Rajeev Namdeo Rana lidhorI

सोमवार, 6 मई 2024

bundeli doha kosh vol-1 vimochan smaroh

बुन्देली दोहा कोश भाग-1 का हुआ विमोचन
 ‘म.प्र.लेखक संघ की 311वीं कवि कवि गोष्ठी हुई:-
 Date-5-5-2024 Tikamgarh

 टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की ‘कवि गोष्ठी’ 311 एवं बुन्देली दोहा कोश भाग-1 का विमोचन समारोह ‘आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़’ में आयोजित किया गया है।

 कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार रामगोपाल रैकवार ने की तथा
 मुख्य अतिथि के रूप में कवि रामनंद पाठक‘नंद’ (नैगुवां) 

एवं विषिष्ट अतिथि के रूप में साहित्यकार यदुकुल नंदन खरे (बल्देवगढ़)व शायर हाज़ी ज़फ़रउल्ला खां ‘ज़फ़र’ रहे। 

 इस अवसर पर राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ के संपादन में प्रकाशित ‘बुन्देली दोहा कोश भाग-1’ का विमोचन किया गया।
 राना लिधौरी ने बताया कि इस बुंदेली दोहा कोश’ में 315 पेजों में 70 समकालीन बुंदेली दोहाकारों के 1500 से अधिक बुंन्देली दोहे सकंलित हैं। 
गोष्ठी की शुरूआत सरस्वती बंदना से की प्रमोद गुप्ता ने की-
शिक्षा वो ज्योति है जो हर वक़्त चमकती है। शिक्षा से ही मानव की प्रतिभा दमकती है।।

 नवोदित कवि शंकर सिंह बुन्देला ने रचना पढ़ी - कोऊ खों ठाकें,कोऊ से ठुकवें,उनकौ कौना ठिकानो। 
 पी-पा के जब धर खाँ लौटे करबै खूब धिगानौ।। 

राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने ग़ज़ल कही -ज़िंदगी में मिल सके बेहद मज़ा, तुम यहाँ सबको हँसाकर देखिए।। 

गोविन्द्र सिंह गिदवाहा(मडावरा) (उ.प्र.) ने रचना पढ़ी-

कछु दरूआ दिन उँगे सें, पऊआ ढगौस लेत।।

 शायर शकील खान ने ग़ज़ल कही - 
दीप यादों के जलते रहे रातभर, 
मेरे अश्क निकलते रहे रातभर।। 

रामानदं पाठक ‘नंद’ (नैगुवा) ने रचना पढ़ी- आदि काल से लिखते आए,अपने कवि विचार। एक पुस्तक भी बन जाती है गर हो नेक विचार।। 

रामपोपाल रैकवार ने सुनाया-
सत्य को भी सत्यापित होना पड़ता है।
 विदित को भी ज्ञापित होना पड़ता है।। 

वीरेन्द्र चंसौरिया ने गीत पढ़ा-
विरले ही होते है, इस जग में ऐसे इंसान। साहित्य जगत में हो, राजीव जैसी पहचान।।

 कमलेश सेन ने रचना पढ़ी - 
चैत काटो आओ बैशाख,
खुशियों की अब फैली शाख।। 

भगवत नारायण ‘रामायणी’ (देवीनगर) ने रचना पढ़ी-
कंकर-कंकर शंकर पग-पग परम पुनीत है। हृदय की धड़कन रामयान खास बना अग ग्रंथ है।। 

यदुकुल नंदन खरे(बल्देवगढ़) के ने सुनाया-
उठा यहाँ इस जंग को तू लड़,
निर्भीक बनकर तू यहाँ पर रह।। 

शायर वफ़ा शैदा ने ग़ज़ल कही -
 समझ में कुछ नहीं आता ये कैसा नाता है। हज़ार उसको भुलाऊँ वो याद आता है।। 

रविन्द्र यादव ने सुनाया-
मुसीबत की घड़ी में जो हमारे साथ होते हैं, 
 वो चाहे कोई भी हो,हम उन्हें परिवार कहते है। 

राम सहाय राय(रामगढ़) ने सुनाया-
हम बुन्देली के जहाँ विराजे राजा ओरछा के श्रीराम। 

 प्रभुदयाल श्रीवास्तव ने कविता सुनाई-
भौतइ कठिन डगर पनधट की, 
कैसे भर लय मटकी। 
 घूँघट पर प्रभु रूप न देगे, कर रय झूमा झपटी।। 

एस.आर.सरल ने बुंदेली ग़ज़ल सुनाई-
सन्ना रइ है लाल दुपरिया। 
तप रय मड़ा अटरिया।। 

शायर हाजी ज़फ़रउल्ला खां ‘ज़फ़र’ ने ग़ज़ल कही-
लाड़ली बहना मुफलिस राशन ये मेरी गारंटी है। देश तरक्की कर जाएगा ये मेरी गांरटी है।।

 गोष्ठी का संचालन वीरेन्द्र चंसौेरिया ने किया तथा सभी का आभार प्रदर्शन प्रभुदयाल श्रीवास्तव ने किया। 
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 रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)बुन्देलखण्ड,(भारत) मोबाइल-9893520965

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