Rajeev Namdeo Rana lidhorI

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शुक्रवार, 22 दिसंबर 2023

kavi sammelan Bhakhashi ji smrati Tikamgarh samagra

संघर्ष पुरुष बख्शी की 21वीं पुण्यतिथि पर हुआ कवि सम्मेलन’
संघर्ष पुरुष बख्शी की 21वीं पुण्यतिथि पर हुआ कवि सम्मेलन’ कवि सम्मेलन कर दिया बक्शी जी के नाम........राना लिधौरी कवि सम्मेलन ने समां बांधा टीकमगढ़// Date-21-12-2023 संघर्ष पुरुष बख्शी की 21 वीं पुण्यतिथि पर पूर्व विधायक केके. श्रीवास्तव के निवास पर कवि सम्मेलन’ आयोजित किया गया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता घनश्यामदास तिवारी ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में बुजुर्ग शायर अखलाक कारी रहे जबकि कवि सम्मेलन का संचालन ख्यातिप्राप्त कवि राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने किया तथा सभी का आभार प्रकट शांतनु बख्शी ने किया। कवि सम्मेलन का शुभारंभ वीरेन्द्र चंसौरिया ने वंदना कर किया - जय हो तुम्हारी जय हो तुम्हारी, संगीत विद्या ज्ञान की देवी। स्वीकारिये बंदना ये हमारी। जय हो तुम्हारी जय हो तुम्हारी ।। प्रभुदयाल श्रीवास्तव ने रचना सुनाई- बंशी बाजी कृष्ण की, कालिन्दी के फूल। खिंची आय है गोपियाँ, तन की सुध बुध भूल।। प्रसिद्ध राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने दोहे पढ़े- कवि सम्मेलन कर दिया,बक्शी जी के नाम। सुबह दान कुछ हो गया, दुपहर हरि का नाम।। संघर्ष पुरूष थे बख्शी जी, कवि हृदय थे खास। सबसे मिलते प्रेम से, जो आते थे पास।। सिद्वार्थ बख्शी ने कविता पढ़ी- हर एक संकट का हल होगा आज नहीं तो कल होगा। कारी अखलाक ने ग़ज़ल पेश की- दिल है मेरा आईना और उसका चेहरा आइ्र्रना। वक्त ने जब उसके जुल्मों का दिखाया आईना। वो बडा जादू बयां है वो बहुत होशियार है। आज एक अंधें को उसने बेच डाला आईना।। शिवकुमार श्रीवास्तव ने कविता सुनायी-है दुनिया में ऐसा जो मुझें,तुझसे मिला दे माँ। छिपा ले मुझको आँचल में गले से मुझको लगाले माँ। सत्यानारायण तिवारी ने पढ़ा-बाबू जी बचपन के वो भी क्या दिन थे प्यारे बाबू जी बचपन के। बाबू की उँगली पकडकर हमने चलना सीखा।। प्रदीप खरे ‘मंजुल’ ने चैकडिया सुनायी-जिदना आये टिरउआ जाने,छिन भर नईं रय पाने। रविन्द्र यादव पलेरा ने कविता सुनाई- हिंदू इसाई सिख,मुस्लामान नहीं हो, तुम कुछ भी नहीं हो, अगर इंसान नहीं हो।। कमलेश सेन ने सुनाया-आजकाल के मोडा़ बिगरत जारय,फटफटिया में घूम के मोबाइल चलारय। अनवर खान ‘साहिल’ ने ग़ज़ल पढ़ी- फूलों में जो रंगत है ऐसा लोग कहते हैं, सब तेरी इनायत है ऐसा लोग कहते है।। शकील खान ने ग़ज़ल पढ़ी- फूलों कैसे चाहत के फिर खिलेंगें दुनिया में। जब दिलों में नफ़रत है लोग एसेा कहते हैं।। इनके अलावा हरेन्द्रपास सिंह, शिवचरण उटमालिया,पूरनचन्द्र गुप्ता,गुलाब सिंह यादव ‘भाऊ’,घनश्याम दास तिवारी, भरत त्रिपाठी, शकील खान,विशाल कड़ा, स्वनिल तिवारी, दयाली विश्वकर्मा आदि ने भी जोरदार काव्य पाठ किया। श्रोताओं ने देर रात तक कविताओं का आनंद लिया।