म.प्र.लेखक संघ की ‘पावस’ पर गोष्ठी हुई-
कथा सम्राट ‘प्रेमचन्द्र’ को किया याद
टीकमगढ़//‘ डे केयर’ राजमहल परिसर में म.प्र.लेखक संघ’ टीकमगढ़ की 225वीं गोष्ठी ‘पावस पर एवं कथा सम्राट मुंषी प्रेमचन्द्र’ पर केन्द्रित रही, जिसमे मुख्य अतिथि बल्देवगढ़ से पधारे वरिष्ठ साहित्यकार कोमलचन्द्र बजाज रहे व अध्यक्षता पूर्व डी.ई.ओ. बी.एल जैन ने की, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप कवि सियाराम अहिरवार रहेे। सरस्वती बंदना के पश्चात् साहित्यकारों ने मुंषी प्रेमचन्द्र’ पर अपने विचार रखे तत्पष्चात्
पूरनचन्द्र गुप्ता ‘पूरन’ ने कविता सुनायी- सोजे वतन के कारण इन्हें किया प्रतिबन्ध।
पूरन धनपत राय का,पड़ गया फिर नाम।।
लखौरा से पधारे गुलाब सिंह यादव ‘भाऊ’ नेे बुन्देली कविता से पढ़ी-
घटा घोर बदला जा बदली छाई रसवारी भौरारे।
बरसे ओ पानी और होवे किसानी,भगवै गिरानी,सो सबका खुषी छाई।।
म.प्र. लेखक संघ के अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी ने ‘ग़ज़ल’पढ़ी-
प्रदूषण का इतना असर हो गया है,सांस लेना भी अब तो ज़हर हो गया।।
ईमान दुनिया से क्या उठ गया,‘राना’, बदमाष कितना बषर हो गया।।
वीरेन्द्र चंसौरिया ने गीत सुनाया-
प्यासी धरती को पानी पिला दीजिए,दीन बन्धु दयालु दया कीजिए।
बल्देवगढ़ से पधारे यदुकुल नदंन खरे ने पढ़ा- लोकतंत्र में गलियन-गलियन षब्दों की बौछार है
कोई विधवा लरत बचाने करती हा हा कार है।।
बुन्देली कवि राजेन्द्र विदुआ ने कविता सुनायी- जिनको पत्नि प्रिय है वे पत्नि के खास।
पत्नि के ही ज्ञान से बन गये तुलसीदास।।
उमा षंकर मिश्रा ने पैरोडी सुनायी- तुम अगर वोट देने का वादा करो, मैं यूंही तुमको बुद्धू बनाता रहूँ।।
बल्देवगढ़ के कोमलचन्द्र बजाज पढ़ा- बादल गरजें, बिजली चमके,जल फहार देी मुस्कान।
प्यासी धरती धन्य हो गइ और पपीहा छेड़े तान।।
सियाराम अहिरवार ने पढा-जोष जुनून जज्बातों का,जिसके अंदर था सैलाब,
उस कलम के हस्ताक्षर ने किये उजागर सुंदर भाव।।
दीनदयाल तिवारी ने कविता पढ़ी-तनक सौ बरस के रै जब पानी षंकित है सब प्रानी।
बादर छा रय आ रय,जा रय,चुप है बरसा रानी।।
आर.एस. शर्मा ने पढ़ा- यक्ष प्रष्न पर्यावरण संरक्षण का, हरियाली और नदियों संरक्षण का है।
दयालीराम विष्वकर्मा ने सुनाया- मौं खों आन निवारौ,हे राम ई पथरा से तारो।।
रामगोपाल रैकवार ने व्यंग्य ‘प्रपंच परमेष्वर’ सुनाया एवं अजीत श्रीवास्वत ने बुन्देली कहानी- ‘झगड्म-पट्टम्’ सुनायी। इनके रामगोपाल रैकवार, परमेश्वरीदास तिवारी, बी.एल. जैन, भारत विजय बगेरिया, वेद पस्तोर, बालमुकुन्द प्रजापति, कौषल किषोर ,धर्मदास साहू,, रामचरण मिश्रा, लक्ष्मण दास आदि ने अपने विचार रखे।
संचालन उमा षंकर मिश्रा ने किया एवं
सभी का आभार प्रदर्शन लेखक संघ के अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने किया।
रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ,टीकमगढ़,मोबाइल-9893520965,
rajeev namdeo rana lidhori
