rajeev namdeo rana lidhoriDate-25-12-2015 Tikamgarh (m.p.)
‘हनुमानगढ़ी’ में हुआ ‘हास्य कविसम्मेलन‘ टीकमगढ़//नगर की साहित्यिक संस्था ‘म.प्र.लेखक संघ’, अ.भा.साहित्य परिषद, अ.भा.बुन्देलखण्ड साहित्य एवं संस्कृति परिषद,बज़्मे अदब,राष्ट्रभाषा प्रचार समिति,कवि संगम,सहित नगर की अनेक साहित्यिक संस्थाओं ने मिलकर ग्राम महाराजपुरा में हनुमानगढ़ी सिद्ध क्षेत्र पर एक ‘हास्य कवि सम्मेलन’ का आयोजन किया जिसमें जमकर ठहाके लगाये गये। सभी को अपनी रचनाएँ सुनाने से पूर्व एक पर्ची उठाकर उसमें लिखे अनुसार कार्य करना था। इस हास्य
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता ‘म.प्र.लेखक संघ’ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने की जबकि मुख्य अतिथि के रूप में डाॅ.जे.पी.रावत रहे एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ गीतकार पं.मनमोहन पाण्डेय उपस्थित रहे। सर्वप्रथम पं.मनमोहन पाण्डेय ने सरस्वती वंदना‘ की और गीत सुनाया-
बंदर के हाथ में आ गया है बम,बच के रहना बचके रहना तुम।
सीताराम राय ने पढ़ी-बजरंगवली बलधारी,
सुनो बिनती हमारी,सुख संपत्ति संग है सुख सारे,ये सब कृपा तुम्हारी।।
योगेन्द तिवारी ‘योगी’ ने कविता पढी-
एक अदद आशियाने की चाह में हम मशरूफ होकर अपना घरौंदा बनाते रहे।
उन्हें मिटाने की हसरत थी वो हमारा घरौंदा मिटाते रहे।।
हास्य कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे कवि राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने कविता सुनायी-करो न दौ नौका ने सवारी और न नदिया पार करो।
जो कुछ भी है मिला बहुत है ‘राना’ तुम स्वीकार करो।।रामगोपाल रेैकवार ने गीत पढ़ा-
दिन तो ओले हो गए,कुल्फी बन गई रात।
शाम बरफ गोला हुई पाला हुआ प्रभात।
ग्राम लखौरा से पधारे कवि गुलाब सिंह यादव ‘भाऊ’ ने पढ़ा-
किसे कइ्रये किये सुनाये मजदूरी के जाल खो,
मोड़ा मोड़ी भूकन रो रए रोटी नईया हाल खौ।।
पूरनचन्द्र गुप्ता’ ने पढा-
चाबी,चाबी,इसकी चाबी,उसकी चाबी, ये चाबी है सबकी चाबी।
उमाशंकर मिश्र तन्हा’ने पढा-
था प्यार अगर मुझसे इकबार तो कह देते,
जज़्बात कभी दिल के मेरे यार तो कह देते।
मुख्य अतिथि डाॅ.जे.पी.रावत ने रचना सुनायी-
नये साल में नई रोशनी ने दस्तक दी है।
सूरत ने उधार में दिन से प्रिय प्रस्तवली है।
चाँद मोहम्मद ‘आखिर’ ने ग़ज़ल पढ़ी-
मिल गया वो मुझे चाँदनी रात में, दे दिया दिल उसे बात ही बात में।।
गणेशी पन्नालाल शुक्ला ने कविता सुनायी-
गजब कर दिया नेता जी गजब कर दिया।
एक वोट के बदले में क्या-क्या दिया।।
विजय मेहरा ने कविता सुनायी-
सभ्यता जहाँ ठहरी होगी। वासना झील सी गहरी होगी।
सियाराम अहिरवार ने पढ़ा-
एकान्त भाव की अंतर पीड़ा कविता में दर्शाते हैं।
चिंतन की चेतन चिडि़या के नये पंख उग आते है।
दीनदयाल तिवारी ने बुन्देली कविता पढी-
खल से बैर कभउ जिन करियौ,सदा दूर ही रइयौ।।
शांति कुमार जैन ने कविता सुनायी-
वही करेगा मदद इंतजार बाकी,
मेरे नसीब में अभी परबरदिगार बाकी है।।
भारत विजय बगेरिया ने लक्ष्मी जी की आरती सुनायी-
जै लक्ष्मी मैया, तेरे बिना चले न नैया।।
अभिनंदन गोइल ने आलेख ‘काम और श्रद्धा कौ मिलाप’ सुनाया तथा परमेश्वरीदास तिवारी ने पहेलियाँ बूझीं।।
इनके अलावा संतोष कठैल,हरेन्द्रपाल सिंह, राजेन्द्र विदुआ आदि ने भी रचनाएँ पढ़ी। गोष्ठी संचालन उमाशंकर मिश्र’ एवं पूरनचन्द्र गुप्ता ने किया तथा
सभी का आभार प्रदर्शन परमेश्वरीदास तिवारी ने किया।
अंत में सभी ने दाल वाटी भटा का भर्ता,लड्डू,खीर का भरपूर लुत्फ उठाया।।
रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ,टीकमगढ़,
मोबाइल-9893520965