Rajeev Namdeo Rana lidhorI

शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2019

कविता-‘बसंत बहार’


स्वागत को ऋतुराज का।
धरा ने किया सौलह श्रृंगार।।
पीली-पीली सरसों फूली।
कोयल कूँके अमुआ की डार।।

मौसम में मधुमास समाया।
मींठी-मींठी चले बयार।।
पिया याद बहुत आते हो।
जब आती है बसंत बहार।।

देख के फूलों को खिलते हुए।
खुशियाँ मिलती है अपार।।
खिल उठती बगिया दिल की।
जब आती है बसंत बहार।।
काम देव भी बाण चलाते।
जब आती है बसंत बहार।।
मधुमास मद होश हो गया।
फूल लुटाते खूब है प्यार।।

भौंरे ने जब गीत सुनाये।
तितली ने डाले हथियार।।
‘राना’ सबको अच्छा लगता है।
जब आती है बसंत बहार।।


- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
संपादक ‘आकांक्षा’ पत्रिका
  अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
 शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)
   भारत,पिनः472001 मोबाइल-9893520965
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