ग़ज़ल-''आचरण मित्रो
वो तितलियों को सिखाता है व्याकरण मित्रों।
खुद जिसका गंदा देखो है आचरण मित्रो।।
ये जीवन सफल हो जायेगा तुम्हारा मित्रो।
करो ध्यान,पूजा,जाओ उसकी शरण मित्रो।।
ढूँढे से न मिलती अब शुद्धता कहीं पे।
दूषित हो गया है कितना वातावरण मित्रो।।
मंदिर,मसिज़द हो या गिरजा,जिनालय।
सब उसका ही तो अंश है हर कण मित्रो।।
अपने ही अंदर खोजे, है खुशियाँ अपार।
दूसरों की खुशियों पे करा न अतिक्रमण मित्रो।।
सच कभी छिपता नहीं आयेगा ही सामने।
अच्छा है झूठ का खुद हटा दो आवरण मित्रो।।
तुम एक ही जगह पे ठहरे हुए क्यों 'रानां।
ये वक़्त कितना बदल रहा हर क्षण मित्रो।
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
संपादक 'आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.)
पिन:472001 मोबाइल-9893520965
E Mail- ranalidhori@gmail.com
Blog - rajeev rana lidhori.blogspot.com
वो तितलियों को सिखाता है व्याकरण मित्रों।
खुद जिसका गंदा देखो है आचरण मित्रो।।
ये जीवन सफल हो जायेगा तुम्हारा मित्रो।
करो ध्यान,पूजा,जाओ उसकी शरण मित्रो।।
ढूँढे से न मिलती अब शुद्धता कहीं पे।
दूषित हो गया है कितना वातावरण मित्रो।।
मंदिर,मसिज़द हो या गिरजा,जिनालय।
सब उसका ही तो अंश है हर कण मित्रो।।
अपने ही अंदर खोजे, है खुशियाँ अपार।
दूसरों की खुशियों पे करा न अतिक्रमण मित्रो।।
सच कभी छिपता नहीं आयेगा ही सामने।
अच्छा है झूठ का खुद हटा दो आवरण मित्रो।।
तुम एक ही जगह पे ठहरे हुए क्यों 'रानां।
ये वक़्त कितना बदल रहा हर क्षण मित्रो।
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
संपादक 'आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.)
पिन:472001 मोबाइल-9893520965
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