tikamgarh
समीक्षा- ‘आकांक्षा’ वार्षिक पत्रिका
अंक-14 वर्ष-14 सन्-2019 (जल विशेषांक)
संपादक:-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
समीक्षक:- हरिविष्णु अवस्थी
प्रकाशन वर्षः- सन् 2019 प्रकाशन-म.प्र.लेखक संघ,टीकमगढ़
मूल्यः-100रु. पेज-64
हम हमारा विश्व समाज जल की निरंतर कम होती उपलनब्धि के विषय में चिंतित तो है किन्तु उसका ध्यान इसके कारण और निवारण की ओर नहीं है। ‘‘आकांक्षा’’ के ‘‘जल विशेषांक’’ का उद्देश्य इसी दिशा में जन मानस का ध्यान आकृष्ट करने का एक प्रशंसनीय कदम है। डाॅ. मीनाक्षी पटेरिया ने अपने लेख में ‘मानव शरीर हेतु जल की आवश्यकता’ पर अच्छा प्रकाश डाला है।
श्री सी.एल.नामदेव से.नि.एस.डी.ओ.जल संसाधन विभाग ने जलापूर्ति हेतु शासन द्वारा क्रियान्वित योजनाओं की असफलताओं पर प्रकाश डालते हुए परियोजनाओं के निर्माण उनके क्रियान्वयन का श्लाघनीय ब्लू प्रिंट प्रस्तुत किया। ‘जल पुरुष’ के नाम से देश-विदेश में विख्यात श्री राजेन्द्र सिंह जी द्वारा इस दिशा में किए जा रहे कार्यो का लेखा-जोखा श्री आर.एस.शर्मा जी ने कुशलता पूर्वक प्रस्तुत किया है।
आलेख के माध्यम से किसी विषय पर कलम चलाना, आसान कार्य नहीं है। विषय के संकलन हेतु विभिन्न लेखकों/प्रकाशकों की पुस्तकों का अध्ययन,फिर उन्हें सलीके से लेख में यथा स्थान रखना, श्रम साध्य कार्य है। इसके साथ ही लेख स्थान भी अधिक घेरता हैं सरसरी से पढ़ना आज के पाठक की आदत सी बनती जा रही है। फलस्वरुप लेखक का श्रम सही अर्थो में सार्थक नहीं हो पाता। जबकि कविता के माध्यम से कम से कम शब्दों में अपनी बात पाठक के समक्ष रखी जाती है और सरसरी निगाह से पढ़ने वाले उसे सहजता से पढ़ लेते है। वह गृहण कितना करते हैं या कर पाते हैं? यह पाठक की मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है। संभवतः इसी बात को ध्यान में रखते हुए, पत्रिका के यशस्वी सम्पादक श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने पत्रिका में लिखों की तुलना में कविताओं को अधिक स्थान दिया है।
वरिष्ठ शायर हाजी ज़फ़रउल्ला खां ‘ज़फ़र’ ने अपनी कलम से सृजित ग़ज़ल के माध्यम से प्रश्न उठाते हुए पूछा है-‘‘किसी सोचा था तरसेंगे लोग पानी को। सुना रहा हूँ, मैं इस दौर की कहानी को’’ और अंत में चेतावनी देते हुए उन्होंने लिखा-‘‘आज तक समझे नहीं आब (पानी) की कीमत क्या है। देखना ताले में रक्खेंगे ‘जफर’ पानी को।’’ श्री रामगोपाल रैकवार जल संरक्षण का संदेश देते हुए कहते हैं-‘जल संरक्षण कीजिए जल जीवन का आधार’’।
डाॅ. ब्रजेन्द्र नारायण द्विवेदी लिखते-‘‘जल संरक्षण करलो प्यारे, जल को आज बचाना है। शुल्क धरा हो गयी अन्न का क्षीण हो रहा दाना है।’’ देवेन्द्र कुमार मिश्रा की प्रस्तुति-‘‘आदमी को बेपानी देखकर, पानी-पानी हो गया है पानी’’ आँखें खोलने वाली है।
इसी प्रकार कृष्ण कुमार:‘कनक’ आवाज दे रहे है कि-‘‘जब से जल हम बहाने लगे है,ग़म स्वयं मुस्कुराने लगे है।’’ उमाशंकर मिश्र ‘तन्हा’ कहते है कि- ‘जीवन का अधार है पानी कुदरत का उपहार है पानी।’’ श्री यदुुकुल नंदन जी खरे, श्री सियाराम अहिरवार, श्री डाॅ.यू.एस.‘आनंद’, रामानंद पाठक ‘नंद’,रामनारायण साहू, गंुलाब सिंह ‘‘भाऊ’’,मातादीन यादव ‘अनुपम’,शोभाराम दांगी ‘इन्दु’,मानाराम बेनीबाल ‘सिणधरी’,आर.एस.शर्मा,राम सहाय राय,प्रमोद कुमार गुप्ता ‘मृदुल’, बी.एल. जैन‘सलिल’, शीला तिवारी, डी.पी.शुक्ला ‘सरस’, प्रेमनारायण शर्मा, सीताराम राय ‘सरल’,कोमल चन्द्र बजाज,दयाली विश्वकर्मा, की जल संबंधी रचनाएँ भी अच्छी बन पड़ी है। विस्तार भय से उनके उद्धहारण प्रस्तुत नहीं किये गए हैं।
राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ का व्यंग्य ‘अगली सदी में पानी’ आँखें खोल देने वाला है। डाॅ.रुखसाना सिद्दीकी की ग़ज़ल ‘वो मेरी नींद यार,चुरा कर चले गए’, अवध बिहारी श्रीवास्तव की शहीदों को श्रद्धांजलि, महेन्द्र चैधरी की रचना ‘गंगा की पावनता’, भूमि कुमारी विश्नोई की ‘ऋतुराज बसंत, डाॅ. राज गोस्वामी का गीत ‘आसमान में सूखे बादल, धरती, जंगलहीन’, डाॅ. आशा तिवारी की रचना ‘विश्वासघात’,भारत विजय बगैरिया का लेख सभी एक से बढ़कर एक हैं।
परिशिष्ट में सीताराम राय ‘सरल’ का संक्षिप्त परिचय एवं उनकी विभिन्न विषयों पर केन्द्रित 27 रचनाएँ दी गई है। श्री ‘सरल’ नवोदित रचनाकार हैं उन्होंने अल्प समय में ही अपनी लेखनी को पुष्टता प्रमाणित की है और काव्य जगत में अपना स्थान बनाया है। बधाई।
विभिन्न आस्वादों से परिपूर्ण ‘आंकाक्षा’ का ‘जल विशेषांक’ मननीय एवं संग्रहणीय है। पत्रिका टाइटिल पृष्ठ आकर्षक है। मुद्रण में शुचिता आकर्षक साज सज्जा आदि सभी दृष्टियों से पत्रिका उत्तम बन पड़ी है। कुशल संपादन हेतु श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ बधाई के पात्र हैं इतिशुभम्।
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-हरिविष्णु अवस्थी
अध्यक्ष श्री वीरेन्द्र केशव साहित्य परिषद्
स्टेट बैंक के पास, टीकमगढ़ (म.प्र.)
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