(म.प्र. लेखक संघ का 298वाँ साहित्यिक अनुष्ठान सम्पन्न)
टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 298वीं कवि गोष्ठी ‘मातृ दिवस’ पर केन्द्रित आयोजित की गयी है।
कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती आशा रिछारिया (निवाड़ी) ने की तथा
मुख्य अतिथि के रूप में कवि डाॅ.प्रीति सिंह परमार (टीकमगढ़) रहीं, विषिष्ट अतिथि के रूप में मीनू गुप्ता (टीकमगढ़) रहीं।
कवि गोष्ठी का शुभारंभ वीरेन्द्र चंसौरिया ने वंदना कर किया -
जय हो तुम्हारी जय हो तुम्हारी, संगीत विद्या ज्ञान की देवी।
स्वीकारिये बंदना ये हमारी। जय हो तुम्हारी जय हो तुम्हारी ।।
संजय श्रीवास्तव (दिल्ली) ने रचना सुनाई-
माँ के भीतर घर रहता है, घर में भीतर माँ।
बारिश, आँधी, तूफाँ सारे, धरमी माँ सी सहती माँ।।
गोकुल यादव ने घनाक्षरी पढ़ी- माँ तो माँ है कभी वह, लाल को बचाने हेतु,
काल के लिए भी महाकाल बन जाती है।
आशा रिछारिया (निवाडी) रचना ने पढ़ी-
माँ के लिए सिर्फ़ एक दिन,
क्या कोई भी दिन संभव है माँ के बिन।।
डाॅ. प्रीति सिंह परमार ने रचना पढ़ी-
कहते है कि बहुत छोटा शब्द है माँ,
जिसके चरणों में है सारा जहाँ।।
मीनू गुप्ता ने रचना पढ़ी-
जिसने उँगली पकड़ कर चलना सिखाया,
जिसने सदा हमारा हौंसला बढ़ाया।
भगवान सिंह लोधी (हटा) ने दोहे सुनाएँ-
माँ गंगा माँ नर्मदा, माता धरनी गाय।
माता शीतल चाँदनी,उपमा कही ना जाय।।
टीकमगढ़ के म.प्र.लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने‘ माँ पर केन्द्रित दोहे सुनाए-
माँ की तुम सेवा करो, मिले तभी सम्मान।
माँ के आशीर्वाद से, इक दिन बने महान।।
मात-पिता है देवता, धरती के भगवान।
इनके त्याग व प्रेम की, करले तू पहचान।।
सुभाष सिंघई (जतारा) ने दोहे पढ़े-
माँ इधर उधर क्यों जा रहा, घर में कर विश्राम।।
माँ के छूकर पैर तू, करले चारों धाम।।
अमर सिंह राय (नौगाँव) ने पढ़ा-
माँ तू ही बता, क्या लिखूँ मैं तुझ पर।
कितने एहसान है मुझ पर।।
परमलाल तिवारी (खजुराहो) ने पढ़ा-
माँ के बिना सूना लगता है मुझको यह संसार।
कभी नहीं भुला पाऊँगा,जननी मेरा प्यार।।
यदुकुल नंदन खरे (बल्देवगढ़) ने -
मत सोचों कि दुनिया में शैतान रहा करते हैं
इस पावन धरती पर कुछ इंसान रहा करते है।।
हाजी ज़फ़र उल्ला खां ‘ज़फ़र’ ने ग़ज़ल पढ़ी -
इक शायर के घर में मुझको ये सामान मिला है।
गीता, ग्रंथ बाइबिल, कुरान मिला है।
रामानंद पाठक (नैगुवा) ने कविता पढ़ी-
ओरी सानी नइँया तोरी, कितनी कै है थोरी।
कल्याण दास पोषक’ (पृथ्वीपुर) पे रचना पढ़ी-
भइया मन कौ कूरा छारो,हुइये बहुत कुबारो।
एस.आर सरल ने रचना सुनायी -
माँ अपनी संतानों पर सुख न्यौछावर करती हैं
बच्चों के लालन पालन में सर्वस्व समर्पण करती है।।
कवि गोष्ठी का संचालन म.प्र.लेखक संघ के अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ने किया
तथा सभी का आभार भी माना।।
- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)बुन्देलखण्ड, (भारत)
मोबाइल- 9893520965
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