संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' टीकमगढ़ (मप्र)
💐😊 गुरु महिमा💐😊
(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) 💐
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
की 118वीं प्रस्तुति
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 13-07-2022
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
मोबाइल-9893520965
🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
अनुक्रमणिका-
अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
03-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह
04-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़
05-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र)
06-गोकुल प्रसाद यादव,बुढ़ेरा
07-बृजभूषण दुबे 'बृज', बकस्वाह
08-आर.के.प्रजापति "साथी"जतारा,टीकमगढ़ (म.प्र.)
09-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
10-आशाराम वर्मा नादान,पृथ्वीपुर
11-एस आर सरल,टीकमगढ़ (म.प्र.)
12-चन्द्रप्रकाश शर्मा, पृथ्वीपुर
13-गणतंत्र जैन ओजस्वी, खरगापुर
14-सुशील शर्मा, गाडरवारा
15-भजनलाल लोधी फुटेर टीकमगढ़
16-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
17-जनक कुमारी सिंह बघेल, भोपाल
18-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवा
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संपादकीय
साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे।
हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।
हमारे इस छोटे से प्रयास से आज एक नया इतिहास रचा है यह ई-बुक 'गुरु महिमा' ( 118वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
यह पटल के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 118 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 81 देश के लगभग 72000 से अधिक पाठक अब तक पढ़ चुके हैं।
आज हम ई-बुक की श्रृंखला में हमारे पटल जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह 118वीं ई-बुक 'गुरु महिमा' लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी दोहे पटल के साथियों ने बुधवार दिनांक-13-7-2022 को बुंदेली दोहा लेखन में दिये गये बिषय-'गुरु महिमा' पर दिनांक-13-7-2022 को पटल पोस्ट किये है।
अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
धन्यवाद, आभार।
***
ई बुक-प्रकाशन- दिनांक-13-07-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
मोबाइल-91+ 09893520965
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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)
*गुरू पूर्णिमा पर विशेष-*
*"गुरु को समर्पित दोहे"*
आज दिवस गुरु पूर्णिमा,
मना रये हम आप ।
इष्ट मंत्र कौ रोजई,
करियों मन सै जाप ।।
गुरु की जो सेवा करे,
मिले उये सम्मान ।
गुरु के ही आशीष से,
बनतइ शिष्य महान ।।
गुरु सदैव ही बांटता,
निज सुगंध ज्यों फूल ।
उनके ही सद्ज्ञान से,
मिट जाते जग-शूल ।।
&&&
रचनाकार-
© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
🥗🥙🌿☘️🍁💐🥗🥙🌿☘️🍁💐
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2-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)
,, कुंडलिया,,
,,,,,
मां महिमा गरिमा पिता , सकल सिद्धि गुरुदेव ।
इनका पद रज भाल पर , स्तुति प्रणाम कर लेव।।
स्तुति प्रणाम कर लेव , वंदना श्री चरणों की।
ब्रह्मा विष्णु सदैव , कृपा हो हिय वर्णों की ।।
शीश अशीष सम्हार , पाओ खुशी प्रेम जहाँ ।
मोद प्रमोद नहाव , मनाओ जग दाती मां।।
**************
-प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
स्वरचित मौलिक
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3- भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
*बुन्देली गज़ल*
गुरु के चरन पर जा भैया,गुरु नै पार लगाओ भैया।
क, ख, ग, घ,ए,वी,सी,डी,१,२,३सिखाओ भैया।।
ठोक पीट कें कच्ची माटी, उम्दा घड़ा बनाओ भैया।।
टेड़ी टाड़ी गैल चले तौ, डामल रोड धराओं भैया।।
