Rajeev Namdeo Rana lidhorI

शुक्रवार, 21 जून 2019

‘आकांक्षा’ वार्षिक पत्रिका अंक-14 वर्ष-14 सन्-2019 (जल विशेषांक) समीक्षक:- अजीत श्रीवास्तव


गुणात्मक समीक्षा- ‘आकांक्षा’ वार्षिक पत्रिका 

 अंक-14 वर्ष-14 सन्-2019 (जल विशेषांक)
संपादक:-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
समीक्षक:- अजीत श्रीवास्तव
प्रकाशन वर्षः- सन् 2019
प्रकाशन-म.प्र.लेखक संघ,टीकमगढ़
       सहायोग-100रु. पेज-64
निरंतर म.प्र.लेखक संघ टीकमगढ़ की संस्था द्वारा यह पत्रिका श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ के संपादन में कीर्तिमान बनाये हुए है, नव अंक ‘जल विशेषांक’’ के है, यह इस जून 2019 में विमोचित होकर जल चेतना देता अंक सिद्ध हुआ है। इस कृति का समग्र अध्ययन बहुत कुछ बताता है, जो जल के गुणों का ही अद्भुद बखान काव्य एवं गद्य में हुआ है।
जल महत्व- पानी है अनमोल, कुदरत का उपकार, जल,जल तो जल है, जल महिमा, जल बिन को है, जल ही जीवन है जैसी कविताएँ रेखांकित करती है तो सवाल उठता है कि जल तत्व है क्या, इस पर भी नजर आवश्यक है-
जल तत्व क्या है-  जल जीवन की आन, जल को आज बचाना है, पानू की बचत, दो ग़ज़लें, जल क्या है?, जल की आशा, पानी की परेशानी, अगली सदी में पानी, जलाधार जैसी कवितायें खूबी से बखान करती एवं समझाईस देती हैं। जो पुरा महत्व पर पानी के लिए श्रेष्ठ रचनायें भी आई है। 
जल का शास्त्रीय रुप- पानी रखता है पानी, मानव शरीर में जल, जल का महत्व, जमुना जल, पावस गीत, बरसे अबीर, पानी,गंगा बेतवा, बदरा बरसे, जैसी श्रेष्ठ रचनायें बहुत सुंदर ढंग से इस पंचतत्व में के ‘जल’ का शास्त्रीय कार्यो का निरूपण करती हैं।
जल संरक्षण- जल को संरक्षित रखने के कई कवियों ने नूतन भावभरी रचनायें दी हैं, ‘कनक’ की ग़ज़ल, दूषित गंगा, बुन्देली गीत, दोहे पानीदार, मुक्तक जल रेत नदी बचाओ, जल संरक्षण, पर्यावरण पानी की त्रासदी, व्यंग्य पानीदार पानी, जैसी सुंदर शब्दावलियाँ हमें चेतावनी देती हुई सतर्क करती हैं।
नव जल चिंतन-  ऐसा भी नहीं है कि इस पर लोग बेखबर हो जल चिंतन हो भी रहा है तो पत्रिका में जल 
प्रबंधन के पुराधा बुन्देलखण्ड जल परियोजना, चेतावनी,बुंदेली गीत, जलावाद विश्वासघात, हम आरेछा के, राज जी का गीत,धरा,वसंत, ऐसी रचनायें जल पर चिंतन और चिंता प्रकट कर पाठकों को झंझकोरती व प्रेरित करती हैं।
स्पुट रचनायें- पत्रिका में अन्य रचनायें भी है डाॅ. रूखसाना सिद्दीकी गज़ल,हायकू, पानी, शहीदों के प्रति,धूप के टुकड़े,देशप्रेम गीत,नशा मुक्ति, गजल-गीत श्री के.के पाठक के जो पाठकों का मनोरंजन एवं जल से पृथक ध्यान  खींचतीं है। उन्हें एक रस से बाहर खींच राहत देने का भी कार्य करती हैं, यह संपादन का कौशल है।
विशिष्ट रचनायें- श्री सीताराम राय ‘सरल’ जी की 25 रचनाओं का एक परिशिष्ठ भी है जो कि एक कवि का समग्र मस्तिष्क पठन कराता है, यह बानगी लेखक/कवि का समग्र प्रस्तुत करने में सक्षम होता है। कवि की गायकी,ज्ञान, चिंतन एवं विषय प्रवेश, सोच, विशालता सब बताता है। वंदना से शुरू हो प्रकृति चित्रण, शृंगार के गीत, होरी,गणेश कँुवरि (इतिहास), बेटी बचाओ (समस्या), बुन्देलखण्ड धरती से जुड़ी रचनाओं के साथ आशावादी दृष्टिकोण की तमाम रचनायें है जो जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं।
यह अंक तारीफे काबिल बन पड़ा है, कलेवर प्रकृति से (पत्थरों) से जीवन मुख्य पृष्ट पर बहुत कुछ कहता है, पूरी टीकमगढ़ ईकाई, सपंादक मंडल इस पत्रिका के जल अंक के लिए बाधाई के पात्र है। ऐसे अंक संग्र्रहणीय होने से दस वर्ष से अधिक उम्र तक तो संरक्षित होते ही हैं। गुणों से, सोच से, चिंतन से, गेम, संगीतिक काव्य किसे श्रेष्ठ नहीं लगता, या मन को नहीं लुभाता।
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  समीक्षक-  अजीत श्रीवास्तव
राजीव सदन, नायक मोहल्ला,
टीकमगढ़(म.प्र.) मोबाइल-8827192845

