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गुरुवार, 3 अक्तूबर 2019

‘गांधी जयंती’ पर वनमाली सृजन केन्द्र की हुई ‘कथा गोष्ठी’ Tikamgarh (M.P.) Date-2-10-2019







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‘गांधी जयंती’ पर वनमाली सृजन केन्द्र की हुई ‘कथा गोष्ठी’       Tikamgarh (M.P.) Date-2-10-2019

(‘कथा मध्यप्रदेश’ कहानी खण्ड-6  एवं ‘‘आख्यान का आंतरिक संकट ’’पुस्तक की समीक्षा) 

टीकमगढ़// रविन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय एवं रविन्द्रनाथ टैगोर विश्वकला एवं संस्कृति केन्द्र भोपाल द्वारा संचालित वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़ द्वारा गांधी जी की 150वीं जयंती पर’ पुस्तक समीक्षा गोष्ठी ,‘आकांक्षा’ पब्लिक स्कूल,टीकमगढ़ में आयोजित की गयी। गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार पं.हरिविष्णु अवस्थी जी ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में बुजुर्ग शायर श्री हाजी जफरउल्ला खां ‘जफर’ जी रहे एवं विशिष्ट अतिथि के रूप के साहित्यकार श्री सियाराम अहिरवार रहे।  गोष्ठी के प्रारंभ में श्री सीताराम राय ‘सरल’ द्वारा सरस्वती वंदना पढ़ी गयी तत्पश्चात् गीतकार वीरेन्द्र चंसौरिया ने गांधी जी का प्रिय भजन ‘रघुपतिराघव राजा राम’’ सुमुधर कंठ ने सुनाया। गोष्ठी में ‘कथा मध्यप्रदेश’ कहानी खण्ड-6 की समीक्षा करते हुए कथा लेखिका एवं रंगकर्मी गीतिका वेदिका ने विनोद कुशवाहा की कहानी ‘प्रथा’ के बारे में बताया है यह कहानी बलि पर आधारित है तथा जिसमें एक बच्चा किसना जो कि बकरी के बच्चे को प्यार करने लगता है। कहानी प्रथा के नाम पर एक कुप्रथा है।
राजेश्वर राज पाराशर ने संगीता झा की ‘आँखें’ कहानी की समीक्षा करते हुए कहा कि यह कहानी आशा की अनुभूति है। आखों की चमक एक सकारात्मकता है अपने बच्चों को निरंतर आगे बढ़ते देखते रहने के लिए। एक गरीब ओटो वाले एवं उनकी बेटी की कहानी है।
अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने संगीता गंदेचा की कहानी ‘‘लकडी का बाक्स’’ पर समीक्षा करते हुए कहा कि यह एक छोटे बच्चे की कहानी है जिसमें बच्चा कचरें में भी सोचता है कि जीवन है  और उसे घर का कचरा फेंकने में बहुत कष्ट होता है। वह एक लकड़ी के बक्से में कचरे को छुपकर रख लेता है लेकिन माँ उस कचरे को देख लेती है और उसे बाहर फेंक आती है। ‘आख्यान का आंतरकि संकट’ की समीक्षा करते हुए राना लिधौरी ने कहा कि इस पुस्तक में 5 भागों में लगभग 100 विद्वानों के विमर्श दिये गये है तथा सन् 1993 से सन् 2000 तक दिये गये स्व.वनमाली चैबे कथा सम्मानों के बारे एवं जिन्हें अब तक प्राप्त हो चुका है उनके बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी है।ं कार्यक्रमों की विस्तत रपट भी उनके विद्वानों व्याख्यानों सहित प्रकाशित की गयी है जो कि महत्वपूर्ण एवं पठनीय है।
सीताराम राय ‘सरल’ ने भी ‘आख्यान का आंतरकि संकट’ की समीक्षा करते हुए कहा है कि यह पुस्तक में विभिन्न विचारों का संगम हैं। कहीं- कहीं अंगेजी के शब्द खटकते हैं। आम पाठकों के लिए न होकर गंभीर कथा प्रेमी पाठकांे के लिए यह पुस्तक उपयोगी एवं पठनीय हैं। 
लाइब्ररियन विजय मेहरा ने महात्मा गांधी जी पर अपने विचार व्यक्त किये वहीं साहित्यकार रामगोपाल रैकवार ने लालबहादुर शास्त्र जी के बारे में बताया और शहीदों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि आज की पीढ़ी शहीदों को भूलती जा रही है।
इनके अलावा पं.हिरविष्णु अवस्थी, सियाराम अहिरवार, जफरउल्ला खां जफर’, गुलाब सिंह यादव भाऊ, श्रीमती उमा पाराशर, भारत विजय बगेरिया आदि ने भी अपने विचार रखे। गोष्ठी का संचालन वीेरेन्द्र चंसौरिया ने किया तथा सभी का आभार वनमाली सृजन केन्द्र के अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी ने माना। 

           -राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
अध्यक्ष एवं संयोजन-वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
 टीकमगढ़ मोबाइल-9893520965
E Mail-   ranalidhori@gmail.com
Blog - rajeevranalidhori.blogspot.com

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