जगके पालक सबके मालक,हरि कौ ज्ञान कराओ भैया।।
थाम लओ गुरुवर नै आकै,नाहक अगर सताओ भैया।।
गुरु विन ज्ञान मिले ना जग में, गुरु खों बड़ो बताओ भैया।
वेद पुरानन और गीता में, रामायन में गाओ भैया।।
तुलसी सूर कबीरा हनुमत, एकलव्य समझाओ भैया।
"अनुरागी" नै गुरु कृपा सें,सब कुछ तन-तन पाओ भैया।।
🌹🌹🌹
✍️ भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा दमोह(मप्र)
स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित
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4*-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़
नमन मंच , गुरु पूर्णिमा
तोटक छंद , 112 ×4 = 12 वर्ण
गुरु तो जल ज्ञान सरोवर है |
उनके यश के रहते कर है |
मग के पथ सूचक भी कहते ~
जग में वह दिव्य मनोहर है |
गुरुवर को नमन करते हुए ( दोहे)
दिखता आज समाज में , गुरुवर का पद श्रेष्ठ |
शिष्यों को वह बाँटते , अपना ज्ञान यथेष्ट ||
मिलती शिक्षा ज्ञान की , और आचरण ताज |
इन दोनों की हैं धुरी , गुरुवर और समाज ||
गुरुवर बाँटे ज्ञान जल , दे समाज आगाज |
कह सकते दोनों धुरी , गुरुवर और समाज ||
गुरुवर भी बरसे वहाँ , जहाँ शिष्य में प्यास |
शशि रवि नभ गुरु मानिए , जीवन में उल्लास ||
गुरुवर विद्या बिम्व है , शिष्यों को अविलम्ब |
ज्ञान चक्र की है धुरी , अनुशासन के खम्ब ||
पद पंकज गुरु मानिए , पावन है शिव गंग |
सप्त सुरों के राग है , पूरण ज्ञान तरंग ||
गुरुवर का सानिध्य है , ब्रम्हा का दरबार |
मात् शारदे वर प्रदा , शिष्यों को उपहार ||
गुरुवर के पग से सदा , झरता रहे चरित्र |
शिष्य उन्हें स्वीकार कर , बनें ज्ञान के मित्र ||
***
-सुभाष सिंघई,जतारा
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05-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर
बुंदेली चौकड़िया - गुरू
-----------
गुरुवर, नेकी राह लखावैं।
ज्ञान सुधा बरसावैं।।
गुरु बिन ज्ञान, ज्ञान बिन जीवन,
है बेकार बतावैं।।
जड़ता का तम दूर भगाकर,
प्रभू ढिंगा पहुचावैं।।
गुरु महिमा ईसुर से बढ़कै
गुरू ईश बतलावै।।
//श्री गुरुवे नमः//🙏🙏🙏🙏
***
-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला-छतरपुर
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06-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी
🙏मुक्तक🌹जय गुरुदेव🙏
***********************
(1)
गुरु से सद्ज्ञान मिला मुझ को।
गुरु से धनधान मिला मुझ को।
गुरु चरण गहूँ मैं साष्टाँग,
गुरु से ही मान मिला मुझ को।
***********************
(2)
गुरु ब्रह्मा विष्णु महेश्वर हैं।
गुरु साक्षात परमेश्वर हैं।
गुरु चरणों में शत-शत वंदन,
गुरु ही मेरे सर्वेश्वर हैं।
**********************
****
✍️गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा)
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7-बृजभूषण दुबे 'बृज', बकस्वाहा
धुन -राखें रैयो मोरी-----
टेक-मन के धीर के धरैया गुरु ज्ञान के धनी।
ज्ञान के धनी ,सद्ज्ञान के धनी। मन के--------
1-काम क्रोध मद् लोभ मोह सें देव हमें छुटकारो।
दुर्गुण दूर करो सब स्वामी , अंधकार अंधियारों।
डारो नेह की नजरिया गुरु ज्ञान के धनी।
2-आश निराश न होवे मोरी ,मन विश्वास बड़ो है।
बांँधो प्रेम लगन की डोरी,सेवक द्वार खड़ो है।
खोलो ज्ञान की पुटरिया गुरुज्ञान के धनी।
मन के-------------
3-माता पिता भाई बन्धु तुम,हो सर्वस्व हमारे।
कृपा करो प्रेमी" बृज"रोशन ,हम सब दास तुम्हारे।
भव सें पार के लगैया गुरु ज्ञान के धनी।
4-जुग जुग से जौ चलो आओ है,गुरु शिष्य को नातौ।
जो कऊँ गुरु देव न होते,को हरि द्वार बतातो।
जुड़वे जोग सें जो जरिया गुरु ज्ञान के धनी।
मन के--------
दोहा-गुरु दर्शन की लालसा,गुरु वचनों का ध्यान।
गुरु चरणों में शिर नमत,बृज सच्चा सद्ज्ञान।
गुरु पूर्णिमा महोत्सव की बहुत बहुत बधाई शुभकामनाएं।
***
-बृजभूषण दुबे 'बृज', बकस्वाहा
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08-आर.के.प्रजापति "साथी"जतारा,टीकमगढ़ (म.प्र.)
