Rajeev Namdeo Rana lidhorI

गुरुवार, 21 नवंबर 2024

समीक्षा अनुश्रुति समग्र

समीक्षा- 'अनुश्रुति'बुंदेली त्रैमासिक पत्रिका समग्र 

समीक्षा- 'अनुश्रुति' बुंदेली त्रैमासिक ई पत्रिका अंक-13 अक्टूबर -दिसंबर 2024
संपादक राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'




*1*
समीक्षक- श्री सुभाष सिंघई जतारा 

अनुश्रुति त्रैमासिक पत्रिका (अक्टूबर - दिसम्बर 24 )का तेरहवाँ अंक पठनीय है _
आदरणीय सम्पादक श्री राजीव नामदेव "राना लिधौरी जी" ने सदैव की तरह साहित्य की सभी प्रचलित विधाओं और जय बुंदेली साहित्य समूह से जुड़े सभी सक्रिय कवि लेखकों को सम्मिलित किया है , 
प्रत्येक अंक में देखने मिलता है कि कोई न कोई नया बुंदेली माटी से जुड़ा साहित्यकार व  उनके सृजन हस्ताक्षर देखने मिलते है , इस अंक में आदरणीय हरिओम जी श्रीवास्तव दतिया हाल भोपाल के बुंदेली कुंडलिया के माध्यम से  हस्ताक्षर है | 

आदरणीय श्री प्रकाश चौबे जी की बुंदेली ग़ज़ल भी पढ़ने मिली‌ है , यह भी हमारे पटल के नए शामिल हस्ताक्षर है 

आवरण पृष्ठ पर दुधई के नरसिंह भगवान का चित्र व अंदर पूर्ण जानकारी यात्रा वृतांत के साथ है , 
हमेशा की तरह  हर अंक में नया तीर्थ परिचय बुंदेलखंड का मिलता है , दुधई के नरसिंह भगवान की पूर्ण जानकारी प्राप्त ‌हुई हैं 

इस अंक में आदरणीय शिक्षाविद् रामगोपाल रैकवार जी कँवल का ‌आलेख "चंदेरी के कछू प्रसिद्ध दरवाजे व महल (सचित्र) है , आदरणीय‌ कँवल जी की विशेषता यह है कि इनके आलेख एक चलचित्र की तरह पाठको के सामने चलते है , जो इस‌‌ आलेख‌‌‌ के साथ भी अनुभव होता है 

आदरणीय जिला लाइव्रेरियन विजय कुमार मेहरा जी का आलेख "वृहद सुरंग मंदिर एक रहस्यमयी  स्मारक "दुधई भी इस अंक में है , आदरणीय‌‌ मेहरा जी की  ग्रामीण अंचलों में प्राचीन इतिहास स्मारकों की खोज करने में सदैव अभिरुचि ‌देखी  है , व हम सभी के सामने उसको लाते है ।

आदरणीय‌ राना जी , कँवल जी   , मेहरा जी की  यह त्रयी बुंदेलखंड की  घुमक्कड़ी टीम  है  ,जो उस स्थान पर जाकर सम्पूर्ण जानकारी , ऐतिहासिक तथ्य खोद कुरेद कर हम सबके सामने लाते है 🙏😄

इस अंक में  " राना गौरव ग्रंथ विमोचन समारोह ‌व श्रद्धेय  पन्नालाल नामदेव पुरस्कार समारोह की झलकियाँ व लघु वर्णन शामिल है 

सभी साथी मित्रों की रचनाएँ मनोहारी है , श्रेष्ठ व पठनीय है |
आदरणीय " राना जी " का परिश्रम , साहित्य के प्रति समर्पण , बुंदेली माटी- साहित्य के प्रति अनुरागिता , विभिन्न आयामों का संग्रहण करने की साधना इत्यादि सभी अभिनंदनीय है 
राना जी की पुस्तकें , रचनाएँ , आलेख प्रकाशित होते ही रहते है 
इसके लिए सभी सदैव बधाई व शुभकामनाएँ देते ही है 
और आज अनुश्रुति त्रैमासिक पत्रिका के प्रकाशन पर पुन: बधाई व शुभकामनाएँ ज्ञापित है 🌹🌹
सादर 
सुभाष सिंघई जतारा टीकमगढ़ म०प्र०
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*2*
समीक्षक --रामानन्द पाठक नंद, नैगुवां

आदरणीय राना जी आपकी अनुश्रुति पत्रिका पडी पढ कें हदय से  प्रशन्न हुआ आदरणीय आप नें हमाय  मनकी चौकडियाँ छाप दीं। आप के द्वारा हर साहित्यकार की इच्छा पूर्ण होती है। ईश्वर आप को हर पल खुशियाँ मिलती रहें। आप का नाम तो बुन्देलखण्ड में तो है ही। आपका तो देश विदेशों में हो रहा है हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि आप जीवन में 
आपकी प्रगति दिन दूनी रात चौगनी हो। आप का हदय तल से धन्यवाद करता हूँ। 🙏🏼
समीक्षक -रामानन्द पाठक नंद, नैगुवां
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समीक्षक -श्रीमती आशा रिछारिया निवाडी
 
