Rajeev Namdeo Rana lidhorI

रविवार, 30 नवंबर 2014

म.प्र.लेखक संघ की ‘बाल साहित्य’ पर केन्द्रित 190वीं गोष्ठी हुई-


Date-30-11-2014
म.प्र.लेखक संघ की ‘बाल साहित्य’ पर केन्द्रित 190वीं गोष्ठी हुई-

  टीकमगढ़//नगर की ख्यातिप्राप्त सुप्रसिद्ध साहित्यिक संस्था म.प्र.लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 190वीं गोष्ठी ‘बाल साहित्य’ पर केन्द्रित हुई जो कि परमेश्वरीदास तिवारी के निवास पर आयोजित की गयी
 जिसके मुख्य अतिथि हाजी ज़्ाफ़रउल्ला खां ‘ज़फ़र’ रहे व
 अध्यक्षता कुण्डेश्वर के प्रसिद्व बाल साहित्यकार गुणसागर शर्मा सत्यार्थी ने की।
 ‘वीणा वादिनी’ सरस्वती वंदना पूरनचन्द्र गुप्ता ने पढ़ी,
ततपश्चात पं.गुणसागर सत्यार्थी ने अपने उद्वोधन में कहा कि सबसे पहले बाल कवि सूरदास जी थे। कविता लिखने के दो उद्देश्य होने चाहिए पहला कविता क्यांे लिखे तथा कविता किसके लिए लिखे।
वीरेन्द्र चंसोरिया ने बाल गीत पढ़ा- पढ़ने के दिन अपने सच करना है सपने।
                                           अनुशासन में रहकर के मंजि़्ाल को पाएँ।।
म.प्र. लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने बाल कविता ‘पूंछ’ सुनायी-
                   पूंछ हमारी होती,कितनी प्यारी होती।
                      सुंदर पूंछ देखकर हमारी सब हमसे जलने लगते।
                 पूंछ पकड़कर फिर वे खींचा-खांची करते।

डाॅ. जगदीश रावत ने पढ़ा-    भोला भाला भोलू प्यारा,रहता जंगल में जो न्यारा।
                                      लोग काटते है जंगल को मिटा रहे अपने मंगल को।।
हाजी ज़फ़रउल्ला खां ‘ज़फ़र’ ने पढ़ा-
     हाथ में बोतल पीठ पै बस्ता,पैदल चलता हालत खस्ता।
     मन मारे स्कूल को जाता,छुट्टी पर ही हँसता।।
हरेन्द्र पाल सिंह ने सुनाया-बचपना जब पौढ़ता की ओर बढ़ता है
                                        जब दूरिया पैदा होती है।
शांति कुमार जैन ने कविता पढ़ी- बचपन मेरा तेरी गोदी में बीता।
                                         अश्रु नहीं अब थमते है।
दीनदयाल तिवारी ने कविता पढ़ी- बच्चों आओ बढ़ो आगे वीर बहादुर बनना है।
                                    कमर कसकर करो प्रतिज्ञा कुरीतियों से लड़ना है।।
बी.एल.जैन ने रचना पढ़ी- हम नेक बनेंगे एक बनेगे,हिंसा से हम दूर रहेंगे।
  सब  बहिने मेरी बहिने हे इसका पक्का ध्यान करेंगे।
ग्राम लखौरा के कवि गुलाब सिंह भाऊ ने कविता पढ़ी-लरकन में जा चली चिड़ी।        
          खारये गुटका पी रये बिड़ी।
सियाराम अहिरवार ने रचना पढ़ी-
वर्षा गई शरद ऋतु आई ठंड का मौसम पड़ा दिखाई।
लालजी सहाय श्रीवास्तव लाल ने रचना पढ़ी-
मात पिता की आज्ञा मानी जीवन सवर गया।
मनमानी की जिसने उसका जीवन बिखर गया।
कवि विजय मेहरा ने लघुकथा ‘‘भारत माता की जय’’ पढ़ी।
 परमेश्वरीदास तिवारी ने लघुकथा ‘पंडि़त जी की बकरी’ सुनायी।
 अजीत श्रीवास्तव ने बुन्दली लोक कथा ‘भटे दाऊ’, एवं
 डाॅ.आशा देवी तिवारी ने कहानी ‘चुहिया छनकूबाई’ पढ़ी।
इनके अलावा गीतिका वेदिका आदि ने भी अपनी रचनाएँ सुनायीे।
 गोष्ठी का संचालन अजीत श्रीवास्तव ने किया एवं
 सभी का आभार प्रदर्शन परमेश्वरीदास तिवारी’ ने किया।                                            
                    रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
                    अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ,टीकमगढ़,
                                          मोबाइल-9893520965,   

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