गुरुपूर्णिमा के पावन पर्व पर सभी भाई बहिनों को हार्दिक शुभकामनाएं।
गुरुकृपा सदैव बनी रहे।
श्रद्धा जिनके उर बसे,
रहे अटल विश्वास।
ऐसे लायक शिष्य ही,
गुरु के होते खास।।
***
- आर.के.प्रजापति "साथी"
जतारा,टीकमगढ़ (मध्यप्रदेश)
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09-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
"गुरू पूर्णमा पर नमन"लोकगीत धुन
आप हमारे विधाता गुरू जी ,आप हमारे विधाता हो।
जीवन तारण गैल धरावत ,मात- पिता सम आप कहावत। देते मंत्र हमारे गुरू जी ,आप हमारे विधाता हो ।
ब्रह्मा विष्णु शिव शंकर से ,बढकर ये गंगा जमुना से।
देते ग्यान हमारे गुरू जी, आप हमारे विधाता हो ।।
सांचे मन से गुरू जो मानें ,गुरू पूर्ण हैं जगत ये जानें ।
वेद पाठ पढाते गुरू जी,आप हमारे विधाता हो।।
गुरू की महिमा कोउ न जानें , वेद पुरान ग्रंथ ये मानें
***
-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
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*10*-आशाराम वर्मा नादान,पृथ्वीपुर
कुंडलिया
***********
गहिये गुरु के पद कमल,
गुरु बिन होत न ज्ञान।
प्रथम पूज्य करतार से ,
जग में ऊंची शान ।।
जग में ऊंची शान ,
तमस हिए का हर लेते।
देकर के सद ज्ञान,
प्रभू से मिलवा देते।।
कह गुनकर" नादान "
व्यथा निज गुरु से कहिये।
करते सकल निदान ,
चरण गुरुवर के गहिये ।।
***
-आशाराम वर्मा 'नादान' पृथ्वीपुर
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11-एस आर सरल,टीकमगढ़
चौकड़िया 🌷गुरु पूर्णिमा🌷
*************************
गुरु के चरण कमल सुख़दाई,
हिरदय लेव बसाई।
करूणानिधि सद्गुन के दाता,
अवगुन देत नसाई।।
जीवन पथ के सूल हटा के,
सच्ची राह दिखाई।
'सरल' शांति सुख समाधान सब,
गुरु शरणन में पाई।।
*********************-******
- एस आर 'सरल'
टीकमगढ़
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12-चन्द्रप्रकाश शर्मा, पृथ्वीपुर
गुरूवर ही दुनियां में, सबसे महान है
अज्ञान हर के सदा देते ज्ञान है
अभिनंदन वंदन है, गुरूवर तुम्हारा
आपके चरण चारो, धाम के समान है ।।
2
कोई गुरु के सम होता नहीं
गुरू की शरण में गम होता नहीं है
गुरुवर ही देते हैं अनमोल धन जो
खर्च करने से बड़ता कम होता नहीं है ।।
***
*चन्द्रप्रकाश शर्मा, पृथ्वीपुर
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13-गणतंत्र जैन ओजस्वी, खरगापुर
*जीवन-शिल्पी गुरू-चरणों में समर्पित दोहे*
===============
जग में तीनों पूज्य हैं, गुरू पिता अरु मात |
उपकारी तीनों कहे, निशदिन शीश नवात ||
जन्म दिया पालन किया, मात पिता का रूप |
गुरूवर तुम तो धन्य हो, दिया ज्ञान का रूप ||
कभी चुका नहिं पायेंगे, तीनों का उपकार |
तीनों ब्रह्म स्वरूप हो, तीनों विविध प्रकार ||
***
-गणतंत्र जैन ओजस्वी, खरगापुर
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-14-सुशील शर्मा, गाडरवारा
गुरु पर कुण्डलियाँ
सुशील शर्मा
सारे संशय दूर हों ,गुरु की कृपा अपार
अवगुण सारे मेटते ,शुद्ध करें व्यवहार।
शुद्ध करें व्यवहार ,ज्ञान की ज्योति जलाते
गुरु ग्रंथन का सार ,ईश से आप मिलाते।
हम अज्ञानी इंसान ,आप सर्वस्य हमारे।