मंगलवार, 11 जून 2019

समीक्षा- ‘आकांक्षा’ वार्षिक पत्रिका अंक-14 वर्ष-14 सन्-2019 (जल विशेषांक)संपादक:-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ समीक्षक:- हरिविष्णु अवस्थी


tikamgarh
समीक्षा- ‘आकांक्षा’ वार्षिक पत्रिका 
अंक-14 वर्ष-14 सन्-2019 (जल विशेषांक)
संपादक:-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
समीक्षक:- हरिविष्णु अवस्थी
प्रकाशन वर्षः- सन् 2019 प्रकाशन-म.प्र.लेखक संघ,टीकमगढ़
मूल्यः-100रु.  पेज-64
हम हमारा विश्व समाज जल की निरंतर कम होती उपलनब्धि के विषय में चिंतित तो है किन्तु उसका ध्यान इसके कारण और निवारण की ओर नहीं है। ‘‘आकांक्षा’’ के ‘‘जल विशेषांक’’ का उद्देश्य इसी दिशा में जन मानस का ध्यान आकृष्ट करने का एक प्रशंसनीय कदम है। डाॅ. मीनाक्षी पटेरिया ने अपने लेख में ‘मानव शरीर हेतु जल की आवश्यकता’ पर अच्छा प्रकाश डाला है। 
            श्री सी.एल.नामदेव से.नि.एस.डी.ओ.जल संसाधन विभाग ने जलापूर्ति हेतु शासन द्वारा क्रियान्वित योजनाओं की असफलताओं पर प्रकाश डालते हुए परियोजनाओं के निर्माण उनके क्रियान्वयन का श्लाघनीय ब्लू प्रिंट प्रस्तुत किया। ‘जल पुरुष’ के नाम से देश-विदेश में विख्यात श्री राजेन्द्र सिंह जी द्वारा  इस दिशा में किए जा रहे कार्यो का लेखा-जोखा श्री आर.एस.शर्मा जी ने कुशलता पूर्वक प्रस्तुत किया है।
आलेख के माध्यम से किसी विषय पर कलम चलाना, आसान कार्य नहीं है। विषय के संकलन हेतु विभिन्न लेखकों/प्रकाशकों की पुस्तकों का अध्ययन,फिर उन्हें सलीके से लेख में यथा स्थान रखना, श्रम साध्य कार्य है। इसके साथ ही लेख स्थान भी अधिक घेरता हैं सरसरी से पढ़ना आज के पाठक की आदत सी बनती जा रही है। फलस्वरुप लेखक का श्रम सही अर्थो में सार्थक नहीं हो पाता। जबकि कविता के माध्यम से कम से कम शब्दों में अपनी बात पाठक के समक्ष रखी जाती है और सरसरी निगाह से पढ़ने वाले उसे सहजता से पढ़ लेते है। वह गृहण कितना करते हैं या कर पाते हैं? यह पाठक की मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है। संभवतः इसी बात को ध्यान में रखते हुए, पत्रिका के यशस्वी सम्पादक श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने पत्रिका में लिखों की तुलना में कविताओं को अधिक स्थान दिया है।
वरिष्ठ शायर हाजी ज़फ़रउल्ला खां ‘ज़फ़र’ ने अपनी कलम से सृजित ग़ज़ल के माध्यम से प्रश्न उठाते हुए पूछा है-‘‘किसी सोचा था तरसेंगे लोग पानी को। सुना रहा हूँ, मैं इस दौर की कहानी को’’ और अंत में चेतावनी देते हुए उन्होंने लिखा-‘‘आज तक समझे नहीं आब (पानी) की कीमत क्या है। देखना ताले में रक्खेंगे ‘जफर’ पानी को।’’ श्री रामगोपाल रैकवार जल संरक्षण का संदेश देते हुए कहते हैं-‘जल संरक्षण कीजिए जल जीवन का आधार’’।
