर तो उन्हे बता देंगे।
हम उनको उनकी औकात दिखा देंगे।।
शांति कुमार जैन ने कविता पढ़ी- क्या बनने आये थे क्या बना बैठे,।
इनके अलावा विजय मेहरा,दीनदयाल तिवारी, रघुवीर आनंद,अजीत श्रीवास्तव,अभिनंदन गोइल, वीरेन्द्र बहादुर खरे, मनमोहन पाण्डे, आदि ने भी अपनी रचनाएँ सुनायीे।
गोष्ठी का संचालन अभिनंदन गोइल ने किया एवं
सभी का आभार प्रदर्शन लेखक संघ के अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने किया। रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ,टीकमगढ़, मोबाइल-9893520965,
(‘सार्वजनिक पुस्तकालय और उनकी समस्याएँ’ पुस्तक का विमोचन हुआ)
म.प्र. लेखक संघ के जिलाध्यक्ष ’राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी ने ग़ज़ल सुनायी-
देश रक्षा के लिए खून बहाने की जगह,
हम लहू दंगे फसादों में बहा देते।
हम तो सहते है ज़माने के सितम हँस-हँस के,
हम नहीं वो जिन्हें हालात रूला देते है।।
-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी
टीकमगढ़//‘पुस्तके मन को पोषित करती है’ यह विचार विशिष्ट अतिथि सांख्यिकी योजना अधिकारी श्री ओमप्रकाश त्रिपाठी जी ने म.प्र.लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 192वीं गोष्ठी ‘वीर रस व देश प्रेम’ पर केन्द्रित जिला पुस्तकालय में आयोजित की गयी गोष्ठी में रखे। जिसके मुख्य अतिथि श्री शीलचन्द्र जैन प्राचार्य मबई व अध्यक्षता साहित्यकार दीनदयाल तिवारी ‘बेताल’ ने की। इस अवसर पर अतिथियों द्वारा ‘सार्वजनिक पुस्तकालय और उनकी समस्याएँ’ विषय पर जिला पुस्तकालय में हुए सेमीनार पर आधारित विजय कुमार मेहरा द्वारा संपादित पुस्तक का विमोचन किया गया। नवोदित कवियत्री नेहा पाण्डे ने सरस्वती पढ़ी-अर्चना तुम बन्दना तुम,शब्द तुम स्वर साधना तुम।
ततपश्चात परमेश्वरीदास तिवारी ने पढ़ा-पुस्तकालय सभ्यता की जान है,
पुस्तकालय देश का ईमान।।
हाजी ज़फ़रउल्ला खां ‘ज़फ़र ने ग़ज़ल पढ़ी- हो जाएं सब इकठ्ठे ही आवाज़ दो ‘ज़फ़र’।
मिलके वन्दे मातरम एक साथ गायेंगे।।
म.प्र. लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने ग़ज़ल सुनायी-
देश रक्षा के लिए खून बहाने की जगह,
हम लहू दंगे फसादों में बहा देते।
हम तो सहते है ज़माने के सितम हँस-हँस के,
हम नहीं वो जिन्हें हालात रूला देते है।।
वीरेन्द्र चंसौरिया ने गीत पढ़ा-देश खातिर जान मेरी हाजि़र,प्राणों से प्यारा देश मेरा है।
सीताराम राय ने रचना पढ़ी- भर देंगे हम मांग खून से काट-काट दुश्मन को,
सरहद ऊपर झांक न पाये,देख पा पाये वतन को।
बी.एल.जैन ने रचना पढ़ी-आज तुम्हे सौगंध है भारत की जनता की। देने भारत की जनता के अपनी सच्ची ममता की
डाॅ. जगदीश रावत ने पढ़ा-जाति धर्म हर व्यक्ति वर्ग से राष्ट्र बड़ा होता है। शहीदों की अर्थी पर राष्ट्र खड़ा होता है।
कवियत्री डाॅ. आशा देवी तिवारी ने पढ़ा-विश्वास घातों की आंधी में,दीपक सत्य जलायें बैठे है।
पूरन चन्द्र गुप्ता ने सुनाया-बुंदेली वीरों तुम जागो करना अब उत्थान है,बुन्देले बुन्देलखण्ड भी जागे हिन्दुस्तान है।
ग्राम लखौरा के कवि गुलाब सिंह ‘भाऊ’ ने कविता पढ़ी-मन में ऐसी ठाने ठान जब तक है तन में जे प्रान।
ररखै अपनी माँ की शान। नहीं डरेगे हम शत्रु से नहीं है प्यारी जान।
शिवचरण उटमालिया- हमने देखे हैबहुत तीर चलानेवाले।
चूक जाते है कभी अच्छे निशानेवाले।।
हरेन्द्र पाल ंिसह ने पढ़़ा-जव विकास की हवा हमारे गाँव में लहरायेगी,
भाग्य छोड़ जब कर्म की रेखा धरती पर खिंच जायेगी।ं
अमित सिंह बुन्देला ने कविता पढ़ी-अगर छुआ कश्मीर तो उन्हे बता देंगे।
हम उनको उनकी औकात दिखा देंगे।।
शांति कुमार जैन ने कविता पढ़ी- क्या बनने आये थे क्या बना बैठे,।
इनके अलावा विजय मेहरा,दीनदयाल तिवारी, रघुवीर आनंद,अजीत श्रीवास्तव,अभिनंदन गोइल, वीरेन्द्र बहादुर खरे, मनमोहन पाण्डे, आदि ने भी अपनी रचनाएँ सुनायीे।
गोष्ठी का संचालन अभिनंदन गोइल ने किया एवं
सभी का आभार प्रदर्शन लेखक संघ के अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने किया। रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ,टीकमगढ़, मोबाइल-9893520965,