मैं हूँ शिष्य सुशील ,हरो अवगुण मन सारे।
2
साधे गुरु के ही सधें ,सारे बिगड़े काम।
कर गुरुवर की वंदना ,ध्यान धरो गुरु नाम।
ध्यान धरो गुरु नाम ,ग्रहण कर गुरु से गुरुता।
सतगुरु ज्ञान अनंत ,दिलाते गुरु ही प्रभुता।
गुरु को नमन सुशील ,करा दो दर्शन राधे।
धन्य आपका नाम ,आप सब कारज साधे।
***
-सुशील शर्मा, गाडरवारा
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15-भजनलाल लोधी फुटेर टीकमगढ़
गुरुवर तुम जीवन दाता हो!
भारत के भाग्य विधाता हो!!
भारत.............................
संस्कारमय शिक्षा देते!
लेकिन कठिन परीक्षा लेते!!
तुम त्रिकालग्य के ज्ञाता हो!!०!!
भारत......... ................
आत्म शुद्धि सदबुद्धि देते!
कोटि कलेश सहज हर लेते!!
भावी युग के निर्माता हो!!०!!
भारत...........................
गुरु पद पंकज नित्य नमामी!
तन मन धन आज्ञा अनुगामी!!
मेरे तुम्हीं इष्ट पितु माता हो!!०!!
भारत...............................
वतन के खातिर जीना मरना!
यैसा ज्ञान मेरे हिय में भरना!!
कवि भजन बिश्व बिख्याता हो!!
भारत................................
स्वरचित एवं मौलिक
-भजनलाल लोधी फुटेर टीकमगढ़
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16-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
गुरु देव के श्री चरणों में सादर नमन
गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु हैं, गुरु ही देव महेश।
हे गुरुवर कृपा करौ , काटौ कठिन कलेश।।
गुरु वर खबर न कभउँ बिसरियौ,
कोर कृपा की करियौ।
लालच लोभ मोह मद मत्सर,
सबरे औगुन हरियौ।
जानी अनजानी भूलन पै ,
बिल्कुल ध्यान न धरियौ।
उर उपवन मुरझान न दइयौ,
नेह सुधा बन झरियौ।
चरन सरन पीयूष आव है ,
रीती झोली भरियौ।
-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
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17--जनक कुमारी सिंह बघेल, भोपाल
प्रेम प्रभा विखेरे
पूर्ण चांद निकसे नभ में , शिष्य सितारे घेरे।
दे दो सुचित ज्ञान हे गुरुवर , संवरे जीवन मेंरे।।
मेघों के दल घिर घिर आए, लेने ज्ञान गूरू से।
छिटक चांदनी कहती हंसकर, प्रभा प्रेम विखेरे।।
शीतलता सबको हर्षाती , खुशियां खूब बिखेरे।
तपिश दूर करती तन मन से , हर विकार हरे रे।।
प्रेम प्रीति की खुशबू फैले , मन का कलुष मिटे रे।
पल पल घटते - बढ़ते गिरते - उठते पूर्ण बने रे।।
***
गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाइयां
-जनक कुमारी सिंह बघेल, भोपाल
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18-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवा
कुंडलिया
गुन ज्ञान गुरु सें मिलौ,दूर होय अज्ञान।
खोटे जन की दूर हों,रै समाज में मान।
रै समाज मे मान,जीवन सुखमय होवै।
हाथ माथ गुरु कौ रहै,औसर कौनउँ न खोबै।
कहें नन्द कविराय,उत्तम जीवन को चुन।
गुरु बिना जीवन खाली,गुरु महिमा गुन।
**-
-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवा
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संपादन-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
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