 डाॅ. ब्रजेन्द्र नारायण द्विवेदी लिखते-‘‘जल संरक्षण करलो प्यारे, जल को आज बचाना है। शुल्क धरा हो गयी अन्न का क्षीण हो रहा दाना है।’’ देवेन्द्र कुमार मिश्रा की प्रस्तुति-‘‘आदमी को बेपानी देखकर, पानी-पानी हो गया है पानी’’ आँखें खोलने वाली है।
  इसी प्रकार कृष्ण कुमार:‘कनक’ आवाज दे रहे है कि-‘‘जब से जल हम बहाने लगे है,ग़म स्वयं मुस्कुराने लगे है।’’ उमाशंकर मिश्र ‘तन्हा’ कहते है कि- ‘जीवन का अधार है पानी कुदरत का उपहार है पानी।’’ श्री यदुुकुल नंदन जी खरे, श्री सियाराम अहिरवार, श्री डाॅ.यू.एस.‘आनंद’, रामानंद पाठक ‘नंद’,रामनारायण साहू, गंुलाब सिंह ‘‘भाऊ’’,मातादीन यादव ‘अनुपम’,शोभाराम दांगी ‘इन्दु’,मानाराम बेनीबाल ‘सिणधरी’,आर.एस.शर्मा,राम सहाय राय,प्रमोद कुमार गुप्ता ‘मृदुल’, बी.एल. जैन‘सलिल’, शीला तिवारी, डी.पी.शुक्ला ‘सरस’, प्रेमनारायण शर्मा, सीताराम राय ‘सरल’,कोमल चन्द्र बजाज,दयाली विश्वकर्मा, की जल संबंधी रचनाएँ भी अच्छी बन पड़ी है। विस्तार भय से उनके उद्धहारण प्रस्तुत नहीं किये गए हैं।
राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ का व्यंग्य ‘अगली सदी में पानी’ आँखें खोल देने वाला है। डाॅ.रुखसाना सिद्दीकी की ग़ज़ल ‘वो मेरी नींद यार,चुरा कर चले गए’, अवध बिहारी श्रीवास्तव की शहीदों को श्रद्धांजलि, महेन्द्र चैधरी की रचना ‘गंगा की पावनता’, भूमि कुमारी विश्नोई की ‘ऋतुराज बसंत, डाॅ. राज गोस्वामी का गीत ‘आसमान में सूखे बादल, धरती, जंगलहीन’, डाॅ. आशा तिवारी की रचना ‘विश्वासघात’,भारत विजय बगैरिया का लेख सभी एक से बढ़कर एक हैं।
परिशिष्ट में सीताराम राय ‘सरल’ का संक्षिप्त परिचय एवं उनकी विभिन्न विषयों पर केन्द्रित 27 रचनाएँ दी गई है। श्री ‘सरल’ नवोदित रचनाकार हैं उन्होंने अल्प समय में ही अपनी लेखनी को पुष्टता प्रमाणित की है और काव्य जगत में अपना स्थान बनाया है। बधाई।
विभिन्न आस्वादों से परिपूर्ण ‘आंकाक्षा’ का ‘जल विशेषांक’ मननीय एवं संग्रहणीय है। पत्रिका टाइटिल पृष्ठ आकर्षक है। मुद्रण में शुचिता आकर्षक साज सज्जा आदि सभी दृष्टियों से पत्रिका उत्तम बन पड़ी है। कुशल संपादन हेतु श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ बधाई के पात्र हैं इतिशुभम्।
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-हरिविष्णु अवस्थी
अध्यक्ष श्री वीरेन्द्र केशव साहित्य परिषद्
स्टेट बैंक के पास, टीकमगढ़ (म.प्र.)