अनुश्रुति पत्रिका पढ़ी एक वार पुन:आपकी संयोजन क्षमता को हार्दिक बधाई और शुभ कामनायें। पत्रिका में लगभग सभी साहित्य कारों को समाहित करने का प्रयास किया गया है। गद्य आलेखों से नवीन जानकारियां मिली। मुझे भी पत्रिका में स्थान मिला। आभार!सहित 🌹🙏🏿🌹
   -श्रीमती आशा रिछारिया निवाडी 
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*4*
समीक्षक --आमिल हबीबी ,छतरपुर

आदरणीय श्री राजीव जी आज पहली बार अनुश्रुति पत्रिका पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ 
पढ़कर मन गदगद हो उठा आपका संयोजन बहुत प्रशंसनीय है गागर में सागर भरने जैसा कार्य दिखाई पड़ता है आलेख बहुत ही रोचक और ज्ञानवर्धक हैं 
आदरणीय श्री हरिओम श्रीवास्तव जी की कुन्डलिया बहुत शानदार है 
शेष रचनाएं भी स्तरीय हैं 
आपके साहित्य समर्पण और सेवा भाव को प्रणाम करते हुए आपका हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं कि आपने मुझ जैसे साहित्य के एक छोटे से विद्यार्थी की रचना को अपनी पत्रिका में स्थान देकर मेरा जो उत्साहवर्धन किया है वो अमूल्य है 

हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 

-आमिल हबीबी ,छतरपुर
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*5*
समीक्षक - ~विद्या चौहान, फरीदाबाद 

अनुश्रुति पत्रिका का १३ वाँ अंक बुंदेली साहित्य की विविध विधाओं को समेटे एक समृद्ध धरोहर है। अंक में शामिल पद्य विधा में एक ओर बुंदेली गीत, ग़ज़ल, दोहे, हाइकु, कुंडलिया और चौकड़िया है तो दूसरी ओर गद्य विधा में यात्रा संस्मरण, आलेख और पुस्तक समीक्षा शामिल की गयी है। 

दुधई के पहाड़ों पर उकेरी गई श्री  नरसिंह भगवान की विशाल मूर्ति की विस्तृत जानकारी प्राप्त हुई। 
चन्देरी के दरवाज़ों और महलों पर आलेख और दुधई के स्मारक की अद्भुत व्याख्या पढ़कर बुंदेलखंड की इन विरासतों के बारे में ज्ञान प्राप्त हुआ। 

बुंदेली दोहा कोश पर आ. सुभाष सिंघई भाई जी की बेहतरीन पुस्तक समीक्षा का भी पत्रिका में समावेश है। 
अनुश्रुति के संपादक महोदय आ. श्री राजीव नामदेव जी को  इस सुंदर और समृद्ध अंक हेतु हार्दिक बधाई प्रेषित करती हूँ। मुझे पूर्ण विश्वास है आप बुंदेली साहित्य को नयी ऊँचाई अवश्य प्रदान करेंगे। 
अंक में शामिल सभी प्रबुद्ध रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ🙏💐👏👏

~विद्या चौहान, फरीदाबाद 
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*6*
समीक्षक - हरिओम श्रीवास्तव, भोपाल 

अनुपम साजसज्जा व अनमोल सामग्री युक्त अनुश्रुति-13 प्रकाशन हेतु आदरणीय लिधौरी जी को हार्दिक बधाई। तथा इसमें मेरी रचना को स्थान दिए जाने हेतु हार्दिक आभार।🙏
          -हरिओम श्रीवास्तव, भोपाल 
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*7*
समीक्षक - एम.एल.त्यागी, खरगापुर 

अनुश्रुति अंक-१३ पढकर मन गद गद हो गया। सम्पादक श्री रानाजू को कोटि कोटि वधाई एवं शुभकामनाएं।
         समीक्षक - एम.एल.त्यागी, खरगापुर 

8-
श्यामराव धर्मपुरीकरजी, गंजबासौदा 

बहुत सुन्दर रचनाओं को समाहित किए बुंदेली त्रैमासिक ई पत्रिका - अक्टूबर 2024 के उत्कृष्ट अंक हेतु आदरणीय श्री राना जी व सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाइयाँ व अनंत शुभकामनायें आदरणीय सादर नमन वंदन अभिनंदन... 🌹🙏🌹

     -श्यामराव धर्मपुरीकरजी, गंजबासौदा 

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