(1)
ओड़छौ धाम,
वृन्दावन सौ गाँव।
राजा है राम।।
(2)
बुन्देली बानी,
सुनतन लगत।
एनर्इ नौनी।।
(3)
काम ना आनें,
सबर्इ माया जर्इं।
धरी रै जानें।।
(4)
कैसों जमानों,
करूं थरार्इ कानों।
कै,कै,के हारे।।
(5)
वितनी सुनो,
हे शारदा मइया।
लाज रखैया।।
(6)
रामायन कौ,
भूले लोग,करत।
महाभारत।।
(7)
हीरा सी मोड़ी,
आज लरकन से।
होत है नौनी।।
(8)
मूढ़ है फूटौ,
साँची-साँची कतते।
कलजुग में।।
(9)
चली धनियाँ,
पहन पैजनिया।
भरैं पनियाँ।।
(10)
वसंतोत्सव,
बुन्देली बिखरी।
बसारी गाँव।I
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
ओड़छौ धाम,
वृन्दावन सौ गाँव।
राजा है राम।।
(2)
बुन्देली बानी,
सुनतन लगत।
एनर्इ नौनी।।
(3)
काम ना आनें,
सबर्इ माया जर्इं।
धरी रै जानें।।
(4)
कैसों जमानों,
करूं थरार्इ कानों।
कै,कै,के हारे।।
(5)
वितनी सुनो,
हे शारदा मइया।
लाज रखैया।।
(6)
रामायन कौ,
भूले लोग,करत।
महाभारत।।
(7)
हीरा सी मोड़ी,
आज लरकन से।
होत है नौनी।।
(8)
मूढ़ है फूटौ,
साँची-साँची कतते।
कलजुग में।।
(9)
चली धनियाँ,
पहन पैजनिया।
भरैं पनियाँ।।
(10)
वसंतोत्सव,
बुन्देली बिखरी।
बसारी गाँव।I
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
संपादक 'आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)
भारत,पिन:472001 मोबाइल-9893520965
E Mail- ranalidhori@gmail.com
Blog - rajeev rana lidhori.blogspot.com
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