सोमवार, 3 जून 2019

म.प्र.लेखक संघ की ‘पर्यावरण’’पर 249वीं गोष्ठी हुई









rajeev namdeo rana lidhori
म.प्र.लेखक संघ की ‘पर्यावरण’’पर 249वीं गोष्ठी हुई 
 ‘आकांक्षा’ पत्रिका के अंक-14 का हुआ विमोचन 

टीकमगढ़//2-6-2019 साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 298वीं गोष्ठी ‘‘पर्यावरण’ पर केन्द्रित कवि गोष्ठी ‘आकांक्षा’ पब्लिक स्कूल,शिवनगर कालोनी,टीकमगढ़ में आयोजित की गयी। गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्री हरिविष्णु अवस्थी जी ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में नदनवारा से पधारे गीतकार श्री शोभराम दांगी ‘इन्दु’ जी रहे एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में कवि सीताराम राय ‘सरल’ जी रहे।
इस अवसर पर राजीव नामदेव ‘‘राना लिधौरी’’ के संपादन में विगत 14 वर्षो से प्रकाशित होने वाली पंित्रका ‘आकांक्षा’ के नवीन अंक का विमोचन किया गया। ‘आकांक्षा’ की समीक्षा पं.हरिविष्णु अवस्थी ने पढ़ी।
वीरेन्द्र चंसौरिया ने सरस्वती वंदना कर गोष्ठी के शुभारंभ में गीत सुनाया- 
हरे पेड़ पौधे मत काटो ये धरती का शृंगार है, यही जीवन का आधार है।
वरिष्ठ गीतकार सीताराम राय ‘सरल’ ़पढा- जल बिन जा सूनी जिन्दगानी, सबने लई पहिचानी।
म.प्र.लेखक संघ के अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी ने ‘पानी’’ पर कविता पढ़ी- 
अभी तो पानी बोतलों में मिलता हंै,वो दिन दूर नहीं, जब वह इंजेक्शन से मिलेगा।
तब मेहमानों को पानी भी,पोलियो ड्रॅाप की तरह,बस दो बँूद ही मिलेगा।।
नदनवारा से पधारे गीतकार शोभाराम दांगी‘इन्दु’ ने पढ़ा- पर्यावरण प्रदूषण कठिन दौर में।
बडे़-बड़े रो रहे बीमार पौर में।।
बल्देवगढ़ से पधारे साहित्यकार’ यदुकुल नंदन खरे ने पढ़ा- लू की चपेट में झुलस रहे है।
  जीव जन्तु प्यासे मर रहे है।।
पलेरा के रविन्द्र यादव ने पढ़ा-बडे-बड़े शहरों में बड़ी  परेशानी है।
न कहीं पै छाया है, न  कहीं पे पानी है।।
गीतिका वेदिका ने पढ़ी- एक अंजुरि भर जीवन बचा है, हो न सचेत हम,कितने अचेत हम।।
लखौरा से पधारे बुंदेली कवि गुलाब सिंह यादव‘भाऊ’ ने पढ़ा- पेड़ लगाव प्रदूषण बचाओ रसवारी।
 हरि भूमि धरती भारत की बनाओ रसवारी।।
रामेश्वर राय ‘परदेशी’ ने सुनाया-घामन तपत जात गैलारै, हते रूख पैलां रे।।
दयाली विश्वकर्मा ने सुनाया- औढ़ चुनरिया लेके गगरिया जा रइ गोरी पनिया खों।
गढ़कुईया में गागर धर के हैंडपंप लगी चलावे खो।।
एस.आर.‘सरल’ ने सुनाया- पर्यावरण से गहरा रिस्ता मानव की समृद्धि से।
समृद्धि की खुश्बू आती मेरे वतन की मिट्टी से।।
प्रभूदयाल श्रीवास्तव ने सुनाया-पर्यावरण नसा नइ जावै जाँताँ बिरछा लगा लइयो।। 
इनके अलावा परमेश्वरीदास तिवारी, अजीत श्रीवास्तव,उमा पाराशर व अनुश्रुति नामदेव ने भी अपनी रचनाएँ सुनायी।
गोष्ठी का संचालन वीरेन्द्र चंसौरिया ने किया तथा सभी का आभार अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ने माना।
 
- रपट-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
जिलाध्यक्ष-म.प्र. लेखक संघ,टीकमगढ़
टीकमगढ़ (म.प्र.) मोबाइल-9893520965
                                                  E Mail-   ranalidhori@gmail.com
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