कथा सम्राट ‘प्रेमचन्द्र’ को किया याद
टीकमगढ़//‘ डे केयर’ राजमहल परिसर में म.प्र.लेखक संघ’ टीकमगढ़ की 225वीं गोष्ठी ‘पावस पर एवं कथा सम्राट मुंषी प्रेमचन्द्र’ पर केन्द्रित रही, जिसमे मुख्य अतिथि बल्देवगढ़ से पधारे वरिष्ठ साहित्यकार कोमलचन्द्र बजाज रहे व अध्यक्षता पूर्व डी.ई.ओ. बी.एल जैन ने की, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप कवि सियाराम अहिरवार रहेे। सरस्वती बंदना के पश्चात् साहित्यकारों ने मुंषी प्रेमचन्द्र’ पर अपने विचार रखे तत्पष्चात्
पूरनचन्द्र गुप्ता ‘पूरन’ ने कविता सुनायी- सोजे वतन के कारण इन्हें किया प्रतिबन्ध।
पूरन धनपत राय का,पड़ गया फिर नाम।।
लखौरा से पधारे गुलाब सिंह यादव ‘भाऊ’ नेे बुन्देली कविता से पढ़ी-
घटा घोर बदला जा बदली छाई रसवारी भौरारे।
बरसे ओ पानी और होवे किसानी,भगवै गिरानी,सो सबका खुषी छाई।।
म.प्र. लेखक संघ के अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी ने ‘ग़ज़ल’पढ़ी-
प्रदूषण का इतना असर हो गया है,सांस लेना भी अब तो ज़हर हो गया।।
ईमान दुनिया से क्या उठ गया,‘राना’, बदमाष कितना बषर हो गया।।
वीरेन्द्र चंसौरिया ने गीत सुनाया-
प्यासी धरती को पानी पिला दीजिए,दीन बन्धु दयालु दया कीजिए।
बल्देवगढ़ से पधारे यदुकुल नदंन खरे ने पढ़ा- लोकतंत्र में गलियन-गलियन षब्दों की बौछार है
कोई विधवा लरत बचाने करती हा हा कार है।।
बुन्देली कवि राजेन्द्र विदुआ ने कविता सुनायी- जिनको पत्नि प्रिय है वे पत्नि के खास।
पत्नि के ही ज्ञान से बन गये तुलसीदास।।
उमा षंकर मिश्रा ने पैरोडी सुनायी- तुम अगर वोट देने का वादा करो, मैं यूंही तुमको बुद्धू बनाता रहूँ।।
बल्देवगढ़ के कोमलचन्द्र बजाज पढ़ा- बादल गरजें, बिजली चमके,जल फहार देी मुस्कान।
प्यासी धरती धन्य हो गइ और पपीहा छेड़े तान।।
सियाराम अहिरवार ने पढा-जोष जुनून जज्बातों का,जिसके अंदर था सैलाब,
उस कलम के हस्ताक्षर ने किये उजागर सुंदर भाव।।
दीनदयाल तिवारी ने कविता पढ़ी-तनक सौ बरस के रै जब पानी षंकित है सब प्रानी।
बादर छा रय आ रय,जा रय,चुप है बरसा रानी।।
आर.एस. शर्मा ने पढ़ा- यक्ष प्रष्न पर्यावरण संरक्षण का, हरियाली और नदियों संरक्षण का है।
दयालीराम विष्वकर्मा ने सुनाया- मौं खों आन निवारौ,हे राम ई पथरा से तारो।।
रामगोपाल रैकवार ने व्यंग्य ‘प्रपंच परमेष्वर’ सुनाया एवं अजीत श्रीवास्वत ने बुन्देली कहानी- ‘झगड्म-पट्टम्’ सुनायी। इनके रामगोपाल रैकवार, परमेश्वरीदास तिवारी, बी.एल. जैन, भारत विजय बगेरिया, वेद पस्तोर, बालमुकुन्द प्रजापति, कौषल किषोर ,धर्मदास साहू,, रामचरण मिश्रा, लक्ष्मण दास आदि ने अपने विचार रखे।
संचालन उमा षंकर मिश्रा ने किया एवं
सभी का आभार प्रदर्शन लेखक संघ के अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने किया।
रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ,टीकमगढ़,मोबाइल-9893520965,
rajeev namdeo rana lidhori
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