Rajeev Namdeo Rana lidhorI

बुंदेली व्यंग्य :- शोले कौ गब्बर सिंह जू कौ चरित्र चित्रण लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
बुंदेली व्यंग्य :- शोले कौ गब्बर सिंह जू कौ चरित्र चित्रण लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

गुरुवार, 10 नवंबर 2022

बुंदेली व्यंग :- गब्बर सिंह कौ चरित्र चित्रण (राजीव नामदेव राना लिधौरी)

*बुंदेली व्यंग्य :- शोले कौ गब्बर सिंह जू*
              *(राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़)*
एकदार एक परीक्षा में गब्बरसिंह पै निबंध लिखवै खौ आव सो एक लरका नै गजब कौ निबंध लिखौ ऊकी सोस जा हती कै हमें हमेशा सकारात्मक ही सोसवौ चइये, हर इंसानन में नोनै गुन देखे चइए, ऊकी बढ़वाई करौ चइए बुरव में सें भी नोनो नबेरों जा सकत है।

ऊ मोंडा ने ऐसौ निबंध  लिखौ कै पढ़वे वारन खौ तीसरौ नेत्र खुल गव। अपुन सोउ  तनक पढ़कै मजा लैव
*निबंध- "गब्बर सिंह कौ चरित्र"*

*1. सादगी भरौ जीवन-:-*
 सहर की भीड़ से दूर डागन में रत हते अरु एकई उन्ना में कैऊ दिना गुजार देतते।
गुटखा के भौतइ शौकीन हते देशी खाउतते।

*2. भौत अनुशासनप्रिय हते -:-* कालिया और ऊके साथी कौ प्रोजेक्ट ठीक से नइ करवै पै सीदो गोली मार दइती। 😁

*3.दयालु सुभाव-:-* ठाकुर को कब्जे में लेवै के बाद ठाकुर के सिर्फ हात शइ काटकैं छोड़ दव हतो, चाउते तो ऊकौ गरौ भी काट सकतते😛

*4. नाच-गावेदेखवै कै शौकीन हते:-* उके ठिकाने में नाच गावौ संगीत के कार्यक्रम चलत रतते ऊयै ये गाना भौत नोने लगते
*'महबूबा महबूबा'....*
*'जब तक है जां जाने जहां' मैं नाचूंगी...*
बसंती को देखतइ  जान गयते कै जा मौडी भौत नोनो नाचत है।😊

*5. सबकै संगे मसकरी करतते-:-* कालिया और उके साथियन कौ हंसा हंसा कर ही मारतते. खुदइ तानकै ठहाका मारकर हंसतते,बै इ जुग कै साकछात  *'लाफिंग बुद्धा'* हते।😁

*6. नारी कौ सम्मान करतते-:-* बंसती के पकरवै के बाद सिर्फ उकौ नाच देखवे कौ अनुरोध करों हतो ऊकी इज्जत नइ लूटी।😀

*7. भिखारी जीवन-:-* उके आदमी खाबै और गुजारे के लाने बस सूखौ अनाज मांगते हते। कौउ पइसा टका नइ मांगतते।
कभउ बिरयानी या चिकन टिक्का की मांग नइ करी।. .😛☺️

*8. समाज सेवक हते-:-* रात को हरकै मौडन कौ सुलावै कौ काम सौउ करतते । उतै से पचास पचास कोस दूर के मौडा ऊके नाव लेतनइ डर कै मारे पर रातते। और भी कैउ गुन हते पै निबंध बड़ौ होजे जैइसै इतई खतम कर रय है।

😥मास्साब ने जैसइ जौ पढौ तो उनकै गटा असुंअन सै भर गये और कन लगे कै  सबरी गलती जय और वीरू की ही हती। 
....बेचारा गब्बरवा तो भौतइ नौनौ और ऐन बडौ समाज सेवक हतो........
***
- *-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी*’
संपादक ‘आकांक्षा’ पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' बुंदेली त्रैमासिक
जिलाध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.)
पिनः472001 मोबाइल-9893520965
E-mail- ranalidhori@gmail.com 
Blog- rajeevranalidhori.blogspot.com